top hindi blogs

Friday, August 6, 2010

हम वो हैं जो हम है नहीं ---

हम

हम
वो हैं,
जो
खेल
करवा सकते हैं,
खेल
कर सकते हैं,
पर
खेल सकते नहीं

दे सकते हैं
पर
मेडल,
ले सकते नहीं


बन सकते हैं
किरायेदार,
पर
खरीदार
हो सकते नहीं


हम
वो हैं,
जो
हम हैं नहीं,
और
हो सकते नहीं

36 comments:

  1. हम वो जिन्होने त्यागना सीखा है।
    इसलिए वीतराग है सभी एषणाओं से दूर
    जय पराजय हमें प्रभावित नही करती।

    बहुत बढिया कविता है

    आभार

    ReplyDelete
  2. हम
    वो हैं,
    जो
    हम हैं नहीं,
    और
    हो सकते नहीं !!
    ब‍हुत सुंदर !!

    ReplyDelete
  3. डाक्टर साहेब, हम खेल करबाते है मेडल नहीं ......पाने के लिए . सार्थक रचना बहुत बहुत बधाई

    ReplyDelete
  4. ................
    क्योंकि -
    हम
    हम हैं!
    ..............

    ReplyDelete
  5. हम
    हमारे
    हमारे अपने
    हमारे सपने
    बस और कुछ नहीं ..

    ReplyDelete
  6. सबसे पहले तो आपका बहुत बहुत धन्यवाद.... आढ़े वक़्त पर मदद करने के लिए आपका शुक्रिया.... अब आराम है....

    आपकी यह रचना बहुत अच्छी लगी... दिल को छू गयी....

    थैंक्स वंस अगेन..... आई ऍम हाईली ओबलाइजड टू यू....

    ReplyDelete
  7. Noble Prize winner ज्यां पाल सार्त्र ki paribhasha yaad aa gayi.

    "आदमी वह है जो वह नहीं है और
    जो वह नहीं है वही वह है"

    Thanks for new analysis

    ReplyDelete
  8. हम आग लगा दे पानी में,
    पत्थर पर फूल खिला दें,
    हम वो हैं जो दो और दो पांच बना दे...

    जय हिंद...

    ReplyDelete
  9. बहुत बढ़िया डा० साहब,
    मुझे तो कभी कभी यह भी संदेह होता है कि "हम" है भी या नहीं ?

    ReplyDelete
  10. वाह ..बहुत बढ़िया व्यंग ....
    शरद जोशी की एक व्यंग रचना याद आ गयी....
    शब्द तो नहीं दे सकती पर अर्थ कुछ ऐसा था ....हम भारतीय सभ्यता याद रखते हैं ,रेस में भी कहते हैं पहले आप - पहले आप ...


    और हाँ मिट्ठी का अर्थ सुलह करना , मनाना या दोस्ती करना है....

    ReplyDelete
  11. हम वो है जो दुनिया के सब उलटे काम तो कर सकते है, सही काम नही कर सकते

    ReplyDelete
  12. are itana nirashavadee ravaiya pahlee vaar dekha .........mana ki hum pachde desho kee ginatee me aate hai.........khel kood ke kshetr me bhee peeche hai .........par hum salo partantr rahe pichale sath salo me humne aoanee ek jagah bana hee lee hai vishv me........thodee aarthik sthitee theek ho jae fir definitely sports ke liye bhee shartiya kuch hoga...............
    ummeed par duniya kayam hai.........
    :)
    anytha nale........
    kavita aur vyng dono hee asardar rahe...... nateeja aapne dekh hee liya.....

    ReplyDelete
  13. सटीक विचार है डाक्टर साहब ! आभार !

    ReplyDelete
  14. इतने कम शब्दों में बड़ी गहरी बात कह दी...

    ReplyDelete
  15. हम एक नहीं, दो हैं: आत्मा और शरीर - जैसे ड्राईवर और गाडी दोनों!

    ReplyDelete
  16. तभी कहा गया हैः"हम कौन हैं क्या हो गए हैं और क्या होंगे अभी"

    ReplyDelete
  17. सरिता जी , मांफी चाहता हूँ । लेकिन यह निराशावादी नहीं यथार्थवादी रचना है ।
    हम खेल कराते हुए तरह तरह के खेल कर रहे है और खिलाडियों की ट्रेनिंग के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं । फिर भला २७८ गोल्ड मेडल्स में से कितने हम जीत पाएंगे । खरीद से ज्यादा किराया देकर हम क्या साबित करना चाहते हैं । भले ही हम प्रगति के पथ पर अग्रसर हैं लेकिन क्या विकसित हैं या होने की सम्भावना है ?

    ReplyDelete
  18. आप काहे हमारी पोल खोल रहे हैं? हम तो ऐसे ही काम करेंगे. जो मजा खेल करवाने में है वो खेलने मे कहां?

    रामराम

    ReplyDelete
  19. अरे वा डॉक्टर साहब आपने तो अपने देश का हाल बयाँ कर दिया ।

    ReplyDelete
  20. हम क्या हैं
    हम क्या जाने

    बहुत ही बढ़िया कविता.......

    ReplyDelete
  21. "हम
    वो हैं,
    जो
    हम हैं नहीं,
    और
    हो सकते नहीं। "

    और हम कुछ होना भी नहीं चाहते

    ReplyDelete
  22. हा हाहा हा.

    बहुत बढ़िया जी बहुत बढ़िया.

    आपका तो अंदाज़ ही निराला हैं.

    दराल जी,

    आप दिल्ली रहते हैं तो कृपया अपने नज़दीक ही स्थित नोएडा एक बार अवश्य जाइए.
    वहाँ स्टार न्यूज़ का मुख्य कार्यालय-दफ्तर हैं.

    आप वहाँ जाकर "पोलखोल" नामक कार्यक्रम के लिए एप्लीकेशन (रिज्यूम) अवश्य दीजिएगा.

    देखना, स्टार न्यूज़ वाले शेखर सुमन को बाहर निकाल फेंकेंगे और आपको चार-गुना तनख्वाह पर रख लेंगे.

    तो कब जा रहे हैं नोएडा, स्टार न्यूज़ के मुख्य कार्यालय.????

    हा हा हाहा हा.

    बहुत बढ़िया.

    धन्यवाद.

    हा हा हा.

    WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM

    ReplyDelete
  23. हम वो हैं जो हैं ही नहीं ...
    कम शब्दों में बड़ी बात ...!

    ReplyDelete
  24. आपने बहुत ही बढ़िया पोस्ट लिखी है!
    --
    इसकी चर्चा तो चर्चा मंच पर भी है-
    http://charchamanch.blogspot.com/2010/08/238.html

    ReplyDelete
  25. हम मजबूर हैं , क्या करें ।

    ReplyDelete
  26. वाह बहुत ही सुन्दर और सठिक रचना लिखा है आपने! कम शब्दों में बहुत गहराई है!

    ReplyDelete
  27. वाह बहुत ही सुन्दर रचना है”हम वो हैं जो हम है नही”ये शब्द इतने गहरे है की आँखे वही ठहर गई आज यही सब से बडा सच है जो हम भोग रहे है ओर( हो सकते नही)ये लाइने तो हमारे विकास को.....
    कम शब्दो मे बहुत मिला !आभर!

    ReplyDelete
  28. अति सुन्दर.........
    आपकी रचना को पढ़ कर दिल ये गदगद हो गया।
    भाव-नगरी की सुहानी वादियों में खो गया॥
    सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी

    ReplyDelete
  29. आप तो हर क्षेत्र के डॉक्टर है दराल सर......कितनी सही बात कही है जो हम हैं नहीं वो ही दिखाते हैं....लाख टके की बात

    ReplyDelete
  30. अलग अंदाज़ अलग जुगाड़ ! शुभकामनायें सर !

    ReplyDelete
  31. बहुत ही बढ़िया कटाक्ष

    ReplyDelete
  32. हम
    वो हैं,
    जो
    हम हैं नहीं,
    और
    हो सकते नहीं !!
    ब‍हुत सुंदर !!

    ReplyDelete
  33. कम शब्द...बढ़िया कटाक्ष

    ReplyDelete