आज प्रस्तुत हैं चिकित्सा जगत की कुछ ख़ास चटपटी ख़बरें ।
* आपको जिन्दगी में चिकनगुन्या बुखार एक बार , डेंगू चार बार और मलेरिया बार बार हो सकता है । यह कहना है डॉ के के अगरवाल का ।
* चिकनगुनिया और डेंगू में एक अंतर है जोड़ों के दर्द का जो चिकनगुन्या में हफ़्तों , महीनों या साल तक भी रह सकता है ।
* डेंगू में एस्पिरिन कभी नहीं लेनी चाहिए , यदि ले रहे हैं , तो बंद कर देनी चाहिए । बुखार के लिए पेरासिटामोल ही काफी है ।
* पीलिया कोई बीमारी नहीं है । यह किसी बीमारी का लक्षण है ।
* गर्भवती महिला में आयोडीन की कमी से होने वाला बच्चा मंद बुद्धि हो सकता है । इसलिए आयोडीन युक्त नमक ही खाएं ।
* यदि किसी को अचानक हार्ट अरेस्ट हो जाये तो सी पी आर में माउथ टू माउथ साँस देते हैं । लेकिन अस्पताल से बाहर सिर्फ सी आर ही काफी है । यानि माउथ टू माउथ साँस की ज़रुरत नहीं है ।
* बोटोक्स के इंजेक्शन सिर्फ झुर्रियां मिटाने के ही काम नहीं आते । इनसे क्रोनिक माइग्रेन को ठीक किया जा सकता है । इसे ३ महीने में एक बार लगाया जाता है । हालाँकि महंगा तो पड़ता है ।
* हमारे देश की जनसँख्या सन २०४५ के बजाय २०७० तक स्थायी हो पाएगी । उस समय यह होगी १७० करोड़ ।
यह कहना है हमारे स्वास्थ्य मंत्री जी का ।
* नींद की गोलियों की एक बोतल पर लेबल --सावधान ! इनके सेवन से नींद आ सकती है ।
अंत में :
पत्नी , पति से : क्या बात है आजकल आप एक दो घंटे के बजाय ५-६ घंटे ब्लोगिंग करते रहते हैं ?
पति : क्या करूँ , आजकल ऑफिस का कंप्यूटर खराब पड़ा है ।
ज़रा सोचिये कहीं आप ही वो पति तो नहीं !
नोट : उपरोक्त ख़बरें विभिन्न इ मेडिकल जर्नल्स से ली गई हैं ।
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दिवाली पर जिस भी परिवार से मिलना हुआ ...उनके घर में एक न एक मरीज चिकनगुनिया , डेंगू या मंकीगुनिया का मिला ...सासू माँ भी पीड़ित हैं इसी बीमारी से ...
ReplyDeleteचिकनगुनिया में जोड़ों का दर्द इतने समय तक रहता है ...ये नयी जानकारी है ...!
नही...मैं घर पर हूँ..मैं वो पति नहीं..! मुझे चिकनगुनियाँ..! नहीं नहीं..डेंगू..! अरे नहीं...मलेरिया..! अरे यह भी नहीं..वो.s.s.सिर्फ बुखार हुआ है। दवाई नहीं ली...! कल तक नहीं उतरा तो रक्त जांच कराना पड़ेगा।
ReplyDelete...उपयोगी पोस्ट के लिए आभार।
डा० साहब , सर्वप्रथम इस जनकारी के लिए शुक्रिया ! साथ ही यह कहूंगा कि बड़े अफ़सोस की बात है कि दुनिया के विकशित देशों की बराबरी करने को उतावला हमारा यह देश अभी भी दक्षिण अमरीकी देश हैती से ख़ास अलग नहीं है ! इस बीमारी का एक पीड़ित होने के नाते यह कहूंगा कि पिछले १५-२० दिनों का मेरा अनुभव कहता है कि हमारा देश बहुत पिछड़ा हुआ है अभी भी ! इस देश में एक महीने तक तो डाक्टरों को यह ही पता नहीं था कि यह बीमारी है क्या ? uNKNOWN vIRAL और अब जब कुछ हद तक यह माना जाने लगा कि यह चिकनगुनिया है, तो हमारे देश के पास उसकी कारगर दवाई नहीं है मेरे पैरों में अभी भी बहुत सूजन है, चल पाने में बहुत कठनाई महसूस कर रहा हूँ ! डाक्टर से इसका इलाज पूछता हूँ तो कहता है कि इसकी कोई दवा नहीं और यह कम से कम एक महीने चलेगा , यानी सब भगवान् भरोसे ! सारी इनकी बड़ी बड़ी लैब धरी की धरी रह गई !
ReplyDeleteहा हा!! बहुत चटपटी और सबसे तीखी-ऑफिस का कम्पयूटर खराब है. :)
ReplyDeleteगोदियाल जी , दुःख हुआ यह जानकर कि आप अभी तक पूरी तरह से ठीक नही हुए हैं ।
ReplyDeleteअफ़सोस इस बात का भी है कि भारत ही नहीं , कहीं भी इसका कोई इलाज़ नहीं है । न ही कोई वैक्सीन बनी है अभी तक ।
टांगों और जोड़ों के दर्द के लिए क्लोरोक्विन की एक गोली (२५० mg ) रोज लेने से आराम आ सकता है । कुछ आयुर्वेदिक दवाएं भी ट्राई की जा सकती हैं ।
अच्छी जानकारी ....
ReplyDeleteनींद की गोलियों की एक बोतल पर लेबल --सावधान ! इनके सेवन से नींद आ सकती है ।
इस पर सोच रही हूँ कि क्या वाकई में :)
Dr.Saheb,
ReplyDeleteJanopyogi jankariyan dene ke liye bahaut -bahaut dhanyavad.
Meri aaj ki post ke bare me aapne jo vichaar diye hain vey HAKEEKAT hain;isiliye mai lagatar aur bar -bar vaigyanik drishtikon ke bare me yah batata hun ki keval vaigyanik aadhar hi dharm hai baki sab dhong -dhakosla hai jo aaj chal raha hai.
मज़ेदार
ReplyDeleteमिसफ़िट पर ताज़ातरीन
अक्सर,कैंसर और एड्स आदि से मुक्ति के लिए हो रहे अनुसंधान की ख़बरें ही छपती रहती हैं। मगर कितना कुछ रह गया है दुनिया को रोगमुक्त करने के लिए। तकलीफदेह!
ReplyDeleteडा. साहिब, लाभदायक जानकारी के लिए धन्यवाद!
ReplyDeleteमानव और मच्छर की लड़ाई में यह छोटा सा जीव एक कदम आगे ही रहता दिखता है (और इसे संयोग ही कहें कि वो डॉक्टर समान इंजेकशन देता है और उन्हीं की तरह खून का सैम्पल निकाल भी लेता है ?)!
सही कहा जे सी जी । एक मच्छर आदमी को क्या से क्या बना देता है ।
ReplyDeleteमजेदार, रोचक और खबरदार करती पोस्ट
ReplyDeleteआपकी पोस्ट पढकर झोलाछाप डॉक्टरों को भी मदद मिलेगी!
ReplyDelete"नींद की गोलियों की एक बोतल पर लेबल --सावधान ! इनके सेवन से नींद आ सकती है"
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
अपने यहाँ तो उल्टा होता है...जिस दिन जल्दी सोने की कोशिश करो...उस दिन श्रीमती जी कहती हैं ...
"क्या बात?...आजकल ज्यादा देर तक ब्लॉग्गिंग नहीं करते?"
लाभदायक जानकारी के लिए धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत रोचक और उपयोगी खबरें है। क्या आपके आफिस का कम्प्यूटर भी खराब है? शुभकामनायें।
ReplyDeleteहा हा हा निर्मला जी । डॉक्टरों के पास कंप्यूटर कहाँ । बस मरीज़ ही मरीज़ ।
ReplyDeleteअच्छी जानकारी दी आपने डॉ साहब ! आभार
ReplyDeleteडा० साहब इस जनकारी के लिए शुक्रिया "नींद की गोलियों की एक बोतल पर लेबल --सावधान ! इनके सेवन से नींद आ सकती है"
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
बहुत ही अच्छी जानकारी दी हैं धन्यवाद्
ReplyDelete
ReplyDeleteहा हा हा..
यह तो आपने भली कही डॉ. साहेब, कि नींद की गोलियों के शीशी पर लेबल !
यह भी हो सकता है कि, ज़नाबे-आली को सोने की तैयारी में झपकी मारते देख.. श्रीमती जी झकझोर दें," ऎई.. पहले यह गोली तो खा लो, अगर बिना खाये सोने से कोई नुकसान हो गया तो ? इत्ते बड़े डॉ. साहेब ने आखिर कुछ सोच कर ही इसे दिया होगा..
पञ्च लाईन:
ReplyDelete* नींद की गोलियों की एक बोतल पर लेबल --सावधान ! इनके सेवन से नींद आ सकती है ।
आपने बहुत उपयोगी बाते बतायी हैं ,
डाक्टर ज्योतिषी जी ,मुझे तीन बार मलेरिया हो चुका है कोई चिकित्सा -अनुष्ठान बताएं कि डेंगू और चिकनगुनिया न हो !लवेरिया का कोई नुस्खा भी बताये ताकि वह ताजिंदगी होता रहे ...मुंहमांगी फीस दूंगा!
:-)
ReplyDeleteबढ़िया जानकारियाँ दी आपने... नींद की गोलियों वाली बोतल के बारे में बता कर अच्छा किया, वर्ना पता ही नहीं चलता और खाने से नींद आजाती.
प्रेमरस.कॉम
मेरे पुरे परिवार को चार साल पहले चिकनगुनिया हो गया था पर आज भी मम्मी और छोटी बहन को ठण्ड के दिनों में काफी जोड़ो का दर्द शुरू हो जाता है | माँ को तो हाथो कि उंगलियों में भी दर्द होता है वो उनको ठीक से मोड़ नहीं पाती है और बहन को जो अभी मात्र २६ साल कि है घुटनों में दर्द शुरू हो जाता है | ये कब तक चलेगा क्या इसको ठीक नहीं कर सकते है |
ReplyDeleteमेरी तो मसल्स ही इतनी ज्यादा हैं कि जब गोली नहीं घुसी अन्दर तो मच्छर की सूंड क्या घुसेगी.... ही ही ही ... तो कोई भी गुनिया होने का सवाल ही नहीं उठता ... मैं तो कोई रिपेलेंट भी नहीं लगता... बेचारे मच्छर वैसे भी घबराते हैं कि कहीं उनकी सुई न टूट जाए... हाँ ! यह है कि मुझे हार्ट अरेस्ट हो तो मेरे आस-पास सिर्फ और सिर्फ सुंदर ....वेल-फिगर्ड लडकियां ज़रूर हों.... जो क्लोज़-अप से पेस्ट करतीं हों...
ReplyDeleteमैं आपके स्नेह से अभिभूत हूँ.... आप मेरी मुसीबतों में मेरा हाल-चाल लेते रहे... आपका शुक्रगुज़ार हूँ... ऐसा ही स्नेह बनाये रखिये...
डा. साहिब, आपने शायद नाना पाटेकर को ध्यान में रख कहा "एक मच्छर आदमी को क्या से क्या बना देता है"!
ReplyDelete("एक मच्छर आदमी को हिजड़ा बना देता है", नाना पाटेकर का यह डायलौग एक समय काफी मशहूर हुआ था)...
ऐसे ही एक विचार मन में आया कि एक फ़िल्मी कलाकार होने के नाते नाना यह भी कह सकता था कि हर छोटे से छोटे अनपढ़ मच्छर द्वारा बिना किसी ख़ास खर्चे के डॉक्टर समान अर्जित कला की तारीफ़ में बड़े-बड़े पढ़े-लिखे लोगों से, भले ही अनजाने, ताली बजवा देता है वो!
बहुत चटपटी खबरें।
ReplyDeleteजानकारी चटपटी होने के साथ-साथ उपयोगी भी है...'चिकनगुनिया' के बारे में अभी तक ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है, हमारे एक परिचित डॉक्टर हैं.....उन्हें भी कुछ महीनो पहले, 'चिकनगुनिया' हुआ था...दर्द से बेहाल रहते हैं...पर कहते हैं..बर्दाश्त करने के सिवा कोई उपाय नहीं.
ReplyDeleteशोध होने चाहिए....हो भी रहें होंगे...इसके रोकथाम और precautions पर ज्यादा जानकारी उपलब्ध होनी चाहिए.
दराल जी मजेदार खबरे है। ऐसी खबरें देते रहा करिए, हाजमा सही रहेगा।
ReplyDeleteआरोग्य प्रद जानकारी। आभार!!
ReplyDeleteडाक्टर साहब बड़ी जायकेदार पोस्ट है. नींद कि गोली से नींद !!!!अरे मुझे तो किसी भी गोली से नींद आ जाती है.
ReplyDeleteअच्छा लगा आपके घर आना...!
ReplyDeleteबोतल पर लिखे 'नींद' से तात्पर्य 'चिरनिद्रा' भी हो सकता है!
ReplyDeleteएक ऐसे ही (चुटकुले में) किसी ने आत्महत्या के इरादे से गोलियां खा लीं,,, किन्तु (हर वस्तु में आज) मिलावट के कारण उद्देश्य में असफल रहा!
‘ नींद की गोलियों की एक बोतल पर लेबल --सावधान ! इनके सेवन से नींद आ सकती है ।"
ReplyDeleteअसल में लिखना यह चाहिए था- सोते को जगा कर दें :)
हा हा हा डॉ अमर कुमार जी। बड़े लोगों के साथ ऐसा हो सकता है ।
ReplyDeleteअरविन्द जी , डेंगू और चिकनगुन्या तब न हो , जब मच्छर और मच्छर की औलाद से लवेरिया न हो ।
क्या अभी भी आपको लवेरिया का नुस्खा चाहिए ।
अंशुमाला जी , चिकनगुन्या में दर्द लम्बे समय तक रह सकता है । लेकिन चार साल तो नहीं सुना । उनकी जाँच कराएँ , कहीं rheumatoid arthritis न हो ।
ReplyDeleteमहफूज़ भाई , कम से कम फिमेल मच्छरों से तो दूर रहने की सलाह दूंगा ।
ReplyDeleteइसे जेंडर बायस न समझें ।
जे सी जी , मच्छर भले ही मच्छर हों , लेकिन इनमे बड़ा दम है।
रचना जी , सही कहा । किसी भी नींद की गोली से नींद आ ही जाएगी ।
"आर्युवेदिक कालमेघ पाउडर का यदि काड़ा बनाकर सेवन किया जाए तो डेंगू मलेरिया और चिकिनगुनिया बुखार ठीक हो जाते हैं .... "
ReplyDeleteपरन्तु लबेरिया के लिए कोई आर्युवेदिक दवाई (काड़ा) नहीं हैं हा हा ... आभार
... sundar post !!!
ReplyDeleteआज बड़े दिन बाद आया। पिछली कुछ पोस्टें भी पड़ीं। चित्रकथा पर आपने काफी अच्छे चित्र लगाए हैं। तकरीबन रोज गुजरता हूं वहां से। रुक कर देखने का कभी समय नहीं मिला, या यूं कहें कि रुके ही नहीं कभी। जब से पार्क बन रहा था तब से बाहर से ही सोचता रहा की जाउंगा खैर कोई बात नहीं। इतने पार्क हैं दिल्ली में कि पूछिए नहीं। चटपटी अंदाज में बीमारियों के बारे में बताया काफी अच्छा लगा। दीवाली की काफी देर से बधाई दराल सर।
ReplyDeleteबहुत खास खास बातें..जानकारी भरी और मनोरंजक भी...प्रभावशाली आलेख के लिए बधाई..धन्यवाद
ReplyDeleteरोचक प्रस्तुति । सरकार और देश के नागरिक अगर स्वच्छ वातावरण बनाने का प्रयास करें तो मदद मिलेगी ।
ReplyDeleteडा. साहब .... आपने बातों ही बातों में जानकारी बहुत लाजवाब दे दी .... आप इतनी जरूरी जानकारी देते रहेंगे तो हम कहेंगे आप १०-१२ घंटे कम्पूटर बैठे रहें .....
ReplyDeleteबहुत ही जानकारी भरी ब्लॉग-पोस्ट लिखी हैं आपने.
ReplyDeleteइतनी जानकारी मिली कि दिल हुआ ऑनलाइन ही रहूँ.
धन्यवाद.
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सावधान इनसे नींद आ सकती है । हा हा हा । पर बाकी बातें काम की हैं। धन्यवाद ।
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