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Monday, April 11, 2011

अष्टमी पर तो सत्य कथा ही लिखनी चाहिए ---

दृश्य :

आज शाम को पार्क में भ्रमण करते हुए , एक अद्भुत नज़ारा देखा ।

पार्क के मुख्य द्वार के साथ वाली दीवार पर किसी ने अष्टमी का प्रसाद रख दिया था --ढेर सारा हलवा और पूरियां , साथ में छोले एक कुत्ता बड़े आराम से दीवार पर चढ़कर मज़े से यह स्वादिष्ट भोजन खा रहा था । पेट भरने पर वह इत्मिनान से नीचे उतरा और तृप्त होकर कूदता फांदता चला गया ।

दीवार पर अभी भी खूब सारा हलवा और पूरियां बची थीं

दृश्य :

महिला डॉक्टर से : अपने पांच साल के बेटे को लेकर

डॉक्टर साहब, इसका पेट बढ़ता जा रहा है ।
यह सारे दिन खाता है ।
आखिर ऐसा कब तक चलेगा ?

डॉक्टर :

बहन जी आप चिंता मत करिए ,
आपका बेटा होनहार लगता है ।
यह बड़ा होकर , ज़रूर एक दिन नेता बनेगा !

नोट : दुनिया में नेता ही एकमात्र प्राणी है जो भर पेट खाता है , फिर भी भूखा रहता है ।



29 comments:

  1. अगली पोस्ट का इन्तज़ार है :)

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  2. गणित का हिसाब कुछ दाल में काला. अब तो अगली पोस्ट का इन्तेज़ार ज्यादा है. केस सी आई डी के सुपुर्द तो नहीं करना पड़ेगा.

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  3. ओह अब तो अगली पोस्ट का इंतज़ार करना पड़ेगा.

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  4. गणित..?? चलो, आगे पता चल ही जायेगा इसलिए केल्कूलेटर नहीं निकाला.

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  5. आखिर गणित का क्या हिसाब लगाया है??? अगली पोस्ट का इन्तज़ार रहेगा...

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  6. नोट पढ़कर पोस्ट पे मामला पुट्ठा ही पै गया । इसलिए नोट बदल दिया है। कृपया पोस्ट के मर्म को समझिये ।

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  7. एहो डॉग्टर साहेब, ई कईसे हुआ कि सड़क का कुत्ता अघा के छोला-फूड़ी दूसरा के लिये छोड़ दिया...
    आऽ बच्चा का तुलना नेता से ?
    ई नेतवा कौन ब्रीड का कुकूर है जो ईसका पेटवे नहिं भरता !
    दृश-दू के डाग्टर बाबू अईसे मरभुक्खे जीव को कऊन गोनित से बड़ा आदमी बताये हो ?

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  8. अगली पोस्‍ट का इंतजार रहेगा।

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  9. जी बड़ा मतलब --उम्र में बड़ा होकर ।
    अब उम्र में बड़ा होने से तो कोई नहीं ना रोक सकता है ।

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  10. सर्वप्रथम रामनवमी की मंगलमय कामनाये डा० साहब !

    "एहो डॉग्टर साहेब, ई कईसे हुआ कि सड़क का कुत्ता अघा के छोला-फूड़ी दूसरा के लिये छोड़ दिया... "

    डा० अमर कुमार साहब की इस लाइन का जबाब यूँ देने की गुस्ताखी करूंगा ; कि जितनी जरुरत थी उतना खाने के बाद कुत्ते ने बाकी बचा हुआ भोजन छोड़ दिया, इसकी दो वजहें हो सकती है, पहली यह कि उसमे अभी भी इतनी 'कुत्त्वता' बची है कि अपने खाने के बाद बाकी दूसरों के लिए छोड़ देता है ! दूसरी वजह यह हो सकती है कि उनके पास स्वीस बैंक जैसी कोई सुविधा नहीं है लिस्लिये मजबूरन छोड़ना पडा ! :)

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  11. सत्य कब बदलता है।

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  12. गनीमत है खाने के बाद बचा हुआ बिखेरकर नहीं गया ।

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  13. कैसे कैसे मरीज़ आ जाते हैं डाक्टर बाबू के इहां :)

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  14. केवल नेता ही नहीं---ठेकेदार, अफ़सर, इन्जीनियर, व्यापारी, बहुत से डाक्टर भी इसी श्रेणी में हैं--- यही लोग नेता को आगे करके अपना काम करते हैं... सिर्फ़ नेता ही बद्नाम होता है, क्योंकि अधिकान्श वही विना पढालिखा होता है....

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  15. --अष्टमी का प्रसाद कोई भी दीवार पर नहीं रखता ..डाक्टर साहब.. आपने कहां देख लिया....हमें भी कम से कम फोटो ही दिखाइये ....

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  16. डॉ गुप्ता , अक्सर मैं अपना मोबाईल फोन साथ रखता हूँ । बस कल ही छोड़ गया था यूँ ही । सच , बहुत मिस किया । वर्ना आपको भी दिखाता वह दृश्य । शायद किसी ने जानवरों या पक्षियों के लिए छोड़ा होगा ।
    यहाँ नेता से तात्पर्य वे सब ठेकेदार, अफ़सर, इन्जीनियर, व्यापारी, बहुत से डाक्टर भी हैं जो भ्रष्ट हैं ।

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  17. गोदियाल जी , कुत्ते की इंसानियत देखिये --जितनी भूख थी उतना ही खाया , बाकि छोड़ कर चला गया , किसी और के लिए ।
    इन्सान की मनहूसियत देखिये कि भर पेट खाने ( रिश्वत ) के बाद भी नियत नहीं भरती । तभी तो देश का लाखों करोड़ रुपया स्विस बैंकों में भरा पड़ा है ।
    बस यही तुलना की है यहाँ ।

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  18. नेता सिर्फ राजनीति में नहीं हर क्षेत्र में हैं.

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  19. भूख होती ही ऐसी चीज है,
    पेट की हो तो पहलवान बना सकती है
    धन की हो तो धनवान बना सकती है
    ज्ञान की हो तो महान बना सकती है,
    पर भ्रष्टाचार और बेईमानी की हो तो शैतान बना सकती है
    अफसोस! आज का नेता क्या शैतान है डॉ.साहब ?

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  20. कुछ चीजें कुत्तों के लिए ही होती हैं !

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  21. डॉ साहेब.क्या दूर की कोडी लाए है --माता का भक्त रहा होगा --इसलिए भर पेट मिल गया --?

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  22. आप सब को राम नवमी की हार्दिक मंगल्काम्नायं.

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  23. रामनवमी के साथ बैशाखी और अम्बेदकर जयन्ती की भी शुभकामनाएँ!

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  24. आनंद दायक और हा..हा..हा..पोस्ट के लिए आभार !!

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  25. गजब की तुलना की है ...........:)

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  26. सारांश : जितनी ज़रुरत हो , उतना ही खाना चाहिए ।

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