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Friday, September 16, 2011

छोटी सी है जिंदगी --- प्यार करें या तकरार ?

आजकल टी वी पर हमारे मन पसंद कार्यक्रम --कौन बनेगा करोडपति -- की पांचवीं कड़ी चल रही हैपसंद इसलिए कि इसमें जनता के साथ साथ हमें भी अपनी औकात टेस्ट करने का अवसर मिल जाता हैकभी कभी तो लगता है कि यदि हम हौट सीट पर पहुँच गए होते तो पता नहीं कुछ जीत भी पाते या नहीं

वैसे पांच बार में भी हम आज तक यह नहीं जान पाए कि वहां जाने के लिए क्या करना पड़ता हैलेकिन सोचता हूँ यदि गलती से पहुँच भी जाएँ तो क्या होगाज्यादातर लोग .२० लाख से लेकर १२.५० लाख तक जीतते हैंअमिताभ जी जब पूछेंगे --इतने रुपयों का आप क्या करेंगे ? तो क्या ज़वाब दूंगा ? अब यह सवाल तो अपने लिए बड़ा कठिन होगा

मुफ्त में मिले इन पैसों का क्य़ा करूँगा ? अभी तक तो ज़वाब नहीं सूझा इसका
वैसे भी यदि आपकी सांसारिक ज़रूरतें पूरी हो जाएँ तो और क्या चाहिए आपको !

लेकिन शायद सभी इतने भाग्यशाली नहीं होते

कार्यक्रम को देखता हूँ तो अजीब सा महसूस होता हैइस बार चयनित लोगों में सभी अलग अलग वर्ग के लोग हैंकोई गृहणी है , कोई छात्र . कोई मजदूर , कोई मध्यम वर्गीय सरकारी नौकर
सबके लिए सबसे बड़ी ख़ुशी यही है कि वो यहाँ तक पहुंचे , अमिताभ बच्चन के दर्शन हो गए और उनके साथ बैठकर बातें करने का अवसर मिला

साथ ही कुछ लाख रूपये भी मिल गए जो निश्चित ही उनके बड़े काम आयेंगे

एक बंगाली शादीशुदा महिला ने बताया कि उसके पति को अभी काम नहीं मिला हैवह १०००/- महीना कमाती हैअपने लिए एक घर बनाना चाहती है जिसके लिए लाख काफी रहेंगेवह १२.५० लाख जीत कर गई
कोई छात्र --जो आगे पढना चाहता है
गृहणियां तो बच्चन जी से मिलकर इतनी खुश होती हैं जैसे उन्हें सारा जहाँ मिल गया
कई तो कहते हैं कि उन्हें अमिताभ बच्चन के दर्शन हो गए , जीवन तर गया

किसी ने कहा --सर आप यह प्रोग्राम जारी रखेंआपसे मिलकर एक आम आदमी को भी सेलेब्रिटी होने का अहसास होता है
ज़ाहिर है , बहुतों की जिंदगी में ख़ुशी घोल रहा है यह प्रोग्राम

इसलिए हम तो इस प्रोग्राम को देखकर ही आनंदित होते रहते हैं और दुआ करते हैं कि यह प्रोग्राम यूँ ही ज़रूरतमंद लोगों की जिंदगी में खुशियों का प्रकाश फैलाता रहे

इधर सरकार काला धन देश में लाने के लिए एक बार फिर एमनेस्टी स्कीम लागु करने जा रही हैयानि थोडा सा टैक्स दो और काले को सफ़ेद कर लो । कोई सजा नहीं , कोई पूछ ताछ नहीं। यहाँ भी सभी खुश ही खुश

सोचता हूँ --दो चार लाख रूपये काला धन अपने पास भी होता तो मज़ा जाता

लेकिन फिर सोचता हूँ --क्या हो जाता , पत्नी जी तो फिर भी डिनर में दो चपातियाँ ही देती खाने के लिए

इधर ब्लॉगजगत का हाल भी कुछ ऐसा ही है

ब्लोगर्स में लगभग सभी लोग ऐसे हैं जिनमे लेखन की प्रतिभा है लेकिन अभिव्यक्ति के लिए उपयुक्त साधन नहीं मिलता
किसी को कविता लिखने का शौक है लेकिन प्रकाशित नहीं होती
कोई कवि है लेकिन श्रोता नहीं मिलते क्योंकि मंच पर आने का अवसर नहीं मिलता

जिनको मंच पर आने का अवसर मिलने लगता है , वह ब्लोगिंग के लिए समय नहीं निकाल पाता

बुजुर्गों को अक्सर अकेलापन बहुत सताता है लेकिन ब्लोगिंग के ज़रिये अच्छा टाईम पास हो जाता है
गृहणियों को काम से छुट्टी मिलने के बाद ब्लॉग पर अपना हुनर दिखाने का सुनहरा अवसर मिलता है

सभी तो खुश हैं यहाँ ब्लोगिंग के बहाने

सही मायने में ब्लोगर डोट कॉम ब्लोगर्स के लिए के बी सी के अमिताभ बच्चन का काम कर रहा है
ऐसे में सब ब्लोगर्स का फ़र्ज़ बनता है कि सब मिलकर ब्लोगिंग में सद्भावना और सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाये रखें

विचारों में मतभेद हो सकता है , लेकिन पारस्परिक सम्मान का ख्याल रखना अत्यंत आवश्यक है
आखिर यह जिंदगी बड़ी छोटी सी होती है

डॉ अमर कुमार के यूँ अकस्मात असमय चले जाने से सारे ब्लॉगजगत को धक्का लगा हैआज हम ब्लोगिंग में उनके योगदान को याद कर प्रेरणा ही प्राप्त कर सकते हैं

लेकिन एक कटु सत्य यह भी है कि कल फिर कोई और जायेगाकौन और कब --यह किसी को पता नहीं होता

उसके बाद ब्लॉगजगत में रह जाएँगी बस यादें --आपके लेखों और टिप्पणियों की

फिर काहे का झगडा, काहे की लड़ाई !

इसलिए क्यों हम ऐसी छाप छोड़कर जाएँ कि लोग याद करते समय आपके बारे में सिर्फ अच्छा और अच्छा ही बोलें

65 comments:

  1. डॉ साहब ,
    एक बेहतरीन , सार्थक और सुकूनदायी आलेख के लिए बधाई। छोटी सी जिंदगी में 'प्यार' से बढ़कर कुछ नहीं है।"kbc" नहीं देखती हूँ। क्यूंकि जब कोई हारने लगता है तो मुझे दुःख होने लगता है। बस कभी कभी देश-विदेश की खबरें देख लेती हूँ।

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  2. आजकल कुछ गरीबों को भी इसमें जीतने का मौका मिला है।

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  3. के बी सी हमारे पूरे परिवार का पसंदीदा कार्यक्रम है . और हम टेस्टिंग में अक्सर ही खरे उतरते हैं, कभी कभी अपने मुह मिया मिट्ठू बनने में हर्ज़ क्या है !
    आपने इस कार्यक्रम के बहाने ही बहुत सार्थक अपील की है.

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  4. डा० साहब, आज तक मैं सोचता था कि एक डॉक्टर सिर्फ और सिर्फ दो चार इंजेक्सन, दवाईया, दवाई का पर्चा और अपना बिल ही दे सकता है! आज मेरा भ्रम टूट गया ! वाकई तारीफेकाबिल जज्बात और खयालात है आपके ! हर कोई इंसान अगर इतना समझ जाये तो ये जो घाट पर जाने को तैयार हमारे देश की सर्वोच्च संस्था के तथाकथित लौ मेकर है, लोग इन पर थूकने की बजाये इनकी इज्जत करते !

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  5. इसलिए क्यों न हम ऐसी छाप छोड़कर जाएँ कि लोग याद करते समय आपके बारे में सिर्फ अच्छा और अच्छा ही बोलें ।

    .
    डॉ दाराल साहब आप के इस लेख़ की जितनी तारीफ की जाए कम है. सही समय पे सही सन्देश देता यह लेख़ कल चर्चा मंच पे भी होगा.
    प्यार से थोड़ी तकरार और फिर प्यार है ना सही तरीका. आप एक बार फिर से शुक्रिया इस लेख़ के लिए.

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  6. आज तो सब मेरे मन की बात कह दीं आपने.

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  7. आपका यह पोस्ट बहुत अच्छा लगा ... सेलिब्रिटी से मिलने कि ख्वाहिश तो हर किसीमें रहता है ...

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  8. कौन बनेगा करोड़पति आज का भगवान!
    मगर सब पर कृपा नहीं करते हैं।
    कामना करते हैं कि आप भी यहाँ जाकर कुछ जीतकर लाएँ!

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  9. उसके बाद ब्लॉगजगत में रह जाएँगी बस यादें --आपके लेखों और टिप्पणियों की ।

    फिर काहे का झगडा, काहे की लड़ाई !

    इसलिए क्यों न हम ऐसी छाप छोड़कर जाएँ कि लोग याद करते समय आपके बारे में सिर्फ अच्छा और अच्छा ही बोलें ।



    बहुत अच्छा अच्छा सोचते हैं डॉ. साहब आप.
    सुन्दर प्रेरणा मिल रही है आपसे.
    आभार.

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  10. @@लेकिन एक कटु सत्य यह भी है कि कल फिर कोई और जायेगा । कौन और कब --यह किसी को पता नहीं होता ।
    उसके बाद ब्लॉगजगत में रह जाएँगी बस यादें --आपके लेखों और टिप्पणियों की ।
    फिर काहे का झगडा, काहे की लड़ाई !..
    ----लाख टके की बात डॉ साहब.

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  11. ...जरूरी पोस्ट के लिए आभार।

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  12. Dr. T.S. Daral ji

    sundar post ke liye badhai sweekaren.
    मेरी १०० वीं पोस्ट , पर आप सादर आमंत्रित हैं

    **************

    ब्लॉग पर यह मेरी १००वीं प्रविष्टि है / अच्छा या बुरा , पहला शतक ! आपकी टिप्पणियों ने मेरा लगातार मार्गदर्शन तथा उत्साहवर्धन किया है /अपनी अब तक की " काव्य यात्रा " पर आपसे बेबाक प्रतिक्रिया की अपेक्षा करता हूँ / यदि मेरे प्रयास में कोई त्रुटियाँ हैं,तो उनसे भी अवश्य अवगत कराएं , आपका हर फैसला शिरोधार्य होगा . साभार - एस . एन . शुक्ल

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  13. इस पोस्ट से बस इतना ही सन्देश देना चाहता हूँ कि --क्षमा बडन को चाहिए , छोटन के उत्पात ।
    शास्त्री जी , आपकी सादगी पर कुर्बान ।
    डॉ अनुराग , आभार ।

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  14. अत्यंत सुन्दर और सुलझे, तारीफे काबिले विचार तारीफ़ सिंह जी!

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  15. भाव विभोर हो, एक पंक्ति लिखी और उसमें भी 'काबिले तारीफ़' के स्थान पर कुछ और ही लिख गया :)

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  16. के बी सी तो इर्रेसिस्टबल है --कई बाते कहनी आसान और आचरण में मुश्किल होती है डॉ साहब ....पर आपकी बात सर माथे....

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  17. डॉ. साहब, बहुत ही सुंदर विचार हैं ।

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  18. अरविन्द जी , बहुत सी बातों पर हम भी संयम बनाये रखते हैं । आप भी कोशिश कर सकते हैं ।
    गुस्से में एक घड़ी होती है , यदि उस समय कंट्रोल कर गए तो फिर दिक्कत नहीं होती ।

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  19. केबीसी को लेकर कितनी सही बात आपने कही और ब्लॉग जगत को लेकर भी ... क्या मिलेगा लड़कर , सब यहीं छूट जाना है

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  20. डॉ साहब,:)
    आपकी पोस्ट से पूरी तरह सहमत हूँ KBC मेरा भी सब से पसंदीदा प्रोग्राम है और मैं भी श्री अमिताभ बच्चन जी की बहुत बड़ी फेन हूँ। मज़ा आगया आपकी यह पोस्ट पढ़कर बहुत दीनों बाद कुछ अच्छा पढ़ने को मिला....एक बहतरीन, सार्थक,और सुकूनदायी आलेख के लिए बधाई...

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  21. काहे की लड़ाई, काहे का झगड़ा
    बात की बात थी, बात से जा रगड़ा।

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  22. अत्यन्त सुलझी हुई और सटीक रचना। कम शब्दोँ मेँ बहुत कुछ कह गये आप।केबीसी, कालाधन और ब्लाँगिँग के माध्यम से बहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति।

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  23. डाक्टर साहब , आपने निवेदन स्वीकार किया और प्रयास भी शुरू कर दिए साधुवाद .शुरुआत हुयी तो बात अंजाम तक जरूर पहुचेगी. सीदे सरल लफ्जो को इस्तेमाल कर बेहद प्रभावशाली बात कह दी है आपने . इक्कीसवी सदी के इस बेहतरीन अविष्कार को जिसने अनगिनित लोगों को प्यार बाटने का माध्यम दिया उसे कलंकित होने से बचाने के लिए सार्थक पहल तो करनी ही होगी और इस माध्यम को राजनीतिक कुरीतियों से बचाना भी तो आप जैसे विद्वानों का काम है. आभार और आपके प्रयास में .. कदम से कदम मिलाने को हरदम तैयार .

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  24. क्षमा बडन को चाहिए , छोटन के उत्पात ।

    अब आपकी सलाह मानकर हम तो छोटे ही बने रहेंगे.:)

    रामराम.

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  25. मुफ़्त में पैसे मिलेंगे तो क्या करेंगे?
    अजी, इस प्रश्न का उत्तर तलाशने के लिए पैसे खर्च करेंगे, और क्या?:)

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  26. कौशल जी , वक्त मिला तो ज़रूर ।
    कुश्वंश जी , आपके ही आह्वान पर लिखी है यह पोस्ट । वास्तव में मित्रों को इस तरह आरोप प्रत्यारोप लगाते देख बहुत दुःख हो रहा था ।
    एक कहानी याद आ गई थी जो बचपन में पढ़ी थी --सब अपने ही तो हैं ।
    आशा है कि ब्लॉगजगत में कुछ सार्थकता आएगी ।

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  27. हा हा हा ! ताऊ --आप के तो उत्पात भी भले लगते हैं । लेकिन अपने से छोटों का ध्यान रखियो बस ।
    प्रसाद जी , पैसे किस पर खर्च करेंगे ? यही तो सवाल है ।

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  28. मैं तो वापस पढाई करने कक्षा में चला जाऊंगा. पढने और सीखने के लिए इतना कुछ है पर नौकरी की मारामारी के कारण कर ही नहीं पाता.

    BTW, गीता पर आपकी एक पिछली पोस्ट अभी पढ़ी, उसके लिए आभार!

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  29. true.. this time we r watching more n more common people in the show who really deserves that opportunity and it gives a unique feeling to watch them.

    Nice comparison of bloggers with KBC.
    Nice read as ever

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  30. इस पोस्‍ट के दो पहलू थे। एक केबीसी और दूसरा ब्‍लाग। वास्‍तव में मैं भी यही सोचती हूँ कि मुझसे कोई प्रश्‍न करे कि इन पैसों का क्‍या करोगी तो मैं क्‍या जवाब दूंगी। मुझे तो कुछ हजार रूपए का भी हिसाब नहीं समझ आता। दूसरा है ब्‍लागिंग, आप बहुत ही अच्‍छा कह रहे हैं। आपके विचार अपनी जगह हैं, मत-भिन्‍नता होनी भी चाहिए लेकिन कुटुता नहीं। इसलिए किसी पर आक्रामक नहीं होना चाहिए।

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  31. Mujhe shuru se yah pasand hei ....or Amitabh wow :)

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  32. वर्तमान में ही रहस्यवाद के कवि प्रश्न पूछ गए, उत्तर भी अन्य कवि दे गए...

    वर्तमान 'भारतीय' क्या नशे के कारण सोया है?
    अथवा, क्या विष के प्रभाव से उसका कंठ विषैला, और ह्रदय में अग्नि है?

    यहाँ तो सभी पराये हैं (?), जिस कारण कडुवाहट है (?)
    किन्तु कौरव-पांडव तो चचेरे भाई थे! / वो क्यूँ लड़ मरे?

    उत्तर (?) - क्यूंकि चार चरणों में प्रस्तुत 'कृष्ण लीला' का अंत भी तो होना है - स्टेज पर पर्दा भी तो गिरना है हर चरण के पश्चात,,, और स्टेज पर सेट बदलने के लिए भी बीच बीच में :)

    और जो भी करोडपति अथवा फ़कीर का रोल कर रहे हैं, उस बीच साथ बैठ कोफ़ी / दारू पान भी तो करना चाहेंगे :)

    'मेरा भारत' महान है! :)

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  33. असल मूर्ख और बेवकूफ वही लोग हैं जो ये परम सत्‍य नहीं जानते कि कभी कि‍सी दि‍न अचानक ही रवाना होना होगा। पर इस पैमाने से देखा जाये तो हममे से 90 प्रति‍शत लोग मूर्ख और बेवकूफ हैं क्‍योंकि‍ सबकी अपनी अपनी 1,2,5,10,50 वर्षीय योजनाएं हैं। तो मरने के बाद भी हमारा ब्‍लॉग चलता रहे इसके लि‍ये जरूरी है कि‍ हम अपना पासवर्ड लॉगि‍न कि‍सी अपने ही जैसे कि‍सी शाति‍र को बता जाने की व्‍यवस्‍था कर जायें।
    और अपनी सारी पोस्‍ट इसी के मददेनजर लि‍खें ताकि‍ 5- 10 साल बाद भी वह उतनी ही मनोरंजक रूचि‍कर या समसामयि‍क हो।

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  34. आजकल हर तरह के लोगो को इसमें आने और जीतने का मौका मिलने लगा है। ये अच्छी बात है..केबीसी और ब्लॉग जगत को लेकर आप ने सही बात कही जो मुझे बहुत अच्छी लगी ...धन्यवाद...

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  35. बहुत ही सहजता से किया गया आंकलन ...सार्थक व सटीक ..आभार ।

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  36. अनुराग शर्मा जी , आपकी दिलचस्पी की दाद देता हूँ । एक साल पुरानी पोस्ट पढ़कर हमें भी दोबारा पढने के लिए प्रेरित किया । आभार ।

    सही कहा राजे शा जी , अपने पीछे कुछ अच्छा ही छोड़ कर जाना चाहिए । जाना तो एक दिन निश्चित ही है ।

    आज शाम को एक परीक्षा में बैठ रहा हूँ । पास हुए तो बताएँगे ।

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  37. @ब्लोगर्स में लगभग सभी लोग ऐसे हैं जिनमे लेखन की प्रतिभा है लेकिन अभिव्यक्ति के लिए उपयुक्त साधन नहीं मिलता
    प्रश्न सही में विकट है। ससाधन पैसे से बड़े लोगो के पास है....उनके अखबार अन्य बिजनेस से चलते हैं। फिर भी दिल्ली में कोई अखबार दो लाख तक की पाठक संख्या नहीं छू पाता। भले ही आंकड़े कैसे भी हों। फिर छोटे संसाधन के साथ अच्छे लोगों के अखबार की हालत की क्या कहें। चंद पैसे के अखबार खरीदने वाले हों तो ह चलाते हैं उसे खरीद कर कोई पढ़ता नहीं। वैसे भी अधिकतर लेखक उन अखबारों तक नहीं पहुंच पाते....छोटे अखबार छपाई का पैसा ही जुटाने में मशक्कत करते रहते हैं....उसे ग्राहक नहीं मिलते....आखिर इतने लेखकों को मौका मिले भी तो कैसे?

    बाकी पैसे मिले तो खैर उसके अनेक उपाय हैं अपने पास....अब करुंगा क्या नहीं बताउंगा...lol....

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  38. हा हा हा ! रोहित जी , शुभकामनायें ( पैसे खर्च करने के लिए ) । :)

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  39. अमिताभ जी जब पूछेंगे --इतने रुपयों का आप क्या करेंगे ? तो क्या ज़वाब दूंगा ?

    हा...हा...हा....
    जवाब नहीं सूझता तो मुझसे पूछ लीजिये न .....:))
    कहियेगा हरकीरत 'हीर' को दे दूंगा ....:))))

    @ गृहणियां तो बच्चन जी से मिलकर इतनी खुश होती हैं जैसे उन्हें सारा जहाँ मिल गया ।
    जी हमने तो सपने mein मिल भी लिया unse .....:))

    @
    ऐसे में सब ब्लोगर्स का फ़र्ज़ बनता है कि सब मिलकर ब्लोगिंग में सद्भावना और सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाये रखें ।
    क्यों न जिस दिन हिंदी का पहला ब्लॉग बना उस दिन मिलकर ब्लॉग जयंती मनाई जाये ....

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  40. डॉ. साहब आपकी ये तुलना केबी सी से ब्लॉग जगत की बहुत सही लगी । अच्छा है कि हम अच्छी से अच्छी पोस्ट लिखने का प्रयास करें । झगडे वाला समय इसी में लगायें ।

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  41. डॉ .साहब आपकी सदाशयता को सलाम .व्यक्त विचारों से हम सब सहमत हैं .आपका आभार .

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  42. हा हा हा ! हीर जी --कहियेगा हरकीरत 'हीर' को दे दूंगा ....जी अवश्य । लेकिन यह तो आपको भी बताना पड़ेगा कि आप उस पैसे का आप क्या करेंगी । :)

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  43. परीक्षा में पास हो गए । जल्दी ही हाल सुनायेंगे ।

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  44. डॉक्टर साहिब, परीक्षा में पास होने की बधाई! हाल सुनने के बाद और देंगे!

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  45. केबीसी के नाम पर अपने पूर्व सहयोगी और मित्र को जानता हूं....यानि कुमार भवेश चंद्र...

    ब्लॉगिंग में टेस्ट के लिए दाल में तड़का होना ज़रूरी है...हां तड़के में दाल हो जाए तो दिक्कत वाली बात है...

    जय हिंद...

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  46. दराल सर,

    हरकीरत हीर उस पैसे को खुशदीप सहगल को दे देंगी...

    जय हिंद...

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  47. हा हा हा ! और खुशदीप सहगल उस पैसे का क्या करेगा !

    तड़के में दाल हो जाए तो दिक्कत वाली बात है... अफ़सोस कुछ लोग इसी काम में लगे हैं । खुशदीप भाई देश में बढती आबादी का एक कारण यह भी है कि जब करने को कुछ और नहीं तो बच्चे ही पैदा कर डालो ।

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  48. खुशदीप सहगल उस पैसे को खुशदीप सहगल के पास ही रखेगा...

    जय हिंद...

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  49. ब्लॉगजगत में रह जाएँगी बस यादें --आपके लेखों और टिप्पणियों की ।फिर काहे का झगडा, काहे की लड़ाई !

    सार्थक संदेश ।

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  50. जहाँ केबीसी में जीतकर हम आर्थिक-भूख मिटा पायेंगे,वहीँ ब्लॉगिंग में बिना किसी मारामारी के साहित्यिक ,मानसिक आनंद पायेंगे !मौज-मजे के साथ् यदि समाज-हित् में लेखन करते रहें तो सद्भाव भी बढेगा !

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  51. खुशदीप सहगल हरकीरत हीर से मिले पैसे को मुझे दे देंगे..क्योंकि उनके पास रहे तो वो भाभीजी के पास पहुंच जाएंगे...यानि उनके पास रह कर भी नहीं रहेंगें.....और मेरे पास पूरे सौ करोड़ खर्चे करने के अनेक तरीके हैं....कसम हवा में घुले ऑक्जिन की....और कसम प्रीती जिंटा के गालों पर पड़ने वाले डिंपल की ...

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  52. फिर काहे का झगडा, काहे की लड़ाई ! कोई जगह तो महफ़ूज छोड़ दी जाय.

    सुंदर सन्देश. बस इतना ही समझना सबके लिए जरूरी है.

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  53. उत्तम सलाह..संदेश इस माध्यम से...

    सब मिलकर ब्लोगिंग में सद्भावना और सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाये रखें


    -साधुवाद!!

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  54. हमारा देश विचित्र है... कालिदास प्रसिद्द हुए एक ख्याति प्राप्त साहित्यकार के रूप में...
    किन्तु यह भी सभी जानते हैं कि वो पहले कभी बज्र मूर्ख थे, पागल माने जाते थे,,, उनके लिए प्रसिद्द है की वो जिस दाल पर बैठे थे उसी को काट रहे थे :) तभी 'संयोगवश' एक आम आदमी ने उससे कहा कि वो गिर जाएगा, और जब वास्तव में धरा पर आन गिरा तो उसके मन की बत्ती जल गयी (जिसे मोहन दास को ट्रेन से उतार देने पर उनकी आँख खुली थी:)
    तुलसी दास जी की पत्नी के शब्दों ने भी उनके मन की बत्ती जला दी थी,,, और वो उनके द्वारा रचित रामायण के लिए प्रसिद्द हो गए!
    जय भारत माता की!

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  55. बस प्यार ही प्यार पले......
    पर डायबिटिक होने का खतरा भी झेलना पड़ेगा.
    इसलिए थोडा कडुवा भी चलेगा.........:)

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  56. आपकी पोस्ट ब्लोगर्स मीट वीकली (९) के मंच पर प्रस्तुत की गई है आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/आप हमेशा अच्छी अच्छी रचनाएँ लिखतें रहें यही कामना है /
    आप ब्लोगर्स मीट वीकली के मंच पर सादर आमंत्रित हैं /

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  57. कडुआ किन्तु केवल देवताओं को ही वर्जित नहीं है... :)

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  58. संतोष त्रिवेदी जी , काश यही बात सब की समझ में आ जाये ।

    रोहित जी , अभी तक प्रीति जिंटा के पीछे पड़े हो ! :)

    हा हा हा ! ललित भाई , थोड़ा तो चलेगा । लेकिन वही बात कि तडके में दाल तो न हो ।

    जे सी जी , अभी भी ऐसे लोग हैं जो जिस डाल पर बैठे हैं , उसी को काट रहे हैं ।

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  59. डॉक्टर तारीफ जी, ज्ञानी हिन्दुओं ने 'सत्य' उसी को माना जो काल पर निर्भर नहीं है... जो समय के साथ बदलता नहीं है, जैसे सूर्य पृथ्वी से पूर्व में उदय होता दीखता है और शुक्र ग्रह पर पश्चिम में!
    जबकि में प्रति दिन बदलता रहता हूँ... इस लिए मैं असत्य हूँ, किन्तु अपने को 'माया' के कारण सत्य मानता हूँ :)

    शिव यदि भस्मासुर को वरदान देते हैं और वो शिव को ही जला देना चाहता है, तो क्या आप आज नहीं देख रहे हैं कैसे आज के बुद्धिजीवी के अज्ञान के कारण हमारी पृथ्वी की सेहत खराब हो गयी है, और कभी भी शिव अपनी तीसरी आंख खोल (ओजोन तल में छिद्र, बढे तो जले!)... और सारे डॉक्टर हाथ मलते रह जायेंगे (शिव का तांडव नृत्य क्या हम सिक्किम में देख शिव को समझने में असमर्थ है ? शिव ने तो कामदेव तक नहीं छोड़ा)...

    "होई है सो ही / जो राम रची राखा", कह गए तुलसीदास...

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  60. डॉ साहब के विचारों से सब सहमत हैं .आपका आभार .

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  61. सर्वत्र गुलाब ही हो,तो गुलाब की मर्यादा ही समाप्त हो जाएगी। लड़ाई-झगड़े भी मानो जीवन का ही अंग हैं जिनके बीच ही सज्जनता की पहचान होती है। बहुधा,छाप छोड़ने के चक्कर में हमें बहुत कुछ मन मारकर करना पड़ता है। और फिर,सबको संतुष्ट करना भी कब संभव हुआ है!

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