ऐसे में एक छोटी सी प्रस्तुति जिसे मैंने eMedinewS--डॉ के के अग्रवाल द्वारा प्रसारित दैनिक इ-पत्रिका -- से लिया है ।
Brilliant statements about the way things really are !!!!
Most ‘First Class’ students get Technical seats, some become Doctors and some Engineers।
Those who get a ‘Second Class’, pass the MBA, become Administrators and control the ‘First Class.’
The ‘Third Class’ passes, enters politics and becomes Ministers and controls both the above.
Last, but not the least, The ‘Failures’ join the underworld or Business and control all the above ।
अब कुछ हँसना हो जाए :
The Leave Application
१) An employee applied for half day leave as follows: "Since I’ve to go to the cremation ground at
10 O’ clock and I may not return, please grant me half day casual leave"
२) "As my mother–in–law has expired and I am only one responsible for it, please grant me 10 days leave।"
नोट : आभार डॉ के के अग्रवाल ।ईस्ट मीट्स वेस्ट :
अस्पताल के कॉरिडोर में एक मरीज़ का रिश्तेदार मोबाईल पर जोर जोर से बोल रहा था --अबे तू कहाँ है ?
मैं ?--मैं यहाँ खड़ा हूँ , बर्निंग वार्ड के सामने ।
माहौल को शीतलता प्रदान करती पोस्ट. सच है यह तो अभी शुरुआत है इतनी आसानी से कुत्ते के दुम कंही सीधी होती है अभी तो इस तरह के अनेक ऑपरेशन्स चाहिए होंगे, सारे मामले को दुरुस्त करने के लिए.
ReplyDeleteउनका हमारा सम्बन्ध तो बरसों से है,
यह भ्रष्टाचार समिति तो परसों से है.
As I am the only husband to look after my wife, please grant me leave... कैसा रहेगा :)
ReplyDeleteहा हा हा ! विचारणीय है ।
ReplyDeleteha ha ha
ReplyDeleteHa-ha...The first one a bitter reality.
ReplyDeleteवाह! क्या बात है दराल साहब.'Third class' की अपनी महिमा है.लोकतंत्र की देन है.यही तो सबसे बड़ा 'pain' है.
ReplyDeleteआपका मेरी पोस्ट 'वन्दे वाणी विनयाकौ' पर इंतजार है.आपकी मस्त छीटाकशी के बैगर जो अभी अधूरी है.
Nice one for the lighter mood.
ReplyDeleteLast, but not the least, The ‘Failures’ join the underworld or Business and control all the above ।
ReplyDeleteयह तो सच्चाई है ...छुट्टी के लिए अर्जियां बढ़िया लगीं :):)
दराल साहब
ReplyDelete......यह तो सच्चाई है
आज बड़ी मस्त पोस्ट लिखी आपने ! रचना दीक्षित की बात पर गौर करें ! शुभकामनायें !!
ReplyDeleteसही कहा आपने
ReplyDelete:)
ReplyDeleteसटीक प्रस्तुति ... आभार
ReplyDelete:):)
ReplyDeleteडॉ साहब अन्ना जी सिर्फ सातवीं तक पढ़े हैं .....
ReplyDeleteऐसा मैंने खुशदीप जी के ब्लॉग पे पढ़ा था .....)):
समझ गया हीर जी । आगे से अन्ना जी का ध्यान रखेंगे । :)
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति :):)
ReplyDeletehalki bhi bhaari bhi.. 2 in 1 post..
ReplyDeleteउल्टा स्वचलित चक्र.
ReplyDeleteडा.सा :जैसा आपने अष्टमी के प्रशाद का ब्यौरा दिया वैसा हर जगह ही होता है.इसी पाखंडवाद का मैं जबरदस्त विरोध करता हूँ.
ReplyDeleteप्रशासन का जो वास्तविक चित्रांकन प्रस्तुत किया है वह भी इसलिए है -आज राजनीति को वैसे लोगों के लिए खुला छोड़ दिया गया है.अर्वाचीन भारत में शासन-प्रशासन चलने के लिय व्यापक अनुभव एवं ज्ञान आवश्यक था. आज सच्ची ज्ञानी राजनीति से कोसों दूर हैं.