पिछली पोस्ट के वादानुसार, प्रस्तुत है एक कविता अस्पताल में लिखी गई , आँखों देखी , सत्य घटनाओं पर आधारित ।
शहर के बड़े अस्पताल में ,खाते पीते लोग
भारी भरकम रोग का उपचार कराते हैं ।शहर के बड़े अस्पताल में ,खाते पीते लोग
तीन दिन बाद रोगी हृष्ट पुष्ट और रोगी से ज्यादा
उसके सहयोगी , बीमार नज़र आते हैं ।
उसके सहयोगी , बीमार नज़र आते हैं ।
यहाँ कर्मचारी तो सभी दिखते हैं ,पतले दुबले और अंडर वेट
पर कस्टमर होते हैं मोटे ताज़े , कमज़ोर दिल और ओवरवेटभारी पेट का वेट , बड़ी मुश्किल से उठा पाते हैं
फिर भी खाने से पहले , सूप ज़रूर मंगवाते हैं ।
एक दफ्तर के बड़े साहब की बीबी , बीमार हो गई
अस्पताल में सी सी यू के बिस्तर पर, सवार हो गई।साहब ने बेंच पर बैठे बैठे , पूरी रात गुज़ार दी
बोले भैया डॉक्टर ने आज , सारी अफ़सरी उतार दी ।उधर एक हरियाणवी को जब , हार्ट अटैक हो गया
अस्पताल में ही खाप का मिलन , सैट हो गया ।बेटा बेटी , पोते नाती और सास बहुओं का , ताँता लग गया
हर रूप रंग के लोगों से अस्पताल का , कोना कोना पट गया।सब अपना खाना पीना और बिस्तर साथ लाये थे
कुछ तो बाल बच्चों समेत , १०० कोस दूर से आये थे ।और जब वह अपार जन समूह , एक नेता का सम्मान करने लगा
उस बड़े अस्पताल का प्रांगण , किसान रैली का मैदान लगने लगा ।एक पेज थ्री की पात्र महिला , काला चश्मा लगा मटक रही थी
शायद पिछली रात की मदिरा , उसकी आँखों में खटक रही थी।मोहतरमा अपने लिव इन पार्टनर को दिखाने लाई थी
सोशल वर्कर थी , एड्स की काउंसेलिंग कराने आई थी।एक मिडल क्लास मरीज़ को जूनियर डॉक्टर , सरे आम समझा रहा था
उसके टूटे दिल की रिपेयरिंग का , हिसाब किताब बता रहा था ।उधर उसका युवा बेटा फोन पर डिस्कस कर रहा था
अपने पिता के जीवन की कीमत फिक्स कर रहा था ।कुछ नई पीढ़ी के युवा भी रोगी सेवा में व्यस्त थे
पर कान में इयर फोन लगा , अपने में मस्त थे ।जिसे देखो मोबाइल पर बतियाए जा रहा था
कोई पूछ रहा था , कोई हाल बताये जा रहा था ।मैं हैरान था याद कर , तीस साल पहले का हाल
जब न गाड़ियाँ होती थी , और न मोबाईल ।उपचार तब भी होता था , इलाज़ अब भी होता है
लाचार तब दिल को रोता था , बंदा अब बिल को रोता है ।माहौल भले ही जुदा कितना है
लेकिन फर्क आज बस इतना है ।जिंदगी अब मौत से भी होड़ लगाती है
पहले जिंदगी सरकती थी , अब दौड़ लगाती है।नोट : इस कविता में किसी की भावनाओ को ठेस पहुँचाने का प्रयास नहीं किया गया है। डॉक्टर्स के लिए सभी तरह के मरीज़ समान होते हैं । व्यक्तिगत जीवन से कोई सम्बन्ध नहीं होता । कृपया अन्यथा न लें ।