शादियों का मौसम है। साथ ही क्रिसमस और नव वर्ष की धूम ।
ऐसे में एक पुत्री ने पिता को ई मेल भेजी , जिसका हिंदी अनुवाद कर प्रस्तुत कर रहा हूँ ।
आज एक पार्टी थी माँ
मुझे याद था तुम्हारा कहा
शराब नहीं पीना बेटा
मैंने खाली सोडा लिया माँ ।
मुझ पर तुम्हारे भरोसे पर
मुझे गर्व हुआ था माँ
लोग कहते ही रहे पर
मैंने पीकर गाड़ी नहीं चलाई माँ ।
जानता हूँ मैंने सही किया माँ
जानता हूँ तुम हमेशा सही होती हो
पार्टी अब ख़त्म होने को है माँ
सब चल दिए हैं अपने घर को।
कार में बैठते सोचता हूँ माँ
घर आ जाऊँगा सही सलामत
तुमने जो संस्कार दिए हैं माँ
जिम्मेदार बनाया है मुझे हर वक्त ।
जब मैं गाड़ी लेकर निकला माँ
और सड़क किनारे पर आया
दूसरी गाड़ी ने नहीं देखा माँ
और पत्थर की तरह टकराया ।
अब मैं सड़क पर पड़ा हूँ माँ
सुन रहा पुलिस वाले की पुकार
दूसरे ने पी रखी है यार
पर भुगतना पड़ा मुझे है माँ ।
मैं यहाँ पड़ा मर रहा हूँ माँ
काश कि तुम आ पाती
ऐसा क्यों हुआ माँ
क्यों बुझ गई मेरी जीवन बाती ।
चारों ओर खून बिखरा है माँ
सारा ही मेरा अपना है
डॉक्टर कह रहा है माँ
मुश्किल मेरा बचना है ।
बस इतना जान लो माँ
मैंने नहीं पी थी एक भी घूँट
उसी ने पी थी उसी पार्टी में
लेकिन खतरा मेरी जान को माँ ।
यह सही नहीं है माँ
मैं यहाँ मरने को हूँ पड़ा
मुझे मारने वाला खड़ा खड़ा
बस मुझे देख रहा है माँ ।
भैया को बोलना रोये नहीं माँ
पापा को सहारा देना अपना
और जब मैं स्वर्ग में जाऊं माँ
मेरी कब्र पर अच्छा बच्चा लिखना।
किसी ने उसे बोला क्यों नहीं माँ
कि पीकर गाड़ी नहीं चलाते
काश किसी ने बोला होता
तो आज मैं जिन्दा होता माँ ।
अब सांस रुकने लगी है माँ
डर सा लग रहा है अभी
पर तुम रोना नहीं कभी
तुम हमेशा मेरे साथ रही माँ ।
मरने से पहले मेरा
एक आखिरी सवाल है माँ
मैंने पीकर कभी गाड़ी नहीं चलाई
फिर मरने की मेरी ही बारी क्यों आई ?
क्यों माँ , आखिर क्यों माँ ?
नोट : यह सन्देश है जो सब तक पहुंचे और पालन हो तो कुछ जिंदगियां असमय ही काल की ग्रास होने से बच सकती हैं ।
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बहुत ही भावुक कर देने वाली ह्रदयस्पर्शी रचना .... आभार
ReplyDeleteइस कविता का कोई जबाब नही, इस का जबाब उन लोगो के पास हे जो पीकर चलाते हे, बहुत भावुक कर दिया इस कविता ने धन्यवाद
ReplyDeleteकडवी सच्चाई ने रौंगटे खडे कर दिये………………बेहद मार्मिक और संवेदनशील ।
ReplyDeleteतभी तो कहते हैं कि यदि आप सावधान है तब केवल पचास प्रतिशत ही सुरक्षित हैं, शेष पचास प्रतिशत तो सामने वाले पर है। अच्छी कविता।
ReplyDeleteबहुत कड़वी सच्चाई ,और एक सबक ।
ReplyDeleteदराल जी,
ReplyDeleteमाफ़ करें..पूरी कविता पढ़ नहीं पायी....आँखें धुंधला गयीं.
ऐसे कितने ही हादसों की खबरें पढ़ती रहती हूँ...खासकर न्यू इयर पार्टी के बाद...सब की सब याद आ गयीं....१८,२० साल के बच्चे....दुसरो की लापरवाही का शिकार हो जाते हैं.
शायद आपको पता हो..प्रसिद्द ग़ज़ल गायक 'जगजीत सिंह' ने भी अपना १८ वर्षीय बेटा ;विवेक' ऐसे ही सड़क हादसे में खोया था. चित्रा जी ने उसके बाद से गाना ही छोड़ दिया.
आज ही खबर पढ़ी...'महाराष्ट्र विधानसभा' ने सर्वसम्मति से एक बिल पास किया है ,जिसमे जुर्माने कि रकम २००० रुपये से बढाकर ६००० रुपये कर दी गयी है..ये कानून बन गया तो शायद इसी डर से लोंग बाज आयें.
रश्मि जी , अभी अर्चना चाव जी की फेसबुक वॉल पर उनके स्वर मे इसे सुनकर हमारी भी आँखें भर आई .
Deleteह्रदयस्पर्शी रचना ....बेहद मार्मिक और संवेदनशील ।
ReplyDeleteबेहद मार्मिक और संवेदनशील रचना .... आभार |
ReplyDeleteरश्मि जी , मैं मुश्किल से मुश्किल हालात में भी कभी नहीं रोया । लेकिन इस कविता को इंग्लिश में पढ़कर मेरी भी आँखों में आंसूं आ गए थे ।
ReplyDeleteयदि मनुष्य गलतियों से सबक ले पाता, उदहारणतया प्रथम और द्वितीय महायुद्धों के परिणामों से, जान माल की हानि आदि से, सीख ले पाता तो युद्ध होने बंद हो जाते!
ReplyDeleteशायद प्राचीन ज्ञानी सही कह गए कि 'उस की मर्ज़ी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिल सकता'...
बेहद मार्मिक और संवेदनशील पढ़कर मेरी भी आँखों में आंसूं आ गए
ReplyDeleteअक्सर,सड़क दुर्घटनाएं दूसरों की ग़लती से ही होती हैं। दुर्घटना का ज़िम्मेदार व्यक्ति 99 प्रतिशत मामलों में फ़रार हो जाता है और सड़क पर पड़ी रहती है बेकसूर की लाश जिसका बोझ वही माता-पिता जानते हैं जिन्हें कांधे पर बच्चे की अर्थी उठानी पड़ी हो। एक पुत्र,एक पिता,एक पति और इन सबसे ऊपर एक सभ्य नागरिक का इस तरह जाना हमारी मरती संवेदनशीलता की निशानी है।
ReplyDeleteमैंने पीकर कभी गाड़ी नहीं चलाई
ReplyDeleteफिर मरने की मेरी ही बारी क्यों आई ?
सार्थक प्रश्न ..
आपने तो इसे अत्यंत मार्मिक बना दिया है. ऐसा लगता है समस्त दृश्य आँखों के सामने घटित हो रहा है
बहुत हृदयस्पर्शी मार्मिक सत्य और सीधी बात.एक सही सवाल उठती हुई मेरा भी यही मानना है की हादसे अपनी गलती से कम और दूसरों की गलती से ज्यादा होते हैं
ReplyDeleteयह सब अपनी संस्कृति खोने का ही परिणाम है.आपने फिर अपनी प्राचीन संस्कृति पर लौट चलने की ओर संकेत किया है.सभी को अनुपालन करना चाहिए और शराब आदि मादक पदार्थों का सेवन अविलम्ब छोड़ देना चाहिए तभी मूल्यवान जिंदगियां बचाई जा सकेंगीं .ज़रुरत है मनुष्य में मनुष्यता का संचार करने की.
ReplyDeleteतभी तो कहते है कि गलती किसी की भी हो भुगतना तो हमें ही पड़ता है:( मार्मिक कविता ॥
ReplyDeleteसकारात्मक संदेश देती मार्मिक कविता , डा० सहाब !
ReplyDeleteदराल जी कई प्रश्न खड़े कर गई आपकी कविता .....
ReplyDeleteसच्च है करता कोई है और भुगतना किसी को पड़ता है ....
आज खुशदीप जी अभी तक आये नहीं .....तो उनकी तरफ से .....
संता बंता से .....
शराब समाज की दुश्मन है
आओ इसे जड़ से खत्म करें
एक बोतल तुम खत्म करो
एक बोतल हम खत्म करें ......
उफ्फ्फ बेहद मार्मिक ...आखिर तक आते आते नजर भीग गई.
ReplyDeleteह्रदय स्पर्शी कविता .
ReplyDeleteमैंने पीकर कभी गाड़ी नहीं चलाई
ReplyDeleteफिर मरने की मेरी ही बारी क्यों आई ?
यह एक ऐसा सवाल जिसका जवाब समाज की किसी माँ के पास न होगा।
मार्मिक बहुत मार्मिक बहुत तार्किक कविता।
मालिक उम्र-दराज़ करे आपकी।
इस दुनिया में करता कोई है .. भरता कोई है!!
ReplyDeleteकेवल 'वैज्ञानिक' ही नहीं, प्रश्न हर कोई पूछता है, "ऐसा क्यूँ हुया?", आदि आदि,,,इस के लिए शायद, 'हिन्दू' होने के नाते, हम में से कुछेक को (सिस्टम्स इंजिनियर समान) अपने इतिहास में जाना होगा कि क्या पहले कभी मानव जीवन को समझने के लिए कोई गहराई में गया है? यदि हाँ, तो उन्होनें क्या कहा? तभी शायद वर्तमान में थोडा-बहुत रहस्योद्धघाटन संभव हो पाए...
ReplyDeleteपहली नज़र में आप पाएंगे कहावत, "हरी अनंत/ हरी कथा अनंता" यानि किसी भी विषय में आपको विभिन्न दृष्टिकोण देखने को मिलेंगे,,,और इन कथाओं का सार, हरी (विष्णु) अथवा हर (शिव, यानि अनंत आत्मा जो हर अस्थायी यानि मायावी प्राणी के, जो सौर मंडल के सार से बना है, भीतर विद्यमान है) के विषय में, इन शब्दों में, "सत्यम शिवम् सुंदरम" ...शायद तभी कोई समझ पाए कि क्यूँ प्राचीन खगोलशास्त्री, यानि 'वैज्ञानिक' गहराई में जा किसी व्यक्ति विशेष के बारे में गहराई में जाने के लिए 'जन्म-कुंडली' आदि बना उसका विश्लेषण का प्रयास करते थे (किन्तु आज हम उन्हें 'मूर्ख' मान और अपने को 'ज्ञानी' बताते हैं ...(शायद इसे ही 'प्रभु कि माया' कहा ज्ञानियों ने :)
... behad maarmik va samvedansheel rachanaa ... bahut sundar !!!
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति ...सोचने पर विवश करती हुई ..दूसरों की गल्ती की सज़ा किसी और को मिली ..मार्मिक
ReplyDeleteह्रदयस्पर्शी रचना पढ कर आँखें नम हो गयी। शाय्द इसे पडः कर किसी पीने वाले के मन मे कुछ अच्छी सोच उभरे। धन्यवाद।
ReplyDelete" kisine usse bola kyu nahi Maa,
ReplyDeleteki pikar gaadi nahi chalate.
Kaash, kisine bola hota
toh aaj main zinda hota Maa.."
Inhi lino ko padhne ke baad dil chaha raha hai ki dahade maar ker royon....
Sochti hoon ki ismay kiski galti hai
Maa ki, Sharab ki, yaa Aadhunikta ki iss andhi daud ki?
मरने से पहले मेरा
ReplyDeleteएक आखिरी सवाल है माँ
मैंने पीकर कभी गाड़ी नहीं चलाई
फिर मरने की मेरी ही बारी क्यों आई ?
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रचना बहुत दार्शनिक है!
संदेश देती पोस्ट...पॉडकास्ट बनाया है ..आपको सुनने के लिये मेल किया है...ज्यादा से ज्यादा लोंगो तक पहुँचे यह संदेश...
ReplyDeleteसंवेदनशील !
ReplyDeleteबहुत मार्मिक व संदेश प्रधान कविता जो हर पढने वाले को सोचने पर मजबूर कराती है ।
ReplyDeleteदर्शन कौर जी , मुझे लगता है कि गलती कहीं न कहीं मात पिता की ही रहती है । मां बाप ही बच्चों को संवारते हैं और वही उन्हें बिगाड़ते हैं । नाबालिग बच्चे को गाड़ी या मोटर साइकल देकर हम क्या शान बघारते हैं ? यदि समय पर उन्हें न संभाला जाये तो बाद में समझाना मुश्किल होता है ।
ReplyDeleteधन्यवाद अर्चना जी । इस पोस्ट का यही उद्देश्य है कि यह सन्देश ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे ।
ReplyDeleteDr saheb, aaj achanak aapki purani post padi "dil da mamla hai". Mere husband ko 11th Aug'09 subah 11 baje achanak dil mein kuch bhari bhari sa laga.Bahut ajeb si anubhuti thi.Na dard tha na ghabarahat thi.Kuch time yuhi sochte hue beet gaya ki Gas ki taklif hai, kuch gas ki goliya bhi khayi lekin shaam ko maan nahi mana tho docter ke pass gaye.Unhone E.C.G kiya toh pata chala ki heartattack aaya tha. Baad mein malum pada ki Blood-clot tha joh nikal gaya.Baad mein 5 din ICU mein rahe per sab normal tha.Aaj tak normal hai(God forbid). 3/4 goli khate hai, weight 78 kg hai. Kripya ismein apni rai awashaya de.Dhanyawad!
ReplyDeleteगाड़ी चलाना माने दूसरों के जीवन की डोर अपने हाथ में लेना|जो यह बड़ा उत्तरदायित्व नहीं निभा सकता उसे गाडी नहीं चलानी चाहिए|
ReplyDeleteघुघूती बासूती
दर्शन कौर जी , एंजाइना यानि दिल का दर्द , दिल में रक्त वाहिनियों में रूकावट की वज़ह से होता है । यदि रूकावट पूर्ण हो जाए या ९० % से ज्यादा हो तो अटैक होने की सम्भावना बढ़ जाती है । इसके लक्षण हैं --सीने में बायीं ओर दर्द या भारीपन , बायीं बाजु या कंधे में दर्द , और पसीना आना ।
ReplyDeleteऐसे में एंजियोग्राफी करनी पड़ती है जिससे ब्लॉक के बारे में पता चलता है । आजकल ७० % से ज्यादा ब्लॉक में स्टेंट डाल देते हैं , जिससे रक्त प्रवाह सामान्य बना रहता है ।
इसके बाद भी कुछ दवाएं लेना ज़रूरी है जैसे एस्प्रिन , क्लोपिडोग्रेल, एटोरवास्टेटिन और बी पी या डायबिटीज की दवा , यदि हो तो ।
बी पी और सुगर की नियमित जांच भी ज़रूरी है ।
samvedi post.....
ReplyDeletesadhuwad
मैंने नहीं पी थी एक भी घूँट
ReplyDeleteलेकिन खतरा मेरी जान को माँ ....
रचना , पढ़ते - पढ़ते
पूरा घटना-क्रम-सा आँखों के आगे घूम गया
शब्द - शब्द
जैसे खून के कतरे बन कर
उस मासूम के आस पास ही कहीं बिखरे-से लग रहे हैं
आखिर कुसूर किसका है ... ??
ज़रुरत है ,,, हर माँ इस माँ जैसी हो
हर बेटा इस बेटे जैसा हो
लगता नहीं की ऐसा संभव हो पाएगा
आधुनिकता की इस आंधी में हम सब
बे तरतीब से उड़े चले जा रहे हैं
लेकिन
आत्म मंथन, बहुत बहुत आवश्यक हो गया है
इन लफ़्ज़ों से निकला हुआ
नेक और पावन सन्देश , हर दिल तक पहुंचे ,
यही प्रार्थना करता हूँ
दिल से लिखी सर्थक टिप्पनी के लिये शुक्रिया भाई जान .
Deleteमार्मिक रचना और दर्दनाक सन्देश देती रचना ! आपके संवेदनशील ह्रदय के लिए शुभकामनायें , इतनी बेहतरीन रचना को स्वरबद्ध करने के लिए अर्चना चाव जी को आभार !
ReplyDeleteओह, बहुत मार्मिक मगर एक सशक्त संदेशवाहक पोस्ट -आभार !
ReplyDeleteयह भीतर तक हिलाकर रख देने वाली रचना है , भले ही इस शिल्प मे न हो लेकिन इसका सन्देश अधिक से अधिक लोगो तक पहुंचे
ReplyDeleteप्रेरक प्रसंग !
ReplyDeleteभीगा गयी ये रचना डाक्टर साहब ... ये इक ऐसा सवाल है जिसका जवाब हर उस व्यक्ति को देना है जो शराब पीकर गाडी चालाता है और फिर एक्सीडेंट करता है ....
ReplyDeleteदोस्तों शराब पीना खराब नहीं है । लेकिन पीकर गाड़ी चलाने में निश्चित खतरा है । इसलिए इतना ध्यान तो रखना ही चाहिए ।
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