top hindi blogs

Friday, May 31, 2013

इट्स वेरी ईजी टू स्टॉप स्मोकिंग , एंड आई हैव डन इट सो मेनी टाइम्स ---


धूम्रपान रहित दिवस पर आज प्रस्तुत है , एक पूर्व प्रकाशित रचना। अस्पताल एक धूम्रपान निषेद्ध क्षेत्र होता है। फिर भी लोग बीड़ी सिग्रेट पीते नज़र आते हैं। कानून की दृष्टि में यह अपराध है जिसमे १०० से ५०० रूपये तक का जुर्माना किया जा सकता है। ऐसे ही अभियान के दौरान जब लोगों को धूम्रपान करते पकड़ा, तब लोगों ने धूम्रपान करने के क्या क्या बहाने बताये, इसी पर लिखी है यह हास्य- व्यंग कविता।        



अस्पताल के प्रांगण में, ओ पी डी के आँगन में
जेठ की धूप में जले पेड़ तले,
कुछ लोग आराम कर रहे थे ।
करना मना है ,फिर भी मजे से धूम्रपान कर रहे थे ।

एक बूढ़े संग बैठा उसका ज़वान बेटा था
बूढा बेंच पर बेचैन सा लेटा था ।

साँस भले ही धोंकनी सी चल रही  थी
मूंह में फिर भी बीड़ी जल रही थी ।

बेटा भी बार बार पान थूक रहा था
बैठा बैठा वो भी सिग्रेट फूंक रहा था ।

एक बूढा तो बैठा बैठा भी हांफ रहा था
और हांफते हांफते साथ बैठी बुढिया को डांट रहा था ।

फिर डांटते डांटते जैसे ही उसको खांसी आई
उसने भी जेब से निकाल, तुरंत बीड़ी सुलगाई।

मैंने पहले बूढ़े से कहा बाबा , अस्पताल में बीड़ी पी रहे हो
चालान कट जायेगा,
वो बोला बेटा, गर बीड़ी नहीं पी, तो मेरा तो दम ही घुट जायेगा ।

डॉ ने कहा है, सुबह शाम पार्क की सैर किया करो
और खड़े होकर लम्बी लम्बी साँस लिया करो ।

लम्बे लम्बे कश लेकर वही काम कर रहा हूँ ।
खड़ा खड़ा थक गया था , लेटकर आराम कर रहा हूँ ।

मैंने बेटे से कहा --भई तुम तो युवा शक्ति के चीते हो
फिर भला सिग्रेट क्यों पीते हो ?

वो बोला बाबा की बीमारी से डर रहा हूँ
सिग्रेट पीकर टेंशन कम कर रहा हूँ ।

मैंने कहा भैये -
टेंशन के चक्कर में मत पालो हाईपरटेंशन
वरना समय से पहले ही मिल जाएगी फैमिली पेंशन ।

एक बोला मुझे तो बीड़ी बिल्कुल भी नहीं भाती है
पर क्या करूँ इसके बिना टॉयलेट ही नहीं आती है ।

दूसरा बोला सर बिना पिए, मूंह में बांस हो जाती हैं
एक दो सिग्रेट पी लेता हूँ, तो गैस पास हो जाती है ।

एक युवक हवा में धुएं के गोल गोल छल्ले बना रहा था
पता चला वो लड़का होने की ख़ुशी में ख़ुशी मना रहा था ।

कुछ युवा डॉक्टर भी सिग्रेट के कश भर रहे थे ,
मूंह में सिग्रेट दबा गर्ल फ्रेंड को इम्प्रेस कर रहे थे।


कुछ लोग ग़म में पीते हैं , कुछ पीकर ख़ुशी मनाते हैं ।
कुछ लोग दम भर पीते हैं , फिर दमे से छटपटाते हैं ।

भले ही जेब में पैसे नहीं रिक्शा लायक घर जाने को।
लेकिन बण्डल माचिस ज़रूर मिलेगी बीड़ी सुलगाने को।   

ये धूम्रपान की आदत , आसानी से कहाँ छूटती है
पहले सिग्रेट हम फूंकते हैं , फिर सिग्रेट हमें फूंकती है।


नोट : किसी ने कहा है -- इट्स वेरी ईजी टू स्टॉप स्मोकिंग , एंड आई हैव डन इट सो मेनी टाइम्स।  






38 comments:

  1. ....अपन तो कभी इन चीजों के करीब गये ही नहीं ।

    ReplyDelete
  2. laajavab! apne apne gam apne apane kash! dilkash!

    ReplyDelete
  3. हमारे एक चाचा जो मथुरा मे डेंटल सर्जन हैं कभी चेन स्मोकर थे लेकिन अपने साथियों के उलाहने पर उन्होने सिगरेट पीना छोड़ दिया और फिर कभी प्रयोग नहीं किया। यदि व्यक्ति खुद संकल्प कर ले तो सिगरेट,बीड़ी का सेवन वस्तुतः मुश्किल नहीं है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी हाँ , इस मामले में दृढ संकल्प ही काम आता है।
      ,

      Delete
  4. वास्‍तव में बहुत कठिन है रोगियों से ध्रूमपान छुडवाना। अच्‍छी कविता।

    ReplyDelete
  5. बेहतरीन.....सामायिक रचना....
    इट्स वेरी ईजी टू स्टॉप स्मोकिंग , एंड आई हैव डन इट सो मेनी टाइम्स।
    हमने एक बार बरसों पहले अपने पापा को दिया था ये कैप्शन,he said,dear i never tried to stop smoking :-)

    regards
    anu

    ReplyDelete
  6. आपने दैनिक संवादों को बखूबी कविता में लगाया है, धूम्रपान छोड़ने के लिये आत्म अनुशासन सबसे जरूरी है ।

    ReplyDelete
  7. धूम्रपान करना मना है चेतावनी के बाद भी लोग मानते कहाँ है,उम्दा प्रस्तुति ,,

    Recent post: ओ प्यारी लली,

    ReplyDelete
  8. ये धूम्रपान की आदत , आसानी से कहाँ छूटती है
    पहले सिग्रेट हम फूंकते हैं , फिर सिग्रेट हमें फूंकती है।

    वाह क्या गज़ब लिखा है... ध्रूमपान गलत है यह लोग तो मानते हैं, मगर दिल है कि मानता नहीं।

    ReplyDelete
    Replies
    1. यहाँ दिल की जगह दिमाग की सुननी चाहिये।

      Delete
  9. पहले सिग्रेट हम फूंकते हैं , फिर सिग्रेट हमें फूंकती है। kya khub likha hai aapne bas yhi baat yadi pine walon ko samajh aajaye to maza aajaye....

    ReplyDelete
  10. एक बोला मुझे तो बीड़ी बिल्कुल भी नहीं भाती है
    पर क्या करूँ इसके बिना टॉयलेट ही नहीं आती है ।

    बेचारा बिल्कुल सही कह रहा है.:)

    रामराम.

    ReplyDelete
  11. वैसे किसी को धुम्रपान छोडना ही हो तो "ताऊ एंटी निकोटिन" गोली का सेवन करके शर्तिया लाभ उठा सकता है.:)

    रामराम.

    ReplyDelete
    Replies
    1. इस गोली को पेटेंट करा लिया जाये। :)

      Delete
    2. इसका पेटेंट हमारे पास हासिल है कोई नकली बनाने की कोशीश ना करे.:)

      रामराम.

      Delete
    3. एक गोली से सिग्रेट छूट जाएगी -- और यदि ज्यादा खा ली तो !

      Delete
    4. नकली की भी नकली ...
      वाह ताऊ वाह ...

      Delete
    5. हा हा हा...कहने से क्या होता है? जरा ट्राई करके देखिये.:)

      रामराम

      Delete
  12. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(1-6-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

    ReplyDelete
  13. जबरदस्त , शानदार.
    @पर क्या करूँ इसके बिना टॉयलेट ही नहीं आती है ।
    यह बहाना सबसे कॉमन है शायद :)

    ReplyDelete
  14. हा हा हा आज के दिन के लिए बिलकुल सटीक रचना है यह ... :)

    ReplyDelete
  15. आज सतीश सक्सेना जी के दर्शन नही हुये अभी तक? उनके विचार जानने की बडी तीव्र इच्छा हो रही थी.

    रामराम.

    ReplyDelete
    Replies
    1. सिग्रेट खरीदने तो नहीं गए होंगे। :)

      Delete
    2. आपकी यह पोस्ट पढ़ एक बात स्पष्ट है कि सिगरेट कितनी लोकप्रिय है ...
      ताऊ भी यह देख कर कहीं कारखाना न लगा ले नकली सिगरेट बनाने का !
      इसी चिंता में था ...

      Delete
    3. सतीश जी आप क्या समझते हैं कि ताऊ को नकली सिगरेट की फ़ेक्ट्री लगानी पडेगी? आप ये क्यों भूल रहे हैं कि सारे असली सिगरेट कारखाने ही बडे वाले ताऊओं के हैं जो एक तरफ़ तो सिगरेट बनाते हैं दूसरी तरफ़ बडे बडे महंगे कैंसर हास्पीटल बनाते हैं, यानि दोनों हाथों से माल कूट रहे हैं.

      और दुनियां की सारी सरकारें इस गोरखधंधे में शामिल होकर इंसान को नोच नोच कर खा रही हैं. एक तरफ़ सिगरेट पर टेक्स...दूसरी तरफ़ दवाईयों पर टेक्स...इंसान को बंदर बना कर रख दिया है इन्होनें.

      रामराम.

      Delete
  16. लोग नहीं समझना चाहते ...

    ReplyDelete
  17. बातों ही बातों में आपने बड़ी खूबसूरती से धुम्रपान के अच्छाई को बतलाया क्या बात है डॉ साहब

    ReplyDelete
  18. इलेक्ट्रॉनिक ज़माने में इ - सिगरेट्स भी आती हैं और कुछ देशों में उन्हें भी बैन करने की तैय्यारी चल रही है. ये सिगरेट्स धुआं रहित होती है परन्तु निकोटिन का टेस्ट उसी तरह आता है जैसा साधारण सिगरेट में.

    ReplyDelete
    Replies

    1. रचना , जी लत तो लत ही है। इसी तरह जगह जगह हुक्का बार खुल गए हैं। फैशन के नाम पर युवा पीढ़ी गुमराह हो रही है।

      Delete
  19. मैंने कहा भैये -
    टेंशन के चक्कर में मत पालो हाईपरटेंशन
    वरना समय से पहले ही मिल जाएगी फैमिली पेंशन ।

    Ha-ha.... Fantastic !

    ReplyDelete
  20. सार्वजनिक धूम्रपान का दंड हमने तो अब तक 200/- रु. सुना है, अब आप 500/- बताकर वैसे ही इसके प्रेमियों का टेंशन बढा रहे हैं । वैसे - यदि कभी न मांगी भीख तो बीडी पीना सीख.

    ReplyDelete
    Replies
    1. बीडी पीने वालों की जेब में तो १०- २० रूपये से ज्यादा ही नहीं होते। :)

      Delete
  21. हा हा ... कितनी बातें सच लिख दी इसमें ....
    पर ये लत मुश्किल से ही जाती है ... और जो नहीं पीते उन्हें भी पीनी पड़ती है ....

    ReplyDelete
  22. प्रभावी रचना, छोड़ना सरल है, बस छोड़ना छोड़ दें बस।

    ReplyDelete
  23. जवानी हमने भी जी
    जी भर सिग्रेट भी पी
    फिर ठान ली छोड़ने की
    और १९८२ में छोड़ी
    तो फिर मुहँ न लगाई निगोड़ी .:-))))

    ReplyDelete
  24. मस्ति के साथ टेंशन दे दिये डा0 साहब..

    ReplyDelete
    Replies
    1. मतलब अब छोडनी पड़ेगी ! :)

      Delete