देश में , विशेषकर दिल्ली, एन सी आर और मुंबई में डेंगू बुखार के बढ़ते प्रकोप से और यश चौपड़ा की अकस्मात् मृत्यु से डेंगू बुखार से सावधान रहना समय की मांग है. इस वर्ष बरसात का मौसम देर तक चलने की वज़ह से डेंगू भी देर से फैला है. जनता को जागरूक करने के लिए सरकार ने काफी प्रयास किये हैं जिनमे रेडियो , टी वी आदि पर विज्ञापन के अलावा अस्पतालों में रोगियों को पर्चे बांटे जाते हैं जिनमे डेंगू से बचाव के तरीके बताये जाते हैं . आइये जानते हैं , डेंगू से कैसे बचाव किया जा सकता है :
डेंगू बुखार एक वायरल बुखार है जो एडीज इजिप्टाई नाम के मच्छर के काटने से फैलता है. डेंगू का वायरस मच्छर की लार से मनुष्य के शरीर में प्रवेश करता है और रक्त में फैलकर अपना प्रभाव दिखाता है. अक्सर यह मच्छर साफ़ लेकिन स्टेगनेंट पानी में पाया जाता है . यह दिन के समय काटता है .
डेंगू बुखार के लक्षण :
डेंगू बुखार तीन तरह से प्रस्तुत होता है.
१) डेंगू बुखार : तेज बुखार , सर दर्द , आँखों के पीछे दर्द , जोड़ों और मांस पेशियों में दर्द और शरीर पर लाल दाने आदि आम लक्षण होते हैं . अक्सर इसे अन्य वायरल फीवर से अलग पहचानना मुश्किल होता है. लेकिन खांसी और जुकाम , गला ख़राब आदि नहीं होता.
२) डेंगू हेमरेजिक फीवर : इसमें बुखार के साथ शरीर से रक्त श्राव होने लगता है जैसे उलटी में खून , पेशाब में खून या नाक से रक्त श्राव आदि. यह तभी होता है जब रक्त में प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है . यह डेंगू का एक चिंताज़नक लक्षण है और रोगी को तुरंत अस्पताल में भर्ती करना पड़ता है.
३) डेंगू शॉक सिंड्रोम : इस अवस्था में बुखार के बाद रोगी का ब्लड प्रेशर अचानक बहुत कम हो जाता है जिससे सभी अंगों पर प्रभाव पड़ सकता है . यह एक इमरजेंसी होती है . यदि तुरंत सही इलाज उपलब्ध न हो तो रोगी की मृत्यु भी हो सकती है. यह डेंगू का सबसे ख़राब रूप है.
डेंगू बुखार में निम्न परिस्थितियों में विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है जब डॉक्टर से परामर्श करना अनिवार्य होता है :
* बच्चे , बूढ़े और गर्भवती महिलाएं , डायबिटिज , क्रॉनिक लीवर या किडनी रोग .
* अचानक पेट में तेज दर्द , लगातार उल्टियाँ , रक्त श्राव , लो ब्लड प्रेशर , बेहोशी या गफ़लत की हालत.
* जाँच करने पर ब्लड प्रेशर में बदलाव , नाड़ी की गति का अत्यधिक तेज होना , प्लेटलेट्स की संख्या २०००० से कम होना और रक्त श्राव .
डेंगू होने पर क्या करें :
* बुखार के लिए सिर्फ पेरासिटामोल की गोली ही लें . एस्प्रिन और अन्य दर्द निवारक दवाओं का सेवन न करें .
* उचित मात्रा में पानी और अन्य तरल पदार्थ लेते रहना चाहिए ताकि पानी की कमी न हो.
* उपरोक्त खतरे के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें .
* नीम हकीम और चमत्कारिक डॉक्टरों के चक्कर में न पड़ें . उचित अस्पताल में ही इलाज कराएँ .
* डेंगू का न ही कोई उपचार है , न कोई वैक्सीन। लेकिन सपोर्टिव इलाज से ही रोगी पूर्णतया ठीक हो जाते हैं।
निदान :
* आम तौर पर डेंगू रोगी के लक्षण देखकर ही पता चल जाता है विशेषकर जब बुखार के साथ रैश भी नज़र आए।
* प्लेटलेट काउंट्स -- डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स संख्या सामान्य से कम हो जाती है। लगातार गिरती संख्या डेंगू के पक्ष में जाती है . यदि 20, 000 से कम हो तो अस्पताल में भर्ती हो जाना चाहिए। 10000 से नीचे प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन की ज़रुरत पड़ती है।
* एलाइजा टेस्ट और डेंगू सिरोलोजी : आई जी एम् एंटीबोडीज का रक्त में पाया जाना डेंगू का एक्टिव इन्फेक्शन दर्शाता है। जबकि आई जी जी एंटीबोडीज का होना पुराना संक्रमण दर्शाता है।
डेंगू से बचाव के तरीके :
* सबसे ज़रूरी है घर के आस पास साफ सफाई रखना और कहीं भी पानी जमा न होने देना। कूलर , बर्तन , गमले आदि में पानी जमा न होने दें। गर्मियों में कूलर में सप्ताह में एक बार एक बड़ा चम्मच टेमीफौस ग्रेनुल्स डालें या फिर मिटटी का तेल भी डाल सकते हैं।
* दिन में पूरी बाजु की कमीज़ पहने। जहाँ तक हो सके शरीर को ढक कर रखें।
* मच्छर मार दवा का स्प्रे भी लाभदायक रहता है।
नोट: डेंगू होने पर घबराएँ नहीं। जब तक ऊपर बताये गए गंभीर लक्षण नज़र नहीं आते , तब तक घर में रह कर भी इलाज़ कराया जा सकता है। डेंगू में प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन की ज़रुरत तभी पड़ती है जब प्लेटलेट काउंट्स 10000 से कम हो या रक्त श्राव होने लगे। बचाव के लिए प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन की ज़रुरत नहीं होती।
डेंगू और चिकनगुनियामें थोडा सा ही अंतर होता है .चिकनगुनिया में जोड़ों में दर्द ज्यादा होता है और लम्बे समय तक रह सकता है। दोनों का इलाज एक जैसा ही है।
* डेंगू का न ही कोई उपचार है , न कोई वैक्सीन। लेकिन सपोर्टिव इलाज से ही रोगी पूर्णतया ठीक हो जाते हैं।
निदान :
* आम तौर पर डेंगू रोगी के लक्षण देखकर ही पता चल जाता है विशेषकर जब बुखार के साथ रैश भी नज़र आए।
* प्लेटलेट काउंट्स -- डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स संख्या सामान्य से कम हो जाती है। लगातार गिरती संख्या डेंगू के पक्ष में जाती है . यदि 20, 000 से कम हो तो अस्पताल में भर्ती हो जाना चाहिए। 10000 से नीचे प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन की ज़रुरत पड़ती है।
* एलाइजा टेस्ट और डेंगू सिरोलोजी : आई जी एम् एंटीबोडीज का रक्त में पाया जाना डेंगू का एक्टिव इन्फेक्शन दर्शाता है। जबकि आई जी जी एंटीबोडीज का होना पुराना संक्रमण दर्शाता है।
डेंगू से बचाव के तरीके :
* सबसे ज़रूरी है घर के आस पास साफ सफाई रखना और कहीं भी पानी जमा न होने देना। कूलर , बर्तन , गमले आदि में पानी जमा न होने दें। गर्मियों में कूलर में सप्ताह में एक बार एक बड़ा चम्मच टेमीफौस ग्रेनुल्स डालें या फिर मिटटी का तेल भी डाल सकते हैं।
* दिन में पूरी बाजु की कमीज़ पहने। जहाँ तक हो सके शरीर को ढक कर रखें।
* मच्छर मार दवा का स्प्रे भी लाभदायक रहता है।
नोट: डेंगू होने पर घबराएँ नहीं। जब तक ऊपर बताये गए गंभीर लक्षण नज़र नहीं आते , तब तक घर में रह कर भी इलाज़ कराया जा सकता है। डेंगू में प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन की ज़रुरत तभी पड़ती है जब प्लेटलेट काउंट्स 10000 से कम हो या रक्त श्राव होने लगे। बचाव के लिए प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन की ज़रुरत नहीं होती।
डेंगू और चिकनगुनियामें थोडा सा ही अंतर होता है .चिकनगुनिया में जोड़ों में दर्द ज्यादा होता है और लम्बे समय तक रह सकता है। दोनों का इलाज एक जैसा ही है।
अब तो मुझे वाकई इससे डर लगने लगा है. कुछ साल पहले हमारी बेटी को इससे जूझना पड़ा था
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी ....
ReplyDeleteहमने तो पानी में लगे अपने मनी प्लांट के पानी को फेक दिया , अपने घर में तो सुरक्षा कर ली किन्तु बाहर का क्या करे । अच्छी जानकारी देने के लिए धन्यवाद ।
ReplyDeleteडेंगू के बारे में हमारी जानकारी बढाने के लिये शुक्रिया।
ReplyDeleteडेंगू के बारे में तमाम भ्रांतियां आपने समाप्त कर दी और बहुत अच्छी जानकारी दी.
ReplyDeleteवर्तमान की घटनाएं देखकर बहुत डर बैठा हुआ है, अति उपयोगी जानकारी मिली, आभार.
ReplyDeleteरामराम
जानकारी के लिए धन्यवाद!
ReplyDeleteसंयोग कहें या डिजाइन, डॉक्टर तो सिरिंज बाहरी उपकरण की तरह प्रयोग में लाता है, जबकि प्रकृति/ सृष्टिकर्ता ने इस छोटे से जीव को प्राकृतिक सिरिंज के साथ बनाया है - सावधान रहने के लिए?!
@ जेसी जी ,
Deleteसृष्टिकर्ता ही सर्वश्रेष्ठ डिजायनर है मनुष्य तो केवल प्रकृति की नक़ल लायक अक्ल इस्तेमाल करना जान पाया है अब तक !
JCOctober 28, 2012 7:01 PM
Deleteअली जी, सही कहा आपने! क्यूंकि किसी दूसरे को दोष देना हमारी प्रकृति है, भले ही इस के लिए हम किसी को भी दोषी ठहराएं, सृष्टिकर्ता के थोड़ा सा भी निकट पहुँच पाना निकट वर्तमान में सीमित क्षमता के कारण मानव के लिए असंभव ही प्रतीत होता है...
...डेंगू का नाम सुनते ही डर लगता है !!
ReplyDelete.
.
.जानकारी के लिए आभार
महत्वपूर्ण जानकारी के लिए आभार
ReplyDeleteबढिया जानकारी
ReplyDeleteबहुत आभार -आप समय समय पर ऐसी जानकारियाँ देकर बहुत उपकार करते हैं!
ReplyDeletesamyik jankari ke abhar.......
ReplyDeletepranam.
बाप रे भयानक बिमारी है. बेहद उपयोगी जानकारी के लिए आभार.
ReplyDeleteडेंगू के बारे मे अच्छी जानकारी दी.
ReplyDeleteटेमीफौस ग्रेनुल्स
ReplyDeleteये क्या होता है और कहां, किस ब्रांड नाम से बिकता है?
यह एक ओर्गेनोफोस्फोरस कम्पाउंड है जो नर्वस सिस्टम पर ज़हर का काम करता है. इससे मच्छर के लार्वा मर जाते हैं . दिल्ली में यह नगर निगम की तरफ से सप्लाई किया जाता है.
Deleteसही समय पर उपयोगी जानकारी।
Deleteबहुत अच्छी जानकारी
ReplyDeleteबहुत डर सताने लगा है मच्छरों का अब तो...
ReplyDeleteडेंगू पर चौतरफा जानकारी देता बेहतरीन प्रासंगिक आलेख .शुक्रिया डॉ .साहब का .
ReplyDeleteडेंगू से डर लगता ,मलेरिया का बुखार
ReplyDeleteसाफ़ सफाई से रहे ,कभी न हो बीमार,,,,,
RECENT POST LINK...: खता,,,
bahut hi upyogi post ke liye hardik abhar sir ....yh post hi apne ap me dengu ke liye mahatvpoorn dwa hai
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