बेशक कुत्ता एक वफादार प्राणी है । लेकिन यदि आपके प्रिय टॉमी , मोती , जूजू या पूपू को कोई गली का कुत्ता काट ले और उसे रेबीज़ हो जाये तो वही स्वामिभक्त , जान से भी प्यारा आपका पालतू कुत्ता , आपकी जान का दुश्मन बन सकता है । जी हाँ , मनुष्यों को रेबीज़ का रोग अक्सर और मुख्यतया कुत्ते के काटने से ही होता है ।
इसी विषय पर अस्पताल के डॉक्टरों और नर्सों को अधिक जानकारी देने के लिए हमने अपने अस्पताल में रेबीज़ पर एक व्याख्यान का आयोजन किया जिसमे अस्पताल के एमरजेंसी विभाग के अध्यक्ष डॉ जे पी कपूर ने विस्तृत जानकारी प्रदान की ।
कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए हमने एंटी -रेबीज विभाग का प्रभारी होने के नाते सब को एंटी -रेबीज़ उपचार पर होने वाले व्यय का विस्तृत ब्यौरा देते हुए बताया कि :
* रेबीज़ एक १०० % फेटल रोग है । यानि यदि यह रोग हो जाये तो मौत निश्चित है ।
* इस रोग का कोई इलाज़ नहीं है ।
* लेकिन इस रोग की रोकथाम करने से १०० % बचा जा सकता है ।
* रोकथाम करने में प्रतिवर्ष सरकार के करोड़ों रूपये खर्च हो जाते हैं ।
* इस खर्च को काम करने के लिए सरकार ने एक्सपर्ट्स की राय मानकर एंटी-रेबीज़ टीकों के लगाने के तरीके में बदलाव किया है । ( इस एक्सपर्ट्स ग्रुप में हम भी शामिल थे )
* इस तरीके से यह खर्च कम होकर केवल २५% रह गया है ।
अपने व्याख्यान में डॉ कपूर ने बताया :
रेबीज के लक्षण : रेबीज का सबसे खतरनाक और शर्तिया लक्षण है --हाइड्रोफोबिया यानि पानी से डर लगना । इसके बाद कुछ जानने की ज़रुरत नहीं रहती । क्योंकि इसका कोई इलाज़ ही नहीं है ।
रेबीज इनके काटने से हो सकती है : रोग ग्रस्त कुत्ता , बिल्ली , गाय , भैंस आदि पालतू पशु , जंगली चूहा , बन्दर ।
यदि इनमे से कोई भी आपको काट लेता है तो क्या करना चाहिए ?
* सबसे पहले जख्म को बहते पानी में दस मिनट तक साबुन लगाकर लगातार धोना चाहिए ।
* इसके बाद जख्म पर कोई भी एंटीसेप्टिक जैसे बीटाडीन , डेटोल या सेवलोन आदि लगा दें ।
* तुरंत अपने डॉक्टर के पास जाइये ।
डॉक्टर क्या करेगा ? डॉक्टर आपको टीका लगाएगा---
१) टेटनस का टीका
२) एंटी रेबीज वैक्सीन
३) यदि काटने से खून भी निकला है तो एंटी सीरम का टीका भी लगाना पड़ेगा । यह एक बार ही लगता है ।
४) एंटी रेबीज वैक्सीन के लिए आपको कुल पांच बार टीके लगवाने पड़ेंगे । ०, ३,७,१४ और २८ दिन पर । यहाँ ज़ीरो दिन पहले टीके का दिन है । ये टीके मांस पेशियों ( इंट्रामस्कुलर ) में लगाये जाते हैं ।
५) टीकों पर होने वाले खर्च को कम करने के लिए आजकल इंट्राडरमल रूट का इस्तेमाल किया जा रहा है । इसमें हर बार ०.१ एम् एल के दो इंजेक्शन लगाये जाते हैं ०,३,७ और २८ दिन पर । इस तरह इस तरीके से करीब ७५-८० % की बचत हो जाती है ।
कुत्ता काटने पर क्या नहीं करना चाहिए ?
* जख्म पर हल्दी , मिर्च , नमक आदि लगाना ।
* जख्म पर पट्टी बंधना ।
* टाँके लगाना ।
* इलाज़ न कराना ।
* टीके का कोर्स पूरा न करना ।
एक बार कुत्ता काटने पर इलाज़ में कम से कम २०००-२५०० रूपये तक का खर्चा आता है । लेकिन सरकारी अस्पतालों में यह इलाज़ मुफ्त उपलब्ध है ।
इसीलिए हमारे अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या दिन पर दिन बढती जा रही है ।
अंत में सभी का धन्यवाद करते हुए हमने एक बार फिर सबका ध्यान इस ओर दिलाया कि जब तक गली में घूमने वाले कुत्तों की आबादी कम नहीं होगी या कोई अन्य उपाय नहीं खोजा जाता , तब तक एंटी रेबीज़ उपचार पर यूँ ही पैसा बर्बाद होता रहेगा ।
लेकिन ये सब हमें देखकर हंस क्यों रहे हैं ?
भई देखकर नहीं हंस रहे , बल्कि सुनकर हंस रहे हैं ।
विषय का सारांश प्रस्तुत करते हुए हमने अपनी एक कविता की कुछ पंक्तियाँ सुनाकर अपना संदेश सब तक पहुँचाया :
जब कुछ पशु प्रेमियों ने परस्पर किया विचार
तब गली गली में कुत्तों की हो गई भरमार ।
अब नगर निगम के अधिकारी तो चैन की बंसी बजाते हैं
और कुत्ते काटे के इलाज़ पर , सरकार के करोड़ों खर्च हो जाते हैं ।
रेबीज़ कंट्रोल करने का ये वैसा ही सलीका है
जैसे गड्ढा खोदो -गड्ढा भरो , रोज़गार दिलाने का ये भी एक तरीका है ।
आशा करता हूँ कि इस लेख को पढने के बाद अब आप भी कुत्ता काटे के इलाज के एक्सपर्ट बन गए होंगे ।
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रोचक पोस्ट...आभार
ReplyDeleteरोचक, जानकारी भरा पोस्ट
ReplyDeleteआपका अन्दाज निराला है ...
वैसे यूँ ही एक सलाह (मुफ्त में)
कुत्तों के खिलाफ मोर्चा मत खोल दीजियेगा.
बड़ा ही जागरूकता लाने वाला लेख...डॉक्टर साहब आभार...
ReplyDeleteधर्मेंद्र बेचारे कहते कहते थक गए...कुत्तों-कमीनों तुम्हारा ख़ून पी जाऊंगा लेकिन उन्हें कभी किसी ने सीरियसली लिया ही नहीं...
वैसे आजकल इनसान भी इनसान को खूब काट रहा है...लेकिन इसके सिम्पट्मस बाहर से नहीं दिखाई देते...बस अंदर से तोड़ कर रख देते हैं...
जय हिंद...
जागरूकता के लिए अच्छा लेख -लेकिन क्या किसी भी कुत्ते के काट लेने पर रैबीज लगाया जाना चाहिए ? रैबिद कुत्तों के लक्षण क्या है ? क्या कुत्ते के मरने का इंतज़ार करना चाहिए ?
ReplyDeleteक्या कुत्तों के बीच रहने वालों को रैबीज टीके की प्रोफाईलैक्तिक डोज भी लेनी चाहिए ?
इन बातों पर भी जानकारी दीजिये ?
लाभदायक जानकारी के लिए धन्यवाद! मिश्र जी के प्रश्नों के उत्तर से मन में उठते कुछेक शंकाओं का समाधान हो जायेगा.
ReplyDeleteज्ञान वर्धक जानकारी डा० साहब, एक सवाल था, मेरा पालतू कुत्ता अब करीब दस साल का है ! हर साल जुलाई में injection लगवाता हूँ उसे , ऐसे में यदि कभी खेल-खेल में वह काट दे तो क्या उससे भी ऐसा ख़तरा है ?
ReplyDeleteसार्थक जानकारी ।
ReplyDeleteकुत्तों का टीकाकरण अनिवार्य हो । जिनमे पास पालतू कुत्ते हैं , उन्हें टीकाकरण कार्ड प्रमाणस्वरूप रखना अनिवार्य हो ।
गैर पालतू कुत्तों के टीकाकरण के लिये उस एरिया के सभासद ,स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी आदि जिम्मेदार हों ,और ऐसी किसी घटना के लिये दंडित किये जांय ।
....प्रसंशनीय पोस्ट, सार्थकता पूर्ण अभिव्यक्ति!!!
ReplyDeleteअरविन्द जी , अपने बहुत अच्छे सवाल पूछे हैं ।
ReplyDeleteजी हाँ , किसी भी कुत्ते के काटने पर टीके लगवाने चाहिए । यदि कुत्ते को टीका लगा है तब भी ।
रेबिड डोग दो तरह से दिख सकता है । एक वायलेंट --जो भोंकता और दोड़ता रहता है । दूसरा साइलेंट --जो एक दम चुप होकर पड़ा रहता है ।
टीके जितना जल्दी लगवा सकें उतना बेहतर है । कुत्ते के १० दिन के अन्दर मरने का मतलब है उसे रेबीज थी ।
PEP यानि प्री एक्सपोजर प्रोफैलेक्सिस सिर्फ हाई रिस्क ग्रुप को दी जाती है जैसे लेब में काम करने वाले , वेटेनरी स्टाफ , रेबीज अस्पताल का स्टाफ आदि ।
एक सवाल आता है कि यदि आपने कुत्ते को टीके लगवा रखे हैं क्या तब भी एंटी रेबीज टीके की ज़रुरत है । इसका ज़वाब भी हाँ है क्योंकि कुत्ते के इम्यून स्टेटस का पता नहीं चल सकता जब तक उसका टेस्ट नहीं कर लेते । इसलिए सुरक्षा इसी में है कि टीके लगा दिए जाएँ ।
यदि काटने के बाद कुत्ता दस दिन तक जिन्दा रहता है तो उसे रेबीज नहीं है । इस केस में बाद के टीके छोड़े जा सकते हैं ।
बढ़िया...जानकारी भरा लेख...
ReplyDeleteअंत में व्यंग्यात्मक कविता पढकर चेहरे पे मुस्कराहट आ गई :-)
बढ़िया डिटेल जानकारी ...
ReplyDeleteजानकारी भरी प्रस्तुति और वो भी बेहद रोचक अंदाज में...पहले रोचक जानकरी दिया और फिर चार लाइनों से मनोरंजन कराया ..बहुत खूब डॉ. साहब..धन्यवाद
ReplyDeleteरोचक शैली में बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने!
ReplyDeleteRespected Dr. Daral,
ReplyDeleteThanks for the beautiful post.Very informative post written in a very interesting way.
Enjoyed the poem as well.
Questions asked through comments made the post more meaningful.
Thanks
बहुत जानकारी से भरी पोस्ट..... अच्छा! मैं अपने कुत्ते जैंगो की पप्पी भी लेता हूँ..... मुँह से मुँह सटा कर.... कई बार उससे चोकोलेट भी शेयर करता हूँ.... यहाँ तक की वो मेरे साथ बाथरूम में नहाते भी हैं.... वो मेरे साथ सोता भी है.... (कृपया ऑरकुट अल्बम में देखें...).... क्या मुझे रेबीज़ होने के चांस हैं? जबकि हमारे जैंगो बहुत सफाई से रहते हैं... उनका पूरा ट्रीटमेंट चलता है.... वो क्लोज़-अप से टूथपेस्ट भी करते हैं दोनों टाइम.... जब भी पोट्टी कर के आते हैं.... तो हाथ-पैर और पोट्टी भी धुलवाते हैं..... उनका पूरा कार्ड बना हुआ है..... उसी हिसाब से वो हमेशा अपने डॉक्टर के टच में रहते हैं...... खाना भी बहुत सफाई से खाते हैं.... उनमें पूरी हम इंसानी तहज़ीब है.... शायद ...इन्सान से भी ज़्यादा सभ्य हैं..... हमारे जैंगो अभी ४ साल के हैं..... अभी तक मुझे कोई ऐसी बीमारी उनसे नहीं हुई..... क्या फ्यूचर में रेबीज़ होने के चांस हैं?
ReplyDeleteहालांकि! मुझे उन्हें कुत्ता कहना बहुत खराब लगता है.... क्यूंकि हमारे जैंगो इंसानों से ज़्यादा कल्चर्ड हैं.... और वो पढ़े लिखे भी हैं..... A से लेकर Z तक के पूरे अल्फाबेट्स जानते हैं..... १०० तक की गिनती भी जानते हैं.... और टॉम एंड जेरी देखने के बहुत शौक़ीन हैं.... और बहुत सीधे भी हैं.... वो सारा काम भी करते हैं.... बाज़ार से सौदा भी ले आते हैं.... अखबार उठा कर लाते हैं..... सिर्फ उनका साइज़ देख कर लोग डर जाते हैं.... जबकि हैं वो वो निहायत ही सीधे और तमीज़दार..... और एक बात और वो हिंदी भाषा अंग्रेज़ी के बनिस्बत ज़्यादा अच्छे से समझते हैं....
ReplyDeleteअच्छा! उनका साइज़ भी ऐसा है.... माशाल्लाह. ..... कि सड़क के कुत्ते उन्हें देख कर ही दूर हो जाते हैं..... हाय! मैं क्यूँ इतनी तारीफ़ कर रहा हूं उसकी.....नज़र ना लग जाये मेरे बच्चे को..... शायद अभी घर से बाहर हूँ ना..... इसलिए उसकी याद आ रही है....
ReplyDeleteMehfooz ji,
ReplyDeleteAfter reading about zango...."Kuchh kuchh hota hai"...lol
Touch wood !...Nazar na lag jaye bachhe ko .
महफूज़ भाई , आपका जैंगो तो स्टार है । बहुत अच्छे से रखते हैं आप उसको । लेकिन ध्यान रखें रेबीज के वायरस सबसे ज्यादा सलाइवा में ही होते हैं ।
ReplyDeleteलेकिन आप चिंता न करें क्योंकि जब तक उसका संपर्क बाहर के कुत्तों से नहीं होता , उसे रोग होने की सम्भावना न के बराबर है ।
फिर भी अहतियात के तौर पर थोडा प्यार कम करें या फिर कोई और प्यार करने वाला ढूंढ लें तो बेहतर है । :)
जब कुत्ते को टिका लगाने के बाद भी बाहरी कुत्तो के संपर्क में आने पर
Deleteरेबीज़ हो सकता है तो फिर कुत्ता फलन ही बेकार है न सर जान का रिश्क है।क्योकि
वो फिर हुमशे अतेचेच रहेगा
कुत्ते पालतू होते हैं ,
ReplyDeleteवफादार होते हैं
समझदार होते हैं ...
मगर फिर भी काट खाते हैं कभी -कभी
सासुजी को भी काट खाया था ...
उप्र में तो गरीब मर ही जाता है रैबिड के काटने पर क्योंकि यहां के सरकारी अस्पतालों में ९५% को वैक्सीन ही नहीं मिलती..
ReplyDeleteअच्छी जानकारी दी है...
ReplyDeleteइतनी बढ़िया जानकारी और फिर मजेदार कविता...कोई हमारा फोटो भी खींच लेता तो हँसते हुए ही आती. :)
ReplyDeleteरोचक और ज्ञानवर्धक पोस्ट!
ReplyDeleteअब पढ़ कर हम भी हंस रहे हैं सर.. हमारी भी तस्वीर निकल ही लीजिये.. :)
ReplyDeleteअच्छी जानकारी के लिए आभार..
डा. साहिब, मैंने बहुत जासूसी कहानियाँ पढ़ी थीं जिसमें विष का इस्तेमाल किया जाता था किसी को सफाई से मार डालने के लिए,,, किन्तु अंत में हीरो तह तक पहुँच ही जाता था किसने और क्यूँ कोई ज़हर खाने में, दूध आदि में मिलाया था,,, अथवा सुई, या चालाकी से सांप आदि से कटवा, शरीर के अन्दर पहुंचाया था... और यह भी आज सब जानते हैं कि कैसे पालतू कुत्तों अथवा जंगली जानवरों और साँपों आदि के काटने से भी मृत्यु हो सकती है 'विष' के कारण... और खुशदीप जी ने भी याद दिलाया कि कैसे आदमी आदमी को काट रहा है आजकल, और इसको सत्यापित करते चाणक्य ने भी तो थोडा-थोडा संखिया खिला विष-कन्या तैयार की थीं!...
ReplyDeleteइसके अतिरिक्त, आज दूसरी ओर, "राम तेरी गंगा मैली हो गयी", और आज विष पाया जा रहा है खाद्य पदार्थ में, जल में, वायु आदि, पर्यावरण में, निज स्वार्थ में अधिक पैसा पाने के लालच में; कभी-कभी दुर्घटना से (भूपाल गैस कांड जैसी); प्राकृतिक तौर से भी जैसे सुरंगों में मीथेन गैस होने से कभी-कभी दुर्घटना घट जाती हैं,,, और इनके अतिरिक्त मानवीय सरकारी तंत्र में पैसे की कमी से अथवा लापरवाही और लालच भी कारण बनती है समाधान प्राप्त न होने में...यानि संक्षिप्त में विष से मौतें अनेक कारणों से बढ़ रही हैं (और प्राचीन हिन्दुस्तानी कह गए कि कलियुग के आरंभ में समुद्रमंथन से विष निकला था जिससे 'देवता' और 'राक्षश' दोनों चपेट में आये थे!)...
रोचक ढंग से जरूरी जानकारी देने के लिए आभार. टिप्पणियों और आपके उत्तरों ने इस पोस्ट को और भी संग्रहणीय बना दिया है.
ReplyDeleteएक बार मेरे 'सुंदर' ने मेरे पुत्र को काट लिया जब वह उसे खाना खिला रहा था..
मेरे यह कहने के बावजूद कि कुत्ते को बराबर इंजेक्शन लगवाता हूँ डा० साहब ने पुत्र को रैबिश का पूरा इंजेक्शन लगवाया. मैंने सोचा कि जब कुत्ते के काटने पर इंजेक्शन लगवाना ही है तो क्यों कुत्ते को इंजेक्शन लगवाया जाय..! फालतू खर्च..! अतः अब कुत्ते को कोई इंजेक्शन नहीं लगवाता. क्या मैं गलत हूँ..?
पांडे जी , कुत्ते को इंजेक्शन लगाने से वह बचा रहेगा । अगर आप अपने कुत्ते से प्यार करते हैं तो अवश्य लगवाइए ताकि उसे रोग न हो। लेकिन फिर भी उसके काटने से खुद को भी लगाना ही ठीक रहता है।
ReplyDeleteसही है गली गली में कुत्तों की हो गई भरमार है, जनता के लिए खुल कर खर्च कर रही सरकार है. इसके बावजूद कुछ लोग कुत्ते के काटने पर रेबीज का टीका लगाना छोडकर साधु महात्मा, टोना टोटका के शरण में जा रहे हैं.
ReplyDeleteज्ञानवर्धक जानकारी के लिए धन्यवाद डाक्टर साहब. आपकी कविता अच्छी लगी.
वाह बहुत ज्ञान वर्धक पोस्ट है ओर कमेंट्स भी बहुत खूब ..अब तो हम भी हंस रहे हैं.
ReplyDeleteदराल साहेब...
ReplyDeleteबहुत ही कमाल की पोस्ट लिखी है आपने...
सच में इसे पढ़ कर लगा कि ब्लॉग कितना सशक्त माध्यम है जानकारी देने के लिए...
हृदय से आपका आभार...
बढिया जानकारी।
ReplyDeleteजानलेवा बीमारी पर उपयोगी लेख!
ReplyDeleteआधुनिक काल में (वर्तमान में), समय का नदी-जल के बहाव समान निरंतर बहते जाने के कारण, आम आदमी की दृष्टि अधिकतर आर्थिक विकास पर ही खिंचती है,,, और इस कारण गहराई में जाने के लिए समय की कमी होने से हम 'पश्चिम' को आज अधिक विकसित मान 'पूर्व' को पिछड़ा मानते है,,, यह जानते हुए भी कि अभी पश्चिम सत्य के जरा भी निकट नहीं है...
ReplyDeleteजबकि प्राचीन 'हिन्दू' मान्यतानुसार पूर्व में काशी, जम्बुद्वीप में अमरकंटक निवासी, और हिमालय पुत्री पार्वती से विवाहोपरांत कैलाश निवासी, अनंत, अमृत, निराकार,'विष' का उल्टा 'शिव', ही सक्षम हैं विष को अपने गले में धारण करने में; नीलकंठ महादेव के रूप में! और यह भी कि काल-चक्र के अनुसार हर योनी में उनका एक अंश जीवन पर्यंत विद्यमान रहता है, ८४ लाख योनियों से गुजरने के पश्चात प्राप्त मानव शरीर के भीतर भी!...
डा. साहिब, कम से कम इसमें कुछ न कुछ सत्य होगा ही तभी इतना विष-पान कर (औषधि के रूप में भी) आम आदमी की औसत उम्र वर्तमान में बढ़ गयी है!
आपने तो एक्सपर्ट बना दिया डाक्टर साहब ....शुक्रिया इस लाजवाब जानकारी का ...
ReplyDeleteबहुत रोचक और लोगो के लिये उपयोगी जानकारी है। खुशदीप ने सही कहा है इन्सानों के कातने पर भी टीका होना चाहिये यो रोग भी दिन ब दिन बढ रहा है खास कर ब्लागजगत मे । दराल साहिब कुछ कीजिये ना? शुभकामनायें
ReplyDeleteधन्यवाद.
ReplyDeleteजानकारियों से भरी महत्वपूर्ण पोस्ट. आभार.
ReplyDeleteव्यक्तिगत जानकारी के लिए आप मुझे इ-मेल कर सकते हैं ।
ReplyDeletetsdaral@yahoo.com
aapka likhane ka tareeka bahut accha hai dr sahib........ kavita padkar hum bhee muskura hee diye.
ReplyDeleteaccha kataksh .
"रेबीज़ कंट्रोल करने का ये वैसा ही सलीका है
ReplyDeleteजैसे गड्ढा खोदो -गड्ढा भरो , रोज़गार दिलाने का ये भी एक तरीका है"...
बहुत ही तीखा कटाक्ष अपने में समेटे एक ज्ञानवर्धक पोस्ट
agar kisi ne rabies infected animal ka doodh pee liya ho to usko bhi rabies ho skta hai?
ReplyDeleteडॉ सर मेरा सवाल है की रेबीज़ का टिक अगर आखरी टिका मिस कर दिया और उसे जख्म भी बहुत ही कम आया था लगभग त्वचा कटी थी और ब्लड नही आया था और वो
ReplyDelete26 का है उस समय उसकी उम्र 3 या 4 साल की रही होगी तोक्या रेबीज़ उसे इतने साल बाद भी हो सकता है
हालांकि रेबीज का इनक्यूबेशन पीरियड लम्बा हो सकता है लेकिन इन हालातों मे अब रेबीज होने की संभावना ना के बराबर है !
Deleteऔर दूसरा सवाल अगर कुत्ते का नाख़ून लगे जिसमे ऊपरी त्वचा भी न कटी हो और उसी दिन कुत्ते को रेबीज़ क टिक लगाया गया।
ReplyDeleteजिसके बाद भी कुत्ता
और कुत्ता 3 महीने से ज्यादा दिन जिन्दा है।
पैर जिसे नाख़ून लगा था त्वचा नहीं कटी थी सरीफ एक सफेद लाइन थी हलकी सी
तो क्या उसे भी चांस है
यदि कुत्ता १० दिन बाद भी जिंदा है तो रेबीज नहीं होती !
Deleteक्या टिक्का लगाये हुऐ पालतू कुत्ते के सलाइवा में या नाखुनो में
ReplyDeleteरेबीज़ के कुत्ते के सम्पर्क में आने से उसके सलाइवा में या नाखुनो में रेबीज़ का विषाणु
अ कर रह सकता है। भले ही कुत्ते को रेबीज़ ना हो ।
और रेबीज़ का विषाणु साबून से हाथ धोने पैर मर जाता है या नहीं
रिप्लाय जल्दी कीजिये प्लीज्
टीका लगा होने के बाद भी कुत्ते को रेबीज हो सकती है ! इसका कारण है कि यदि वेक्सीन सही तरीके स्टोर नहीं की गई हो तो प्रभावित नहीं होती ! इसलिये कुत्ते को टीका लगा होना सुरक्षा की गारंटी नहीं है ! ऐसे मे भी इंजेक्शन लगवा लेने चाहिये !
Deleteसाबुन लगाकर बहते पानी मे जख्म को धोने से जख्म मे वायरस की संख्या कम हो जाती है !
क्या पालतू और टिककरण किये हुए कुतो में रेबीज़ के कुत्तो का असर आ
ReplyDeleteकर पालतू कुत्ते के संपर्क में आने वाले ह्यूमन को होंसक्ता है।
रेबीज़ के वायरस बिना स्लोवा के सूखे वातवरण में जीन्द रवह सकता है
और
जब तक इन्शान की पहली त्वचा न कटे और नहुँ लगे रेबीज़ के कुत्ते का
चमड़ी भी कटे सिर्फ हल्का सा रगड़ फ़ायदा हो तो रेबीज़ हो सकता है
कुत्ते को लगा टीका यदि सही तरीके से लगाया गया है तो सुरक्षा प्रदान करता है ! लेकिन सही तरीके का अक्सर कोई प्रमाण नहीं मिलता ! इसलिये टीके लगाना ही सही रहता है !
Deletetreatment of dog bite :
ReplyDeletecategory 1 : touching or feeding of dog, licks on intact skin no treatment is required
category 2 : nibbling of uncovered skin , minor scratches or abrasions
without bleeding wound washing , anti rabies vaccine
category 3 : single or multiple transdermal bites or scratches ,
licks on brocken skin , contamination of mucus membarne
with saliva * wound washing
* rabies immunoglobulin ,
* anti rabies vaccine
Kya kutte ke nakhun se laga ho to bhi tika lena jaruri hai?
ReplyDeleteKya kutte ke nakhun se laga ho to bhi tika lena jaruri hai?
ReplyDeletesir aisa ekdam jaruri hai ki kutta ko rabies ho to tabhi ho kisi ko katne ke baad 10 din ke andar mar jayega ..or agar insab rabies ka ek baar injection le le fir use koi kutta kat lo to fir injection lena padta hai.
ReplyDeleteSir injeksan ek kandha me hi lagva sakte hai ya fir dono me
ReplyDeleteSir injeksan ek kandha me hi lagva sakte hai ya fir dono me
ReplyDeleteसवालों के जवाब :
ReplyDelete१ ) आम तौर पर कुत्ते की लार में कीटाणु होते हैं जिनसे रेबीज होती है। लेकिन पंजे से निशान आने पर केटेगरी २ के हिसाब से इलाज़ करते हैं।
२ ) अमन आर्य --- यदि कुत्ते को रेबीज है तो वह दस दिन में मर जाता है , यह सही है। इंजेक्शन के कोर्स के बाद यदि कुत्ता दोबारा काट ले तो भी टीके लगाते हैं लेकिन।
३) जिस तरफ काटा हो , उसकी दूसरी और के कंधे या हिप्स में लगाते हैं।