रोजाना की तरह डॉक्टर साहब अपनी क्लिनिक में बैठे थे . तभी एक मरीज़ आया और बोला -- डॉक्टर साहब पेट में बहुत दर्द रहता है . पेट बढ़ता भी जा रहा है . कोई उपाय बताइए .
डॉक्टर साहब ने पूरा मुआयना किया और पूछा -- शराब पीते हो ?
मरीज़ बोला -- डॉक्टर साहब , झूठ नहीं बोलूँगा , वो तो मैं पीता हूँ .
डॉक्टर : देखिये , शराब पीने की वज़ह से आपका ज़िगर ख़राब हो गया है . और पेट में पानी भी भर गया है .
मरीज़ : डॉ साहब , ज़िगर तो ठीक है लेकिन पेट में पानी कैसे भर गया ? मैं तो पानी पीता ही नहीं . मैं तो दारू भी नीट पीता हूँ .
फिर कुछ सोचकर मरीज़ बोला -- डॉ साहब , याद आया बचपन में जब पीना शुरू किया था तब पानी मिलाकर पीता था . पहले व्हिस्की ली पानी के साथ , पर वो चढ़ गई . फिर रम पीने लगा, लेकिन वो भी चढ़ जाती थी . फिर मैंने वोदका लेनी शुरू कर दी पानी के साथ . लेकिन जब वो भी चढ़ गई , तो मैंने पानी पीना ही छोड़ दिया .
डॉक्टर : नहीं नहीं , देखिये आपको शराब बंद करनी पड़ेगी .
मरीज़ : डॉ साहब , प्लीज़ बंद करने के लिए मत कहिये , मैं मर जाऊंगा . हाँ , कम कर सकता हूँ .
डॉक्टर : अच्छा कितनी पीते हो ?
मरीज़ : जी झूठ नहीं बोलूँगा --बस चार पैग पीता हूँ .
डॉक्टर : अच्छा आज से तीन कर दो और दो हफ्ते बाद आकर मिलो .
दो सप्ताह बाद---
डॉक्टर : अब कैसा लग रहा है ?
मरीज़ ; जी कुछ आराम तो है पर अभी भी दर्द रहता है .
डॉक्टर : ठीक है , आज से दो पैग ही लेना .
मरीज़ : ठीक है डॉ साहब . लेकिन दो से कम मत करना . वो क्या है ना, पूरी बोतल एक पैग में आ ही नहीं सकती .
एक महीने तक मरीज़ वापस नहीं आया . फिर एक दिन घूमता घूमता क्लिनिक पहुंचा तो देखा --बाहर एक तख्ती टंगी थी जिस पर लिखा था -- डॉक्टर इज आउट . मरीज़ ने कम्पाउन्दर से पूछा --क्या डॉ साहब कहीं बाहर गए हैं . वो बोला -- नहीं अन्दर हैं , खुद ही देख लो . मरीज़ ने अन्दर जाकर देखा --डॉ साहब कुर्सी पर चित पड़े हैं . उसने हाथ से हिलाकर उन्हें उठाया तो देखते ही डॉक्टर बोला --अरे तुम ! फिर आ गए ! मरीज़ बोला --नहीं नहीं डॉक्टर साहब , मैं अब ठीक हूँ . मैंने पीनी छोड़ दी है . बस कभी कभी पेट में दर्द होता है . डॉक्टर बोला --चिंता नहीं करना . मैं अभी सूई लगाता हूँ . तुम बिल्कुल ठीक हो जाओगे .
डॉक्टर ने सिरिंज भरा और लगा दिया कूल्हे में जैसे भैंस को इंजेक्शन लगाते हैं .
अगले दिन मरीज़ फिर आया तब डॉक्टर पूरे होश हवास में था . देखते ही बोला -तुम फिर आ गए .
मरीज़ बोला --डॉक्टर साहब , आपकी दुआ से मैं अब बिल्कुल सही हूँ . बस ये पूछने आया था --कल जो आपने सूई लगाई थी , उसे कब निकालेंगे ?
और अंत में :
असली शराबी वो कहलाये ,
जो पीने की शुरुआत करे बचपन में नीट बियर से ,
और इक दिन नीट व्हिस्की पीता नज़र आए ,
और इसका कारण ये बतलाये,
भई क्या करें आज ड्राई डे है . इसलिए नो वाटर , नो सोडा , नो आइस .
:)
ReplyDelete:):)
ReplyDeleteहा हा हा.. वैरी इंटेरेस्टिंग... फन्नी बियौंड थॉट.... कूल.. वैसे मैं तो पीता ही नहीं.. इनफैक्ट मैं कोई नशा नहीं करता.. तो अपने लिए तो हर दिन, महीना साल ही ड्राई डे है... मुझे आप दूध और जूस जितना पिला दीजिये.. मैं आज भी प्योर दूध पचा लेता हूँ.. मुझे लगता है दूध (कैसा भी हो, भैंस, गाय, अमूल, पराग या और कोई भी ब्रैंड) का नशा एक अलग नशा है... इससे सेहत तो बनती ही है... और पर्सनल लाइफ भी अच्छी रहती है.. फिटनेस बहुत ज़रूरी है.. और फिटनेस सही हो तो हर कोई एक नज़र देखता ज़रूर है.... आपको पता है मैं जब सुबह जिम से लौटता हूँ तो रस्ते में अमूल दूध का एक पैकेट और पांच कच्चे अंडे.... पी जाता हूँ.. कई लोग मुझे देख कर घिन्ना भी जाते हैं.. कि दूध भी कच्चा और अंडे भी कच्चे और फ़ौरन खोल कर पी जाता है.. एक बार एक आंटी जी भी वहीँ से दूध ले रहीं थीं.. अमूल के पार्लर से और मुझे ऐसा करते देखा तो उलटी करके बेहोश हो गयीं.... मुझे बहुत मज़ा आया.. पहलवानी का एक अलग मज़ा है.. अगर फिटनेस सही है तो दुनिया की कोई बिमारी हो ही नहीं सकती.. अच्छा! एक चीज़ और है .. विदेशों में शराब का ट्रेंड समझ में आता है .. जहाँ चावल, गन्ना और शकरकंद नहीं पैदा होते.. तो वहां बाहर से अल्कोहोल लेना पड़ता है.. लेकिन अपने यहाँ नहीं समझ में आता.. वैसे नशा कैसा भी हो .. कमज़ोर लोग ही करते हैं.. पता नहीं क्या है कि आपके ब्लॉग पोस्ट मेरे से लंबा कमेन्ट हो ही जाता है... Yeah! इंटेल्लेक्ट मैटर्ज़ ....वैसे भी मेरी रीडरशिप बहुत ही बहुत लिमिटेड है.. ..... आप भी कहेंगे अजीब आदमी है कहाँ की बात कहाँ लेकर चला जाता है.. :)
ReplyDeleteमहफूज़ भाई , कहीं दूध में भी तो नशा नहीं :)
Deleteबढ़िया है . यूँ ही लिखते रहा करो . अच्छा लगता है .
महफूज भाई को अपना ही नशा इतना चढ़ा रहता है कि और किसी नशे की जरूरत ही नहीं ... ;-)
Deleteशिवम् इस नशे की बात ही अलग है.... कभी कर के देखना.. :)
Deleteखुदा खैर करें ... यह आपको ही मुबारक ... ;-)
Deleteपीने वालो को पीने का बहाना चाहिए,,,,,
ReplyDeleteबहुत मजेदार पोस्ट पढकर मजा आ गया,,,,,
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बहुत बहुत आभार ,,
वैसे आइडिया बुरा नहीं है डाक्टर साहब कि इंजेक्शन के नाम पर सुई लगा के छोड़ दो, शराबी दारू तो क्या सब कुछ छोड़ देगा :)
ReplyDeleteचलिए, बेवडों की इस मस्ती में मैं भी कुछ कंट्रीब्यूट कर देता हूँ ;
१) एक शराबी बहुत देर से गली के नुक्कड़ पर खडा था, जिसे पास ही के एक बूथ से हवालदार साहब बार-बार नोटिस कर रहे थे ! आखिरकार हवालदार साहब उसके पास गए और पूछा कि भाई , बड़ी देर से देख रहा हूँ कि तुम यहीं पर खड़े हो, क्या बात है ?
शराबी: साब ऐसा है कि मुझे अपने घर जाना है ! पृथ्वी २४ घंटे में एक चक्कार पूरा करती है ! वो देखो सामने मेरे पड़ोसियों के घर दिख रहे है, मेरा घर भी अब आता ही होगा !
२) एक बंगाली भाई साहब ने नै SUV खरीदी जिस पर साइडो में लिखा था 4X4 . शाम को एक शराबी महोदय उधर गली से गुजर रहे थे , उन्होंने देखा और एक नोकीले पत्थर से खुरचकर 4x4 के आगे लिख दिया = 16 दूसरे दिन सुबह जब उन बंगाली भाई साहब की नजर अपनी नई नवेली गाडी पर गई तो उन्हें यह देखकर बड़ा झटका लगा ! उन्होंने तुरंत गाडी मेनुफेक्चरर के प्लांट में ले जाकर खडी कर दी ! और उससे बोले कि भैया तुम लोग गाडी पर 4x4 लिख के छोड़ देते हो, खुद ही ऐसा क्यों नहीं करते कि 4x4 के आगे =16 में खुद ही लिख दो ताकि कोई बाद में इसतरह पत्थर से खुरचकर न लिखे ! मेंयुफेक्चरर ने ग्राहक की बात रखते हुए पेंट कराकर उसपर =16 लिखवा दिया ! बंगाली भाई साहब ने फिर गाडी लाकर गली में खडी कर दी! अगले दिन वही शराबी महोदय फिर से उधर से गुजरे उन्होंने गाड़े पर लिखा पाया 4x4 =16 , उन्होंने तुरंत एक नोकीला पत्थर उठाया और खुरचकर लिख गए " बिलकुल सही " !
हा हा हा ! बढ़िया है .
Deleteगज़ब!
Deleteगोदियाल जी.. मज़ा आ गया..
Deleteटोटल धमाल !
Deleteपीने वालों को पीने का बहाना चाहिए
ReplyDeleteडाक्टर साब , मेरी टिपण्णी किधर गई ? मैंने तो बिलकुल छोड़ रखी है, कल से नहीं पी, फिर टिपण्णी क्यों गायब हो गई ! :)
ReplyDeleteबहक गई थी . अब सही राह पर आ गई है . :)
DeleteThat's a nice reply Dr. Sahib !
DeleteThat's a nice reply Dr. Sahib !
Deleteकुछ माहौल हल्का हो लिया :)
ReplyDeleteअरविन्द जी , हमारे एक पडोसी हैं . गए रविवार को उनका ८६ वां जन्मदिन था . उनकी मित्र मंडली में उनके हमउम्र १० लोग हैं . हमें भी बुलाया था . बुजुर्गों को कांपते हाथों से पीते देखकर ही हमें तो चढ़ गई . :)
Deleteतभी इस पोस्ट का जन्म हुआ .
उनकी उम्र 86 और हमउम्र मित्र मंडली के दस लोग बुलाये गये :)
Deleteमतलब आप भी :)
वाह, आनंद आ गया !
ReplyDeleteमस्त है जी..... और फिर गोदियाल जी ने भी खूब कही!
ReplyDelete@महफूज़ भाई... आपने भी बिलकुल सही कही,हर एक बात!और वो घिन्न वाली बात.....काम तो घिन्न आने का है ही.... तो घिन्न आ जाये तो कोई नयी बात नहीं!घरवाले बताते है कि दूध के साथ अंडा-मांस नहीं खाना चाहिए!दारू पिने के बाद भी दूध नहीं पीना चाहिए!
कुँवर जी,
:)
Deleteदूध में कच्चा अंडा घोलकर तो बहुत लोग पीते हैं . हालाँकि हम स्वयं शाकाहारी हैं , लेकिन इतना ख़राब भी नहीं लगता .बेशक हाई प्रोटीन डाईट के रूप में मसल्स बनाने के लिए बहुत उपयुक्त है .
Deleteडॉक्टर साहब! यह तो कुछ भी नहीं है .. सर्दियों में मैं तो चौबीस चौबीस अंडे खा जाता हूँ.. और एक बौडी बिल्डर के लिए हाई प्रोटीन बहुत ही ज़रूरी है.. और अंडा वेज में ही आता है.. अभी बीच में मेरा प्रोटीन लेवल बहुत हाई हो गया था.. मेरे इंस्ट्रक्टर डर गए.. और डॉक्टर तो घबरा ही गया. बाद में इंजेक्शन लेने पड़े थे.. इसीलिए अब तो सिर्फ पांच छ अंडे ही खा पाता हूँ रोज़... नहीं तो पिछले छ महीने से चौबीस अण्डों पर ही गुज़ारा होता था अपना..
Deleteमेरा यह मानना है कि जैसे हम अपने घर में सामानों की देखभाल करते हैं.. वैस ही यह शरीर भी है हमारा.. नशा कर के क्यूँ इसे बर्बाद करना.. ऊपर वाले ने दिया है तो इसे निखारना ही चाहिए.. और बेढंगे इन्सान को तो वैसे भी कोई नहीं पसंद करता....
Deleteमहफूज़ भाई, बहुत दिनों बाद आज आपका इस तरह दिल फेंक बतियाना अच्छा लगा !
Deleteha ha .. peene waale ko peene ka bahaana chaahiye ...
ReplyDeletehalka fulka peg bhi pasand aaya sir ....
JCJune 28, 2012 5:56 PM
ReplyDeleteएक चूहे ने अपने बिल से कमरे के कोने पर एक बड़ा ड्रम देखा जिससे शराब थोड़ी थोड़ी रिस के फर्श पर आ पड़ी थी...
वो तेजी से गया और एक चुस्की ले कर आ गया...
मजा आया तो फिर एक चुस्की और ले आया...
फिर कुछ चुस्कियों के बाद, मूछों पर ताव दे, ड्रम के पास ही खडा हो गरजा, "कहाँ है बिल्ली??? उसे लाओ मेरे सामने!!!"...
सही कहा . दो चार पैग मारने के बाद चूहे भी शेर बन जाते हैं . :)
Delete@ गोदियाल जी ने भी क्या खूब कहा है
ReplyDeleteवाह आपने तो कमाल की कहानी लिख दी है। हँसते-हँसते बुरा हाल हो गया है सबका। :)
ReplyDeleteसही कहा दी...
Deleteक्या बात है...यह भी खूब रही...
ReplyDeleteआपने खुश करने के लिए लिखा लेकिन इसे पढ़कर कितनों के पेट में दर्द शुरू हो गया।:) उसका क्या?
ReplyDeleteएक ही दिन में विदड्रौल सिम्पटम आने लगे तो भाई , ऊपर वाला ही रखवाला है . :)
Deleteमस्त पोस्ट है डाक्टर साहब ... हम तो इस पोस्ट के नशे मे ही टल्ली हो गए ... ;-)
ReplyDeleteदारू के मारों का दुनिया भर में यही हाल है,फिर भी लोग पीकर सभ्य हैं !
ReplyDeleteहा हा हा, हमने 80 बरस के मौसा जी को परसों ही दो पैग अपने हाथ से बना कर पिलाए, बहुत आशीर्वाद दिया उन्होने। कहने लगे तुम्हारे जैसे काबिल लड़के इस जमाने में कहाँ मिलेगें, जो बुजुर्गों की सेवा करते हों। :)))
ReplyDeleteललित जी , मेरे एक ससुर जी हैं जो अक्सर यही आशीर्वाद ....... के बाद देते है ! :) लोगो से मेरे बारे में कहते है , yah तो मेरा राम है , aur मैं सोचता रह जाता हूँ की अगर राम जी ऐसे ठरकी थे तो बाकी के तीन भाई कैसे रहे होंगे / :)
Delete:)
ReplyDelete:))
ReplyDeleteआज यह पोस्ट कहाँ बैठकर लिखी थी ??
ज़ाहिर है , अस्पताल में तो नहीं :)
Deleteतुरत फुरत तुकबंदी तारीफ़ के लिए :)
Deleteमस्ती के मूड में, यारों को बुलाया होता!
ऐसी खुशियों में हमें भी तो बुलाया होता!
बात तारीफ़ की होती, अगर गिरते गिरते
हाथ यारों का मुसीबत, में ना छोड़ा होता !
???
Deleteहाय! दिल्ली दूर है।:)
Deleteवाह क्या बात है .राग रंग दराल साहब के संग .तो ये है आपका सेहते राज .
ReplyDeleteबताइये -बताइये सतीश सक्सेना जी की बात का जवाब दीजिये :)
ReplyDeleteजी ज़वाब तो दे देंगे . लेकिन विश्वास न आपको होगा , न सतीश जी को . :)
Deleteहम तो साल में दो ही दिन पीते हैं। जिस दिन बारिश हो और जिस दिन न हो:)
ReplyDeleteI like Scotch, neat because Ice is for injuries only :)
for injury --use Rice also . :)
Deleteवाह, तरावट आ गयी..
ReplyDeleteJCJune 29, 2012 5:56 AM
ReplyDeleteडॉक्टर साहिब, वैसे प्राचीन भारत में मानव जीवन की गहराई में गए सिद्धों अदि द्वारा कहा गया था कि शराब देवताओं के लिए है, राक्षसों के लिए नहीं! जहां देवता से आशय आपके समान परोपकारी व्यक्ति से था, और राक्षस मायने स्वार्थी (राक्षसराज रावण समान!)...
बचपन में रामलीला में भी हम देखते थे रावण के दरबार में राक्षस शराब पी कर खूब ऊंचा ऊंचा हँसते दिखाए जाते थे.... और, शायद आदि काल से, भारत में धारणा बन गयी कि जो शराब पीता है वो खराब है!!! और, व्यक्ति के मन के रुझान पर ध्यान देना छूट गया... जिस कारण आम आदमी के मन में यह धारणा पत्थर की लकीर समान घर कर गयी, और यदि सामाजिक प्राणी होने के नाते कभी कोई पीने बैठता है तो आम आदमी चोर समान महसूस करता है!!!...
समय के ऊपर कोई कोई बिरला/ योगी-सिद्ध ही उठ पाता है...
वर्तमान, कलियुग होने के कारण, जनसंख्या में से तीन-चौथाई, और घोर-कलियुग में और भी अधिक का, प्राचीन हिन्दुओं के दृष्टिकोण से (जिसमें शीर्ष पर वास्तविक जज अनादिकाल से अमृत शिव ही माने गए हैं) राक्षस पाए जाना प्राकृतिक कहा जा सकता है!!!... आदि, आदि...
इंजेक्शन लगाने से पहले आप स्पिरिट/ शराब से उस स्थान को साफ़ करते हो - जो शायद संकेत हो कि शराब का प्रभाव भी मानव मन में स्पिरिट समान ही होता होगा! अर्थात उस व्यक्ति की सही प्रकृति सामने आ जाती हो...:)
जे सी जी , सही कहा . हमारे यहाँ अभी भी शराब का सेवन ख़राब माना जाता है . जबकि धूम्रपान सामाजिक तौर पर स्वीकार्य है .
Deleteहकीकत तो यह है -- धूम्रपान शराब से ज्यादा खतनाक है . शराब तो टॉनिक का काम भी कर सकती है , यदि सही से पी जाए .
भोजन हो या पीना, प्रश्न उठता है, हाउ मच इस टू मच??? का...
Delete"अतिथि देवो भव" की मान्यता के कारण भले ही अतिथि उलटी करने की स्तिथि में होता है, उस की थाली में, मना करने पर भी, एक और एक और कह पूरी डाल दी जाती है!!!
और किसी समय हुक्का पीना भी स्टेटस सिम्बल बन गया था, और गरीब के लिए बीडी... जो अंग्रेजों के आने से सिगरेट का रूप ले ली... कहीं पडा था कि सिगरेट में नुक्सान कागज़ के उपयोग के कारण अधिक होता है...
पर आपने तो बताया ही नहीं कि जब वह पानी पीता ही नहीं तो उसके पेट में पानी आया कहाँ से ...
ReplyDeleteएकदम मस्त
वर्मा जी , कैसे बताते -- वो डॉक्टर हम जो नही थे . :)
Deleteथोड़ी सी जो पीली है.....
ReplyDeleteचोरी तो नहीं की है.....
लायटर मोमेंट्स आर द हैप्पिएस्ट मोमेंट्स.
ha ha ha.. baat to sach mein sochne waali hi hai... pani aaya kahan se.... :P
ReplyDeleteआपके इस पोस्ट की चर्चा आज 29-6-2012 ब्लॉग बुलेटिन पर प्रकाशित है ..अपने बच्चों के लिए थोडा और बलिदान करें.... .धन्यवाद.... अपनी राय अवश्य दें...
BEAUTIFUL POST WITH TOUCHING MULTI DIAMENTION OF LIFE .
ReplyDeleteSO NICE .
वो डॉक्टर भी उस जैसा ही था क्या?
ReplyDeleteजी , शराबी का इलाज करते करते बेचारा खुद ही पीने लगा ! :)
Delete""...बस ये पूछने आया था --कल जो आपने सूई लगाई थी , उसे कब निकालेंगे ?...""
ReplyDeleteहा हा .... मस्त कर देने वाला लगा ... आभार
वाकई में मजेदार......
ReplyDeleteवाकई में मजेदार...
ReplyDelete:):) राम मिलाई जोड़ी थी मरीज और डॉक्टर की
ReplyDeleteशराब मिलाई जोड़ी ! :)
Deletebahut khoob ....
ReplyDeleteअरे डागदर साब, ई त डबल नशा चढ गवा हमका तो।
ReplyDeleteचच्चा की सब बच्चा लोगन को टिप तिप।
बाप रे बाप
ReplyDeleteराम मिलाई जोड़ी
डॉ पियक्कड़,पियक्कड़ रोगी.
पीते तो कभी नही,हाँ नशा जरूर हो जाता है.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर भी आ जाईयेगा.
आपके सुवचन पीने से भी ज्यादा का नशा कर देते हैं.
कैसे कैसे शराबी ...क्या गलत पूछा बेचारे ने , पी तो शराब थी , पानी कैसे आया !
ReplyDeleteबहुत खूब :-)
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