यूं तो औपचारिक शिक्षा ज्ञान हमें स्कूल और कॉलेज से प्राप्त होता है, जो आज के वैज्ञानिक युग में अत्यंत महत्वपूर्ण भी है। फिर भी अनौपचारिक ज्ञान हमें अपने मात पिता और घर के बुजुर्गों से प्राप्त होता है, जिसका महत्व भी कदाचित कम नहीं होता। क्योंकि यही वो ज्ञान है जो हमें दुनियादारी सिखाता है। दुनिया में रहने के लिए दुनियादारी का ज्ञान भी आवश्यक है, वरना लोग आपको भोला समझते है।
अक्सर कामकाजी मात पिता के पास समय नहीं होता बच्चों को यह ज्ञान देने के लिए। दादा दादी के पास समय भी होता है और अनुभव का ज्ञान भी । लेकिन आज के ज़माने में बच्चों के साथ न तो दादा दादी होते हैं, न ही दादा दादी के पास बच्चे जिन्हें वे कुछ सिखा सकें।
दुनिया में ऐसे भी लोग होते हैं जिन्हें न तो स्कूल कॉलेज की शिक्षा मिली, न ही बुजुर्गों का साथ। फिर भी कुछ लोग अपने बल बूते पर मेहनत कर ज्ञान हासिल करते हैं और जिंदगी में सफल भी होते हैं। उनकी ज़िंदगी ही उनका सबसे बड़ा शिक्षक साबित होती है। हालांकि ऐसे लोग विरले ही होते हैं।
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को नमन और सभी शिक्षकों, अभिभावकों और बुजुर्गों को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं। 🌷🌷
No comments:
Post a Comment