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Thursday, July 28, 2011

कुछ लोग होते हैं जिनसे दिल से मिलने का दिल करता है --

एक कार्यक्रम में शामिल होने गए तो नाम पता पूछने के बाद एक आयोजक युवक ने पूछा --सर आपकी उम्र क्या लिखूं । मैंने कहा भैया , यदि लिखना ज़रूरी है तो लिख लो २५ +। यह सुनकर चौंककर उसकी आँखें ऐसे फ़ैल गई जैसी हाइपरथायरायडिज्म के रोगी की होती हैं । बोला --सर आपको नहीं लगता कि आप कुछ उल्टा बोल रहे हैं । मैंने कहा भैया मैं बिल्कुल सुलटा बोल रहा हूँ । मैंने अभी हाल ही में अपने जन्मदिन की रजत जयंती ( सिल्वर जुबली ) मनाई है ,----- दूसरी बार । अब पहली हो या दूसरी , सिल्वर जुबली तो पच्चीस साल में ही होती है

पिछले दिनों दो बार सिल्वर जुबली मना चुके ऐसे ही कुछ नौज़वानों से मुलाकात का अवसर मिला जब श्री अरविंद मिश्र जी का दिल्ली आगमन हुआ । अरविन्द जी दो तीन बार दिल्ली आये भी तो मुलाकात न हो सकी । इसलिए इस बार जब पता चला कि उनका तीन दिन रुकने का कार्यक्रम है तो हमने भी मिलने का कार्यक्रम बना ही लिया ।

सतीश सक्सेना जी से बात हुई और मिलने का दिन , समय और स्थान निश्चित हो गया । तय हुआ कि ब्लोगर मिलन न होकर व्यक्तिगत रूप से मिलना करने के लिए बस दोनों ही चलेंगे ।

और हम पहुँच गए यू पी भवन जहाँ ४० साल से दिल्ली रहते हुए भी हम कभी नहीं गए थे ।
आखिर हम भी वी आई पी लोगों के अस्थायी निवास पर पहुँच गए
अरविंद जी से पहली बार मिलना हो रहा था हालाँकि ब्लॉग पर तो अक्सर मिलते ही रहते हैं । लेकिन वीरुभाई के नाम से ब्लॉग लिखने वाले श्री वीरेंदर शर्मा जी से तो कभी ब्लॉग पर भी मुलाकात नहीं हुई थी ।



















यू पी भवन की लॉबी में दोनों से प्रथम परिचय हुआ । परिचय के दौरान वीरुभाई ने अनायास ही वही सवाल किया जो अक्सर मुझसे किया जाता है --टी एस से क्या बनता है ?
चिर परिचित सवाल सुनकर हमें भी वही घटना याद आ गई जिसका जिक्र यहाँ है ।
लेकिन हम बस मुस्करा कर रह गए क्योंकि तब तक मन में एक विचार आ चुका था --बताने की बजाय दिखाने का ।



















और हम सब तैयार हो गए , पिकनिक पर जाने के लिए ।

पहला पड़ाव था --इण्डिया गेट
वहां तक पहुँचने में ड्राइव करते हुए बातों में मशगूल होते हुए सतीश जी ने दो बार यातायात के नियमों का उल्लंघन किया ।
लेकिन ब्लोगिरी का प्रभाव देखिये कि दोनों बार चार चार ब्लोगर्स को एक साथ देखकर बेचारे पुलिस वाले की हिम्मत ही नहीं पड़ी सिवाय हाथ जोड़कर राम राम करने के

























इण्डिया गेट पर सतीश जी ने अपने एस एल आर कैमरे से जम कर शूटिंग की । शानदार कैमरा देखकर ही सबके चेहरे पर मुस्कान आ गई ।


घूम घाम कर और इण्डिया गेट पर वह स्थान देखकर जहाँ हमारा नाम अंकित है , वीरुभाई को बड़ा आनंद आया




















बाद में क्लब में बैठ बड़ी ही गंभीर मुद्रा में उन्होंने न जाने क्या सुनाया कि --




















सतीश जी खिलखिला कर हंस पड़े ।
लहलहाती घनी जुल्फों और काली मूंछों के साथ इस मुस्कान से उनके ही नहीं , सभी के चेहरे पर रौनक गई

इस बीच खान पान शुरू हो चुका था । आखिर क्लब में लोग जाते ही हैं गपियाते हुए खाना पानी ( खाने पीने ) का आनंद लेने ।

यहाँ अरविंद जी के साथ ब्लडी मेरी वाला प्रसंग बड़ा दिलचस्प रहा । लेकिन उन्होंने भी बखूबी ब्रह्मचर्य का पालन किया ( गीता अनुसार ) । अब यह समझ न आये तो टिप्पणियों में साफ किया जायेगा ।

अरविंद मिश्र :

हम अरविंद जी की शुद्ध और सुसंस्कृत हिंदी के तो हमेशा कायल रहे ही हैं । साथ ही पोस्ट और टिप्पणियों में उनकी स्पष्टवादिता से भी हमेशा आनंदित रहे हैं ।

ब्लोगिंग में बनावटीपन हमें भी नहीं भाता । उनके यही गुण बहुत प्रभावित करते हैं ।
क्योंकि यह ब्लोगर मीट नहीं थी , इसलिए ब्लोगिंग पर कम और व्यक्तिगत बातें ज्यादा हुई और हमारा ध्येय भी यही था ।

वीरुभाई :

उम्र में भले ही हमसे १० साल बड़े हों , लेकिन जिंदगी के प्रति उनका उत्साह देखकर हम भावी भूतपूर्व नौज़वानों को भी जिंदगी को जिन्दादिली से जीने की प्रेरणा मिली । बहुत ही हंसमुख इन्सान हैं । हों भी क्यों नहीं , आखिर लम्बे अर्से तक हरियाणा में कार्यरत जो रहे हैं ।
बस क्लब में शोर अधिक होने की वज़ह से हम उनकी कविता की फरमाइश पूरी नहीं कर सके । लेकिन वह फिर सही ।

सतीश सक्सेना :

क्या कहें ! बेशक यारों के यार हैं । ब्लॉग जगत में सबसे चहेते ब्लोगर्स में से एक हैं । कारण आप मिलकर थोड़ी देर में ही जान सकते हैं । मानवीय भावनाओं की कद्र करना तो कोई सतीश जी से सीखे ।


और इस तरह शानदार गुजरी दिल्ली की एक शाम , जो हम सबको हमेशा याद रहेगी


नोट : ब्लॉगजगत में और भी बहुत से लोग हैं जिनसे दिल से मिलने का दिल करता है . इंतजार रहेगा आपका .


53 comments:

  1. दिल्ली की एक शाम शानदार गुजरने पर भावी भूतपूर्व नौज़वानों की जिन्दादिली को सैल्युट कर हम सभी ब्लॉग देवों को वंदन करते हैं।

    जय हिन्द

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  2. अरविन्द मिश्र जी की तो बात ही निराली है. जहाँ पहुँच जाए रंग जमा ले. अच्छी पेशकश .
    क्या हम सेक्स जनित विसंगतियों पर काबू पा सकते हैं?

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  3. ब्लॉग जगत के एक परिवार के रूप में विकसित होने की प्रक्रिया की एक और झलक।

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  4. वाह! क्या बात है, दो बार सिल्वर जुबली माना चुके नौजवानों के साथ एक हसीन शाम बिताने का इंतज़ार मुझे भी रहेगा।

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  5. निलेश जी , आपका स्वागत है ।

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  6. वाह! क्या बात है? आप अरविंद जी से मिल लिए। खुश भी हो लिए। हमें तो लगता है वाराणसी ही जाना पड़ेगा।

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  7. दिल से मिलाके दिल प्यार कीजिए... :)

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  8. आपकी यह व्यक्तिगत मुलाक़ात की रिपोर्ट दिलचस्प रही ..

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  9. ये कहते ,वो कहते -
    जो यार आता ,
    भई !सब कहने की बातें हैं -
    कुछ भी न कहा जाता ,
    जब यार आता .(और आजकल प्रोपोज करतें हैं ,झट कह देतें हैं आई लव यू ).
    संस्मरण पर दराल साहब के टिपियाते नहीं बन रहा है .बहुत मुश्किल लग रहा है ये कहना -
    लव यू टू .
    अब भला इतनी विनोद पूर्ण प्रस्तुति पर शब्द -पटुता पर चुप भी कैसे रहा जाए .?

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  10. जल्द ही मेरी भी, वीरु जी मुलाकात होने वाली है।

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  11. जहेनसीब आप अपना वर्जन लाये -आपसे मुलाकात एक यादगार है .....
    डॉ साहब मैं मिस्र वाला मिस्र नहीं बल्कि मिश्र वाला मिश्र हूँ ....
    आपने अपनी इतनी व्यस्तता के बावजूद दिल्ली की पूरी एक शाम हम पर निसार किये इसके लिए पूरा बनारस आप पर कुर्बान रहेगा !

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  12. आभार डॉ दराल,

    बड़ा प्यारा वृतांत लिखा है उस प्यारी सी मीटिंग का ...

    आज के समय में, इस सामान रूचि और हमउम्र लोग कम ही मिल पाते हैं, और अगर लोग दिल से, बिना दिखावा मिलें तो यकीनन बहुत आनंद आता है !

    उस दिन की मुलाकात में यह महसूस ही नहीं हुआ कि हम में से कई लोग पहली बार मिल रहे हैं ! वीरू भाई की मस्ती और विद्वता ने, उपलब्द्ध समय में कमी का अहसास दिलाया था !

    जहाँ एक और मैं डॉ अरविन्द मिश्र की बेबाकी और ईमानदारी का मैं फैन हूँ ......

    वहीँ आपका गर्व रहित, हंसमुख व्यक्तित्व बहुत कुछ सीखने की प्रेरणा देता है...
    शुभकामनायें आपको !

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  13. bahut badhiya...
    rochak andaaz me likhi gai post..

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  14. बहुत ही सरस भाषा में आपने सहजता से पूरी मुलाकात कह डाली, बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  15. सर, बहुत रोचक लगी आपकी यह रिपोर्ट ।
    ----------------------
    कल 29/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  16. itni achhi picnic ... mujhe bhi sabse milna hai - intzaar hai

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  17. दाराल साहब शानदार मिलन का लेखाजिखा भी शानदार और बेतकल्लुफ भी. आपको जान रहा हूँ धीरे-धीरे , सतीश जी तो ब्लोगरों के ब्लोगर है ही हरदिल अजीज ब्लोगर जोड़ी की शुभकामनाएं

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  18. बहुत यादगार लम्हा,लम्बे समय तक याद रहेगा,आभार.

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  19. अरविन्द भाई , आखिर एक छोटी सी त्रुटि हो ही गई । लीजिये सुधार कर दिया ।
    खैर , अब लगे हाथ यह भी बता दीजिये कि मिश्र , मिश्रा और मिसरा में कौन सबसे सही है ।
    हमारे एक सहपाठी हैं जो मिसरा लिखते हैं लेकिन हम उनको मिशरा कहते हैं ।

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  20. वीरू भाई , सतीश जी --आदमी जितना सोचता है , उसकी उम्र उतनी ही होती है । यानि यदि दिल ज़वान रहे तो बुढ़ापे का क्या मतलब ।
    हर हाल में हँसते मुस्कराते रहना ही जिंदगी है ।

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  21. दराल साहिब आप भी उन अच्छे लोगों में ही हैं!
    आपसे मिलने को बहुत दिल करता है!

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  22. जय हो , जय हो ,जय हो.

    शानदार मिलन की जय हो.

    सुन्दर प्रस्तुति की जय हो.

    मेरे ब्लॉग से क्यूँ मुहँ मोड़ा हुआ है डॉक्टर साहिब.

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  23. मुलाकात एक यादगार बन गई है ...

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  24. AREY WAH! BADHIYA RAHI YEH MULAKAAT! DILLI MEIN DIL MILE AUR HAMEIN KHABAR BHI NA HUI???

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  25. kash kabhi ham bhi aap sab se mil payen.

    dhanywad is prasang ko ham tak pahuchane ke liye.

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  26. दराल साहब, मन तो हमारा भी करता है पता नहीं किस-किसे से मिलने को। जब भी मौका मिलता है, मिल भी लेता हूं।

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  27. आप सबकी दिलचस्प मुलाकात का विवरण भी उतना ही रोचक है .

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  28. क्या इंडिया गेट पर अब शादी करने की जांबाज़ी पर भी नाम लिखा जाने लगा है...

    अमिताभ की फिल्म का गाना पेशे-खिदमत है-

    जहां चार यार मिल जाएं, वहीं रात हो गुलज़ार, जहां चार यार...

    जय हिंद...

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  29. आह ! पहली बार पता चला कि साहित्य में हरिणि जैसी आंखों वाली नायिकाएं हाइपरथायरायडिज्म से ग्रसित रही हैं आज तक :)

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  30. २५+ वालों की मुलाकात के किस्से मजेदार रहे!

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  31. @डॉ.दराल,
    मिश्र ज्यादा उपयुक्त है -कुछ लोग एम् आई एस आर ये ही लिखते हैं तब वह मिस्रा होगा -मगर मेरी दृष्टि में शुद्ध एम् आई एस एच आर ऐ -मिश्र /मिश्रा ठीक है -संशोधन के लिए शुक्रिया !

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  32. एक शेर है डॉ. सा'ब जो आप चारों एक-दुसरे को कह सकते हैं कि

    इस का कारण मुझ को भी मालूम नहीं,
    आप मुझे क्यों इतने अच्छे लगते हैं.....

    इस यारी को, मिलनसारी को नज़र न लगे...बस...इन्ही शुभकामनाओं के साथ

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  33. बचपन में एक चुटकुला सुना था...

    साक्षात्कार के समय लड़के से प्रश्न पूछा गया - "What's your name?"
    उत्तर - जनाब, मेरा नाम छोटे लाल मिश्रा है...
    प्रश्न कर्ता - "Reply in English"!
    उत्तर - "Sir, my name is Little Red Mixture"!

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  34. जानकार प्रसंत्ता हुई डा० साहब , प्रेरक प्रस्तुति !

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  35. तीसरी रजत जयंती की ओर अग्रसर होने के कारण देरी से याद आया कि मिश्र जी तो आम फौजी समान 'जनाब' नहीं कहते होंगे! उन्हें अवश्य 'श्रीमान' कहा होगा!

    अच्छा डॉक्टर साहिब, उन दिनों चोट लगे चाहे बुखार हो, सरकारी डिस्पेंसरी जाने पर पीने के लिए लाल मिक्सचर की शीशी मिल जाती थी, और चोट पर एक लाल दवा लगा देते थे जिससे जोरदार जलन होती थी! कभी जाना नहीं वे क्या थीं!

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  36. आपकी व्यक्तिगत मुलाक़ात का सर्वजनिकीकरण बेहद अच्छा लगा । चित्र और विवरण आकर्षक हैं ।

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  37. बढ़िया रही शाम-ए-मुलाकात

    हम तो आपसे भी मिले तो दो पल के लिए
    यही बात हुई सतीश जी के साथ

    अगली बार मिलते हैं फुरसत से
    शर्मा जी से भी हो जाएगी मुलाकात

    अरविन्द जी से तो कई बार मुलाकात होते होते रह गई
    लगता है बनारस जाना ही पड़ेगा द्विवेदी जी के साथ

    दिलचस्प यादें

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  38. सर जहाँ आत्मिक भावनात्मक लगाव होता है वहां सब कुछ संभव है ... बड़ा अच्छा लगा ब्लागर मीट के बारे में पढ़कर ... आभार

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  39. ब्लाग परिवार की ये तो यादगार मुलाकात है।
    बहुत सुंदर

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  40. ऐसे ही सब हँसी-खुशी मिलते रहे...

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  41. जब आपस में प्यार और सम्मान हो तो व्यक्तिगत मुलाकात में ये और बढ़ जाता है ।

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  42. शास्त्री जी , इस बार दिल्ली आना हो तो अवश्य बताइयेगा ।
    खुशदीप भाई , नाम तो यहाँ प्रथम विश्व युद्ध के शहीदों के ही लिखे हैं ।

    काजल जी कुछ हद तक सही हो सकता है ।
    योगेन्द्र जी , एक महफ़िल आप के साथ भी ड्यू है ।

    जे सी जी , मिक्सचर तो अब सब बंध हो गए हैं । लेकिन उस लाल दवा का नाम है -मर्क्यूरोक्रोम --अब यह भी इस्तेमाल नहीं होती । नई दवाएं जो आ गई हैं ।

    पाबला जी , आप ही ज्यादा व्यस्त रहे । हम तो आपसे मिलने ही गए थे वहां ।

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  43. डॉक्टर साहिब, धन्यवाद! आपने याद दिलाया तो तुरंत याद आगया, हाँ यही नाम था! अब तो बीटाडीन ही देखा उपयोग में लिए जाते...

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  44. मुलाक़ात का दिलचस्प विवरण पेश किया है डाक्टर साहब.

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  45. बहुत अच्छा लगा आप सबकी मुलाकात जान सुन कर....

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  46. सुन्दर तस्वीरों के साथ आपने बहुत ही रोचक और दिलचस्प रिपोर्ट प्रस्तुत किया है! बहुत बढ़िया लगा डॉक्टर साहब!

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  47. बहुत अच्छी पोस्ट है यह भी …

    पहले दिन ही पढ़ गया था … लेकिन कमेंट नहीं लिखा जा सका …

    आप चारों ही मेरे लिए अति प्रिय और सम्माननीय हैं
    आपकी पोस्ट के माध्यम से लगा कि मैं भी अपके आस-पास ही हूं …

    :) आप चारों को प्रणाम और मंगलकामनाएं

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  48. राजेन्द्र भाई , जिन लोगों से मिलने का बहुत दिल करता है , उनसे एक आप भी हैं . यह आप जानते भी हैं .

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  49. हूँ.......
    तो आज कल ब्लोगर मीट चल रही है .....
    शायद ही कोई आपसे बच पाए ....
    अब राजेन्द्र जी से भी मिल ही लीजिये ...
    फिर हमें बताइयेगा क्या सच मुच इनके गाल पे तिल है या यूँ ही नज़र बट्टू लगाये फिरते हैं ....

    :))

    अंत में टी एस का मतलब बता dun ......?
    इनाम क्या मिलेगा .....डॉ तारीफ सिंह दराल साहब ....???

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  50. वाह जी ! आजकल कहीं नज़र न आने वाले , ख़ुद नज़र लगने के डर से सबके साथ-साथ हमसे भी नज़र चुराते फिर रहे हैं लेकिन… हमारी गतिविधियों पर नज़र भी रख रहे हैं … और हमारे ऑरीजनल तिल को नज़र बट्टू बता कर हमारी नज़र नीची कराने की असफल कोशिश भी कर रहे हैं
    लेकिन यह तो उनकी नज़र का फ़र्क़ ही नज़र आ रहा है :))

    उनकी शान में एक शे'र और
    कुछ पुराने गी्तों के मुखड़े नज़र कर रहा हूं

    ## नज़र अंदाज़ करते हो , नज़र भी हम पॅ रखते हो
    नज़र के नूर को नज़रें न लग जाए ज़माने की


    # बदले बदले मेरे सरकार नज़र आते हैं

    # ऐ नज़रबाज़ सैंया नज़रिया न मारो

    # नज़र न लग जाए किसी की राहों में … , छुपा के रखलूं आ, तुझे निग़ाहों में

    # नज़र बचा कर चले गए ऽऽ वरना घायल कर देता …

    # मैं तेरी नज़र का सुरूर हूं , तुझे याद हो के ना याद हो

    # तेरी शोख़ नज़र का इशारा , मेरी वीरान रातों का तारा

    # वो थे न मुझसे दूर न मैं उनसे दूर था , आता न था नज़र को नज़र का क़ुसूर था

    # तुम्हारी नज़र क्यों ख़फ़ा हो गई , ख़ता बख़्श दो गर ख़ता हो गई

    # जिधर देखूं , तेरी तस्वीर नज़र आती है ( अमिताभ बच्चन जी का गाया हुआ )

    # तेरे चेहरे से नज़र नहीं हटती नज़ारे हम क्या देखें …


    मेरे ख़याल से इतना बहुत है …
    पता नहीं नज़रे-इनायत के लिए दुबारा आप यहां तशरीफ़ लाएंगी या …

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  51. …और हां, दराल भाई साहब
    जिन लोगों से मिलने का बहुत दिल करता है , उनमें मेरे साथ एक नाम और जोड़ लीजिए न ! … वरना न जाने … जलन के मारे वे हमारी किस किस बात पर शक़ करेंगे


    :))


    वैसे मुझे पता है , उनका नाम हमसे भी पहले है … और क्यों न हो … ब्लॉगजगत की और हमारे समकालीन काव्य लेखन की महान विभूति हैं हीर जी


    उन्हें सच्चे हृदय से सलाम !

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  52. हीर जी , बस यूँ ही कुछ दोस्तों से मिलना हुआ था ।
    राजेन्द्र जी तो बहुत बार कह चुके लेकिन कभी दिल्ली आना हुआ ही नहीं ।
    अब बाकी बातें तो मिलने के बाद ही --

    देर से ही सही , लेकिन आपका इनाम तो पक्का रहा --

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  53. राजेन्द्र भाई , लोग सुबह सुबह भगवान का नाम लेते हैं और एक आप हैं कि ---
    खैर देवी देवताओं को याद करना भी बुरा नहीं । :)

    अब रुक्सार पर तिल का मतलब तो हमें भी ढूंढना पड़ेगा ।

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