top hindi blogs

Thursday, April 28, 2011

हरियाणे का ताऊ --बस यूँ ही बैठे बैठे ---

दिल्ली में गर्मी का आगमन धीरे धीरे हो रहा हैबढ़ती गर्मी का प्रभाव तन पर तो पड़ता ही है , मन पर भी पड़ता है
मन कुछ अशांत हो तो बाहर बालकनी में बैठ जाता हूँ । नीचे सड़क किनारे हरे भरे पेड़ों के बीच गुलमोहर के पेड़ भी हैं जिन पर इस समय फूलों की बहार आई हुई है ।
संतरी रंग के फूलों को देखकर मन कुछ शांत होता है । और यूँ ही बैठे बैठे याद जाती हैं कुछ हरियाणवी बातें

)

हमारे एक हरियाणवी ताऊ थे । थे ही कहना पड़ेगा क्योंकि अब तो हम खुद ताऊ बन चुके हैं । एक दिन एक शादी में उनके गाँव जाना हुआ । उस समय मैं एम् बी बी एस कर रहा था ।

गाँव पहुंचा तो देखा ताऊ हलवाई के पास कढ़ाई पर बैठे थे हुक्का गुडगुडाते हुए ।
मैंने जाकर कहा --ताऊ राम राम
वो बोले --राम राम भाई छोरे , आज्या , और सुणा कौन सी क्लास में पढ़े सै ।

मैंने सोचा इनको एम् बी बी एस का क्या मतलब समझ आएगा । सो कहा --ताऊ डाक्टरी का कोर्स कर रहा हूँ ।

ताऊ बोला --भाई कोर्स वोर्स तै ठीक सै , पर न्यू बता कितनी ज़मात पढ़ा ।
मैंने कहा --ताऊ बस यूँ समझ लो कि बारहवीं पास कर के दाखिला लिया था ।
ताऊ -- भाई बारा पढ़ा , थोडा ही पढ़ा अरै चौदाह पढ़ कै , कम तै कम बी पास तै करनी चाहिए थी

मैंने कहा --ताऊ बस ये डॉक्टरी कोर्स में दाखिला मिल गया ।
ताऊ --ना भाई नास्वाद नहीं आयाअरै बी पास करता तै मुन्सी बनता , पटवारी बनता --यो डाक्टरी का कोर्स करके के कम्पाउंडर बनैगा


) हरियाणवी लोग मीठा खाने के बड़े शौक़ीन होते हैं

ताऊ भी रोज ताई से हलवा बनवाकर खाते थे । लेकिन एक दिन ताई ने हलवा नहीं बनाया । ताऊ को गुस्सा आ गया और वो आंख बंद कर लेट गया । तभी वहां भीड़ लग गई । सब सोचने लगे --ये ताऊ को क्या हो गया । किसी ने कहा --अरे मूंह पर पानी मारो । कोई बोला --भाई जूता सुन्घाओ । कोई कुछ उपाय बता रहा था कोई कुछ ।
इतने में एक समझदार सा आदमी बोला --अरै ताऊ ने हलवा खिला दो ।

अब ताऊ ने एक आँख खोली और उस आदमी की ओर इशारा कर बोला --रै कोए इस की भी सुण ल्यो

)
गाँव में कोई भी ब्याह शादी होती , ताऊ का न्यौता ज़रूर होता

लेकिन एक बार एक महाशय ने उन को नहीं बुलाया । अब ताऊ को बड़ी बेचैनी हुई । एक दो बार उनके घर के आगे से चक्कर लगाये । लेकिन किसी ने उनकी ओर ध्यान नहीं दिया । अब ताऊ के सब्र का बाँध टूट गया ।

उसने देखा --गली में चावल का मांड बहा दिया गया था । उसने जान बूझ कर उसमे पैर मारा और चिल्लाने लगा --अरै किस नालायक का काम सै , सारा रास्ता बंद कर दिया राह में गंद फैला दी और लगा ताऊ ऊंची ऊंची गालियाँ बकने

अब लोगों का ध्यान ताऊ की तरफ गया तो एक बोला --अरे भाई ताऊ को न्यौता नहीं दिया था क्या । जल्दी से न्यौता दे दो वर्ना आसमान सर पर उठा लेंगे ।

खैर ताऊ को बुला लिया गया ।

ताऊ ने आशीर्वाद देते हुए कहा --भाई मैं जाणू था भोत भला आदमी सै ।

उसके बाद किसी की हिम्मत नहीं पड़ी कि ताऊ को भूल जाएँ

सीख : हरियाणे के ताउओं को अपनी रिस्क पर भूलें

36 comments:

  1. "हरियाणे के ताउओं को अपनी रिस्क पर भूलें ।"

    अब आप भी ताऊ बन ही चुके हैं सर तो कोई आपको कैसे भूल सकता है.:)

    ReplyDelete
  2. आपने पोस्ट पता नहीं किसके रिस्क पर लिखी है, पर टीप हम अपनी रिस्क पर ही देवेंगे.

    ReplyDelete
  3. वाह ! आनंद आ गया ताऊ के किस्से पढकर.

    ReplyDelete
  4. बहुत अच्छा लिखा है पर सच ही इस अवस्था में शायद बजुर्ग यही चाहते है कि सभी उन्हे सम्मान दे यह बात तो हर जगह देखी जा सकती है पर हरियाणा की बात ही निराली है।

    ReplyDelete
  5. दराल साब! ताऊ तो करैकटर ई न्यारा सै! आपनै तो ताऊ की बहोत कम बातां बताई. ताऊ के किस्सेआं का तो भंडार सै. फेर भी आपनै हंसाण की खूब कोसिस करी... अर सफल बी होगे.

    तीखे तड़के का जायका लें
    संसद पर एटमी परीक्षण

    ReplyDelete
  6. मुस्कान आ गयी चेहरे पर ताऊ से मिल कर ! आभार आपका !!

    ReplyDelete
  7. ऐसे ताऊ हर गाँव में होते है ,कुछ भी बोले पर जो अपनापन मिलता है वो शहरों में कहाँ?इसी बात का मज़ा है......

    ReplyDelete
  8. एक से बढ़ कर एक मजेदार किस्से हैं...ताऊ के...आनद आ गया पढ़कर.

    ReplyDelete
  9. सारे किस्सों के दौरान मुस्कान खिली रही होंटों पर.
    ताऊ की तो बात ही निराली है.

    ReplyDelete
  10. .
    जाटों की सरलता निष्कपटता और यारबाजी का मैं कायल हूँ ताऊ लोगों के बहुत से असली किस्से हैं, मेरे पास ( सहेज़ रखा है कि कभी पोस्ट लिखूँगा )... खैर आज तो एक चुटकुला साझा करना चाहूँगा !
    एक बर एक कैदी नै फांसी की सजा मिली !
    उसनै इक सिपाही लेकै फाँसी को जाण लागरया था ।
    उस दिन मौसम बी घणा ख़राब होरया था.. गरमी भाई गरमी ।
    रास्ते मै कैदी सिपाही तै बोल्या ; देख भाई भगवान की करणी , .... मनै आज के दिन बी कितणी तकलीफ दे रया से
    सुरजा बोल्या ; अ मेरे यार तू तो जमा ऐ माडा मन कर रया से ,( बेकार में मन खराब कर रहा है )
    .. मनै देख इसे ऐ खराब मौसम मै मनै उल्टा बी आणा से ( मुझे देख मुझे इसी गरमी में वापस भी आना है )

    ReplyDelete
  11. हम राजनीतिक लोग तो हरियाणा के एक ही ताऊ चौ.देवी लाल को जानते हैं जिन्होंने भाजपा को चड्डी धारी पार्टी की संज्ञा दी थी .उप-प्रधानमंत्री रहते हुए सरकारी बंगले में गौ-पालन सिर्फ उन्हीं के बूते की बात थी.

    ReplyDelete
  12. बहुत बढ़िया !

    डॉक्टर अमर कुमार ने भी जताया कि प्रकृति से हरयाणवी ताऊ सभी हंसोड़ होते हैं, भले ही वो डॉक्टर या सिपाही ही क्यूँ न हो !!!

    ReplyDelete
  13. इंटरव्यू बहुत सार्थक रहा!
    आप भी हरियाणा से ही होंगे!

    ReplyDelete
  14. अब तो हम खुद ताऊ बन चुके हैं ।
    हरियाणे के ताउओं को अपनी रिस्क पर भूलें ।
    और दिल्ली के ताउओं को???????

    ReplyDelete
  15. याद रखने वाली नसीहत.

    ReplyDelete
  16. सीधे-सच्चे लोग। जितना समझ आया,पूरी सादगी और बेतकल्लुफी से बयां किया,इसीलिए अब भी याद आते हैं।।

    ReplyDelete
  17. कभी कभी calculated risk लिया जा सकता है ..

    ReplyDelete
  18. हा हा हा ! बहुत खूब डॉ अमर कुमार जी । मज़ा आ गया ।
    माथुर साहब , उनके बाद डॉ साहब सिंह जी ने भी जो दिल्ली के मुख्य मंत्री थे , सरकारी बंगले पर भैंस बांध रखी थी । एक दिन तो हम भी उनके साथ घर का बना मक्खन परांठे के साथ नाश्ते में खा कर आए थे ।
    नीरज जाट जी , दिल्ली के ताऊ भी हरियाणवी ही होते हैं ।

    ReplyDelete
  19. क्या सभी ताऊ ऐसे ही ताऊ होते है ? ज्ञानदर्पण ब्लाग पर भी आज ही एक और ताऊ के ऐसे ही मजेदार संस्मरण पढे । दोनों ही बढिया लगे.

    ReplyDelete
  20. हाय़ डॊक्टर साब! आप भी गर्मी के मारे हैं!!!!!! पर हरियाणवी लठ अच्छी रही :)

    ReplyDelete
  21. हरियाणे के ताउओं को अपनी रिस्क पर भूलें ।" सही कहा ताऊ जी आप ने:)

    ReplyDelete
  22. भाई साहब, आपने तो ताऊ पै पोस्ट लिख कै मौज ले ली, और यो ताऊ म्हारे दुरज्जे पै लठ ले कै खड़ा सै। कहवै सै के-'यो बता तु तो ब्लोगर बणा हांडे सै, ताऊ की पोल आज ब्लॉग पै किसनै खोली सै। मन्ने तो राम धन का छोरा बतावै था।"

    इब के करया जाए इसका? थारे धोरे भेज दिया सै, संभाल लियो :)

    ReplyDelete
  23. आप भी ताऊ हो चुके...आपको भूलने की अब भला कैसे हिम्मत कर सकते हैं. :)

    ReplyDelete
  24. रोचक किस्से हैं हरियाणवी ताऊ के ...
    अब किसकी मजाल जो भूल जाए !

    ReplyDelete
  25. वाह पूरे हरयाणावी मूड में दिखे हो डाक्टर जी :) हा हा हा

    ReplyDelete
  26. ताऊ से टाइम पूछो तो वो टाइम तो नहीं बताएगा, उलटे ये जवाब देगा...

    फांसी चढ़ना के...

    जय हिंद...

    ReplyDelete
  27. ताऊ तो ताऊ ही होता है चाहे वह दिल्‍ली का हो या हरियाणे का। ऐसी जिंदादिल कौम दूसरी नहीं देखी। वहाँ के पानी में यह कुव्‍वत है या मिट्टी की देन है?

    ReplyDelete
  28. हा-हा.. डा० साहब, आजकल के ताऊ लोग भी काफी एडवांस हो गए है, मगर पहले के ताऊ लोग वाकई बड़े भोले लोग थे, लठमार बोली में एकदम सपाट बोलने की खूबी थी उनमे !

    ReplyDelete
  29. ha ha ha
    mazaa aa gaya......
    blog jagat se hatne ke irade badle ki nahee DrTau....... ?
    bhool kar bhee aisa anarth mat kariyega.......
    Aabhar

    ReplyDelete
  30. badiya.....lekin aisa lagta ki is post ko punrprakashit kiya gayaa haii.....par mazaa utna hi aaya...

    ReplyDelete
  31. ललित भाई , असली ताऊ तो आजकल दिखाई ही नहीं दे रहे । कुछ अता पता है आपके पास ॥

    अजित जी , सही कहा ताऊ तो ताऊ ही होते हैं । ताऊ बिना जग सूना ।

    @ अपनत्व

    जी एक शे' र याद आ गया किसी और का --

    शायद मुझे निकाल कर पछता रहे हो आप
    महफ़िल में इस ख्याल से फिर आ गया हूँ ।

    योगेन्द्र जी , लिखा तो पहली बार है , लेकिन हो सकता है कहीं सुना हो ।

    ReplyDelete
  32. राम राम डा. साब , जोरदार है

    ReplyDelete
  33. रोचक लेख...
    हर घर में इस तरह के ताऊ-ताई होते हैं और
    इसी तरह अपना अपनापन और हक जताते हैं.....

    ReplyDelete
  34. शुक्र है मेरा सामना नही पड़ा ताऊ जी से वरना मेरे तो हालत और खराब हो जाते..बहुत बढ़िया और मजेदार वाक़या हम तो ये सोच रहे है इतने से छुपा कर क्यों रक्खा था आपने इन क़िस्सों को..

    ReplyDelete