आम आदमी की जुबान में इन दिनों डॉक्टरों की चांदी हो जाती है .
बुखार का घरेलु इलाज :
अब यह तो दुनियादारी है --आखिर जिंदगी के मायने सबके लिए जुदा होते हैं .
लेकिन यदि आप वाइरल फीवर की चपेट में आ ही जाएँ , तो क्या करना चाहिए --आइये हम बताते हैं ( बिना किसी फीस के ).
बुखार :
अचानक बुखार होने का सबसे प्रमुख कारण है वाइरल इन्फेक्शन . यूँ तो वाइरस लाखों किस्म के होते हैं लेकिन इनमे से कुछ ही मनुष्य को प्रभावित करते हैं .
इनमे सबसे कॉमन है --राईनोवाइरस --जिससे कॉमन कोल्ड यानि जुकाम होता है .
१) कॉमन कोल्ड : यह सबसे कॉमन इन्फेक्शन है , बदलते मौसम में . सबसे पहले नाक बहने लगती है , फिर गला ख़राब और खांसी , साथ में बुखार . अक्सर बहती नाक २-३ दिन में रुक जाती है लेकिन खांसी यदि ज्यादा हो जाए तो दवा लेना ज़रूरी हो जाता है . बुखार भी २-४ दिन में उतर जाता है .
डॉक्टर्स इसे यु आर आई कहते हैं .
२) वाइरल फीवर : इसमें सिर्फ बुखार होता है , साथ में सर दर्द , बदन दर्द , कमजोरी और थकावट होती है . ज़ाहिर है , इस बुखार में जुकाम और खांसी नहीं होती . यह बुखार १--७ दिन में अपने आप उतर जाता है , बिना दवा लिए भी .
१ और २ नंबर के बुखार एयर बोर्न इन्फेक्शन हैं यानि इनके वाइरस वायु में रहते हैं और साँस के साथ शरीर में प्रवेश करते हैं . इसलिए इनसे बच पाना लगभग नामुमकिन है .
३) अन्य वाइरल फीवर : डेंगू , चिकनगुनिया , येल्लो फीवर आदि . इनमे से डेंगू और चिकनगुनिया कॉमन हैं , लेकिन ये बुखार मच्छर के काटने से होते हैं , इसलिए इनकी रोकथाम की जा सकती है . येल्लो फीवर भारत में नहीं होता .
४) मलेरिया : ठण्ड के साथ अचानक बुखार चढ़ जाता है . यह भी मच्छर के काटने से ही होता है . इसलिए रोकथाम की जा सकती है .
५) यदि ७ दिन तक बुखार न उतरे और रोगी की हालत सही न लग रही हो तो typhoid होने की सम्भावना बढ़ जाती है .
६) यदि खांसी के साथ हल्का बुखार २-३ सप्ताह से चल रहा हो तो टी बी हो सकती है .
बुखार के उपरोक्त कारण हमारे देश में मुख्य तौर पर पाए जाते हैं . इस तरह के संक्रमण मुख्यतया विकासशील देशों में ही होते हैं जहाँ रहन सहन का स्तर ज्यादा अच्छा नहीं है .
बुखार का इलाज स्वयं नहीं करना चाहिए . डॉक्टर से परामर्श लेना अनिवार्य होता है वर्ना बहुत बड़ा धोखा खा सकते हैं .
लेकिन जब तक डॉक्टर के पास जा पायें , तब तक घर में क्या उपचार किया जा सकता है , यह जानिए :
१) आराम : बुखार में पहला काम करें --आराम . इससे बुखार जल्दी उतरेगा .
२) दवा : यदि बुखार १०० के आस पास या ज्यादा है तो एक गोली पेरासिटामोल ले सकते हैं जिसे ४-६ घंटे में दोबारा लिया जा सकता है . यह सबसे सुरक्षित दवा है . कभी भी एस्पिरिन न लें , यह खतरनाक हो सकती है .
३) हाइड्रोथेरपी : बुखार १०१-१०२ या इससे ऊपर होने पर स्पोंजिंग करने से राहत मिलेगी .
४) खाना : हल्का खाना अवश्य खाएं . न खाने से कमजोरी ज्यादा आएगी .
५) पानी : बुखार में dehydration होने का खतरा रहता है . इसलिए द्रव्य जैसे पानी , दूध , चाय , शरबत आदि उचित मात्रा में पीते रहना चाहिए .
६) समय मिलते ही एक बार डॉक्टर को अवश्य मिल लें .
याद रहे वाइरल बुखार एक से सात दिन में बहुधा उतर जाता है . इससे ज्यादा चलने पर जांच आवश्यक हो जाती हैं .
कहते हैं वाइरल फीवर दवा लेने से एक सप्ताह में ठीक हो जाता है . दवा न लेने से सात दिन में उतर जाता है .
अब ज़रा सोचिये -- एक मरीज़ एक डॉक्टर से ६ दिन तक इलाज कराता रहा लेकिन बुखार नहीं उतरा . सातवें दिन उसने डॉक्टर बदल लिया . दूसरे डॉक्टर ने दवा दी और बुखार ख़त्म . दूसरा डॉक्टर मरीज़ की नज़र में काबिल डॉक्टर बन गया .
क्या करें हमारे देश में ऐसा ही होता है .
भाई साहब! 7 दिन कौन इंतजार करे, आजकल सब्र किसे है? बीमारी का ईलाज भी फ़टाफ़ट होना चाहिए।
ReplyDeleteआपकी सलाह मानी जाएगी।
आभार
डॉ सर ,
ReplyDeleteआपसे हम ब्लोगरों को बड़ा फायदा है !
कृपया इस प्रकार के लेख जारी रखियेगा आप जब तक बिना फीस काम कर रहे हैं, भरोसा किया जा सकता है ! आशा है साथी डाक्टरों के दवाब में नहीं आयेंगे :-)
शुभकामनायें
हफ़्ता-सात दिन इंतज़ार करने से अच्छा है कि डाक्टर बदलते रहें :)
ReplyDeleteबहुत बढिया जानकारी दी।
ReplyDeleteअच्छी जानकारी दी है ..सात दिन बहुत ज्यादा हैं एक सप्ताह ठीक है ..:):)
ReplyDeletefir se bahut achchi jankari deti hui post.thank you soooo much Dr.Daral.aapki post se bahut logon ko fayda pahuchega.keep posting.
ReplyDeleteबढिया जानकारी
ReplyDeleteway4host
बहुत ही लाभप्रद सचेत करने वाली जानकारी दी है . जबलपुर में विगत चार दिनों से लगातार बारिश होने के कारण मैं भी वायरल फीवर इन्फेक्टेड हो गया हूँ .... जो लक्षण आपने बताये हैं शतप्रतिशत मिलते जुलते हैं ... ईलाज जारी है .... आभार
ReplyDeleteसार्थक और महत्व्पूर्ण जानकारी से भरा लेख !
ReplyDeleteबरसात के दिनों में ब्लागरों के लिए बेहद उपयोगी !
'एक सप्ताह' और 'सात दिन' काफी मज़ेदार रहा !
आभार !
हा हा हा ! ललित जी , काजल जी , इसी बेसब्री की वज़ह से डॉक्टर्स मालामाल हो रहे हैं .
ReplyDeleteसतीश जी , जब कोई फीस न दे तो फ्री सेवा ही सही . :)
संगीता जी , एक सप्ताह तक डॉक्टर को फीस भी तो देनी पड़ेगी . सात दिन में फ्री में उतर जायेगा . :)
डाक्टर साहब, ये हुयी न कोई बात सटीक सलाह और बिना फीस लिए सतीश जी की बकौल कृपया किसी दबाव में न आये और ऐसे ही परामर्श देते रहे धन्यवाद
ReplyDeletesahi jaankari ke liye shurkriya........aabhar
ReplyDeleteबिना फीस के इतनी सुंदर सलाह,
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
आपसे हम ब्लोगरों को बड़ा फायदा है !
ReplyDeleteबहुत अच्छे निस्खे हैं यह तो!
ReplyDelete--
नीम हकींम खतरे जान,
नीम मुल्ला खतरे ईमान!
बढ़िया जानकारी
ReplyDelete..काम की जानकारी।
ReplyDeleteयदि वर्षा में गुखार हो तो होमियोपैथी की रस टाक्स२०० की ५ गोलिया रोज़ एक बार तीन दिन तक लें।
ReplyDeleteयदि वायरल फ़ीवर हो तो इसी प्रकार यूपटोरियम पर्फ़३० लें । अवश्य लाभ होगा॥
डॉक्टर साहिब, कल शाम एक पडौसी और मित्र को देखने गया जब पता लगा की वो कुछ दिनों से वाइरल बुखार से पीड़ित हैं... तो जैसा सुकरात ने भी कहा की ३० वर्ष के बाद आदमी या तो डॉक्टर बन जाता है, या मूर्ख रह जाता है, तो मैंने उनसे कहा एक हफ्ता देख, फिर डॉक्टर के पास चले जाएँ. तो उन्होंने कहा कि हफ्ते के बाद ही डॉक्टर को दिखाया, किन्तु जो दवाई उन्होंने दी है उससे उनका माथा ही घूम गया!
ReplyDeleteसुन्दर जानकारी भरी प्रस्तुति , आभार
ReplyDeleteदराल सर,
ReplyDeleteसात दिन या सप्ताह तो हम से इंतज़ार नहीं होगा, हां हफ्ता या वीक की बात की जाए तो चलेगा...
जय हिंद...
बहुत अच्छी और महत्वपूर्ण जानकारी मिली ! डॉक्टर साहब आपका हर पोस्ट बहुत ही बढ़िया लगता है ! दरअसल सात दिन इंतज़ार करना बहुत ही लम्बा वक़्त हो जाता है! वैसे मेरे पास हमेशा हर तरह की दवाईयाँ उपलब्ध होती है जो ज़रुरत होने पर बहुत काम आता है!
ReplyDeleteडॉक्टर साहिब एवं खुशदीप जी, पुलिस वालों की तरह यह वाइरस भी हफ्ता मांगता है और वीक कर देता है :)
ReplyDeleteबहुत उपयोगी जानकारी दी है सर।
ReplyDeleteसादर
हा हा हा ! जे सी जी ने सही फ़रमाया .
ReplyDeleteवाइरल फीवर में हफ्ता ज़रूर लग सकता है . लेकिन जैसा की मैंने पहले भी कहा की आपको हफ्ता इंतजार नहीं करना चाहिए बल्कि अवसर मिलते ही जल्दी से जल्दी डॉक्टर को दिखाना चाहिए . यह तो डॉक्टर ही बता सकता है की वाइरल है या कुछ और .
सेल्फ ट्रीटमेंट कभी नहीं करना चाहिए . वर्ना जो शास्त्री जी ने कहा वह सही हो जायेगा .
बुखार में खतरे की घंटी :
ReplyDelete१) शरीर पर लाल लाल दाने --डेंगू और चिकनगुनिया में होते हैं .
२) कहीं से भी रक्त श्राव --डेंगू हेमरेजिक फीवर --खतरनाक हो सकता है .
३) जोड़ों में दर्द --चिकनगुनिया .
४) ठण्ड और कंपकपी --मलेरिया और यूरिन इन्फेक्शन .
५) लो बी पी -- dehydration , septicemia , DIC
उपरोक्त होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना चाहिए .
आभार सर ,उपयोगी जानकारी
ReplyDeleteबहुत उपयोगी जानकारी है ... ये मौसम तो बुखार की झड़ी ले कर आता है ...
ReplyDeleteथैंक गाड-सही सलामत लौटे ..आपकी इत्ती अच्छी हिदायतें काम न आयीं :(
ReplyDeleteजन -जागरण की कड़ी मे यह भी बेहद उपयोगी पोस्ट है ।
ReplyDeleteडॉ साहिब, हम तो इन्तेज़ार कर रहे हैं........ पता नहीं सातवाँ दिन कब आएगा.
ReplyDeleteदीपक जी , थोड़ा साहस रखें , सातवां दिन आठवें से पहले निश्चित ही आएगा . और आठवां आ जाये तो डॉक्टर को ज़रूर बुलाएँ .
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
ReplyDeleteयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग इस ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो हमारा भी प्रयास सफल होगा!
आपने सच लिखा है कि इसे पढकर हम भी अपना बचाव कर सकते है।
ReplyDeleteडॉ साहब दिक्कत तब पेश आती है जब एक बीमारी मसलन वायरल फीवर मलेरियाँ के लक्षण प्रगटित करती है .नक़ल उतारती है उन लक्षणों की ऐसे में पहले किसे रुल आउट किया जाए .
ReplyDeleteसर आपने तो बिना फीस लिए ही हमें डौक्टर भी बनाया और बहुत सारी उपयोगी सलाहें भी दी.....इतनी महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteblog me ek dr ... hum kitne bhagyashali hain
ReplyDeleteवीरुभाई , ऐसे में ही डॉक्टर की ज़रुरत पड़ती है .
ReplyDelete@क्या करें हमारे देश में ऐसा ही होता है .
ReplyDeleteसही कह रहे हैं.
चलो सब को आपने डाक्टर बना दिया अब कम से कम बुखार आदि मे फीस तो बचेगी। शुभकामनायें।
ReplyDeleteहमेशा की तरह बहुत ही उपयोगी पोस्ट
ReplyDeleteआपने बहुत लाभकारी जानकारियां दी है। लिगामेन्ट की चोट क्या होती है यदि किसी को यह चोट लगती है तो उसके उपचार में कितना समय लगता है कृपया इससे सम्बन्धित पोस्ट कुछ पोस्ट लिखे। लोग लाभान्वित होगे । आभार।
ReplyDeleteबहुत उपयोगी जानकारी......
ReplyDeleteजो दवाएं सामान्य रोगों में बिना किसी जोखिम के ली जा सकती हैं,क्या सरकार को सार्वजनिक हित में उनका विज्ञापन नहीं करना चाहिए?
ReplyDeleteGreat post ! simple and useful ! ...Kumar Radharaman ji has asked a very valid question but another question arises - " Can we expect anything in people's interest from our government" ?
ReplyDeleteबहुत रोचक ढंग से आपने जरूरी जानकारी दी है..शुक्रिया आपका...
ReplyDeleteनीरज
आम आदमी जब किसी बिमारी से अचानक ग्रस्त हो जाता है तो यह स्वाभाविक है कि वो उससे तुरंत छूटना चाहता है... ('गज-ग्रह' की कहानी के अनुसार इस ताले की चाभी 'विष्णु' के पास ही है :)
ReplyDeleteऔर भौतिक रूप से इस काल के साथ निरंतर परिवर्तनशील प्रकृति में, काल और स्थान विशेष के अनुसार, अनेक में से, बीमार किसी भी उपलब्ध मार्ग पर चलना आरम्भ कर देता है,,, यानि अपने विश्वास के अनुसार किसी चिकित्सा पद्दति को अपना, शायद पहले किसी दादी/ नानी के नुस्खे अपना और लाभ न होने पर फिर, किसी चिकित्सक आदि की सलाह लेने के लिए मजबूर हो जाता है...
सरदार खुशवंत सिंह ने भी अपने एक लेख में लिखा था कि जैसा देखने में आता है हर बिमारी का इलाज़ तो है, किन्तु कोई भी नहीं कह सकता की कौन सी चिकित्सा पद्दति से उसे १००% लाभ पहुंचेगा...और इस कारण आज आवश्यकता है किसी नयी पद्दति की जिसमें हर पद्दति के गुण हों...
कहते हैं वाइरल फीवर दवा लेने से एक सप्ताह में ठीक हो जाता है . दवा न लेने से सात दिन में उतर जाता है .
ReplyDeleteयदि आप वाइरल फीवर की चपेट में आ ही जाएँ , तो क्या करना चाहिए --आइये हम बताते हैं ( बिना किसी फीस के ).
Ha-ha-ha !!
सुनीता जी , कृपया यहाँ देखें ।
ReplyDeleteसॉरी लिंक नहीं आ पाया । कृपया इसे देखें ।
ReplyDeletehttp://tsdaral.blogspot.com/2010/02/blog-post_05.html
राधारमण जी , इस तरह की दवाएं ओ टी सी ( ओवर दा काउंटर ) मिल जाती हैं । लेकिन सरकार द्वारा विज्ञापन देकर
ReplyDeleteसूचित करना शायद सही नहीं होगा क्योंकि यह सेल्फ ट्रीटमेंट होगा जो उचित नहीं है ।
कोई भी फीवर वायरल हो सकता है लेकिन फिर भी डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी होता है वर्ना कुछ मिस होने पर भयंकर परिणाम हो सकते हैं । जैसे मनिनजाईटिस सिर्फ डॉक्टर ही डायग्नोज कर सकता है । मिस करने पर जान से हाथ धोना पड़ सकता है ।
जे सी जी , ऐसी कोई पद्धति नहीं है जो १०० % गारंटी दे सके । आखिर मृत्यु तो निश्चित ही है ।
डॉक्टर साहिब, मुझे पता है, मैंने तो खुशवंत सिंह जी के लेख का सारांश बताया था...
ReplyDeleteजन्म और मरण तो नदी के उद्गम और, अंततोगत्वा, सागर में मिलन द्वारा उसकी पृथ्वी पर स्वतंत्र विचरण का समापन है (मानव जीवन के विभिन्न चरणों को - शैशव काल से वृद्धावस्ता को - कवियों आदि ने भी नदियों की प्रकृति द्वारा प्रतिबिंबित होते पाया है), जिस सीमित काल में वो, यानि उसका जीवन दाई जल, अनंत प्राणीयों के काम अनादिकाल से आ रहा है...
और यह चक्र भी अनंत नहीं है क्यूंकि काल के साथ साथ 'राम की गंगा भी मैली हो जाती है' और अन्ततोगत्वा प्रलय भी निश्चित है...यानि ब्रह्मा के दिन के पश्चात उसकी रात भी आनी निश्चित है...
आधुनिक वैज्ञानिकों के अनुसार हमारे सौर-मंडल की आयु अब लगभग साढ़े चार अरब वर्ष हो गयी है,,, और प्राचीन ज्ञानी हिन्दू भी कह गए कि ब्रह्मा का एक दिन लगभग साढ़े चार अरब वर्ष ही होता है...
हिन्दू वेदांती द्वारा यद्यपि 'एकांतवाद' को परम सत्य माना गया, दूसरी ओर 'द्वैतवाद' को 'प्रभु की माया' माना जाता है, अर्थात मानव इन्द्रियों की कार्य क्षमता का सृष्टि की रचना के अनुसार काल के साथ साथ, यानि युग के अनुरूप, सतयुग में १००% से ७५%, और कलियुग में घट कर, मात्र २५% से ०% के बीच रह जाना... और वर्तमान घोर कलियुग, जब चारों ओर सृष्टि के आरंभ में विष व्याप्त था, माना जाता है, संभवतः शून्य से आरंभ कर शून्य पर फिर से पहुँचने का संकेत...??????
पुनश्च -
ReplyDeleteकृपया 'वृद्धावस्ता' के स्थान पर 'वृद्धावस्था' पढ़ें.
आपको हरियाली अमावस्या की ढेर सारी बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं .
ReplyDeletemeri wife ko typhide hai. uska bhukhar nhi ja rha hai. 99-100 pr atka rhta hai doctor se dwai bhi le rhain hain.koi upaye btain sir.
ReplyDeleteइसके लिए किसी अच्छे MBBS या MD डॉक्टर को दिखाइए। यदि विडाल टेस्ट पोजिटिव है तो typhoid होने की सम्भावना है। खाना हल्का दीजिये और आराम ज़रूरी है।
DeleteSir mere pait mai gas banti hai sir aur mera pait bhut tight bhi rehta hai.. nd doc se jab tak medi leta hu tab tak thik hai oske baad fir se start ho jati hai koi permanent ilaj batye
ReplyDeleteSir mere pait mai gas banti hai sir aur mera pait bhut tight bhi rehta hai.. nd doc se jab tak medi leta hu tab tak thik hai oske baad fir se start ho jati hai koi permanent ilaj batye
ReplyDeleteसॉरी तरनजीत जी , हम ब्लॉग पर इलाज़ नहीं करते। आप किसी अच्छे एम् बी बी एस डॉक्टर को दिखाइये। वैसे पेट में गैस अक्सर पेट में इन्फेक्शन से होती है जिसमे अमिबायसिस सबसे कॉमन है।
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