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Thursday, March 17, 2011

जिंदगी के मायने कितने जुदा होते हैं----

इससे पहले कि सब के साथ हम भी होली के रंग में रंग जाएँ , आज प्रस्तुत हैं कुछ बेहद गंभीर नज़्में , जिंदगी की कड़वी सच्चाइयों को दर्शाते हुए


I) जिंदगी के मायने :

सूने आसमां को ताकते
किसान के माथे पर
चिंता की लकीरें उभर आई हैं,
बरसात की देरी से
सूखती
फसल को देखकर ।

कुम्हार ने ख़ुशी ख़ुशी अभी
दबाया है कच्चे बर्तनों को
अंगारों में ।

तभी आसमां में उमड़ते बादलों को देख
किसान मुस्करा उठा ,
कुम्हार के मस्तक पर
चिंता की लकीरें उभर आई ।

जिंदगी के मायने कितने जुदा होते हैं


II) रक्षक और भक्षक :


जेठ की गर्मी में झुलसते
जंगल में
सूखे पेड़ की टूटी टहनी पर बैठा
भूखा गिद्ध देख रहा था
बकरियों को घास चरते ।
और सोच रहा था कि
कोई मरे तो पेट भरे !

तभी एक बाज़
कहीं से उड़ता आया
और
उठा ले गया
एक जिंदा मेमने को ।
और खा गया मारकर।

रब ने किसी को रक्षक , किसी को भक्षक बनाया है


III) साँझ और सवेरा :



अस्पताल के आपातकालीन विभाग में
एक मरीज़ दम तोड़ रहा था ,
उसके सम्बन्धी तन मन से
जुटे थे
जिंदगी की दुआ मांगने में ।
सांस अभी चल रही थी ।

बाहर गेट पर
एक शव वाहन चालक
खड़ा था मायूस सा ,
वाहन पर कोहनी टिकाये
मन में उम्मीद लिए कि
कोई स्वर्ग सिधारे
तो उसका दिन सुधरे ।
कल भी तो फाका ही गया था ।

तभी एक एम्बुलेंस आई
दुर्घटना के शिकार
एक युवक को लेकर ,
वाहन चालक की आँखों में
एक अज़ीब सी चमक उभर आई ।

संसार में कहीं साँझ होती है , तो कहीं सवेरा

नोट : ये नज्में अस्पताल से निकलते हुए गेट पर देखे दृश्य से प्रेरित होकर लिखी गई हैं

46 comments:

  1. उम्दा प्रस्तुति, निष्कर्ष यह कि यही कुदरत का क़ानून है , एक के लिए दुखों का पहाड़ तो दूसरे के लिए दावत ! मगर इंसान को इस जंगल राज से अलग रहने की शिक्षा भी दे गए है, ज्ञानी महात्मा !

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  2. तभी आसमां में उमड़ते बादलों को देख
    किसान मुस्करा उठा ,
    कुम्हार के मस्तक पर
    चिंता की लकीरें उभर आई ।

    इसी धूप छांव को समझ लेने का नाम ही ज़िन्दगी है !
    आज आपकी पोस्ट एकदम अलग है !
    संवेदना की अनगिनत लहरे सागर में उठती दिख रही हैं !

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  3. जिन्दगी की भयंकर सच्चाई प्रस्तुत की है आपने दराल साहब।

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  4. बेहद गंभीर नज्में हैं .जिंदगी का सच कहती नज्में
    .. होली पर्व पर अग्रिम शुभकामनाएं और बधाई ...

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  5. बहुत अच्छा,

    दूसरा वाला समझ में नहीं आया दोनों ही तो भक्षक हैं, रक्षक कौन है ?

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  6. सिक्‍के के दो पहलू.

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  7. सतीश जी , बस उफ़ !

    @ योगेन्द्र पाल
    गिद्ध एक स्कावेंजर है । मुर्दों को खाकर प्राकृतिक रूप से पर्यावरण को बनाये रखने में हमारी मदद करता है । इसलिए रक्षक है ।

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  8. आपकी तीनो रचनाएँ जीवन से जुडी हुई हैं ...जीवन के वास्तविक मायनों को समझाती हुई ...आपका आभार

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  9. जीवन के सत्य को कहती तीनों रचनाएँ बहुत संवेदनशील हैं ...

    सबके लिए कोई भी स्थिति अलग अलग रूप ले कर आती है ...यह आपने बहुत अच्छे से बताया है ...

    होली की शुभकामनायें

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  10. बाह आप ने तो पुरी जिन्दगी का फ़लसफ़ा ही लिख दिया, आप की रचना से सहमत हे जी, धन्यवाद

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  11. वाह डॉ साहब अब तो हम गए काम से ......
    पहले ग़ज़ल और अब नज्में भी ....?
    वो भी कमाल की ......
    सुभानाल्लाह .....

    @ आसमां में उमड़ते बादलों को देख
    किसान मुस्करा उठा ,
    कुम्हार के मस्तक पर
    चिंता की लकीरें उभर आई ।

    जिंदगी के मायने कितने जुदा होते हैं ।
    इस एक पंक्ति ने बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया .....

    @ तभी एक बाज़
    कहीं से उड़ता आया
    और उठा ले गया
    एक जिंदा मेमने को ।
    और खा गया मारकर।

    रब ने किसी को रक्षक , किसी को भक्षक बनाया है ।
    गिद्ध मारती नहीं मरे हुए को खाती है .....
    आपकी सोच की दाद देती हूँ .....

    @ तभी एक एम्बुलेंस आई
    दुर्घटना के शिकार
    एक युवक को लेकर ,
    वाहन चालक की आँखों में
    एक अज़ीब सी चमक उभर आई ।

    संसार में कहीं साँझ होती है , तो कहीं सवेरा ।
    किसी का दर्द किसी की ख़ुशी का कारण होता है ...
    ये सच्च भी ज़िन्दगी का हिस्सा है ...

    लाजवाब अभिव्यक्ति .....
    ढेरों बधाई .....
    होली की शुभकामनाएं .....

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  12. सुन्दर रचना!
    होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
    --
    वतन में अमन की, जागर जगाने की जरूरत है,
    जहाँ में प्यार का सागर, बहाने की जरूरत है।
    मिलन मोहताज कब है, ईद, होली और क्रिसमस का-
    दिलों में प्रीत की गागर, सजाने की जरूरत है।।

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  13. शुक्रिया हीर जी ।
    आपको नज्में पसंद आईं ।
    यानि पप्पू पास हो गया ।

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  14. जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूती संवेदनशील रचनायें. सीधी सरल लेकिन अत्यन्त प्रभावपूर्ण.

    होली की आपको व परिवार के सभी सदस्यों को शुभकामनाएँ.

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  15. एक से बढकर एक रचनाएँ .गहरी और सटीक.

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  16. कहीं सांझ तो कही सुबह ...
    किसी की रोजी रोटी तो किसी के जान का अज़ाब !
    किसी की दुविधा बनती है किसी की सुविधा भी !
    कविताओं में विभिन्न मानसिकताओं का अच्छा चित्रण !

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  17. पहले तो कभी कभी और अब तो प्रायः यह भरम होने लगता है आप ओरिजिनल में क्या है कवि या डाक्टर
    होली इसके बाद शुरू हो यही ठीक भी था -
    होली की बहुत शुभकामनाएं !

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  18. पप्पू के पास होने की बधाई ! :)
    अब मिठाई खाने आना ही पड़ेगा … ;)

    आदरणीय डॉक्टर साहब
    सादर सस्नेहाभिवादन ! प्रणाम !

    अस्पताल से निकलते हुए गेट पर देखे दृश्य से प्रेरित होकर इतनी बेहतरीन रचनाएं लिख दीं …
    गोवा की रंगीनियों वाली रचनाएं कब पोस्ट कर रहे हैं ? ;)
    वास्तव में अच्छी रचनाएं हैं तीनों
    हीरजी जैसी हुनरमंद फ़नकारा नज़्मगो के कहने के बाद मेरे पास कहने को कुछ है भी नहीं …

    हार्दिक बधाई !


    होली ऐसी खेलिए , प्रेम का हो विस्तार !
    मरुथल मन में बह उठे शीतल जल की धार !!

    ♥होली की शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !♥


    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  19. अरविन्द जी , डॉक्टरी तो तीस साल कर चुके । अब थोड़ी कविताई करने में क्या जाता है ।
    राजेन्द्र जी , वो तो हम कर चुके , यानि आपने देखी ही नहीं । :)

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  20. आमतौर पर मैं कम ही कवितायें पढता हूँ, क्योंकि उनमें प्रयुक्त कलिष्ट शब्द मेरी समझ से बाहर होते हैं। लेकिन आपकी कवितायें इतनी सरल भाषा में, शानदार, जीवन से जुडी और गहरी होती हैं कि…………
    बेहतरीन कविता करते हैं आप

    प्रणाम स्वीकार करें

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  21. ज़िन्दगी की कडवी सच्चाइयो को जिस तरह से उकेरा है उसके लिये शब्द नही है………………आईना दिखाती हैं।

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  22. इसका समाधान खोजने के लिए शायद गहराई में जा यह पता करना होगा कि (कम्प्यूटर रुपी) मानव मस्तिष्क में विचार कहाँ से आते हैं? हरेक को अलग अलग क्यूँ ?? और हमारे नियंत्रण में क्यूँ नहीं होता इन्हें रोक पाना, आदि ??...(जोगियों के अनुसार मानव शरीर ब्रह्माण्ड का प्रतिरूप है, नौ ग्रहों के सार के माध्यम से बना एक पुतला, जिसमें ब्रह्माण्ड से सम्बंधित सारी सूचना ८ केन्द्रों में उपलब्ध है,,,किन्तु आम आदमी के बस में नहीं होता उन सब को एकत्रित कर अपने मस्तिष्क तक उठा पाना,,,और पहले तो विश्वास ही नहीं होता कि आदमी केवल एक मशीन हो सकता है :(

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  23. मन को झंझोड़ती कविताएं :(

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  24. कमाल की रचनाये.....शव वाहन चालक भी इंसान है ,जो अपना रोजगार कर रहा है !प्रत्येक शव उसके लिए एक दिहाड़ी मात्र है....!अस्पताल में ऐसे अनेक धंधे देखने को मिलते है जो गंदें है पर धंधे है....

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  25. @ अन्तर सोहिल
    भाई अपने को भी सरल भाषा ही समझ आती है । साहित्यिक हिंदी अपने बस की नहीं ।
    @ RAJNISH PARIHAR
    रजनीश जी , अस्पताल में शव ले जाने के लिए हर्स वैन कोई ड्राइवर नहीं चलाना चाहता । इसलिए बाहर प्राइवेट शव वाहन खड़े रहते हैं जिनके लिए यह रोज़ी रोटी का ज़रिया है ।
    वैसे भी दाह संस्कार के लिए शव वाहन का होना बहुत ज़रूरी है । इसलिए यह गन्दा नहीं बल्कि एक परोपकारी कार्य भी है ।

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  26. डा.सा:कवी ह्रदय हैं जिससे सिद्ध होता है -उनका मन काफी निर्मल है.इन कविताओं के माध्यम से अनेकों सच्चाईयों का एक साथ सामना होता है.सब के भाव अपनी-अपनी जगह ठीक हैं.

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  27. बहुत सुन्दर नज्में! उम्दा प्रस्तुती!
    आपको और आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!

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  28. शायद यही जीवन है ...प्रकृति के यह विभिन्न विपरीत उदाहरण शायद हमें सबक देने के लिए ही हैं ! हर उदाहरण सोंचने को मजबूर करता है ! आभार डॉ दराल सर !

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  29. उफ़ और दर्द की मियाद अब खत्म हो चुकी है...अब तो बस...

    तन रंग लो जी आज मन रंग लो,
    तन रंग लो,
    खेलो,खेलो उमंग भरे रंग,
    प्यार के ले लो...

    खुशियों के रंगों से आपकी होली सराबोर रहे...

    जय हिंद...

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  30. आप को सपरिवार होली की हार्दिक शुभ कामनाएं.

    सादर

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  31. भजन करो भोजन करो गाओ ताल तरंग।
    मन मेरो लागे रहे सब ब्लोगर के संग॥


    होलिका (अपने अंतर के कलुष) के दहन और वसन्तोसव पर्व की शुभकामनाएँ!

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  32. पप्पू तो हर क्षेत्र में पास है डॉ.साहेब --वाह !!!

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  33. होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं। ईश्वर से यही कामना है कि यह पर्व आपके मन के अवगुणों को जला कर भस्म कर जाए और आपके जीवन में खुशियों के रंग बिखराए।
    आइए इस शुभ अवसर पर वृक्षों को असामयिक मौत से बचाएं तथा अनजाने में होने वाले पाप से लोगों को अवगत कराएं।

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  34. होली तो 'कृष्ण' खेल गए! अफ्रीकन चेहरे को काला, अंग्रेजों को सफ़ेद, चीनी जापानियों को पीला, इत्यादि, सभी को पक्के रंगों से रंग गये :)

    होली की शुभ कामनाएं!

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  35. उफ़ और दर्द की मियाद अब खत्म हो चुकी है...अब तो बस...
    सही कहा , खुशदीप भाई ने ।

    चलिए इस टॉपिक को यहीं ख़त्म करते हैं ।
    अभी तो आप सब को होली की हार्दिक शुभकामनाएं ।

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  36. रंगों के पावन पर्व होली के शुभ अवसर पर आपको और आपके परिवारजनों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ...

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  37. Holee kee anek shubhkamnayen!

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  38. शानदार नुकीली यथार्थ को प्रदर्शित अभिव्यक्ति के लिए बहुत बहुत आभार.
    होली के पावन रंगमय पर्व पर आपको और सभी ब्लोगर जन को हार्दिक शुभ कामनाएँ.
    'मनसा वाचा कर्मणा' पर भी इन्तजार रहता है आपका.

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  39. आ. डॉ.साहिब ,
    मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा' पर आप आये इसके लिए आपका बहुत बहुत आभार. गल्ती से पोस्ट अधूरी छप गयी थी ,अब पूरी की हैं.कृपया,एक बार फिर से आकर उचित मार्ग दर्शन करें .आभारी हुंगा आपका.

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  40. होली का त्यौहार आपके सुखद जीवन और सुखी परिवार में और भी रंग विरंगी खुशयां बिखेरे यही कामना

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  41. कुदरत के आगे किसकी चलती है .. जो वो शाहता है वही होता है ... कोई रक्षक तो कोई भक्षक ... संवेदनशील रचनाएँ हैं सारी ......
    आपको और समस्त परिवार को होली की हार्दिक बधाई और मंगल कामनाएँ ....

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  42. वाह.. बहुत सुन्दर रचनाएँ, अपने अाप मे एदम अनूठी । पहली बार अाई इस ब्लोग पर, लेकिन अाप की रचनाएँ पढ़ कर लगा कि अब तक बहुत कुछ अच्छा पढ़ने से छूट गया था

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