top hindi blogs

Monday, August 16, 2010

आंत्रशोध पर शोध का परिणाम ---ओ आर एस --दस्तों की रामबाण दवा --

सावन का महीना , यानि बरसात के दिनचारों ओर पानी ही पानीफिर भी पीने के पानी की किल्लतक्योंकि पीने के लिए तो साफ पानी चाहिए

विश्व में बीमारियों का सबसे बड़ा कारण है --सुरक्षित पीने के पानी की कमी , साफ़ सफाई की कमी और गंदगी का साम्राज्य
इन सबसे मुख्य तौर पर होने वाली बीमारी है --दस्त , आंत्रशोध या डायरिया

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व भर में प्रति वर्ष १८ लाख लोग इस रोग के शिकार होकर अकाल ही काल के ग्रास बन जाते हैं । इस रोग का ८८ % कारण है --साफ़ पानी की कमी ।

बच्चों में आंत्रशोध विशेष रूप से घातक साबित होता है

आइये देखते हैं , असुरक्षित पानी के पीने से क्या क्या रोग हो सकते हैं ।

खाने पीने में खराबी से मुख्य रूप से चार तरह के संक्रमण हो सकते हैं । इस तरह होने वाले संक्रमण के माध्यम को ओरोफीकल रूट कहते हैं । यानि रोगों के कीटाणु मल में विसर्जित होते हैं , फिर खाने पीने में साफ़ सफाई न होने से मूंह के रास्ते शरीर में प्रवेश कर जाते हैं ।

ये चार संक्रमण हैं : परोटोजोअल , पैरासिटिक , बैक्टीरियल और वाइरल इन्फेक्शन

परोटोजोअल इन्फेक्शन : अमिबायासिस , जीआरडिअसिस ( Amoebiasis, giardiasis)
पैरासिटिक इन्फेक्शन : पेट में कीड़े --राउंडवोर्म , हुकवोर्म , पिनवोर्म , tapeworm, hydatid cyst।
बैक्टीरियल इन्फेक्शन : कॉलरा (हैजा ) , डायरिया (दस्त ) , डायजेन्ट्री ( खूनी दस्त ) ।
टॉयफोय्ड फीवर ( मियादी बुखार ) , फ़ूड पॉयजनिंग ( बोटुलिज्म )
वाइरल इन्फेक्शन : दस्त , Hepatitis A , पोलिओ

ओरोफीकल रूट से होने वाली बीमारियों में सबसे कॉमन है --दस्त यानि लूज मोशंस ।

दस्त के मुख्य कारण --

बैक्टीरियल : मुख्य रूप से गर्मियों में होते हैं ।
वाइरल : सर्दियों में ज्यादा होते हैं । बच्चों में भीं वाइरल दस्त ज्यादा होते हैं ।

वाटरी डायरिया यानि पानी वाले दस्त -- ई-कोलाई इन्फेक्शन , कॉलरा , वाइरल इन्फेक्शन , जिआर्डिया इन्फेक्शन ।
डाईजेन्ट्री यानि खूनी दस्त ----शिगेला , सालमोनेला इन्फेक्शन , अमीबिक इन्फेक्शन ।

दस्त होने पर सबसे ज्यादा खतरा होता है , dehydration से , यानि शरीर में पानी की कमी होना । इसके साथ साल्ट की भी कमी हो सकती है ।

दस्त का उपचार :

आम तौर पर दस्त के लिए किसी दवा की ज़रुरत नहीं होती ।
लेकिन सबसे ज़रूरी है --पानी की कमी को पूरा करना ।
इसके लिए ज़रूरी है पानी पिलाना ।

जीवन रक्षक घोल या आर एस :

यह दस्तों में रामबाण बनकर आया है । १९८० के बाद ओ आर एस की खोज और उपयोग से चिकित्सा जगत में जैसे एक क्रांति सी आ गई है । इसके सेवन से न सिर्फ दस्तों के इलाज़ में खर्च में भारी कमी आई है बल्कि इलाज़ आसान भी हो गया है ।

ओ आर एस के पैकेट कई नामों से उपलब्ध है जैसे --इलेक्ट्रौल , peditrol ---

इसे कैसे प्रयोग करें ?

एक पैकेट को एक लीटर पानी में घोल कर रख लें । आवश्यकतानुसार पिलाते रहें । एक बार बनाया गया घोल २४ घंटे तक रह सकता है ।

घर में भी आर एस बनाया जा सकता है :

एक लीटर पानी में एक चाय की चम्मच नमक , आठ चम्मच चीनी और एक निम्बू मिलाएं । घोल तैयार है ।
दूसरा तरीका है --एक लीटर पानी में एक चुटकी नमक , एक मुट्ठी चीनी और निम्बू मिलाकर भी घोल तैयार किया जा सकता है ।

छोटे बच्चों को कटोरी चम्मच से पिलाना चाहिए ।

एक दस्त के बाद आधे कप से एक कप तक घोल पिलाना चाहिए ।

dehydration के लक्षण : अत्याधिक पानी की कमी होने पर आँखें धंस जाती हैं । मूंह सूख जाता है । त्वचा का लचीलापन ख़त्म हो जाता है । पेशाब भी कम हो जाता है । बी पी कम हो जाता है ।
इस हालत में डॉक्टर को ज़रूर दिखा लेना चाहिए ।

दस्तों में क्या एंटीबायटिक देना चाहिए ?

सिर्फ खूनी दस्तों में ही इस दवा की ज़रुरत है । वाटरी डायरिया सिर्फ ओ आर एस से ही ठीक हो जाता है ।

दस्तों में क्या खाना चाहिए ?

दही , चावल , केला , खिचड़ी यहाँ तक कि सब तरह का खाना खाया जा सकता है । ज्यादा मिर्च और मीठा नहीं खाना चाहिए । सब के तरह के तरल पदार्थ जैसे लस्सी , मट्ठा , निम्बू पानी , नारियल पानी आदि लेते रहने से पानी की कमी नहीं होगी । लेकिन कोल्ड ड्रिंक्स और ज्यादा मीठा शरबत नहीं लेना चाहिए ।

अब तो आप समझ ही गए होंगे कि स्वास्थ्य के लिए साफ सफाई और साफ खाना पानी की कितनी ज़रुरत है

नोट : यह संयोग की बात है या मेरा सौभाग्य कि आर एस पर शोध कार्य करने पर १९८३ में मुझे गोल्ड मेडल मिला था

33 comments:

  1. बेहद रोचक जानकारी है

    ReplyDelete
  2. बेहतरीन जानकारी!

    ReplyDelete
  3. जानकारी बहुत लाभदायक है! धन्यवाद!
    दिल्ली में जब बिजली घंटों जाने लगी तो अधिकतर लोगों के लिए इन्वेर्टर खरीदना आवश्यक हो गया... फिर पानी में मल-मूत्र का पानी भी मिलने लगा तो अब पीने के पानी के लिए उपकरण लगाना आवश्यक हो गया,,,आदि आदि...

    ReplyDelete
  4. बहुत अच्छा लेख लिखा है आपने.

    मेरा ब्लॉग
    खूबसूरत, लेकिन पराई युवती को निहारने से बचें
    http://iamsheheryar.blogspot.com/2010/08/blog-post_16.html

    ReplyDelete
  5. आयुर्वेद नमक और चीनी का साथ-साथ उपभोग वर्जित करता है। यह हैरत की बात है कि ओआरएस इन्हीं दोनों के सम्मिश्रण से जीवनदायिनी बना है।

    ReplyDelete
  6. जानकारी से परिपूर्ण बढ़िया आलेख...

    ReplyDelete
  7. एक उपयुक समय पर पोस्ट किया गया आवश्यक जानकारी पूर्ण लेख है डा० साहब !

    ReplyDelete
  8. बहुत उपयुक्त जानकारी ..

    ReplyDelete
  9. बेहतरीन जानकारी.

    ReplyDelete
  10. जी बहुत बढ़िया नसीहत. और खुराक विधि के साथ बताया आपने.
    ओ.आर.एस. रामबाण है.

    ReplyDelete
  11. राधारमण जी , नमक के एब्जोर्प्शन के लिए ग्लूकोज का होना अनिवार्य है । इसलिए ओ आर एस में नमक और सुगर , दोनों का होना ज़रूरी है ।

    ReplyDelete
  12. इस मौसम में इसकी बहुत आवश्यकता थी हम सबको डॉ साहब ! मुफ्त सलाह का शुक्रिया ...दिल्ली के सारे डाक्टर आपसे नाराज हो जायेंगे :-)

    ReplyDelete
  13. बहुत ही उपयोगी प्रस्तुति...आभार

    ReplyDelete
  14. बहुत उचित समय पर आपने उचित सलाह दी हैं.
    आप ब्लॉग के माध्यम से आम लोगो को जागरूक कर रहे हैं, इसके लिए हार्दिक आभार.
    धन्यवाद.
    WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM

    ReplyDelete
  15. बहुत उपयोगी जानकारी। धन्यवाद।

    ReplyDelete
  16. कल तीन बार आपकी टिपण्णी लिखी और हर बार बिजली की आँख मिचौनी .....

    और ये क्या ....हर रोज़ एक पोस्ट ....आज़ादी भी ढंग से मनाने न दी ......और आप ओ आर एस का घोल .....

    अब इतने लड्डू भी नहीं खाए थे हमने ......

    आज जाना पानी की कमी से कितनी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं .....

    और ये गोल्ड मैडल .......वाह .....!!

    तब की मिठाई अब ......!!

    ReplyDelete
  17. एक जरूरी औऱ आवश्यक औऱ रोज की जिंदगी से जुड़ी बात बताई आपने। सर इस बात को हर जगह बताना जरुरी है। इतना आगे बढ़ने के बाबजूद सिर्फ इतनी सी जानकारी के अभाव में कई लोग दम तोड़ देते हैं। इसका प्रयास अपने आसपास भी करना चाहिए हमें। जरूरी है।

    ReplyDelete
  18. बहुत ही उपयोगी जानकारी....सबसे अच्छी बात आपने यह बतायी कि ,इसमें दवा कि जरूरत नहीं...मैं भी जहाँ तक हो बच्चों को दवा देना avoid करती हूँ .पर लोगों को देखा है....जरा जरा सी बात पर दवा ले लेते हैं.
    गोल्ड मेडल मिलने की बात सुन बहुत ही हर्ष हुआ...बहुत बहुत बहुत देर से ही सही...बधाई !!

    ReplyDelete
  19. डा. साहब .... आपके ब्लॉग पर वैसे तो बहुत सी जानकारियों का खजाना मिलता है ... पर आज तो आपने रोज़मर्रा से जुड़ी बीमारियों और उनसे बचने की जानकारी से कर दिल जीत लिया .... आपका बहुत बहुत शुक्रिया इस महत्वपूर्ण जानकारी का .... और आपको बहुत देरी से ही सही पर बधाई गोल्ड मेडल के लिए ....

    ReplyDelete
  20. डा. साहिब, क्षमाप्रार्थी हूँ कहते हुए कि १८८३ की जगह १९८३ होना चाहिए था...

    ReplyDelete
  21. बहुत उपयोगी जानकारी. धन्यवाद!!

    ReplyDelete
  22. हा हा हा ! जे सी जी , हो सकता है पिछले जन्म के अच्छे कर्मों का ही फल हो । खैर शुक्रिया , त्रुटि सुधार कर दिया है ।

    ReplyDelete
  23. हर घर को इस जानकारी की आवश्यकता है , यह एक उपयोगी लेख है आभार आपका !

    ReplyDelete
  24. अच्छी ज्ञान वर्धक जानकारी है।

    आभार

    ReplyDelete
  25. सही कहा!? हिन्दू मान्यतानुसार असली कर्ता आत्मा है - जो अमर है...पहली बार कोई एक मानव रूप धारण करने से पहले यह ८४ लाख अन्य रूप में आ चुकी होती है,,, और अच्छे या बुरे कर्मानुसार अन्य ऊंचे अथवा निम्न रूप धारण करती चली जाती है...

    ReplyDelete
  26. उपयोगी पोस्ट.
    हमारा ब्लॉग जगत बहुत धनी है. आप जैसे डा0 की मुफ्त सलाह हर मौसम में उपलब्ध है. अमल न करें तो यह अपनी ही गलती है.
    ..आभार.

    ReplyDelete
  27. जानकारी से परिपूर्ण, उपयोगी लेख ...
    गोल्ड मेडल मिलने की बात सुन बहुत ही हर्ष हुआ...
    आभार ..!

    ReplyDelete
  28. मौसम के अनुकूल जानकारीवर्धक पोस्ट ...
    आभार ..!

    ReplyDelete
  29. 'लूज़ मोशन' जैसे विषय पर केवल बच्चे ही शायद जोक कर सकते हैं,,, मेरे भतीजे से कई वर्ष पूर्व एक सुना था कि कैसे एक सज्जन ने सड़क पर दूसरे सज्जन से रिवोली सिनेमा का रास्ता पूछा तो उसने कहा कि बस ये पीली लाइन पकड़ लो,,, मैं वहीं से फिल्म अधूरी छोड़ आ रहा हूँ!

    ReplyDelete
  30. जानकारी से परिपूर्ण, उपयोगी लेख ...आपकी इस उपलब्धि[गोल्ड मेडल] पर हार्दिक बधाई!!!

    ReplyDelete
  31. डाक्टर साहब देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ. इस बरसात के मौसम के बिलकुल अनुरूप पोस्ट है .इस ओ आर एस की जाकारी के लिए आभार

    ReplyDelete
  32. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete