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Friday, September 5, 2025

शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं।

 यूं तो औपचारिक शिक्षा ज्ञान हमें स्कूल और कॉलेज से प्राप्त होता है, जो आज के वैज्ञानिक युग में अत्यंत महत्वपूर्ण भी है। फिर भी अनौपचारिक ज्ञान हमें अपने मात पिता और घर के बुजुर्गों से प्राप्त होता है, जिसका महत्व भी कदाचित कम नहीं होता। क्योंकि यही वो ज्ञान है जो हमें दुनियादारी सिखाता है। दुनिया में रहने के लिए दुनियादारी का ज्ञान भी आवश्यक है, वरना लोग आपको भोला समझते है। 

अक्सर कामकाजी मात पिता के पास समय नहीं होता बच्चों को यह ज्ञान देने के लिए। दादा दादी के पास समय भी होता है और अनुभव का ज्ञान भी । लेकिन आज के ज़माने में बच्चों के साथ न तो दादा दादी होते हैं, न ही दादा दादी के पास बच्चे जिन्हें वे कुछ सिखा सकें। 

दुनिया में ऐसे भी लोग होते हैं जिन्हें न तो स्कूल कॉलेज की शिक्षा मिली, न ही बुजुर्गों का साथ। फिर भी कुछ लोग अपने बल बूते पर मेहनत कर ज्ञान हासिल करते हैं और जिंदगी में सफल भी होते हैं। उनकी ज़िंदगी ही उनका सबसे बड़ा शिक्षक साबित होती है। हालांकि ऐसे लोग विरले ही होते हैं। 

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को नमन और सभी शिक्षकों, अभिभावकों और बुजुर्गों को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं। 🌷🌷

Sunday, August 31, 2025

रिटायर्ड होकर टायर्ड ना हों।

 एक बात हमको हरदम सताती है,

कि आजकल 60 तो क्या,

70 की उम्र भी इतनी जल्दी आ जाती है।

कहते हैं 60 में लोग सठियाने लगते हैं,

पर हमें तो लगता है ,

70 में भी ज्यादा सयाने लगते हैं।

मगर सरकार उम्र भर की सेवाओं का ये कैसा सिला देती है,

जो भरी जवानी में कर परमानेंट तबादला देती हैं।


खाली घर में रहकर हाथ पैर भी टेढ़े हो जाते हैं,

सेवानिवृत होकर तो जवान भी बूढ़े हो जाते हैं।

इसीलिए कहते हैं भैया रिटायर्ड हुए तो क्या, टायर्ड मत हो,

मिलो मिलाओ, कविता लिखो, सुनो सुनाओ, फिर ना कोई ज़हमत हो। 

Tuesday, August 12, 2025

ज़िंदगी एक ग़ज़ल होती है ...

 जन्मदिन पर दोस्तों की दुआएं हों,

और अपनों का साथ हो,

तो ज़िंदगी एक ग़ज़ल होती है।


बच्चे केक मंगवाएं,

और केक काटने में पत्नी हाथ बंटाए,

तो ज़िंदगी एक ग़ज़ल होती है।


बेटी विदेश से फूल भिजवाए,

और एक प्यार सा संदेश पहुंचाए,

तो ज़िंदगी एक ग़ज़ल होती है।


पुत्र केक खिलाए, पुत्रवधू फोटो खींचे,

और पत्नी केक खिलाकर गाल पर केक लगाए,

तो ज़िंदगी एक ग़ज़ल होती है।


वर्षों के साथी डॉक्टर, ब्लॉगर, और कवि मित्र साथ हंसें मुस्कुराएं,

और जिंदगी सत्तरवें साल में प्रवेश कर जाए,

तो ज़िंदगी एक ग़ज़ल होती है। 

Wednesday, August 6, 2025

दोहे...

 लेडी चालक देख के, फौरन संभला जाय,

ना जाने किस मोड़ पे,बिना बात मुड़ जाय।


पर्वत तो यूं बिखर रहे, ज्यों ताश के पत्ते,

पेड़ काटकर बन रहे ,रिजॉर्ट्स बहुमंजिले।


जब पाप बढ़े जगत में, कुदरत करती न्याय,

आजकल तो सावन में, शेर भी घास ख़ाय।


उन्नत शहर की नालियां, बारिश में भर जाय,

क्या करें हर सावन में, बारिश आ ही जाय। 

Wednesday, July 30, 2025

एक शहर की सड़कें ...

एक साल में तीन चुनाव,

हर चुनाव में जागती एक उम्मीद।

कि तीन सालों से टूटी सड़कें,

अब तो सज संवर ही जाएंगी।


चंबल के बीहड़ों सी ऊबड़ खाबड़,

बारिशों में बरसाती नाला बनी सड़कें,

सावन आने से दस दिन पहले,

आखिर संवर ही गईं,

बिटुमन की काली चादर ओढ़कर।


ठेकेदार अब रोज मंदिर जाता है,

प्रसाद चढ़ाकर दुआ मांगता है,

पेमेंट होने तक सड़क की सलामती की।

आखिर अगले ही दिन,

सड़क की सतह पर उभर आईं थीं रोड़ियां।


दुनिया में परमानेंट कुछ भी नहीं,

फिर ये तो बेचारी इमरजेंसी सड़क है,

भ्रष्ट अफसरों द्वारा बनाई गई,

भ्रष्ट नेताओं की लाज रखने के लिए। 

Monday, July 21, 2025

नया नया बूढ़ा ...

 2025 का नया नया मैं बूढ़ा हूं,

पर दवाओं पर ही अब जीता हूं।


रम वोदका बीयर विस्की सब छूट गई,

मदर डेयरी की बस छाछ लस्सी पीता हूं।


पेंट शर्ट सब टंगी टंगी पुरानी हो गईं,

फट जाए तो रफुगर बन खुद सीता हूं।


रोज थैला उठाए मार्केट में दिखता हूं,

हर दुकानदार से करता फजीहता हूं।


घर में है लाइब्रेरी भरी सैकड़ों किताबों से,

पर पढ़ने लिखने में बस करता कविता हूं।


बचे खुचे हैं जो सर पर तजुर्बे के बाल हैं,

कोई सुनता नहीं वरना ज्ञान की गीता हूं।


सीढ़ियां चढ़ने में भले ही फूल जाता है दम,

पर दिल से अभी युवाशक्ति का चीता हूं।

Wednesday, June 18, 2025

मुक्तक...

एक बाइक वाला उधर से आ रहा था,

एक रिक्शावाला उधर को जा रहा था।

एक गाड़ी वाला दोनों से जा टकराया,

वो ग्रीन लाइट जंप करके जा रहा था।


आजकल मैं ना कोई काम करता हूं,

बस दिन भर केवल आराम करता हूं।

जब आराम करते करते थक जाता हूं,

तो सुस्ताने को फिर से आराम करता हूं।


आजकल साइबर फ्रॉड के केस बहुत नज़र आते हैं,

फ्रॉड करने वाले भी रोज नए नए तरीके अपनाते हैं।

हम तो सावधानी में इस कदर सावधान हो गए हैं कि,

बीवी की बेवक्त कॉल को भी डर के मारे नही उठाते हैं।


हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है ये सब जानते हैं,

किसान दिन भर मेहनत कर के भी खाक छानते हैं।

किन्तु कुछ पढ़े लिखे खाए अघाये लोग ऐसे भी हैं,

जो प्लेट भर खाना जूठा छोड़ने को फैशन मानते हैं। 

Saturday, May 17, 2025

दोस्ती की परिभाषा ।

 बचपन की गलियों में गिल्ली डंडा

और बैट बाल साथ खेलने वाले जो बच्चे

बुढ़ापे में भी संग बैठे गपियाते हैं,

वही असली दोस्त कहलाते हैं।

कॉलेज में संग उठना बैठना, खाना पीना

पिक्चर जाना और दोस्त के भाई बहन

और मात पिता से जो घुल मिल जाते हैं,

वही असली दोस्त कहलाते हैं।

दोस्त और दोस्त के बच्चों की शादी में नाचना

फिर दोस्त की गोल्डन जुबली में

जोहरा जबीं गाने पर जो थिरकते नज़र आते हैं,

वही असली दोस्त कहलाते हैं।

जिंदगी के सफ़र में सहपाठी और सहकर्मी

तो बहुत होते हैं, आते हैं, चले जाते हैं,

किंतु जीवन पर्यंत जो सुख दुख में साथ निभाते हैं,

वही असली दोस्त कहलाते हैं।