जादू एक ऐसा खेल है जो मनुष्य को सदियों से अचंभित और आनंदित करता आया है। हालाँकि यह सब जानते हैं और जादूगर स्वयं मानते और बताते हैं कि जादू कोई चमत्कार नहीं होता बल्कि नज़रों का एक धोखा है। यानि यह एक रहस्यमयी खेल है और जब तक रहस्य पता नहीं चलता तब तक जादू हैरानी में डाले रहता है।
गली में कबूतर उड़ाने वाले से लेकर पी सी सरकार जैसे जाने माने जादूगर और ताजमहल को गायब करके दिखाने वाले विदेशी जादूगरों का रहस्य आज तक कोई पता नहीं कर पाया। यही इस खेल का मूल सिद्धांत है।
जब तक रहस्य बना रहेगा , जादू एक चमत्कार लगेगा।
और यह रहस्य कोई जादूगर नहीं बताएगा। आखिर रोजी रोटी का सवाल है। फिर भी जादू के बारे बहुत सी बातें समझ में आती हैं। जैसे :
* जादू के लिए जादूगर विशेष साधनों और उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं।
* जादू दिखाने में हाथों का तेजी से इस्तेमाल किया जाता है जिसका अभ्यास बहुत काम आता है।
* जादू दिखाते समय बातों का बहुत बड़ा रोल होता है। जादूगर बातें बनाकर आपका ध्यान दूसरी ओर आकर्षित कर लेता है और हाथों से ध्यान हटा देता है।
बाज़ार में ऐसे बहुत से खेल और जादू उपलब्ध हैं जिन्हें सीखकर आप भी जादूगर बन लोगों को हैरत में डाल सकते हैं। फिर भी कभी कभी कोई एक ऐसा खेल देखने को मिल जाता है जिसका रहस्य समझ में नहीं आता।
ऐसा ही एक जादू हमने देखा और समझने की कोशिश की। उसे फिर से देखकर वीडियो भी बनाया ताकि बार बार देखकर उसका रहस्य समझा जा सके। लेकिन कुछ समझ नहीं आया।
आइये आपको भी दिखाते हैं इसका वीडियो :
अब बताईये इसका रहस्य। कैसे हवा में उठा यह स्टूल ?
ReplyDeletesaarthak post,badhai.
कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें , आभारी होऊंगा.
वेरी सिंपल - कपडे के निचले हिस्से में क्विक फिक्स जैसा पदार्थ लगा रखा था जब वह हलके मेज की सतह पर ठीक से चिपक गया फिर उठा लिया ! :)
ReplyDeleteजादू का खेल कहाँ समझ आता है, बस मुँह फाड़े देखते हैं ।
ReplyDeleteयदि यही बता दिया तो फिर जादू क्या हुआ .....
ReplyDeleteरहस्य से पर्दा ही उठ जाए तो मजा कहां रह जाता है ?
ReplyDeleteसमझ ना आ पाये वही तो जादू है जी
ReplyDeleteवैसे इस टैक्नीक में स्टूल के एक कोने पर 4-5 इंच धातु का पतला सा लेकिन मजबूत तार लगा होता है।
जादूगर ने इसे कपडे के नीचे से बायें हाथ से पकड रखा है, यह तार इतना मजबूत है कि स्टूल इसी के सहारे से उठ जाता है।
प्रणाम
ऐसे में तो हाथ ऊपर होने चाहिए. जबकि पहले स्टूल ऊपर है , फिर धीरे धीरे हाथ ऊपर होते हैं.
Deleteडॉ. साहब, किसी को बेपर्दा करना कोई अच्छी बात नही ...???;-)
ReplyDeleteप्रयास सफल कहाँ हुआ जी . अभी तो मुफ्त में जादू दिखा रहे हैं.
Deleteडॉक्टर तारीफ़ जी, आपको परमहंस योगानंद की AUTOBIOGRAPHY OF A YOGI जरूर पढ़नी चाहिए जिसमें, उच्च स्तर का जादू अर्थात 'माया' ही चाहे कहलो उसे, कुछेक दृष्टांत हैं - जैसे किसी योगी का अपने मेहमानों को उनका अपना कोई भी इच्छित भोजन कराना जो सोने की तश्तरियों में हवा/ शून्य से आया और खाली प्लेट उसी प्रकार लौट गयीं!!!
ReplyDeleteजे सी जी , चमत्कारों में बिल्कुल भी विश्वास नहीं है. इसीलिए किसी मनुष्य को भगवान नहीं मानते.
DeleteJCOctober 30, 2012 7:14 PM
Deleteप्राचीन हिन्दू मान्यता के अनुसार सम्पूर्ण साकार जगत ही छलावा है!!!
वास्तव में केवल अजन्मा और अनंत निराकार नादबिन्दू/ विष्णु ही सत्य है जो 'योगनिद्रा' (सुपर कॉन्शश स्टेट) में अनंत शून्य को और उसके भीतर समाये प्रतीत होते ब्रह्माण्ड को अपनी 'तीसरी आँख' में, स्वप्न समान, अनादि काल से देखता आ रहा है!!! और, जिसमें मानव और हमारा सौर-मंडल, दोनों उसके मॉडल हैं!!!
ऐम्नेसिया का मरीज़ अस्पताल में आँख खुलने में पूछता है, "मैं कौन हूँ, आदि???" और पहुंचे हुवे योगी भी कहते बताये गए हैं, "मैं भगवान् हूँ"!!!
डॉक्टर एक सुई लगा बेहोश आदमी को होश में ले आता है - उसे भी चमत्कार कहा जा सकता है!!!
जहां तक स्टूल का हवा में उठने का प्रश्न है, उसका रहस्य कपडे के नीचे/ पर्दे के पीछे है!!!
ReplyDeleteचादर और टेबुल में पहले से ही दोस्ती है।
ReplyDeleteआपका बदला हेड़र अच्छा लगा। हेडर बदलते रहने वाला आइडिया मस्त है। :)
यही तो मज़ा है जादू का यदि यह राज़ खुल गया तो फिर जादू का मतलब ही क्या रह जाएगा डॉ साहब ...:)
ReplyDeleteजादू के लिए बस ये ही कहेंगे कि ''पर्दे में रहने दो ...पर्दा ना उठायो ..पर्दा जो उठ गया तो भेद खुल जाएगा '':))))
ReplyDeleteयही तो जादू है,,,,समझ में आजाये तो फिर कैसा जादू,,,,,,रोमांचक वीडियो प्रस्तुति,,,,
ReplyDeleteRECENT POST LINK...: खता,,,
दृश्य विभ्रम और हाथ की सफायी -यही तो है जादू !
ReplyDeleteदिमाग पर जोर आपने भी नहीं डाला . :)
Deleteनजरों का धोखा ही जादू है ...बात तो है !
ReplyDeleteअब तो नज़रों को धोखा खाने की आदत पड़ गयी है...
ReplyDeleteसतीश जी , नज़रों को दिल से नहीं , दिमाग से जोड़कर देखिये . फिर धोखा नहीं खायेंगे. :)
DeleteThis is true and not understandable game ever i see.I cann't say about it is fictional game
ReplyDeleteडॉ .साहब आजकल तो रेलगाड़ी भी पटरी से कुछ इंच ऊपर उठकर मेग्नेटिक लिफ्ट से चलती है फिर स्टूल की क्या बिसात .लाल कपडे का अस्तर चुम्बकीय हो सकता है .यह एक संभावना है हालाकि सरलीकृत हो
ReplyDeleteसकती है यह व्याख्या .
मैं अपना लकड़ी का स्टूल ले जाता हूँ तब उसे लिफ्ट करके दिखाए जादूगर जी .
जादू के सच में कुछ खेल वो होते हैं जो समझ से बाहर हैं सोचकर और परेशानी होती है क्यूंकि जिज्ञासु मन हर चीज में लोजिक ढूंढता है उसके अस्तित्व का उद्दगम ढूंढता है जो जादू में समझ नहीं पाता माना की कुछ हाथ की सफाई या उनके कुछ ऐसे सामान होते हैं किन्तु किसी किसी जादू को देख कर वो भी नहीं सोच सकते इस विडियो में भी वही बात है कुछ समझ नहीं आ रहा ये कैसे हुआ साझा करने का शुक्रिया
ReplyDeleteआजकल तकनिकी प्रगति के चलते स्टेज पर दिखाए जाने वाले जादू का स्तर बढ़ा तो है किन्तु पहले १९५०-६० के दशक में स्कूल आदि में खुले आसमान के नीचे सबके सामने दिखाए जाने वाले कई जादू आज भी कभी कभी याद आते हैं जो हमारी समझ के बाहर हैं... और ऐसे ही आधुनिक जादूगर भी यदाकदा टीवी पर दिखाई पड़ जाते हैं...
ReplyDeleteजादू मेरी नज़र...
ReplyDeleteअब रहस्योद्घाटन कब होगा ??
जी , जैसे ही पता चलेगा . :)
DeleteDr .Daral sb ,why did not you comment on "maglev"(magnetic levitation ).
ReplyDeleteSharma ji , this principle is used in Monorail. There the movement is longitudinal in a horizontal plane. As far as I understand there is continuous shift in the position of poles of the magnet , which creates the motion. Also, there is no contact between the rail and the train. May be a Physicist may tell better. However , here the movement is vertical. The cloth is in contact with the stool.
Deleteजहां तक स्टूल के ऊपर गैस के गुब्बारे समान उठने का प्रश्न है, एक अनुमान यह भी हो सकता है कि ऐसा कुछ मेकैनिस्म स्टूल में लगाया गया हो सकता है... किन्तु पर्दे के कारण जनता को पता नहीं चलता... :(
ReplyDeleteजे सी जी , यह तो निश्चित है की रहस्य स्टूल और परदे में ही है. लेकिन क्या / कैसे यही समझना है.
DeleteJCNovember 03, 2012 11:40 AM
Deleteडॉक्टर तारीफ़ जी, जैसा शर्मा जी ने कहा, स्टूल लोहे का है, इसलिए उसकी सीट के नीचे एक हवा से हलकी हाइड्रोजन/ हीलियम गैस भरा चुम्बकीय डब्बा हाथ की सफाई से जादूगर द्वारा चिपकाया जा सकता है... और साथ साथ उस डब्बे में लगा एक वॉल्व खोला जा सकता है, जिससे कुछ समय में गैस बाहर निकलते जाने से स्टूल कुछ देर हवा में तैर नीचे आजायेगा!!! और बाद में वो डब्बा निकाल लिया जाएगा अगले खेल की तैयारी के लिए!!!
बात तो पते की लगती है जे सी जी.
Deleteआपका पोस्ट सदैव ज्ञान वर्धक रहा आनंद आया .
ReplyDeleteसच है जादू का रहस्य आजतक समझ नहीं आया।
ReplyDeleteमतलब उत्तर आप नहीं बतायेंगे।
ReplyDelete