वर्षों पहले हम मित्रों ने एक ख्वाब बुना था -- बाल बच्चों समेत विदेश यात्रा पर जाने का . ख्वाब पूरा हुआ पूरे ३२ साल बाद जब तीन मित्रों को इक्कट्ठा कर पाए और कार्यक्रम बना पाए, हालाँकि अब बाल तो सभी के कम ही बचे थे . जैसे ही ऑफिस से अनुमति आई , हमने टिकेट कटाई , वीज़ा की अर्जी लगाई, हबीब सैलून से कटिंग कराई और भाई चल दिए दुबई . विमान से नीचे का नज़ारा ऐसा दिख रहा था जैसे रेगिस्तान में जगह जगह घर बने हों , कोई पेड़ नज़र नहीं आया . लेकिन शहर में पहुंचते ही भूल से गए की पेड़ों की भी ज़रुरत होती है .
ठहरने के लिए बढ़िया होटल था -- दुबई में चार / पांच सितारा होटल्स की भरमार है . आखिर , उनकी सारी कमाई टूरिज्म से जो होती है .
होटल की लॉबी से बाहर सड़क नज़र आ रही है .
दुबई जाने के लिए आसानी से पॅकेज टूर मिल जाते हैं जो हवाई टिकेट के साथ खाने , ठहरने और घुमाने का पूरा प्रबंध खुद कर देते हैं . इसी में शामिल होता है -- दुबई धोव क्रूज . रात में रंग बिरंगी नाव में बैठकर शहर के बीचों बीच बनाई गई नदी में सैर करते हुए , रात में शहर की खूबसूरती देखने जैसी होती है . बोट में ही ऐ सी हॉल में संगीत के साथ बुफे डिनर परोसा जाता है . बाद में एक जादूगर ने भी अपने जौहर दिखाकर सबका मन मोह लिया .
दुबई रात में .
अगले दिन सिटी टूर में दिन के समय उसी स्थान पर . नदी के पार ऊंची ऊंची बिल्डिंग्स एक से एक अलग डिजाइन में दिखाई देती हैं .
यहाँ से निकल कर बस पहुंची मीना बाज़ार -- जहाँ दुबई की सबसे बड़ी और शायद उचित दामों वाली मार्केट है . लेकिन हम तो यहाँ रुके म्युज़ियम में जहाँ अंडर ग्राउंड ऐ सी म्यूजियम सचमुच अम्युजिंग लगी .
यहाँ से आगे बस पहुँच गई जुमैरा रोड पर जो दुबई के वेस्ट कोस्ट ( पश्चिमी घाट ) के साथ साथ चलती हुई सारजाह तक जाती है .
इसी सड़क पर बनी है यह दुबई की सबसे बड़ी मस्जिद . दुबई में करीब ५०० मस्जिदें हैं . एक आश्चर्य्ज़नक बात यह थी -- यहाँ लगभग सभी बिल्डिंग्स बाहर से गोल्डन ब्राउन या केमल कलर में नज़र आई . खाली पड़ी जगहों पर रेत भी इसी रंग का होता है . लेकिन यह रेत भारी होता है , इसलिए धूल बिल्कुल नहीं उडती. इसीलिए वहां कपडे भी मैले नहीं होते . ज़ाहिर है , दुबई की वायु में प्रदुषण न के बराबर है .
जुमैरा रोड पर चलते हुए दायें हाथ की ओर समुद्र है -- अरब महासागर . समुद्र और सड़क के बीच बस १०० मीटर की दूरी है . लेकिन इस भूमि पर सड़क और समुद्र के बीच अनेक होटल्स , मस्जिदें और निजी बंगले हैं . यु ऐ ई के शासक शेखों के भी आलिशान बंगले यहीं बने हैं , हालाँकि शासन तो अबू धाबी से होता है . सागर किनारे बना है -- यह सात सितारा होटल , बुर्ज़ अल अरब . इसकी चोटी पर बायीं तरफ जो डिस्क सी नज़र आ रही है , वह हेलीपेड है . यहाँ एक टेनिस कोर्ट भी है जहाँ इवान लेंडल जैसे टेनिस प्लेयर मैच खेल चुके हैं . दायीं तरफ एक गैलरी नुमा रेस्तरां बार है जहाँ से दुबई की कोस्ट लाइन का खूबसूरत नज़ारा देख सकते हैं . लेकिन कीमत मत पूछिए .
अरब महासागर में बुड्ढा महामस्ती . यहाँ पानी काफी गर्म था . वैसे भी दुबई में दिन में अगस्त में तापमान ४० डिग्री के करीब होता है और धूप बहुत तेज़ होती है .
अल बुर्ज़ से थोडा आगे बना है -- विश्व का प्रथम कृत्रिम मानव निर्मित टापू -- पाम आईलेंड जुमैरा. पाम यहाँ का राष्ट्रीय वृक्ष है . पाम की शक्ल में बना यह आईलेंड सड़क से करीब ६-७ किलोमीटर दूर तक जाता है जिसके दोनों ओर शुरू में बहु मंजिला आवासीय इमारतें बनी हैं जिनमे विश्व के जाने माने और सेलेब्रिटी लोगों के अपार्टमेन्ट हैं . एक अपार्टमेन्ट की कीमत -- छोडिये क्या करेंगे जानकर , दिल में दर्द होने लगेगा . शाहरुख़ खान ने भी खरीदा है लेकिन ९९ वर्ष की लीज़ पर . यानि स्वामित्त्व तो उनका ही रहेगा . अपार्टमेंट्स के बाद पाम की लीव्स के रूप में शाखाएं सी बनी हैं जिनपर व्यक्तिगत घर बने हैं -- एक तरफ सड़क , दूसरी तरफ स्वयं की प्राइवेट बीच -- हर घर के लिए . अब तक रस्क होने लगा था . आखिर में जाकर बना है यह सात सितारा होटल -- एटलानटिस .
आर्च के ऊपर छै सुइट्स बने हैं जिनका किराया है -- २५००० डॉलर प्रतिदिन . ,यह अलग बात है , हर सुइट में अपना स्वयं का स्विमिंग पूल , सौना आदि बने हैं . इस होटल में खाना खायेंगे तो आपको खर्च करने पड़ेंगे -- ६०० दिरहम यानि करीब १०,००० रूपये प्रति व्यक्ति . लेकिन आप यहाँ से पूरे पाम आईलेंड को आसमान से देख सकते हैं.
पाम आईलेंड से निकलकर पहुंचते हैं दुबई के नए क्षेत्र में जहाँ गगन चुम्बी इमारतें देखकर सर घूमने लगता है .
यह है , विश्व की सबसे ऊंची बिल्डिंग -- बुर्ज़ खलीफा . इसकी १२४ वीं मंजिल तक आप जा सकते हैं .
यह फोटो हमारे गाइड ने लगभग सड़क पर लेटकर खींचा था .
यह है , विश्व की सबसे ऊंची बिल्डिंग -- बुर्ज़ खलीफा . इसकी १२४ वीं मंजिल तक आप जा सकते हैं .
यह फोटो हमारे गाइड ने लगभग सड़क पर लेटकर खींचा था .
सिटी टूर के बाद अगले दिन हमने दुबई की मेट्रो की सवारी की . यहाँ की मेट्रो बहुत बढ़िया है और १६ दिरहम में सारे दिन का पास मिल जाता है . मेट्रो में बैठकर शहर की अच्छी घुमाई हो जाती है , विशेषकर खूबसूरत इमारतें देखकर मन रेगिस्तान में भी बाग़ बाग़ हो जाता है .
दिन में धूप बहुत तेज़ थी . लेकिन इस भेष में काफी राहत मिली . वैसे भी वहां के मूल निवासियों में पुरुष सफ़ेद रंग का लम्बा सा कुर्ता पहनते हैं एक पीस में, और महिलाएं पूरी तरह से बुर्के में ढंकी रहती हैं . शायद यह उन्हें वहां की तेज़ धूप से सुरक्षित रखता है .
दिन में धूप बहुत तेज़ थी . लेकिन इस भेष में काफी राहत मिली . वैसे भी वहां के मूल निवासियों में पुरुष सफ़ेद रंग का लम्बा सा कुर्ता पहनते हैं एक पीस में, और महिलाएं पूरी तरह से बुर्के में ढंकी रहती हैं . शायद यह उन्हें वहां की तेज़ धूप से सुरक्षित रखता है .
एक शानदार मॉल में घूमकर जब थक गए तो वापस आ गए , दुबई मॉल में जहाँ से बुर्ज़ खलीफा के लिए एंट्री होती है . ( टिकेट १०० दिरहम मात्र )
लेकिन लिफ्ट में घुसते ही एक मिनट में ही हम खड़े थे विश्व की सबसे ऊंची ईमारत की १२४ वीं मंजिल पर बने दर्शक दीर्घा में .
बर्ड्स आई व्यू ऑफ़ दुबई -- बुर्ज़ खलीफा से .
एक और दृश्य -- यहाँ शाम के समय फव्वारे चलते हैं जिन्हें देखने हजारों लोग इक्कट्ठे हो जाते हैं .
टॉप पर लगी यह ऐ टी एम् मशीन नोट नहीं सोने के सिक्के निकालती है , दिरहम के बदले .
बुर्ज़ से उतरकर दुबई मॉल में घूमते हुए पहली बार भारी भीड़ मिली . बेशक यह दुबई का सबसे लोकप्रिय मॉल है जहाँ सभी तरह के लोग मौज मस्ती करते हुए नज़र आते हैं . यहीं पर बना है इनडोर इक्वेरियम . विशालकाय इक्वेरियम में नीचे एक टनल बनी है, और ऊपर बोटिंग कर सकते हैं . लेकिन टिकेट ८०-११० दिरहम .
मॉल के बाहर शाम को हर आधे घंटे में म्यूजिकल फाउन्टेन शो होता है जो फ्री है . हालाँकि यह हमारे दिल्ली में बने अक्षरधाम में होने वाले शो के आगे कुछ भी नहीं था .
बर्ड्स आई व्यू ऑफ़ दुबई -- बुर्ज़ खलीफा से .
एक और दृश्य -- यहाँ शाम के समय फव्वारे चलते हैं जिन्हें देखने हजारों लोग इक्कट्ठे हो जाते हैं .
टॉप पर लगी यह ऐ टी एम् मशीन नोट नहीं सोने के सिक्के निकालती है , दिरहम के बदले .
बुर्ज़ से उतरकर दुबई मॉल में घूमते हुए पहली बार भारी भीड़ मिली . बेशक यह दुबई का सबसे लोकप्रिय मॉल है जहाँ सभी तरह के लोग मौज मस्ती करते हुए नज़र आते हैं . यहीं पर बना है इनडोर इक्वेरियम . विशालकाय इक्वेरियम में नीचे एक टनल बनी है, और ऊपर बोटिंग कर सकते हैं . लेकिन टिकेट ८०-११० दिरहम .
मॉल के बाहर शाम को हर आधे घंटे में म्यूजिकल फाउन्टेन शो होता है जो फ्री है . हालाँकि यह हमारे दिल्ली में बने अक्षरधाम में होने वाले शो के आगे कुछ भी नहीं था .
आखिरी दिन हमने तपती धूप में बीच का मज़ा भी लिया . समुद्र में नहाने का अपना ही मज़ा है . लेकिन यहाँ नहाने और कपडे बदलने की सुविधा देखकर मन प्रसन्न हो गया .
और इस तरह पूरा हुआ हमारा दुबई दर्शन . अगली पोस्ट में दुबई से हमने क्या सीखा , यह बताएँगे . फिर इसके बाद डेजर्ट सफ़ारी का आनंद लेना न भूलें .
यह पोस्ट अरविन्द मिश्र जी की फरमाइश पर . कई दिनों बाद मूड लाईट हुआ है .
ReplyDeleteजहे नसीब!
Deleteबाकायदा दुबई घुमा दिया आपने. पैसे बच गए हमारे .आभार.
ReplyDeleteआभार आपका और अरविन्द जी का...
ReplyDeleteमुफ्त की सैर का अपना आनन्द है.......
:-)
अब अगली पोस्ट में सीख लेने को तैयार हैं ...
सादर
अनु
शुक्रिया जी!
Deleteशिखा जी ने बिलकुल हमारे दिल की बात कह दी !
ReplyDeleteकुछ तो फर्क है, कि नहीं - ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग जगत मे क्या चल रहा है उस को ब्लॉग जगत की पोस्टों के माध्यम से ही आप तक हम पहुँचते है ... आज आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !
ये तो जन्नत का नज़ारा दिखा है हालांकि हूरे अभी दिखी नहीं, तमन्ना करते हैं अगली कड़ियों में उनका भी दीदार हो जायेगा !
ReplyDeleteबेकरारी को कुछ तो करार मिला !
सचमुच ये नज़ारे धरती के तो नहीं लगते -सच सच बताईये कहाँ से लौटे हैं! और चित्र तो सचमुच दिलकश है !
सचमुच , कुछ नज़ारे तो धरती के हैं ही नहीं .
Deleteसमुद्र में करोड़ों टन रेत और पत्थर डालकर बनाया गया है -- पाम आईलेंड .
हूर देखने के लिए थोडा इंतजार करना पड़ेगा . :)
आनन्दम् इति आनन्दम्
ReplyDeleteहमने भी मुफ्त में घूम लिया। एक बात दिमाग में आई कि यह दुनियाँ बहुत बड़ी है। कितने महंगे-महंगे होटल हैं! कितने सुंदर स्थल बने हैं! कुछ तो इतने महंगे कि यहाँ पहुँच कर बड़े भी बौने लगने लगते हैं। जैसे हम कहते हैं न..अब आया ऊँट पहाड़ के नीचे।:) वैसे आप घूमे अच्छा किया। हमको यहाँ के बारे में बताया डबल अच्छा किया।..आभार।
ReplyDeleteकुछ तो अमीरों के चोचले भी होते हैं . जहाँ पेट्रोल सस्ता और पानी महंगा हो , वहां ऊँट तो पहाड़ के नीचे ही रहेगा . :)
Deleteफरमाइश अरविंद की,घुमा दिया दुबई
ReplyDeleteआनंद आ गया देख,आभार दराल भाई,,,,
RECENT POST : गीत,
ये सारी दौलत पेट्रोल की ही तो है पेट्रो डॉलर्स की है .कोई ताज्जुब नहीं यहाँ पेट्रोल सस्ता पानी मंहगा है .दुबई दर्शन के लिए आभार .अगली किस्तों का रहेगा इंतज़ार .ये सारे महा नगर गगन चिढाती इमारतों से देखनें में एक जैसे ही क्यों लगतें हैं चाहे वह शिकागो हो या लासवेगास ,या हो दुबई .
ReplyDeleteआपकी यह पोस्ट उसी दिन रीडर पर देख ली थी जब आपने पोस्ट की थी ... बहुत खूबसूरत नज़ारे हैं ॥सुंदर चित्र .... दुबई की सैर करवाने के लिए आभार
ReplyDeleteaapke aanandit karane wale safar mein , hamein bhi saath hone ka ehsas hua.
ReplyDeleteहमने भी घूम लिए आपके साथ डॉ.साहब
ReplyDeleteचलिए, दुबई घूम लिया हमने भी। बच गए पैसे।
ReplyDeleteमुफ्त की सैर ....! बहुत खूबसूरत नज़ारे !
ReplyDeleteJCSeptember 27, 2012 11:18 AM
ReplyDeleteदुबई की सैर कर आनंद आया...
"हबीब सैलून से कटिंग कराई... " पढ़ प्रश्न उठा कि क्या यह भी एक शर्त है वहाँ जाने के लिए???
जे सी जी , शर्त नहीं बस टशन था .
Deleteबेहद खूबसूरत तस्वीरों में दुबई के खूबसूरत नज़ारे . इंसान रेगिस्तान की रेत पर भी क्या नहीं बना सकता !
ReplyDeleteदाउद का कुछ अता-पता चला?
ReplyDeleteहम अपने भाई लोगों क साथ घूमने गए थे भाई . :)
Delete.
ReplyDeleteआपके साथ दुबई घूम कर बहुत आनन्द आ गया जी …
और यह आनन्द इसलिए भी आनन्ददायक है कि न कहीं हिलना पड़ा , न धूप में झुलसना पड़ा ।
पैसे तो ख़ैर क्या लगते हमारे …बड़े भाई साहब के साथ होने का फ़ायदा तो मिलना ही मिलना था … … …
:)
बहुत रोचक पोस्ट !
# हां , अल्पना जी से मुलाकात हुई या नहीं ?
शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
मुलाकात के लिए कई मित्रों से वादा था जो पूरा न हो सका . समय ही नहीं मिला .
Deleteबहारों के सपने मतलब फोटो बहुत सुंदर हैं देख कर किसी को भी रश्क हो जाये.
ReplyDeleteअब मित्रों से मुलाक़ात के लिये एक और यात्रा का स्कोप है.
अरे मेरी टिप्पणी गायब हो गयी क्या??
ReplyDeleteक्या बात है डॉ साहब हम तो बस ठगे से देखते ही रहे .....न नाम याद रहा न जगह ....बस आप जिधर जिधर आप घुमाते गए हम मूरत से घूमते रहे .....
ReplyDeleteउफ्फ्फ इतनी खूबसूरती .....!!!!!!!!!
हम तो लूटे पिटे से हैं क्या कहें .....:((
नासवा जी दुबई में ही रहते हैं न ....?
जी हाँ , लेकिन मुलाकात न हो सकी . समय ही नहीं बचा .
Deleteचलिए दुबई की सैर ने रूठे हुए भाई साहब को तो मिलवा दिया ....:))
ReplyDeleteरूठे हुए भाई साहब !?!:)
ReplyDeleteहाँ जिनको बड़े भाई साहब के साथ होने का फ़ायदा मिला .....:))
Delete
Delete.
दराल भाई साहब
सावधान !
ऐसा लगता है किसी के द्वारा किसी के ख़िलाफ़ किसी के कान भरने की कोशिश हो रही है …
तीन तीन किसी ! :)
Deleteधन्यभाग .
ओये होए ......!!!!!!!!
ReplyDeleteछोटे भाई साहब भी कमाल के हैं ....?
पिछली टिप्पणियों पर भी नज़र रखते हैं .....:))
बहुत रोचक ,हम फ्री में दुबई घूम रहे हैं हार्दिक आभार बहुत सुन्दर क्लियर तस्वीरें हैं
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