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Sunday, May 12, 2013

घर बैठे ही महसूस करें गर्मियों में भी सर्दी का अहसास -- बीट द हीट।


मौसम के मामले में दिल्ली की दो बातें मशहूर हैं -- दिल्ली की सर्दी और दिल्ली की गर्मी। इस समय दिल्ली में गर्मी चरम सीमा की ओर अग्रसर है। ऐसे में दिल्ली वाले निकल पड़ते हैं , ठन्डे देशों/ प्रदेशों की ओर एक दो सप्ताह की छुट्टी पर। लेकिन आप कहाँ जाते हैं , यह आपकी हैसियत पर निर्भर करता है। आइये देखते हैं , दिल्ली वालों की हैसियत का लेखा जोखा :

१ ) आम आदमी :  सर्दी हो या गर्मी , करीब  ९० % लोग घर से बाहर निकल ही नहीं पाते। यदि जाते भी हैं तो बच्चों के नाना नानी या दादा दादी के पास। ये वे लोग होते हैं , जिनके लिए रोजी रोटी कमाना ही एक उपलब्धि होती है।       

२ ) आम से ज़रा सा ऊपर :  ये वे मिडल क्लास लोग होते हैं जो जिंदगी को सीमित दायरे में रहकर लेकिन भरपूर जीना चाहते हैं। इन्हें हर वर्ष गर्मियों में किसी ने किसी हिल स्टेशन पर जाना होता है, तरो ताज़ा होने के लिए। इनमे ज्यादातर हम जैसे सरकारी कर्मचारी आते हैं।

३ ) छोटे मोटे बिजनेसमेन :  ये लोग निकलते हैं साउथ ईस्ट एसियन देशों की ओर जैसे थाईलेंड ,  होंगकोंग और मलेसिया आदि।

४ ) निओ रिच और बड़े बाप के बेटे :  जाते हैं स्विट्जर्लेंड , पेरिस , लन्दन या इटली के युरोपियन टूर पर। ज़ाहिर है , इनमे वे लोग ज्यादा होते हैं जिनके पास दो नंबर का पैसा ज्यादा होता है।

५ ) रियल रिच या खानदानी रईश :  ये वे लोग होते हैं जो हर साल एक नयी रोमांचक जगह की तलाश में निकल पड़ते हैं जैसे केन्या , अलास्का , साउथ अफ्रीका , रोमानिया आदि।

गर्मी जब हद से ज्यादा बढ़ जाती है तब हम तो पहाड़ों के सपने देखने लग जाते हैं। ऐसे में जाने से पहले ही ठंडक का अहसास होने लगता है। यकीन न हो तो आप भी देखिये, कुछ हिल स्टेशंस के नज़ारे और महसूस कीजिये पहाड़ों की ठंडी हवाओं को।    

उत्तर भारत के हिल स्टेशन : 
       
१ ) मसूरी -- पर्वतों की रानी -- दिल्ली से करीब २७५ किलोमीटर।



समुद्र ताल से ऊंचाई -- ६ ० ० ०  फीट।




स्टर्लिंग रिजॉर्ट मसूरी।



मसूरी से करीब ३० किलोमीटर -- धनोल्टी जहाँ सुरखंडा देवी का मंदिर है जहाँ तक एक किलोमीटर की चढ़ाई है। लेकिन जून में भी बादलों से ढका रहता है।



धनोल्टी से आगे आप जा सकते हैं चम्बा -- जहाँ नया टिहरी शहर और टिहरी डैम बना है।

२ ) मनाली : 

दिल्ली से ६५० किलोमीटर दूर। यहाँ आप जा सकते हैं -- रोहतांग पास जिसकी ऊंचाई है १ ४ ० ० ० फीट। यह लेह को जाने वाला रास्ता भी है ।     


सोलंग वैल्ली -- जहाँ पैरा ग्लाइडिंग का आनंद लिया जा सकता है।

इसके अलावा उत्तर में शिमला और नैनीताल अन्य अत्यंत मशहूर हिल स्टेशन हैं।

दक्षिण भारत : 

१ )ऊटी :
२ ) कोडाई



ऊटी -- यहाँ आपको खड़े पहाड़ नज़र नहीं आयेंगे। लेकिन नज़ारा बेहद खूबसूरत मिलेगा।    





 बोटेनिकल गार्डन ऊटी।




ऊटी से बाहर मैसूर के रास्ते में बहुत सुन्दर पहाड़ और घाटियाँ , झीलें और वन हैं।   


ऊंचाइयों पर : 

कश्मीर को जन्नत कहते हैं। लेकिन लेह लद्दाख भी कम सुन्दर नहीं।  



लेह--  टॉप ऑफ़ द वर्ल्ड डेज़र्ट का जन्नत।





साथ ही बर्फ से ढके पहाड़। कोई कैसे इसे चीनियों के हाथों में सोंप सकता है।


उत्तर पूर्वी भारत : 

दार्जिलिंग : 



मिरिक लेक -- हमें यह झील अभी तक देखी सबसे सुन्दर झील लगी।





गंगटोक :  छंगु लेक। यह प्राकृतिक झील गंगटोक से करीब ५ ० किलोमीटर दूर  पहाड़ों पर बनी है। यहाँ से नाथुला पास थोड़ी दूर पर है। नाथुला पास से चीन शुरू हो जाता है। यहाँ सीमा पर तैनात आप चीनी सैनिकों से हाथ मिला सकते हैं।

यहाँ काफी ठण्ड पड़ती है। अब तक निश्चित ही आपको भी ठण्ड लगनी शुरू हो चुकी होगी। इसलिए इस सफ़र को यहीं समाप्त करते हैं। और आगे की तैयारी करते हैं।    



46 comments:

  1. हम तो पहले नंबर वाले आम आदमी है जिनकी गर्मी से राहत पाने की दौड़ अपने घर की छत तक सीमित है :) जहाँ बिना पंखे के मजे से नींद आती है और सोने पे सुहागा ये कि खुद का बिजली का खर्च बचता है और हमारी बचाई बिजली रईसों के एयर कंडीशनर चलाने में सहायक बनती है !
    Gyan Darpan Job Information

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    1. हम नंबर दो के हो गए हैं। :)

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  2. बहुत सटीक लिखा, चित्र बहुत ही बढिया हैं. एक एक, दो या तीन बार आपकी बताई जगहों पर जा चुके हैं जवानी में.:)

    रामराम.

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    1. जवानी में तो हमने भी काफी हिंदुस्तान देखा है। अब इस उम्र में सभी परिजनों से ही मिल पाएँ तो खुशी होती है।

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    2. @ ताऊ रामपुरिया साहब और अनुराग शर्मा जी,

      जवानी के दिनों को लेकर कुछ ज़्यादा ही तकल्लुफ बरत रहे हैं आप दोनों :)

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    3. हा हा हा ! क्या करें , ढलती ज़वानी में चढ़ती ज़वानी ज्यादा याद आती है। :)

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    4. अली सैयद साहब, तकल्लुफ़ ना बरते तो क्या करें?:)

      रामराम.

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    5. डा. दराल साहब, आप तो दुखती रग पर इंजेक्शन लगा रहे हैं.:)

      रामराम.

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    6. डॉक्टर के इंजेक्शन से दर्द नहीं , चैन मिलता है। :)

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  3. अब हिल स्टेशनों पर भागदौड नही की जाती इसलिये ये काम हमने बेटे बहु को सौंप दिया है और खुद आराम से घर में एयर कंडीशनर चलाकर आंख बंद करके रोहतांग में होने की कल्पना कर लेते हैं.

    ये अलग बात है कि गर्मियों में बिजली का बिल तगडा झटका देता है.:)

    रामराम.

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    1. हम तो आपकी ज़वानी के किस्से दुनिया को सुना रहे हैं और आप कह रहे हैं --- :)

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    2. क्या करें, अब तो किस्से ही रह गये हैं.:)

      रामराम

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    3. हा हा हा ! काका हाथरसी याद आ गए। :)

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  4. waah cool cool , ठंडी ठंडी पोस्ट.:)

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  5. चित्रों की कारीगरी का कमाल है या आपकी कलम का ...
    हर शहर इतना खूबसूरत लग रहा ही .. किसको छोड़ें ... कहाँ जाएं ...
    बहुत खूब ...

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    1. एक बार में एक जगह ही जाएँ । :)

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  6. यूँ तो मैं पहली केटेगरी का आदमी ही हूँ पर उत्तराखंडी होने के कारण हर वर्ष गर्मियों में पहाड़ के दर्शन कर ही आता हूँ। आपका लेख पढ़कर पहाड़ जाने की फिर से तलब हो चली है।

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    1. प्रिय भाई दीप जी,
      पहाड़ के दर्शन की आपकी तलब जानी तो ख्याल आया कि अभी हाल ही में आपने अपने ब्लॉग में लिखा था कि कमोबेश पूरे देश में घूम घाम कर 'कुछ और' ही देखा :)

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  7. महतवपूर्ण जानकारी ...बहुत बढिया

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  8. आपने तो जनाकारी भी भिगो भिगो के दी है

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    1. काजलकुमार जी, सूखी सूखी जानकारी क्या काम की? और वो भी भरी गर्मी में?:)

      रामराम.

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  9. आदरणीय डॉ दराल साहब आपने मसूरी, दार्जिलिंग, मनाली, लेह के मनोरम दृश्यों को शब्दों के फुहार से सिक्त कर मन को आनंदित कर दिया . आपने पंचगनी महाबलेश्वर में बिताये खुबसूरत दिनों की याद दिला दी

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  10. waah ji,
    aapne to baithae baithae hi free mein hame bhaarat bhraman karaa diyaa.
    thanks ji.
    CHANDER KUMAR SONI
    WWW.CHANDERKSONI.COM

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  11. .... वाह ...बेहद खूबसूरत नजारे ...!!

    इनमें से कुछ जगहों पर तो गई हूँ पर अब धुंधली धुंधली सी यादें हैं .....
    ऊटी जब गई थी तब वहां १० रुपये में २५० ग्राम इलाइची के पैकेट बिक रहे थे ....

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    1. यानि ४ ० रूपये किलो ! अद्भुत !

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    2. या अब २५० रूपये में १० इलाइची ...:-)))

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  12. सुन्दर जानकारी। स्कूलों की छुट्टियां हो चली हैं और घरों में सब हलाकान हैं

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  13. जो लोग इस तरह तस्वीरों से ही मन बहला लेते हैं उनकी कौन सी श्रेणी है?

    सुंदर तस्वीरें और सुंदर वर्णन.

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  14. बहुत सुन्दर नज़ारे

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  15. हमें घर में रहकर सोना भाता है, बस वही आता है।

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  16. वाह क्या बात है मनोरम झांकी परिचय सहित .सुन्दर छायांकन और शौकीनी .

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  17. जो मज़ा छज्जू दे चौबारे,ओ बलख ना बुखारे...

    जय हिंद...

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    1. बहुत गजब की याद दिलायी खुशदीप जी, छज्जू के चौबारे का मुकाबला तो सारे हिल स्टेशन मिलकर भी नही कर सकते.

      रामराम.

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  18. सब को शुभकामनायें!:-))

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  19. नमस्कार !
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (13-05-2013) के माँ के लिए गुज़ारिश :चर्चा मंच 1243 पर ,अपनी प्रतिक्रिया के लिए पधारें
    सूचनार्थ |

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  20. आम आदमियों के लिए तस्वीरों का अच्छा इंतजाम :)

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  21. जानकारीयुक्त पोस्ट ॥चित्र बहुत सुंदर हैं ।

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  22. बढ़िया वर्णन ..
    अपना मसूरी कहीं से कम नहीं ..

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  23. डाक्टर साहब,
    आपका स्पैम बाक्स लगता है मेरी टिप्पणियां लीलने के लिए ही पैदा हुआ है :(

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  24. काजल भाई,
    एक बार तो मैं भी आपकी टिप्पणी पढ़कर चौंक गया, बाद में ख्याल आया कि आपने 'जनाकारी' कहा है ना कि 'ज़नाकारी' ;)

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  25. अली सा , स्पैम ने क्या कराईटिरिया बना रखा है , यह तो हम भी नहीं समझ पाए। लेकिन बड़ा चालाक लगता है।

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  26. बढ़िया वर्णन ..

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  27. घर बैठे ही सैर करा दी। बढिया है जी।

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  28. वाह!!! खूबसूरत तस्वीरों के साथ क्या बढ़िया आइडिया दिया है आपने घर बैठे ठंडक का एहसास लेने का...:)सही है

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