पिछले दिनों टी वी पर आज तक की सबसे सफल फिल्म--- शोले के ३५ साल पूरे होने पर विशेष कार्यक्रम दिखाए जा रहे थे । अचानक ध्यान आया कि अभी अभी एक और प्रसिद्ध और शोले से पहले तक नंबर एक रही फिल्म की गोल्डन जुबली पूरी हुई है , यानि पूरे पचास साल ।
जी है मैं बात कर रहा हूँ फिल्म मुग़ल-ए-आज़म की जो ५ अगस्त १९६० को रिलीज हुई थी ।
के अब्बास द्वारा निर्देशित यह फिल्म १.५ करोड़ में बन कर तैयार हुई थी और शोले से पहले तक हिंदी फिल्म जगत की सबसे बहुचर्चित और कामयाब फिल्म मानी जाती रही है ।
इस फिल्म की विशेषता थी --
पृथ्वीराज कपूर और मधुबाला की अदाकारी
मधुबाला और दिलीप कुमार की प्रेम जोड़ी
के आसिफ का शानदार निर्देशन
फिल्म के लिए बनाया गया शीशमहल का सैट
युद्ध का बड़े पैमाने पर चित्रण , हाथी घोड़े , कॉस्टयूम , आभूषण और हथियार आदि ।
लेकिन शायद सबसे ज्यादा मुख्य आकर्षण रहा मधुबाला का डांस --जब प्यार किया तो डरना क्या --गाने पर ।
इसके अलावा इस फिल्म के कुछ मधुर गाने हैं :
* बेकस पे करम कीजिये , सरकारे मदीना --
* जब रात है ऐसी मतवाली , फिर सुबह का आलम क्या होगा --
* मोहे पनघट पे नन्दलाल छेड़ गयो रे --
* मुहब्बत की झूठी कहानी पे रोये --
* तेरी महफ़िल में किस्मत आजमाकर हम भी देखेंगे --
* जिंदाबाद , जिंदाबाद , ऐ मुहब्बत जिंदाबाद --
मधुबाला :
हिंदी फिल्मों की सबसे खूबसूरत अभिनेत्री । उनके बाद अगर कोई उनके जैसी थोड़ी सी भी दिखी तो वो माधुरी दीक्षित थी ।
इस रूप को देखकर तो यही गाना याद आता है :
नव कल्पना , नव रूप से , रचना रची जब नार की
सत्यम शिवम् सुन्दरम से , शोभा बढ़ी संसार की ।
बेशक उपरवाले ने उन्हें बड़ी फुर्सत में बनाया होगा ।
जीवन परिचय :
मधुबाला का जन्म १४ फ़रवरी १९३३ को दिल्ली में एक पश्तून मुस्लिम परिवार में हुआ । उनका बचपन का नाम था --मुमताज़ ज़हां बेग़म दहलवी जो अपने मात पिता की पांचवीं संतान थी ।
महज़ ९ साल की उम्र में १९४२ में उन्हें फिल्म बसंत में काम करने का अवसर मिला ।
उन्होंने कुल मिलकर ७० फिल्मों में काम किया ।
उनके एक टॉम बॉय के रूप में ज्यादा सराहा गया ।
उनके कुछ गाने तो आज भी दिल को छू जाते हैं :
* फिल्म महल --१९४९ --आएगा , आएगा , आएगा आने वाला --इस गाने से लता जी का नाम हिंदी फिल्म जगत में चमका था ।
* फिल्म हावड़ा ब्रिज --आइये मेहरबान ---बहुत ही शोख अदाकारी थी ।
* फिल्म चलती का नाम गाड़ी --इक लड़की भीगी भागी सी ---किशोर कुमार के साथ जोड़ी बड़ी अच्छी लगी थी ।
* लेकिन सबसे ज्यादा कमाल का रहा --जब प्यार किया तो डरना क्या ।
इस चेहरे को देखिये । बड़ा सा चेहरा , उसपर नाक और मस्तक एकदम चेहरे के अनुपात में , मोटी मोटी हिरनी जैसी आँखें , फुल लिप्स --लम्बे घने काले घुंघराले बाल --कहीं भी तो कोई कमी नहीं ।
लेकिन शायद उपरवाले को भी इस चाँद में दाग लगाने से रहा नहीं गया । उनके दिल में एक ऐसा छेद छोड़ दिया , जो अंत में उनके लिए जानलेवा साबित हुआ ।
मुग़ले आज़म १९५० में बननी शुरू हुई थी और १९६० में रिलीज हुई । जिस वक्त यह फिल्म बन रही थी , उस वक्त मधुबाला की हालत काफी बिगड़ चुकी थी ।
मधुबाला ने अपने फ़िल्मी जीवन में कई अभिनेताओं के साथ काम किया । दिलीप कुमार के साथ उनका रोमांस कई साल तक चला ।लेकिन उनके पिता ने लालच में आकर दोनों की शादी नहीं होने दी ।
आखिर उन्होंने १९६० में पहले से शादी शुदा किशोर कुमार से शादी कर ली ।
लेकिन सबकी चहेती इस अदाकारा को न पति का प्यार मिल पाया , न बच्चों का । क्योंकि फिल्म पूरी होते होते उनकी हालत काफी बिगड़ चुकी थी ।
इलाज के लिए इंग्लैण्ड गई , पर डॉक्टरों ने ऑप्रेशन करने से मना कर दिया । क्योंकि इसमें उनकी जान जाने की पूरी सम्भावना थी ।
आखिर २३ फ़रवरी १९६९ को , गुमनामी के अँधेरे में , बिल्कुल अकेले , उन्होंने यह निष्ठुर संसार छोड़ दिया ।
मधुबाला महज़ ३६ साल की उम्र में हमें विदा कर गई । इसलिए उनके सभी फोटो ज़वानी की चरम सीमा पर लिए गए ही उपलब्ध हैं ।
कम से कम काल की मार उनके चेहरे पर तो कभी नहीं दिखाई देगी ।
Friday, August 20, 2010
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दराल साहब, अच्छी प्रस्तुती , लगता है आप भी पुरानी फिल्मो के काफी शौकीन है !
ReplyDeleteमैं मुग़ल-ए-आज़म करीब दस बार देख चुकी हूँ क्यूंकि ये मेरा सबसे पसंदीदार फिल्म है! मुझे पुराने फिल्म ज़्यादा पसंद है क्यूंकि उनमें कहानी होती थी जो की आज के फिल्मों में बिल्कुल नहीं है सिर्फ़ गाने भरे होते हैं ! आपने बहुत ही सुन्दरता से विस्तारित रूप से प्रस्तुत किया है जो मुझे बेहद पसंद आया!
ReplyDeleteबॉलीवुड में मुग़ल-ए-आज़म जैसी फ़िल्में सिर्फ गिनी चुनी बनी हैं.. आपने फिर से सबको याद दिला दी ये सुपर हिट फिल्म.. बढ़िया विश्लेषण के लिए आभार सर..
ReplyDeleteमुग़ल ए आजम फिल्म के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए आभारी हूँ . जब यह फिल्म रिलीज हुई थी तब मेरी उम्र तीन साल की थी .... यह फिल्म मैंने १९८० में देखी थी और उसके बाद टी.वी. में इस फिल्म को कई बार देख चुका हूँ पर मन नहीं मानता है .. आज भी यह फिल्म बेमिशाल सुपरहिट है ...
ReplyDeleteमुग़ल ए आजम अच्छी फिल्म है....
ReplyDeleteपुरानी फिल्मों का क्या कहना...
याद दिलाने के लिए शुक्रिया.
डाक्टर साहब फिल्म और मधुबाला के बारे में जानकर अच्छा लगा पर सबसे अच्छा तो मधुबाला के रूप लावण्य का वर्णन "बड़ा सा चेहरा , उसपर नाक और मस्तक एकदम चेहरे के अनुपात में , मोटी मोटी हिरनी जैसी आँखें , फुल लिप्स --लम्बे घने काले घुंघराले बाल "
ReplyDeleteवो भी आपके द्वारा जानकर प्रसन्नता हुई उसका जादू आज भी आप पर सवार दीखता है !!!!!
कुछ लोग ऐसे होते हैं जो कम समय में ही सबके दिलों पर अपनी छाप छोड़ जाते हैं...मधुबाला भी उन्हीं में से एक थी ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया पोस्ट ...
रचना जी , यदि खूबसूरती की तारीफ न की जाये तो ये उसकी तौहीन होगी ।
ReplyDeleteआज तो पूरा मुगलिया शबाब है पोस्ट पर, मधुबाला के प्रसंशकों में श्री नीरज गोस्वामी जी भी हैं जिनके ब्लाग पर मधुबाला की परमानेंट तस्वीर सेट है.
ReplyDeleteमुगलेआजम वाकी एक इतिहास है. बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
डॉ. साहब!
ReplyDeleteमुगले आज़म की समीक्षा बहुत बढ़िया रही!
बहुत बढिया प्रस्तुतिकरण !!
ReplyDeleteबहुत सुंदर ढंग से आप ने फ़िल्म ओर उन के पात्रो के बारे बताया, यह फ़िल्म मेरी एलबम मै है, आप का धन्यवाद मधुबाला की सुंदरता के बारे बताने के लिये
ReplyDelete"इस फिल्म के पूरे होने तक, दूसरी लोकसभा चुनी जा चुकी थी और कांग्रेस ने समाजवाद के प्रति अपनी आस्था व्यक्त की थी। मुगले आज़म पर विचार करते हुए इन ऐतिहासिक घटनाक्रमों को ध्यान में रखना इसलिए ज़रूरी है कि इस फिल्म में जिस हिंदुस्तान को प्रदर्शित किया गया है,उसके पीछे लोकतांत्रिक भारत के प्रति फिल्मकार की आस्था भी व्यक्त हुई है। यह आस्था भारत की मिली-जुली संस्कृति की परंपरा में भी निहित है। फिल्मकार के इस नज़रिए को समझे बिना हम मुगले आज़म को एक दंतकथा पर बनी प्रेम कहानी मात्र समझने की भूल करेंगे।"-जवरीमल्ल पारख
ReplyDeleteएक धमाके दार फिल्म जो अपने गाने और डॉयलॉग के लिए अब भी याद की जाती है...मुग़ले आज़म के बहाने बहुत बढ़िया प्रस्तुति कम से कम हम जैसे नये लोग उस दौर के चर्चित अभिनेत्री मधुबाला के जीवन से तो रूबरू हुए...बढ़िया प्रस्तुत के लिए आभार डॉ. साहब...बधाई
ReplyDeleteबहुत अच्छी समीक्षा की हैं आपने.
ReplyDeleteलगता हैं आपने पूरी फिल्म का अपने अंदाज़ में "डाक्टरी मुआयना" किया हैं.
मुझे तो रंगीन की बजाय ब्लैक एंड व्हाईट मुग़ल-ऐ-आज़म ज्यादा पसंद हैं और कई बार ये फिल्म देख चुका हूँ.
धन्यवाद.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
बहुत बढ़िया जानकारी ....मधुबाला की खूबसूरती पर तो आप और भी लिखते तो कम ही लगता ....सुन्दर प्रस्तुतिकरण ...
ReplyDeleteमुग़ल -ए-आज़म अपने आप में एक इतिहास ही है ...
ReplyDeleteऔर मधुबाला जी तो अब तक की सबसे खूबसूरत सीने कलाकार रही हैं ...
फिल्म का वह एक दृश्य जिसमे मधुबाला मूर्तिवत खड़ी हैं ...उनके सौंदर्य का कोई आकलन नहीं किया जा सकता ...
अच्छी लगी पोस्ट ...आभार ...!
kya baat hai bhai ji.....
ReplyDeletemadhubala ka apratim saundarya aaj bhi gazab dhata hai...neeraj ji ke blog par bhi unki behtreen tasveeren hain...aap unhe bhi dekhiyega....
hay....
एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
ReplyDeleteआपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !
बेहतरीन। लाजवाब।
ReplyDelete*** हिन्दी प्रेम एवं अनुराग की भाषा है।
सुंदर ,सहज और नपे तुले शब्दों में अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteमधुबाला की खूबसूरती के जादू से कौन बच पाया है....:)
ReplyDeleteअच्छा किया एक पोस्ट तो लिख डाली...(भाभी जी ने पढ़ा :))
पर " बिल्कुल अकेले , उन्होंने यह निष्ठुर संसार छोड़ दिया ।" ..ऐसा क्यूँ??...किशोर कुमार तो थे उस वक़्त उनके साथ .
मुगले आज़म की स्वर्ण जयंति पर उम्दा आलेख. आभार.
ReplyDeleteजी नहीं , रश्मि जी । मधुबाला ने किशोर कुमार से शाद तो ज़रूर की लेकिन कभी साथ नहीं रहे । क्योंकि तभी वह बीमार रहने लगी थी और पेरेंट्स के साथ रहने लगी थी ।
ReplyDeleteअंत समय में --कहते हैं उनकी हालत बिलकुल ज़र्ज़र हो गई थी । हड्डियों का ढांचा मात्र रह गई थी । अकेले बिस्तर पर पड़े पड़े दम तोडा ।
दर्दनाक !
बढ़िया विश्लेषण के लिए आभार सर
ReplyDeleteमुग़ल -ए-आज़म अपने आप में एक इतिहास ही है ...
ReplyDeleteकिशोर कुमार जी ने उनका साथ क्यों नहीं दिया। ये पता नहीं चल पाया। अपने पंसदीदा कलाकार का ये एक रुप मेरी समझ में कभी नहीं आया। क्या कोई इससे संबंधित दस्तावेज है।
ReplyDeleteमधुबाला के दिल में छेड़ तो बचपन से रहा होगा? इतने वर्ष क्यूँ लगे पता चलने में?
ReplyDeleteअपने निजी अनुभव से मुझे पता चला था एक मित्र की ५ माह की पुत्री का एम्स में ओपरेशन के लिए भर्ती होने के बारे में क्यूंकि वो नीली पड़ जाती थी...कई कारणों से ओपरेशन संभव हुआ जब वो ८ माह की थी,,, किन्तु ओपरेशन सही होने पर भी बच नहीं पायी उसके बाद फेफड़ों में रूकावट के कारण...
और एक रिश्तेदार के बेटे का लन्दन में ओपरेशन हुआ और वो अभी ठीक है किन्तु कोई भारी काम उसे नहीं दिया जाता...
रोहित जी , किशोर कुमार पहले से विवाहित थे ।
ReplyDeleteमधुबाला के पिता ने उसकी बीमारी को छुपा कर रखा था ताकि कमाई पर असर न पड़े ।
आजकल ऐसी बीमारी का इलाज़ संभव है लेकिन तब नहीं होता था ।
बहुत अच्छी पोस्ट भाई साहब
ReplyDeleteमधुबाला के सौंदर्य में कोई कमी नहीं थी।
तुलिका कौन वो जिसने भर दिए ये अनुपम रंग
शील गुण रुप के सौंदर्य सब आ मिले हैं संग
मुगले आजम कालजयी कृति है
इसका मुकाबला आज भी कोई नहीं कर सकता।
1972 के बाद की फ़िल्में देखने का मन ही नहीं करता।
क्योंकि सारा परिवार एक साथ बैठकर नहीं देख सकते।
अच्छी पोस्ट के लिए आभार
और विलंब से आने के लिए माफ़ी।
madhubala ka chehra aaj bhi jeevan mein madhu ghol deta hai.Madhu gholne vaali Bala .Madhubala.
ReplyDeleteBahut hi mast post lagi aapki .Badhai!!!
रक्षाबंधन पर हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
ReplyDeleteवाह .. खूबसूरत ब्लेक ऐंड वाइट पिक्चर के साथ सज़ा है आपका ब्लॉग आज ... मधुबाला जितनी बला की खूबसूरती आज तक देखने को नही मिली है फिल्म जगत हैं .... विस्त्रत चर्चा के लिए धन्यवाद ....
ReplyDeleteमुग़ले आज़ल का रिकार्ड शोले ने ही तोड़ था .....
रक्षा बंधन पर हार्दिक शुभकामनाएँ!!!!!
ReplyDeleteमुगले आज़म की लाजवाब। समीक्षा
ReplyDeleteरक्षाबंधन पर हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
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ReplyDeleteबहुत बढ़िया लगी यह पोस्ट!
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इस चेहरे को देखिये ।
ReplyDeleteदेखा.... सच में हूरपरी थीं ये ......
बड़ा सा चेहरा , उसपर नाक और मस्तक एकदम चेहरे के अनुपात में , मोटी मोटी हिरनी जैसी आँखें , फुल लिप्स --लम्बे घने काले घुंघराले बाल --कहीं भी तो कोई कमी नहीं ।
ओये होए .......क्या नजरिया है .....!!
पता नहीं ये खुशदीप जी किधर रह गए .....पांच दिन हो गए पोस्ट डाली को ......
यूँ ही नहीं ये आँखें बोलती ......??
और दोनों ही मेरी पसंदीदा फिल्में .....
अगली बार काजल की बारी तो नहीं ....?
छू लेने दो नाजुक होंठों को ......
जब रात है ऐसी मतवाली , फिर सुबह का आलम क्या होगा --
मुहब्बत की झूठी कहानी पे रोये --
* तेरी महफ़िल में किस्मत आजमाकर हम भी देखेंगे --
ओये होए क्या गीत थे ये ....बस डूबे रहने को जी करता है .....
और अंत में आपने जिस दर्दनाक स्थिति का वर्णन किया ...
कहते हैं उनकी हालत बिलकुल ज़र्ज़र हो गई थी । हड्डियों का ढांचा मात्र रह गई थी । अकेले बिस्तर पर पड़े पड़े दम तोडा ।
.ओह ....कितनी खौफनाक मौत थी ये ......
अच्छा हुआ तब की कोई तसवीरें नहीं उनकी .......!!
मुगले आज़म की स्वर्ण जयंति पर एक बेहतरीन आलेख प्रस्तुत किया आपने.
ReplyDeleteजब रात है इतनी मतवाली, सुबह का आलम क्या होगा.
खुदा निगेहबां हो तुम्हारा (यह गाना विशेष पसंद है)
फिल्म पाकीज़ा जहाँ मीना कुमारी के लिए उल्लेखनीय है वहीँ मुगले आज़म मधुबाला के लिए. मधुबाला के अंतिम दिनों की दास्ताँ दर्दनाक है.
इस फिल्म के आखरी दृश्य बहुत सारे सवाल छोर जाते हैं. क्या कहें वो मुगलिया दौर भी अजीब था.