कार के रीयर व्यू मिरर में चीजें दूर दिखाई देती हैं ।
लेकिन जिंदगी के रीयर व्यू मिरर में झांकें तो बीती बातें कल की सी बात लगती हैं ।
२००० में नया मिलेनियम शुरू हुआ । इन दस सालों में न जाने कहाँ कहाँ से गुजर गए ।
२००० से २००२ तक न्यूक्लियर मेडिसिन में पोस्ट ग्रेजुएशन --२००५ में लाफ्टर चैलेन्ज से हास्य में दिलचस्पी का पुनुर्जन्म --२००७ में दिल्ली हंसोड़ दंगल विजय --२००८ में कविता में रुझान --२००९ में ब्लोगिंग का शुभारम्भ ।
इन सवा दो सालों में २०० पोस्ट लिख डाले , सभी व्यस्ताओं के बावजूद ।
विषय भी बहुत भिन्न भिन्न रहे :
१) सामाजिक मुद्दे : ४७ पोस्ट
विषय --मोबाईल मेनिया , हंसने का महत्त्व , भिखारी , भ्रष्टाचार , दिल्ली का ट्रेफिक , शादियाँ और फिजूलखर्ची , संस्कृति , अंध विश्वास , खाद्य पदार्थों में मिलावट , होली , दिवाली , सगोत्रीय विवाह , अपनापन , धूम्रपान , आडम्बर , गीता का ज्ञान , पीपल की महिमा , भंडारा , पागल , रीति रिवाजें , आस्था , घरेलु हिंसा , एच आइ वी और शादी , प्रकृति , पर्यावरण , बचपन आदि ।
२) कविता : ४३ पोस्ट
हास्य कवितायेँ , ग़ज़ल , नज्में , दोहे , मुक्तक --सभी पर प्रयोग ।
३) दिल्ली दर्शन और सैर सपाटा ( फोटोग्राफी ) : ३० पोस्ट
कनाडा -टोरोंटो , क्यूबेक , एल्गोन्क़ुइन ।
दिल्ली - लोदी गार्डन , नेहरु पार्क , इण्डिया गेट , ट्रेड फेयर , रिज पार्क , पुराना किला , लाल किला , ज़ामा मस्जिद , कवि नीरज से मुलाकात , दिल्ली हाट , तालकटोरा पार्क , गार्डन ऑफ़ फाइव सेंसिज और राष्ट्र मंडल खेलों का दिल्ली पर प्रभाव ।
अंडमान निकोबार द्वीप समूह ।
गोवा की सैर ।
४) हास्य -व्यंग लेख : ३० पोस्ट ।
५) स्वास्थ्य संबंधी लेख : १९ लेख
मोटापा , ग्लोबल वार्मिंग , बाल शोषण , एपिलेप्सी , एड्स , ह्रदयघात , हिपेटाईटिस , सिंड्रोम एक्स , हाईपरटेनशन, कोबाल्ट ६० , रेबीज , गाउट , आर्थराईटिस , ओ आर एस , हाइपोथायरायडिज्म , हाईपरथायरायडिज्म, ८० तक कैसे जियें और विश्व स्वास्थ्य दिवस की रिपोर्ट ।
६) फिल्म समीक्षा और अभिनेत्रियाँ : ४ पोस्ट -- थ्री इडियट्स , मुग़ले आज़म, मीना कुमारी , माधुरी दीक्षित पर लेख ।
७) लघु कथा : ४
८) अन्य --विविधा : २६ पोस्ट।
इस तरह राजनीति को छोड़कर लगभग सब विषयों पर लिखा , एक ऑल राउंडर की तरह ।
इस बीच ब्लोगर्स आते रहे और जाते रहे । आरम्भ की टिप्पणियों को देखें तो कई ब्लोगर बन्धु ब्लोगिंग से विदा ले चुके हैं । कईयों ने लिखना काफी कम कर दिया है । कुछ ही हैं जो टिके हुए हैं ।
हम भी सोच रहे हैं कि कोई माने न माने , हम भी अब सीनियर ब्लोगर बन चुके हैं ।
इसलिए नए ब्लोगर्स के लिए जगह खाली करनी चाहिए ।
वैसे भी मनुष्य को हमेशा नए मुकाम की तलाश लगी रहती है । तभी तो विकास होता है ।
अब कुछ नया किया जाए । शायद पुस्तक प्रकाशन ! या फिर मंच पर उपस्थिति बढ़ाना ।
जो भी हो , एक्स्ट्रा क्यूरिकुलर एक्टिविटी तो चलती रहनी चाहिए । हालाँकि यदा कदा ब्लोग्स पर भी दिखाई देना होता रहेगा ।
शुभकामनायें ।
Thursday, April 21, 2011
रीयर व्यू मिरर में जिंदगी कितनी करीब दिखाई देती है ---
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जीवन सफर रोचक रहा आपका .पर ब्लोग्स से पलायन क्यों.यह तो अपने ही विचारों का घर है.आते रहिएगा.शुभकामनाये.
ReplyDeleteआदरणीय डॉ दराल जी
ReplyDeleteनमस्कार !
....शानदार रिकॉर्ड बहुत बढ़िया जी
एक ऑल राउंडर की तरह ....
हमे आपके मार्गदर्शन की जरूरत है जी
लेखन कुछ कम भले कर दें मगर बहुत कम नहीं करियेगा ...आपको चाहने वाले कम नहीं हैं ....
ReplyDeleteशुभकामनायें !!
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteसर आप इतना बढ़िया लिखते हैं जो पठनीय होता है ... अपेक्षा है आपसे भविष्य में बहुत कुछ सीखने और पढ़ने को मिलेगा..... कृपया यह सोच कतई न रखें और बनें रहें ...आभार ...
ReplyDeleteमैंने अपना ब्लॉग बनाने के बारे में कभी सोचा ही नहीं यद्यपि मैं ब्लॉग जगत से समाचार पत्र से जगी जिज्ञासा के कारण फरवरी '०५ से जुड़ गया था,,,और अंग्रेजी में टिप्पणीयां आरंभ कर दीं...मुझे प्रसन्नता हुई जब उस ब्लॉगर ने कहा कि उसके पोस्ट को उसके पश्चात पढने वालों की संख्या बढ़ गयी,,,
ReplyDeleteहिंदी में टिप्पणी मैंने रविश कुमार के ब्लॉग से आरम्भ करी,,, और उनके ब्लॉग के माध्यम से आपके ब्लॉग, एवं अन्य कुछेक में भी आया और ज्ञानवर्धन का लाभ उठाया...
जहाँ भी रहो, ब्लॉग लिखो न लिखो, आपको सुखद भविष्य की अनेकानेक शुभ कामनाएं!
आपका ब्लॉग सफ़र तो बहुत ही रोचक और कामयाब रहा
ReplyDeleteजो भी नया करें...उसकी शुभकामनाएं...और वे सारे अनुभव ब्लॉग पर भी बाँटते रहिएगा....
"Objects in the mirror are closer than they appear" :)
ReplyDeletekam likhen magar likhte rahe...yahi nivedan hai.
ReplyDeleteब्लॉग के सुंदर सफर की बहुत बधाई. सचमुच आप ब्लॉग के आल राउंडर हैं. परन्तु मुझे लगता है. लेखन एक ऐसी चीज है जिसमे सबके लिए स्थान है चाहे वो सीनिअर हो या जूनीयर. गुरुजनों का अपना स्थान रहता ही रहता है. तो ब्लोगिंग अवश्य चालू रखें, हाँ! बाकी कुछ करने में कोई रोक नहीं. हैप्पी ब्लोगिंग. नमस्कार.
ReplyDeleteडाक्टर दराल जी, आपकी बात सही है लेकिन आपके कारण नए ब्लागरों को अवसर नहीं मिल रहा इस में सुधार करना पड़ेगा...ऐसा नहीं है. सब अपना अपना काम कर रहे हैं.
ReplyDeleteरही पुस्तक प्रकाशन की तो अब आपको करवा ही लेनी चाहिए और मंचीय उपस्तिथि भी बढ़नी ही चाहिए.
मैं आपको नए सत्र में बुलाने का प्रयास करता हूँ.
साधुवाद.
ब्लॉग के सुंदर सफर की बहुत बधाई.ब्लोगिंग अवश्य चालू रखें, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteअच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....
ReplyDeleteभाई साहब रिपोर्ट कार्ड तो बहुत बढि्या है। हमें सीनियर्स की भी जरुरत है। इसलिए स्नेह बनाए रखें।
ReplyDeleteआभार
आज कहीं पढ़ा कि यदि समय कम मिले तो क्या करना चाहिए । लिखना कम करें या पढना और टिप्पणी करना ?
ReplyDelete@सारा सच--शायद यही सही है कि --ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....
योगेन्द्र जी , बेशक सब अपना अपना काम कर रहे हैं । लेकिन नए ब्लोगर्स को प्रोत्साहन की ज़रुरत होती है । इसलिए उनके लिए तो समय निकालना ही चाहिए ।
बाकी शौक भी पूरे करके देख लेते हैं अब ।
यही है सिंहावलोकन -सिंहों के नहीं लेहड़े हंसो की नहीं पात ..बधाईयाँ !
ReplyDeleteदस साल का लेखा-जोखा दे दिया- बधाई :)
ReplyDeleteसतरंगी जीवन-सा रंग-रंगीला.
ReplyDeleteअरे अरे डॉ. साहब ऐसा न कीजियेगा. आप ब्लोग्गिंग कम करेंगें तो हमार क्या होगा.आपके कृपा प्रसाद से ही तो जिन्दा हैं ब्लॉग जगत में.
ReplyDeleteमैंने आज ही अपने ब्लॉग पर नई पोस्ट जारी की है और आज ही आप दिल तोड़नेवाली बातें कर रहें है.प्लीज़,ब्लोग्गिंग कम न कीजिये.कम से कम मेरे ब्लॉग पर तो दर्शन देते रहिएगा.मेहरबानी होगी.
आपकी अनुपम उपलब्धियों को शत शत प्रणाम.
अब कुछ नया किया जाए । शायद पुस्तक प्रकाशन ! या फिर मंच पर उपस्थिति बढ़ाना ।
ReplyDeleteजो भी हो , एक्स्ट्रा क्यूरिकुलर एक्टिविटी तो चलती रहनी चाहिए । हालाँकि यदा कदा ब्लोग्स पर भी दिखाई देना होता रहेगा ।
कुछ नया करने के लिए शुभकामनायें ....पर नए के लिए पुराने को तो नहीं छोड़ा जाता ....ब्लोगिंग का सफर बहुत रोचक रहा है ..इसे निरंतर जारी रखिये ..हम तो यही चाहेंगे ...
बहुत सुंदर यात्रा जी, लेकिन यह क्या आप तो अटेची पकड कर पुछ रहे हे, कि जाऊ... अजी नही, नया जो चाहे करो लेकिन हमारा साथ नही छोड सकते.. इस लिये जाने की मत सोचे.
ReplyDeleteउन पोस्टों का क्या होगा जो आपकी टिप्पणियों से गुलजार रहती हैं -उनकी कसम है छोड़ के मत जाईये! :)
ReplyDeleteये ठीक है की आजकल ब्लॉग लिखने में वो उत्साह नही रहा ,जो पहले था...लेकिन ये ब्लॉग ही है जिसने इतने लोगो से परिचय भी करवाया..इसलिए यदा कदा ही सही ,"फोलो" करने या "कोमेंट" करने ही सही....बस नाता बनाये रखियेगा!बाकि कुछ नया करते रहना चाहिए...उसके लिए शुभकामनायें....
ReplyDeleteनये ब्लागर्स के लिये सीट खाली करने की तो आवश्यकता ही नहीं है । रचनात्मकता के नये क्षेत्र अवश्य आपके साथ जुड जावें । शुभकामनाएँ...
ReplyDeleteराकेश जी , अरविन्द जी , पढना कम नहीं होगा , यह निश्चित है । आप जैसे लोगों को पढ़कर तो इस उम्र में भी ज्ञानवर्धन ही होता है ।
ReplyDeleteसंगीता जी , भाटिया जी , साथ छोड़कर कहीं नहीं जा रहे हैं । बस कुछ नया साथ पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं ।
रजनीश जी , बेशक ब्लॉग के ज़रिये सैंकड़ों नए दोस्त मिले हैं । देश में भी , विदेश में भी । एक सशक्त माध्यम है , समान विचारों वाले लोगों को पास लाने का । लिखना कम करने से टिपियाने का समय ज्यादा मिलेगा ।
हम तो दीवाली पर भी पटाखे नहीं चलाते , बालकनी में बैठकर दूसरों के छोड़े गए अनार और फूलझड़ियाँ देखकर अति प्रसन्नता महसूस करते हैं ।
डॉ. साहेब, अभी तो आपसे जुम्मा -जुम्मा ४ दिन हुए मिली थी --और आप साथ छोड़ने की बात कर रहे है --नया स्रजन अनिवार्य तो है पर 'ओल्ड इज गोल्ड' आपने भी सूना होगा-- अभी हम नए लोगो को आपका साथ चाहिए ...
ReplyDeleteएक गीत आपके लिए :--
"अभी न जाओ छोड़ कर
के दिल अभी भरा नही .."
आपका ब्लॉग सफ़र तो बहुत ही रोचक और कामयाब रहा लेकिन उसके लिये जाना जरूरी नही जगह बनाइये मगर अपनी जगह छोडकर नही बल्कि दूसरे को जगह देकर्……………रचनात्मकता होती रहनी चाहिये …………हमे तो इन्तज़ार रहेगा।
ReplyDeleteडा. सा :को सीनियर ब्लागर ब न ने एवं पुस्तक लेखन हेतु हार्दिक शुभकामनाएं.एक बचे हुए राजनीतिक विषय पर आप छ: वर्षों बाद अपने विचार देंगें तब तक विविध विषयों पर हमें आपके लेख इसी प्रकार प्राप्त होते रहेंगें ऐसी हम सदाषा करते हैं.
ReplyDelete.
ReplyDeleteसीनियर ?
अजी महा और मेगा का ज़माना है, कहिये महासीनियर !
लिखना कम भले कर दें, पर अपने उत्कृष्ट आलेखों के माध्यम से हमारे बीच अवश्य उपस्थित रहें ।
ब्लॉगिंग में 200 पोस्ट के बाद तो ज़वानी परवान चढ़ती है, अभी से रुसवाई की सोच क्योंकर आयी ?
.
ReplyDelete२०० आलेख पूरा करने की हार्दिक बधाई। आपके साथ ब्लौगिंग का सफ़र सुहाना रहा , ऐसे मुसाफिर कम ही मिलते हैं ।मंजिल आने तक पूरे सफ़र में मुसाफिर साथ-साथ हो तो यात्रा का आनंद द्विगुणित हो जाता है। चलते रहिये साथ-साथ ।
बैक व्यू मिरर से जिंदगी पास-पास ही लगती है।
.
दराल सर,
ReplyDeleteइस हिसाब से तो मुझे 346 पोस्ट पहले ही ब्रेक लगा देने चाहिए थे...
क्या डॉक्टर साहब, अभी तो न्यू मीडिया ने अंगड़ाई लेना शुरू किया है और आप ने ये फैसला कर लिया...किताब की परियोजना के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं...लेकिन हफ्ते में छुट्टी वाले दिन तो आपकी एक पोस्ट बनती ही है...
वरना आप मुझे भी दूसरे ब्लॉगरों के साथ आपके घर के बाहर अन्ना हजारे की तरह अनशन पर बैठा हुआ देखेंगे...
जय हिंद...
दर्शन जी , छोड़कर कहीं नहीं जा रहे हैं ।
ReplyDeleteलेकिन जैसा कि डॉ अमर कुमार जी ने कहा कि महासीनियर बनने का इरादा है । स्वयंभू ।
दिव्या जी , सफ़र तो जारी रहेगा , बस राह बदल सकती है ।
खुशदीप , हमने शामियाने वाले को ऑर्डर दे दिया है ।
रिकार्ड से आप ऑल राउंडर है .. तो ब्लॉगिंग कैसे छोड सकते हैं ??
ReplyDeleteअति उत्तम ,अति सुन्दर और ज्ञान वर्धक है आपका ब्लाग
ReplyDeleteबस कमी यही रह गई की आप का ब्लॉग पे मैं पहले क्यों नहीं आया अपने बहुत सार्धक पोस्ट की है इस के लिए अप्प धन्यवाद् के अधिकारी है
और ह़ा आपसे अनुरोध है की कभी हमारे जेसे ब्लागेर को भी अपने मतों और अपने विचारो से अवगत करवाए और आप मेरे ब्लाग के लिए अपना कीमती वक़त निकले
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
आपके ब्लाग पर आकर हमेशा अच्छा लगता है इसलिए इसे जारी रखे।
ReplyDeleteबहुत बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है इन १० वर्षों में दराल जी
ReplyDeleteआपकी पोस्टें भी एक से बढ़ कर एक रहीं ....
बहुत बहुत बधाई आपको इस सफलता की ....
आपने तो ये पोस्ट भी यादगार बना ली ....
इतनी मेहनत....?
कौन सी किस विषय की पोस्ट ...तौबा .....
कैसे कर लेते हैं इतना ....
राजेन्द्र जी भी कुछ इसी तरह मेहनत करते हैं अपनी हर पोस्ट पर ....
हाँ एक बात कहना चाहती थी ...
स्वास्थ्य संबंधी जो लेख हैं उन्हें अपने ब्लॉग के साइड में क्रमवार लिख दें ताकि कभी जरुरत हो तो वहां जाने में आसानी हो ....
हाँ ब्लॉग कम कर सकते हैं पर छोड़ने की मत सोचियेगा ....):
nahee jee......aap jaa kahee nahee rahe...... kabhee kabhee likhte rahiye......
ReplyDeleteye hee aagrah hai aapse.
आप बने रहें,बस।
ReplyDeleteबेहतरीन सफर
ReplyDeleteसफर जारी रहे
संगीता पुरी said...
ReplyDeleteरिकार्ड से आप ऑल राउंडर है ॥ तो ब्लॉगिंग कैसे छोड सकते हैं ??
संगीता जी , यही तो मुश्किल है । छोड़े नहीं छूटती ।
सुनीता जी , आप आती बहुत कम हैं ।
हरकीरत जी , आपकी फ़र्माइश पर ज़रूर ध्यान दूंगा ।
सरिता जी , राधारमण जी , वर्मा जी , बस थोड़ी गर्मी लग रही थी । मौसम ठीक हो जाए तो ठीक है ।
इतनी जल्दी कहाँ चले आप...
ReplyDelete________________________
'पाखी की दुनिया' में 'पाखी बनी क्लास-मानीटर' !!
great record
ReplyDeletecongrats
200 पोस्ट की आपकी उपल्ब्धि भी प्रशंसनीय है क्यों कि डाक्तर कितने व्यस्त होते हैं समझ सकते हैं और फिर हर विश्झःाय पर नज़र। आपको बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteडॉ दराल ... नमस्कार ... Itna vistrat lekha jokha ... badhaai ho bahut bahut ... Achhee bat hai ki bloging se nahi jaa rahe ... han kitaab ki jaroor soch sakte hain ...
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