कवियों की बातें भी निराली होती हैं , विशेषकर बुजुर्ग कवियों की । आखिर उन्हें ज़िंदगी भर का अनुभव होता है ।
लेकिन सबसे ज्यादा मज़ेदार होते हैं --हास्य कवि । मज़ाक मज़ाक में बड़ी बातें कह जाते हैं । कहते हैं न आम जितना पकता जाता है , उतना ही पिलपिला होता जाता है ।
आईये ऐसे ही कुछ परिपक्व कवियों की कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत करता हूँ :
कभी कभी ऐसा भी होता है कि लेने के देने पड़ जाते हैं । एक तो प्रेम प्रदर्शन वैसे ही बड़ा मुश्किल काम है । अब यदि पति /प्रेमी महोदय पत्नी / प्रेमिका से कुछ कहे और उसे ज़वाब उल्टा मिले तो कैसा लगेगा!
इस पर अकबर इलाहाबादी का एक शे'र याद आता है --
जो कहा हमने , कि प्यार आता है हम को तुम पर
हंस कर कहने लगे , और आपको आता ही क्या है !
एक हमारे पडोसी हैं --बड़े शर्मीले । हम से इतने शर्माते हैं कि हम भी उन के शर्माने पर उन से शर्माने लग जाते हैं । कभी लिफ्ट में मिल भी जाएँ तो हेल्लो भी बस थोड़ी सी पलकें झपका कर ही करते हैं । उन्हें देखकर पोपुलर मेरठी का ये शे'र याद आने लगता है --
आशिकी भी दोस्तों क्या शास्त्रीय संगीत थी
राग तोड़ी जाने क्या था , जाने क्या गाते रहे ।
जिंदगी भर इश्क का इज़हार करने के लिए
वो भी हकलाते रहे , हम भी हकलाते रहे ! !
बुजुर्ग कवि सच्चे भी बहुत होते हैं । जो दिल में होता है , बोल देते हैं ।
अब यह तो जेमिनी हरियाणवी जैसा कोई हास्य कवि ही कह सकता है --
तू साठ बरस की , और मैं सत्तर का
ईब, ना कुछ तेरे बस का, ना कुछ मेरे बस का ! !
इस मामले में हास्य सम्राट काका हाथरसी जी भी कम नहीं थे।
एक शे'र उनका भी --
प्रिये,
बुझ चुका है तुम्हारे हुस्न का हुक्का
ये तो हमीं हैं जो गुड़गुडाये जाते हैं ! !
अंत में --शायद सभी बुजुर्ग कवि इसी बात में विश्वास रखते हैं कि --
ज़िंदगी जिंदादिली का नाम है
मुर्दादिल क्या खाक जिया करते हैं ! !
ग़ालिब ने ही कहा था न !!! कुछ सीखा आपने ?
आइये नए साल का स्वागत हम हँसते हंसाते हुए करें ।
Friday, December 30, 2011
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सचमुच कितनी गहरी बातें हास्यकवि सहजता से कह जाते हैं कि कभी कभी तो न हँसते बनता है न रोते...
ReplyDeleteअगर इसकी परोडी बनाए जाए तो कैसा रहेगा -
बुझ चुका है तुम्हारे हुस्न का हुक्का
ये तो हमीं हैं जो गुड़गुडाये जाते हैं ! !
कब की बुझ चुकी है तेरी मर्दानगी की चिलम
मुए फिर भी तू काहें उसे गरमाए जाता है :)
जिंदादिली कायम रहे
ReplyDeleteइस ते हमने यो सीख मिली के ताऊ भी कमाल की चीज होया करें। ये अनुभव है जी, सिर चढ के बोलता है :))
ReplyDeleteहम तो इसी आस में साँपला गये थे कि आप की हास्य रचनाएँ भी हमें वहाँ सुनने को मिलेंगी, तथा आमने-सामने मुलाकात भी होगी लेकिन आप तो कन्नी काट गये।
ReplyDeleteभूले-बिसरे चन्द फसाने याद आए.
ReplyDeleteप्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । नव वर्ष -2012 के लिए हार्दिक शुभकामनाएं । धन्यवाद ।
ReplyDeleteजीवन में हास्य ही से जीवन है।
ReplyDeleteमजेदार डा० साहब, आज के साहित्य में यह हास्य विटामिन अक्सर नदारद रहती है ! आपको आने वाले नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये !
ReplyDeleteअनुभव सिर चढ के बोलता है|
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ|
दिल में बेचैनी है,
ReplyDeleteमन बड़ा उदास है,
कोई बीमारी नहीं
बस,बुढ़ापा आस-पास है !!
कहते हैं बुढ़ापे का इश्क भी गजब होता है...ऐसा ही गजब ढाया हमारे एक नवाब साहब ने...टीवी पर जिस तरह के सीरियल आजकल आते हैं...आप सब जानते हैं...सब घर वालों का साथ बैठकर इन्हें देखना मुश्किल होता है...नवाब साहब और बेगम घर पर अकेले थे...ऐसे ही एक रोमांटिक सीरियल पर नवाब साहब की नज़र पड़ गई...नवाब साहब को अपना गुजरा जमाना याद आ गया...नवाब साहब ने हिम्मत करके झट से बेगम को किस कर लिया...
ReplyDeleteकिस के बाद बेगम ने नवाब साहब से पूछा...क्या बबलगम खाई थी...
नवाब साहब ने कहा...बबलगम तो थी...बस बबलगम का पहला 'ब' उड़ा दो...
वाह वाह …………ज़िन्दगी ज़िन्दादिली का नाम है मुर्दा दिल क्या खाक जिया करते हैं।
ReplyDeleteधन्यवाद! जाने माने कवियों की हास्य कवितायें ही नहीं, कभी कभी कवित्त अनजाने में भी बन जाती है...
ReplyDeleteएक सत्य कथा में एक बूढ़े वेदांती के साथ एक एनी आम बूढ़े से मनमुटाव हो जाने पर, उस दूसरे को वेदांती से कहते सुना, "वेदान्ति तुझे बेदान्ती बना दुंगा "!
JC said...
ReplyDeleteधन्यवाद! जाने माने कवियों की हास्य कवितायें ही नहीं, कभी कभी कवित्त अनजाने में भी बन जाती है...
एक सत्य कथा में एक बूढ़े वेदांती के साथ एक एनी आम बूढ़े से मनमुटाव हो जाने पर, उस दूसरे को वेदांती से कहते सुना, "वेदान्ति तुझे बेदान्ती बना दुंगा "!
December 30, 2011 10:34 AM
बेहतरीन फूलझड़ी लाये है आप . हँसते हुए नववर्ष की शुभकामनाएं
ReplyDeleteजो कहा हमने , कि प्यार आता है हम को तुम पर
ReplyDeleteहंस कर कहने लगे , और आपको आता ही क्या है !
hahaha ...
आशिकी भी दोस्तों क्या शास्त्रीय संगीत थी
ReplyDeleteराग तोड़ी जाने क्या था , जाने क्या गाते रहे ।
जिंदगी भर इश्क का इज़हार करने के लिए
वो भी हकलाते रहे , हम भी हकलाते रहे ! !
hahaha...ek se badhkar ek sher maja aa gaya.
yun hi haste hasaate.happy new year.
जो कहा हमने , कि प्यार आता है हम को तुम पर
ReplyDeleteहंस कर कहने लगे , और आपको आता ही क्या है !
sahi kaha...
nahin ata kuchh logon ko iske alava kuchh bhi...
nav varsh ki shubhkamnayen sir...
ReplyDeleteरोचक!
ReplyDeleteनव-वर्ष की शुभकामनाएँ ! :-) :-)))
ReplyDeleteग़ालिब चाचा की बात सबसे अच्छी :):)नव वर्ष की ढेरों शुभकामनायें.
ReplyDeleteअच्छा लिखा है, नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteबहुत खूब भाई जी, नव वर्ष पर आपको शुभकामनायें !
ReplyDeleteहा हा हा ! आप भी बुजुर्ग कवियों की श्रेणी में आ गए मिश्र जी । :)
ReplyDeleteललित जी , ताउओं का कोई मुकाबला नहीं ।
"जाटदेवता" संदीप पवाँर जी , चलिए अंतर सोहिल से बात कर जल्दी ही एक प्रोग्राम बनाते हैं ।
त्रिवेदी जी , अभी से !
खुशदीप भाई , जैसा कि जे सी जी ने बताया -- बुढ़ापे में मूंह में दांतों की जगह बस गम ही रह जाते हैं । :)
ReplyDeleteआप सभी ब्लोगर साथियों को भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ।
हर बात कवि सहजता से कह जाते हैं
ReplyDeleteनव वर्ष की अग्रिम शुभ कामनाएँ
न जी गालिब चचा कि बातें तो हमेशा हे सबको भाति हैं मगर मुझे तो इस में सबसे ज्यादा दम लगा :-)
ReplyDeleteबुझ चुका है तुम्हारे हुस्न का हुक्का
ये तो हमीं हैं जो गुड़गुडाये जाते हैं ! !
मेरे हिस्साब से इसी का नाम ज़िंदगी है हा हा हा ....है न
बढ़िया हास्य से भरपूर पोस्ट डॉ साहब मज़ा अगया .... हमारे पूरे परिवार कि और से आप सभी को नव वर्ष कि हार्दिक शुभकामनायें...
एक अनाम शायर काजी अब्दुल रब कहते थे...
ReplyDeleteबाद मरने के मेरी कब्र पे बैगन बोना
ताकि महबूबा मेरी भून के भर्ता खाये !
मज़ा आ गया डाक्टर साहब। खूब हंसे। सर्दी में भी गर्मी का एहसास!
ReplyDeleteहर शाक़ पे उल्लू बैठे है
ReplyDeleteअंजामे गुलिस्तां क्या होगा :)
हाय रे देश और देश का लोक’बाल :)
बेहतरीन........आपको नववर्ष की शुभकामनायें
ReplyDeleteडाक्टर साहब पुराना साल जा रहा है। नए साल के लिए शुभकामनाएँ!!!
ReplyDeleteअली जी , क्या अनाम इसलिए कि काजी अब्दुल रब का नाम नहीं हुआ ! :)
ReplyDeleteद्विवेदी जी , जाने वाले को ही याद किया जाता है । फिर पुराने की तो बात ही कुछ और होती है ।
हमने उनकी याद में रो रो के टब भर दिए ,
ReplyDeleteवो आए और नहा के चल दिए .
लहराती काली जुल्फें देखी तो दिल दे बैठे ,
पास जाकर देखा तो सरदार जी सिर धोये बैठे .
ये कहते ,वो कहते ,जो यार आता ,
भई !
सब कहने की बातें हैं ,कुछ भी न कहा जाता ,
जब यार आता .
नव वर्ष मनागल मय हो सभी ब्लोगियों को .चिठ्ठा माहिरों को .
हा ..हा...हा...
ReplyDeleteआपका भी कमाल नही जी.
डॉ.साहिब , आपसे ब्लॉग जगत में परिचय होना मेरे लिए परम सौभाग्य की बात है.बहुत कुछ सीखा और जाना है आपसे.इस माने में वर्ष २०११ मेरे लिए बहुत शुभ और अच्छा रहा.
मैं दुआ और कामना करता हूँ की आनेवाला नववर्ष आपके हमारे जीवन
में नित खुशहाली और मंगलकारी सन्देश लेकर आये.
नववर्ष की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.
वर्ष २०११ की अच्छी यादों को लिए २०१२ में प्रवेश करते नव-वर्ष में हम सभी के हित में प्राचीन श्लोक को दोहरा प्रार्थना करें,
ReplyDelete"ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः / सर्वे सन्तु निरामया / सर्वे भद्राणि पश्यन्तु / मया कश्चिद् दु:ख भाग भवेत् !
नव वर्ष सभी के लिए मंगलमय हो !!!
बहुत खूब! लाज़वाब प्रस्तुति...आशा है यह जिंदादिली सदैव कायम रहे...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteबेहतरीन अभिवयक्ति.....नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये.....
ReplyDeleteवाह क्या बात है. ये भी जम के रही :)
ReplyDeleteनव-वर्ष आपको व आपके समस्त परिवार के लिये मंगलकारी हो इसी शुभकामना के साथ।
ReplyDeleteआज आपकी पोस्ट की चर्चा की गई है अवश्य पढ़ियेगा... आज की ताज़ा रंगों से सजीनई पुरानी हलचल बूढा मरता है तो मरे हमे क्या?
ज्योतिषियों की भविष्यवाणी पढ़ रहा हूँ . इस वर्ष बड़ा तनाव है. मगर आप की जिंदादिली आश्वस्त करती है.
ReplyDeleteबेहतरीन मजेदार प्रस्तुति ,.....आनंद आ गया
ReplyDeleteनया साल "2012" सुखद एवं मंगलमय हो,....
नई पोस्ट --"नये साल की खुशी मनाएं"--
प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । नव वर्ष की अशेष शुभकामनाएं । धन्यवाद ।
ReplyDeleteएक ग़ज़ल कुछ ऐसी हो ,बिलकुल तरेर जैसी हो ,
ReplyDeleteमेरा चाहे जो भी हो ,तेरी ऐसी तैसी हो .
मैं उसके घर नहीं जाता ,वो मेरे घर नहीं आता ,
मगर इन एहतियातों से ताल्लुक मर नहीं जाता .आपकी ब्लॉग दस्तक और टिपण्णी के लिए शुक्रिया .
राधारमण जी , तनाव मुक्त रहने के लिए हँसना हँसाना बहुत ज़रूरी है ।
ReplyDeleteरोचक एवं मनोरंजक। दराल जी सचमुच आनन्द आ गया।
ReplyDeleteनये वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ......
दिलकश प्रस्तुति, आनंद आ गया
ReplyDeleteनववर्ष की शुभ कामनाये.
Daral ji pahali bar apke blog pr aaya hoon aur bs ye samjho ki mn lag gaya.......sundar prastuti ke liye abhar.
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