कॉलेज के दिनों में खूब हँसते थे , गाते थे और मस्ती करते थे। दोस्तों में केंद्र बिंदु हम ही होते थे। डॉक्टर बनने के बाद भी यह क्रम जारी रहा। सब मित्र हमारे ही इर्द गिर्द रहकर सामंजस्य बनाये रखते थे। फिर कुछ वर्षों की दुनियादारी निभाने के बाद अस्पताल में नए लोगों से पाला पड़ा। यहाँ भी हमारे साथ हंसने हंसाने का दौर चलता रहा। कुछ लोग तो हमारे पास आते ही हंसने के लिए थे। जो कभी भी कहीं भी नहीं हँसते थे , वे हमारे साथ बैठकर हंसने का कोटा पूरा करते थे।
अक्सर देखने में आता है कि अधिकांश लोग हंसने में बड़ी कंजूसी करते हैं। हमारे एक मित्र , बाल रोग चिकित्सक , हमेशा परेशांन रहते। लेकिन हमारे पास आकर थोड़ी देर के लिए अपनी सारी परेशानियाँ भूल जाते। फिर एक दिन दूसरे अस्पताल में विभाग अध्यक्ष बन गए। लेकिन अभी भी हाल वही , माथे पर सलवटें , चेहरे पर चिंता के भाव , कंधे झुके हुए, मानो जिंदगी का सारा बोझ वही ढो रहे हैं।
यहाँ ब्लॉगिंग में भी ऐसे लोगों की कमी नहीं। हालाँकि ब्लॉगिंग करने का ध्येय सबका भिन्न हो सकता है , पसंद नापसंद भी भिन्न हो सकती है, लेकिन हास परिहास और आमोद प्रमोद के बिना ब्लॉग जिंदगी बड़ी सूनी सूनी सी लग सकती है। गत वर्ष हिंदी ब्लॉगर्स में काफी उथल पुथल हुई , कई लोग ब्लॉगिंग छोड़ फेसबुक की ओर हो लिए, कुछ ने नाता ही तोड़ लिया। कई धुरंधर माने जाने वाले ब्लॉगर्स की अनुपस्थिति से नए ब्लॉगर्स के विकास में बाधा उत्पन्न हुई।
ऐसे में एक ब्लॉगर बंधु ने फिर से माहौल को खुशनुमा बनाने की दिशा में प्रयास करना आरम्भ किया है जिसका प्रभाव भी दिखाई दे रहा है। ताऊ के नाम से प्रसिद्द श्री पी सी रामपुरिया का हास्य विनोद, ब्लॉगिंग को फिर से दिलचस्प बना रहा है। ताऊ कविता नहीं करते लेकिन उनकी कल्पना शक्ति किसी बड़े कवि से कम नहीं है। अक्सर लोग हैरानी में पड़ जाते हैं कि ताऊ के पास ऐसे खुरापाती आइडियाज आखिर आते कहाँ से हैं।
ताऊ पी सी रामपुरिया ( मुदगल ) :
हिंदी ब्लॉगजगत में जब भी ताऊ का नाम आता है , मन में मौज मस्ती की जैसे धारा प्रवाहित होने लगती है। ताऊ की ब्लॉग पहेलियाँ सभी ब्लॉगर्स का ऐसा मानसिक व्यायाम कराती थी जैसे कोई ८१ खानों वाला क्रॉसवर्ड पज़ल करता है। एक चिकित्सक की दृष्टि से देखें तो यह एक्षरसाइज़ करने वालों को एल्ज़िमर्स डिसीज होने का खतरा कम से कम रहता है।
हालाँकि पिछले एक आध साल से ताऊ की ब्लॉगिंग सक्रियता पर ताई का अंकुश लगा रहा और ताऊ ''चैरिटी बिगिन्स एट होम '' के सिद्धांत का पालन करते हुए पूर्णतया ताई सेवा में लीन रहे जिससे पूरे ब्लॉग जगत में मायूसी सी छाई रही। लेकिन ख़ुशी की बात यह है कि ताई ने अब धर्म कर्म में व्यस्त होकर ताऊ पर से ब्लॉगिंग प्रतिबन्ध हटा दिया है और अब ताऊ पूर्ण रूप से स्पेनिश बुल की तरह बलमस्त होकर मैदान में कूद पड़ा है , बुल फाइटर्स को दिन में रंगीन तारे दिखाने के लिए।
ताऊ को देखा कहीं ! :
ताऊ की एक ख़ास बात यह है कि आज तक उन्हें कोई पहचान नहीं पाया। हमें भी ताऊ से बस एक मुलाकात का अवसर मिला था लेकिन यह देखकर हैरान रह गए कि --
न टोपी , न पगड़ी
न मूंछ , न दाढ़ी।
न लट्ठ , न डंडा
न ताबीज़, न गंडा।
न बन्दर सी शक्ल ,
न छछूंदर सी अक्ल।
न चेहरा काला ,
न गले में माला।
न तन पर धोती, न चुनर,
न ताऊ, न ताऊ की उम्र।
न देखा बुड्ढा खूंसट हठीला ,
दिखा एक बांका ज़वान सजीला।
अक्सर हम ब्लॉगर्स स्वयं को सबसे बड़ा ज्ञानी समझने का भ्रम पाले रहते हैं। लेकिन ताऊ का प्रोफाइल पढ़कर हमारे तो ज्ञान चक्षु खुल गए और अब हम खुद को ज्ञानी समझने की भूल नहीं करते।
'' हमारे यहाँ एक पान की दूकान पर तख्ती टंगी है , जिसे हम रोज देखते हैं ! उस पर लिखा है : कृपया यहाँ ज्ञान ना बांटे , यहाँ सभी ज्ञानी हैं ! बस इसे पढ़ कर हमें अपनी औकात याद आ जाती है ! और हम अपने पायजामे में ही रहते हैं ! एवं किसी को भी हमारा अमूल्य ज्ञान प्रदान नही करते हैं !''
ताऊ अपना अमूल्य ज्ञान प्रदान करें या न करें , लेकिन एक बात निश्चित है कि बिना ज्ञान बघेरे भी ताऊ ब्लॉग जगत को अपने जिंदादिल लेखन से जीने की सही राह दिखा रहे हैं।
दो दिन की है जिंदगी,
यूँ ही कट जायेगी ,
कुछ रोने में, कुछ सोने में।
जीने का मज़ा है ,
जिंदादिल होने में।
आइये ताउगिरी का इस्तेमाल करते हुए जिंदगी के तनाव हटायें -- हम भी।
सबके जीवन में समस्याएं होती हैं , कठिनाइयाँ होती हैं , लेकिन जो इनका सामना करते हुए भी माहौल को खुशनुमा बनाये रखे , उसे ताऊ कहते हैं।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteडॉ. साहब यह तो पता था कि ताऊ के मुखौटा के पीछे का चेहरा अलग होगा लेकिन आपने जो चित्र खींचा वह बहुत रोचक है -बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteडैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post'वनफूल'
इस ताऊ से तो हम भी दो-दो हाथ करना चाहते हैं. देखते हैं कब ये खयाल पूरा होता है. :)
ReplyDeleteऔर, आपने सही कहा - ब्लॉग जगत में एंटी-ताऊ मानसिकता वाले बहुत हैं, भले ही ज्यादा न हों!
आसानी से हाथ नहीं आने वाला ताऊ..
Deleteमगर गुर सारे जानता है यह गुरू, रवि भाई !
एंटी-ताऊ मानसिकता वाले तो कम ही होंगे। लेकिन ताऊ मानसिकता सबको अपनानी चाहिए।
Deleteरवि जी, बडी व्यग्रता से इंतजार है.:)
Deleteरामराम.
सतीश जी, ताऊ तो हाथ आ सकता है जैसे आपके आगया था.:)
Deleteपर ताऊत्व हासिल करने में थोडी दिक्कत आसकती है.:)
रामराम.
सही कहा।
Deleteतभी तो इनकी पोस्ट्स नियमित पढ़ते हैं .....
ReplyDeleteआभार मोनिका जी.
Deleteरामराम.
ताऊ कि ब्लोगिंग सब पर भारी !!
ReplyDelete:)
Deleteरामराम.
स्वयं हंस लेना तो फिर भी आसान है मगर ताऊ का काम दूसरों को भी हँसाना ...
ReplyDeleteताऊ तो बस ताऊ ही हैं :)
हा हा...शायद इसीलिये आप ताऊ की ब्लागिंग में वापसी का झंडा उठाये थी?:)
Deleteरामराम.
ताऊ और ताउगिरि के बारे में आपने बिलकुल सही कहा...
ReplyDeleteआभार जी.
Deleteरामराम.
ताऊ की जिन्दादिली को सलाम ...
ReplyDeleteआभार सलुजा साहब.
Deleteरामराम.
ReplyDeleteताऊ पर लेख पढ़ना सुखद है डॉ दराल ..
वे आपकी कलम से लेख लिखवा लें इसके योग्य तो वे हैं ही !
जितने अनाम / अनामिका यहाँ ब्लॉग जगत में लिख रहे हैं , मैं इनसे सर्वाधिक प्रभावित रहा हूँ !
विद्वता के साथ साथ, वे आदरणीय हैं..
ताऊ गिरी क्या होती है ...इसे सिखाने में लगे पी सी रामपुरिया के कार्य लोग कितना समझ पायेंगे, यह तो नहीं पता पर मुझे वहां जाकर शान्ति अवश्य मिलती है !
आभार आपका ...
हौंसला अफ़्जाई के लिये आपका बहुत बहुत आभार सतीश जी.
Deleteरामराम.
ताऊ की वजह से ही बहुत सारे लोग ब्लॉगिंग में आये और कईयों ने ब्लॉगिंग छोड देने का विचार त्याग दिया।
ReplyDeleteताऊ की सक्रियता एक कैटेलिक एजेंट का कार्य करती है और पूरे हिन्दी ब्लॉगजगत की पोस्ट्स और टिप्पणियों का ग्राफ बढने लगता है।
प्रणाम
बहुत आभार, हम तो पहले भी मिल चुके हैं ना?:)
Deleteरामराम.
हँसने के लिए हम भी आपके पास आयें क्या...डॉक्टर!
ReplyDeleteताऊ की असली फोटो मेरे पास तो है...
मगर दिखाऊँगा नहीं....ताऊ ने मना किया है।
शाश्त्री जी वादा ना तोडना, बस दिल से लगाये रखियेगा.:)
Deleteरामराम
ताऊ का एक मात्र ब्लॉग है जहां दिल खोलकर मस्ती करने और देखने को मिलती है ,,,
ReplyDeleteRECENT POST: नूतनता और उर्वरा,
आभार धीरेंद्र जी.
Deleteरामराम.
मन में आनन्दित रहें...यही सीख मिले..
ReplyDeleteप्रवीण जी आनंद की प्राप्ति हो जाये तो यही मोक्ष प्राप्ति का मार्ग बन जाये.
Deleteरामराम.
हास्य परिहास के लिए वाकई में ताउजी का बहुत बड़ा योगदान है और ताऊ जी के वगैर ब्लॉग जगत में सूनापन सा लगता है . ताऊ जी की लेखनी भी रोचक है की उनको पाठक बड़ी रूचि के साथ पढ़ते हैं .मानसिक स्वस्थता और शारीरिक स्वस्थता के लिए जीवन में हास्य का होना भी बहुत जरुरी है .आभार
ReplyDeleteआभार मिश्र जी.
Deleteरामराम.
जब हमने ब्लॉग्गिंग शुरू की थी तब ताऊ की चौपाल हरदम भरी रहती थी.एकदम नंबर वन पर, फिर ताऊ ,ताई की सेवा में लींन हो गए (जैसा कि आपने कहा). और ब्लॉग्गिंग से प्रमुख हास्य तत्व चला गया.
ReplyDeleteअच्छा हुआ ताऊ अब फिर आ गए हैं, कुछ तो मौसम खुशगवार हुआ :).
हाँ ...
Deleteअब देखना ताऊ के हथकंडे !!
सुना है, आजकल ताऊ,हिंदी ब्लोगिंग के नोबल पुरस्कार की घोषणा करने के चक्का में हैं ??
शिखा जी, आपने ब्लागिंग शुरू की थी वो शायद हिंदी ब्लागिंग का स्वर्णिम काल था, उसके बाद का समय स्वर्णिम युग का बीतना तो नही कहा जा सकता पर हां, रफ़्तार जोश तो कम पडा है.
Deleteपर अब चिंता की कोई बात नही है, ताऊ हाजिर है अपने लाव लश्कर के साथ.:)
बहुत आभार आपका.
रामराम.
सतीश जी ब्लाग नोबल पुरस्कार की घोषणा तो हो चुकी.:)
Deleteरामराम
टेल मी हाऊ, ब्लॉगिग विदाउट ताऊ...
ReplyDeleteजय हिंद...
एट लीस्ट, नॉट नाउ ...
Deleteजय भारत!
खुशदीप जी, अनुराग जी, आप तो ताऊ को सेंटी कर रहे हैं.:)
Deleteरामराम
is blogging ke 'aangan' me hum bhi tau' ke dahliz par kar hi aaye hain.......
ReplyDeleteabhar aapka.........subhkamnayen tau ko....
pranam.
आभार संजय जी.
Deleteरामराम.
तनाव मुक्त रहना और लोगो को तनाव न देना बड़े पुन्य का कार्य है ताऊ जी के संग आपको भी कोटिशः प्रणाम है
ReplyDeleteडॉ साहब एक नज़र तथागत http://rajeshakaltara.blogspot.in/2013/05/blog-post.htmlपर डालने का कष्ट करियेगा
आभार रमाकांत जी.
Deleteरामराम.
सतीश जी , जैसा कि मैंने पहले भी कहा कि ताऊ में जो कल्पना शक्ति है , वह बड़े बड़े कवियों से भी बेहतर है। क्या हुआ ग़र ताऊ कवि नहीं हैं। लेकिन वास्तव में उनको समझने के लिए गहराई में उतरना होगा।
ReplyDeleteजितना मैं ताऊ को समझ पाया हूँ , मौके पर यह सब कुछ बन सकता है ! आप एक हास्य कवि सम्मलेन करा के देखो ..
Deleteकैसे कैसे मशहूर कवियों की कवितायें अपने नाम से पढ़कर सुना देगा और आप घर जाकर याद कर पायेंगे कि जिसपर आपने इतनी तालियाँ बजायीं थीं वह तो आपके मित्र समीर लाल की लिखी थीं ...
आगे आगे देखिये होता है क्या ...
हा हा हा !
Deleteताऊ अभी मौन समाधी में हैं।
मौन साधना पूर्ण होते ही ताऊ अपने प्रवचन सुनायेंगे।
डॉ साहब, ताऊ ने कवितायें भी बहुत लिखी हैं, एक से बढ़कर एक ...
Deleteमौन व्रत पूर्ण होते ही सुनने की फरमाइश करेंगे। :)
DeleteThis comment has been removed by the author.
DeleteThis comment has been removed by the author.
Deleteडाक्टर साहब, नेट कनेक्शन ने मौन धारण करवा दिया.:)
Deleteरामराम.
सतीश जी, सारी ही पोलपट्टी आज ही खोल देंगे क्या?:)
Deleteरामराम.
अनुराग जी, डाक्टर साहब ने शायद वो कविताएं पढी नही हैं.:)
Deleteरामराम
बहुत सही लिखा है आप ने.
ReplyDeleteयूँ तो बहुत से लोग आज तक नहीं जान पाए हैं कि आखिर ये ताऊ कौन है?
फिर भी काफी लोग अब उनकी सही पहचान जानते हैं.
शुरू में तो लोग अंदाज़ा लगाते थे कि शायद कोई महिला है ,
या कोई जाना माना ब्लोगर छद्म नाम से लिख रहा है.
लेकिन सभी के अनुमानों पर पानी फेरते हुए उन्होंने अपना एक मुकाम बना लिया है.
अब यहाँ एक सशक्त पहचान हैं.उनका साक्षात्कार का कार्यक्रम भी बहुतों से परिचय करने में सक्षम रहा.
ताऊ पहेली तो यादगार है ही !
उन्हें ढेरों शुभकामनाएँ कि ऐसे ही सब को हँसाते -गुदगुदाते रहें.
जी आभार।
Deleteअल्पना जी आभार, ताऊ पहेली की सफ़लता का कम से कम आधे से ज्यादा श्रेय तो आपको ही जाता है. आपकी लगन और punctuality के बिना उस स्तर पर सफ़लता की कामना करना ही बेमानी है.
Deleteरामराम.
ताऊ की महिमा अनत अनत कियो उपकार :-)
ReplyDeleteअरविंद जी बाबाओं के पास उपकार के अलावा और क्या है? हम तो कल्याण करने के लिये ही अवतरित हुये हैं कोई ना करवाये तो हमारा क्या दोष?:)
Deleteरामराम
अब वाला ताऊ कहीं डुप्लीकेट तो नहीं है ना.
ReplyDeleteयह तो स्वयं ताऊ ही बता सकता है !
Deleteपर ताऊ है कौन? यह सवाल तो आज भी ज्यों का त्यों मुंह बाये खडा है?:)
Deleteरामराम.
ताऊ की जय, ताऊगिरी की जय! एक पुराना गीत याद आया, ताऊ को अर्पित:
ReplyDeleteताऊ तोरे चरण कमल पर वारी ...
अनुज आपका आभारी हूं इस राग भूपाली की बंदिश का लिंक देने के लिये...just superb.
Deleteरामराम.
सचमुच विलक्षण व्यक्तित्व है ताऊ का !
ReplyDeleteआभार प्रतिभा जी.
Deleteरामराम.
ताऊ को दीर्घ मात्रा में ही दिखाएं ताई भी ह्रस्व नहीं है दोनों में नूरा कुश्ती चलती है बढ़िया पोस्ट .
ReplyDeleteतारीफ़ करूँ क्या उसकी जिसने तुझे बनाया ....
ये रूप है तेरा हसोड़ा ये बातें हैं मस्तानी .....शुक्रिया आपके सस्नेह टिप्पणियों का .
आभार अग्रज.
Deleteरामराम.
ReplyDeleteये पी सी का क्या मतलब है जी रामपुरिया में ?चिदम्बरम तो हो नहीं सकता -ताई का पर्सनल कंप्यूटर हो सकता है ,लैप टॉप भी ...
मतलब आपने खुद ही बता दिया और डाक्टर साहब से पूछ रहे हैं?:)
Deleteरामराम
ReplyDeleteॐ जय ताऊ देवा ........
फूल पान का भोग चढ़ा ऊँ '
पाऊं नित मेवा ....
प्रभु नित करता सेवा ....
:):)
Delete:)
Deleteरामराम
ताउ की बातें पढ़कर दिल खुश हो गया..आज भी अइसे लोग हैं दुनिया में..होने भी चाहिए...जो लोगो को जिंदा रहना सिखाएं....आप भी कवि हैं..हंसोड़ कवि...जरा एक कवि सम्मेलन हो जाए..या ब्लाग सम्मेलन जिसमें फिर से जुटे लोग...
ReplyDeleteआभार रोहिताश जी, आपकी सलाह पर डाक्टर साहब ही फ़ैसला ले सकते हैं.:)
Deleteरामराम
अब डाक्टर साहब हमें भी यही तकलीफ़ है कि आप लोगों से चंद घंटो की ही मुलाकात हुई जिसमे आप, सतीश जी, खुशदीप जी, मैथिली जी, शिरील जी, श्रीमती व श्री दिगंबर नासवा, श्रीमती व श्री राजीव तनेजा, श्रीमती व श्री पदम सिंह जी, अनुराग शर्मा जी, और कईयों से मुलाकात का सौभाग्य मिला. इस बारे में विस्तार से एक दो पोस्ट ही लिखनी पडेगी.:)
ReplyDeleteफ़िलहाल के लिये कुछ गर्मागर्म करारे शेर, गजल, भजन या जो भी कुछ है, आप स्वयं समझ लिजीयेगा, पेश कर रहा हूं बस वही मेरे जज्बात भी समझ लिजीयेगा.
खुद मेरी नजरों से ओझल मेरी हस्ती हो गई
नजरें हैं धुंधली पर दिल में आवारगी छा गई
उठाता हूं कलम तो मचलने लगती हैं बिजलिया
मजबूर हूं कैसे कहूं निकलती है सिर्फ़ दिल्लगियां
उठाकर कलम ना बना तू दुनियां को गमजदा
जश्न जिंदगी का बना रहने दे यूं ही मयकदा
सांस के साथ चुभने लगी हैं ये गंभीर हस्तियां
रूह बागी हो ताऊ पेश्तर उसके काटलो मस्तियां
रामराम.
बहुत बढ़िया।
Deleteरुलाने वाले मिलेंगे हर कदम पर जहाँ में,
हंसने हंसाने वाला हजारों में एक होता है।
लेकिन एक बात निश्चित है कि बिना ज्ञान बघेरे भी ताऊ ब्लॉग जगत को अपने जिंदादिल लेखन से जीने की सही राह दिखा रहे हैं।
ReplyDelete@ लेकिन हंसाते हंसाते मौज मस्ती में भी ताऊ अपना ज्ञान बघार जाते है और किसी को पता ही नहीं चलने देते कि कब ज्ञान बघार गये ?
यही तो उनका ताऊपना है, ताऊत्व है :)
ताऊ के बारे में शानदार लिखा आपने !
अभी अभी ताऊ को पढ़ने के बाद ही यहाँ आना हुआ .......आपका लिखा भी सत्य है
ReplyDeleteदोनों ओर से जय हो की गूंज है आज तो
ताऊ को हमने बहुत मिस किया ...इतने पास रहकर भी ...:-(
ReplyDeleteतनाव तोड़क ताऊ सा .बढ़िया पोस्ट .शुक्रिया आपकी सद्य टिप्पणियों का .
ReplyDeleteताऊ और ताऊ पर पोस्ट में दिलचस्पी दिखाने के लिए आप सबका हार्दिक आभार।
ReplyDeleteसच है ताऊ की कल्पनाशीलता का जवाब नहीं ..... सटीक पोस्ट
ReplyDelete