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Tuesday, January 18, 2011

सौन्दर्य और कला की प्रतिमूर्ति --माधुरी दीक्षित --एक झलक.

माधुरी दीक्षित --एक ऐसा नाम जो ज़ेहन में आते ही दिल धक् धक् करने लगता है । करीब दो दशकों तक करोड़ों युवा दिलों पर राज़ करने के बाद, माधुरी दीक्षित शादी कर यू एस में बस गई थी। अब एक बार फिर देश में टी वी पर उनकी झलक दिखाई दे रही हैं--झलक दिखला जा में

सौन्दर्य, अदा और कला का एक ऐसा अद्भुत संगम हैं माधुरी दीक्षित कि आज भी उनके दीवानों की कोई कमी नहीं ।

माधुरी दीक्षित का नाम आते ही हमें तो याद आने लगते हैं मुंबई के डॉ तुषार शाह जिन्हें ग्रेट इन्डियन लाफ्टर चैलेंज में देखकर हमें भी जोश आ गया था और दो बार प्रोग्राम के डायरेक्टर पंकज जी से मुलाकात के बाद भी जब हमें नहीं चुना गया तो दिल्ली आज तक पर दिल्ली हंसोड़ दंगल जीत कर ही सब्र करना पड़ा ।
लेकिन वो कहानी फिर कभी ।

अभी तो डॉ तुषार शाह की वो कविता याद आ रही है :

माधुरी को ले गया डॉ नेने
क्या गुनाह किया था मैंने

इन दो पंक्तियों में जैसे डॉ तुषार ने देश के सारे डॉक्टरों के दिल की बात कह दी ।

हालाँकि उनके दीवानों में सबसे बड़ा नाम आता है एम् ऍफ़ हुसैन का जिनकी दीवानगी इस कदर बढ़ी कि उन्होंने माधुरी को लेकर एक फिल्म ही बना डाली --ग़ज़गामिनी

आइये अपनी पसंदीदा कलाकारा से एक हसीन मुलाकात कराते हैं ।


१५ मई १९६७ को मुंबई में जन्मी माधुरी का बचपन का नाम था --बबली । आरम्भ से ही उन्हें नृत्य का बड़ा शौक था । हिंदी फिल्मों में भी उनके नृत्यों पर आज तक भी युवा बदन अपने आप थिरकने लगते हैं ।
उनके फ़िल्मी जीवन की शुरुआत हुई १९८४ में फिल्म अबोध से ।


उस वक्त माधुरी जी , एक अबोध बालिका ही तो थी ।
फिल्म नहीं चली और ४ साल तक उन्हें कोई विशेष सफलता नहीं मिली।


लेकिन १९८८ में आई फिल्म तेज़ाब ने उनकी जिंदगी बदल दी ।
मोहिनी --मोहिनी --मोहिनी --के नारों पर शुरू हुआ उनका डांस --एक दो तीन चार पांच छै सात आठ नौ दस ग्यारा ----इस गाने ने देश में धूम मचा दी ।
१९८९ में परिंदा और राम लखन भी बड़ी कामयाब रही ।

१९९० में आमिर खान के साथ आई फिल्म --दिल । इस फिल्म में पहले नोंक झोंक फिर प्यार का अहसास बहुत खूबसूरती से दिखाया गया था ।

इसी फिल्म में पहली बार हमें पता चला कि किसी कंजूस को मक्खीचूस क्यों कहते हैं

१९९१ में साजन , १९९२ में बेटा और १९९३ में खलनायक हिट रही

खलनायक का गाना --चोली के पीछे क्या है --सुनकर आज भी आवाज़ निकलती है --हाए-- -- -- !


लेकिन १९९४ में जिस फिल्म ने ज़बर्ज़स्त धूम मचाई वो थी --हम आपके हैं कौन
इस फिल्म में माधुरी सचमुच बबली लगी थी ।
१९९५ में आई फिल्म राजा के गाने और नृत्य हमें बड़े पसंद आए ।

२००२ में उनकी आखिरी सफल फिल्म आई --देवदास जिसमे उनका चंद्रमुखी का रोल बड़ा सशक्त रहा ।

उसके बाद तो आप जानते ही हैं --माधुरी को ले गया डॉ नेने

लाखों करोड़ों दिलों को तोड़कर माधुरी यू एस चली गई --अपने दिल के डॉक्टर के पास
डॉ श्री राम नेने दिलों को जोड़ने का काम करते हैं । जी हाँ , वो एक कार्डियोलोजिस्ट हैं ।




उम्र के साथ चेहरा ढल जायेगा । चेहरे पर पहले रेखाएं , फिर झुर्रियां आ जाएँगी ।
लेकिन यह करोड़ों वाट की मुस्कान वैसी ही रहेगी ।

क्योंकि मनुष्य के शरीर में दांत ही ऐसे अंग है जो हजारों साल के बाद भी नष्ट नहीं होते , बशर्ते कि उनमे कीड़ा न लगे ।
( वैसे दांत का कीड़ा भी एक कवि की कल्पना जैसा ही हैजो हकीकत में नहीं होता । )

पता चला है कि इसी मुस्कान के साथ माधुरी जी जल्दी ही कॉफ़ी विद करन प्रोग्राम में नज़र आएँगी टी वी पर ।
चलिए इंतज़ार करते हैं , आपके साथ हम भी ।

नोट : ब्लॉग जगत में माहौल कुछ इस कदर बिगड़ा हुआ था कि एक बार तो ब्लोगिंग छोड़ने का दिल करने लगाफिर सोचा कि क्यों थोडा माहौल बदला जायेआखिर बहुत हो गई ---देश , धर्म और ज्ञान की बातें

43 comments:

  1. सही है सर सुनकर आय हाय की सरसराहट होने लगती है .... मैंने भी टी. वी. पर माधुरी का शो देखा था ..पुराणी फ़िल्में याद आ गई ....

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  2. कुछ चेंज हो . परिवर्तन खुशहाल जीवन के लिए आवश्यक है आपकी सोच सराहनीय है ..स्वागत है ...आभार

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  3. आपने माधुरी का जिस तरह से वर्णन किया है ...वह हम सब के दिल का वर्णन है !बहुत ही अच्छा लगा माधुरी के बारे में इतना कुछ जान कर !आपने ब्लोगिंग छोड़ने की जो बात की है ...वही मेरे दिमाग में भी थी ..इसी कारन आजकल लिखना कम ही हो पाता है....माहौल बदल कर आपने बहुत बढ़िया किया.....धन्यवाद !.

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  4. तो आप भी एम.एफ़. हुसैन की लाइन में लग गए डॊक्टर सा’ब:)

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  5. आज तो धक-धक पोस्ट हो गयी डॉ साहेब.

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  6. प्रशाद जी , एम् ऍफ़ हुसैन जैसा डिवोशन तो हम कहाँ से लायेंगे । फिर अभी उतनी उम्र भी तो नहीं हुई है । :)

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  7. नोट : ब्लॉग जगत में माहौल कुछ इस कदर बिगड़ा हुआ था कि एक बार तो ब्लोगिंग छोड़ने का दिल करने लगा ।

    ऐसी क्या बात हो गई दराल जी ........???
    आप तो ऐसा सोचना भी मत .....
    आपकी तो हमें सख्त जरुरत है ....

    हरी माधुरी की बात .....
    तो सच कहूँ माधुरी मुझे कभी इतना प्रभावित नहीं कर पाई ....
    कला तो जरुर थी इसमें पर वो गंभीरता नहीं थी ....जो मधुबाला में थी ....राखी भी मेरी पसंदीदा हिरोइनों में से रही है ...
    सच है ...उम्र के साथ चेहरा ढल जायेगा । चेहरे पर पहले रेखाएं , फिर झुर्रियां आ जाएँगी ।
    लेकिन यह करोड़ों वाट की मुस्कान वैसी ही रहेगी ।

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  8. हम आपके हैं कौन के बारे में हेतु भारद्वाज ने लिखा हैः
    "यह फिल्म जीवन के उन मूल्यों को परदे पर रेखांकित करती है जिनका ह्रास होता जा रहा है,पर हमारा सामूहिक मन उनके लिए लालायित है। ये मूल्य हैं सामूहिक जीवन को आनंद के साथ जीने के,परिवार की हर खुशी को उत्सव में बदलने के और जीवन में रस लेकर मस्ती के साथ परस्पर जुड़ने के। यह फिल्म उन सभी मूल्यों को पुनरूज्जीवन की ओर संकेत करती है तथा यह भी प्रमाणित करती है कि जीवन रस के साथ जीने के लिए है।"

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  9. माधुरी के दीवाने तो देश-दुनिया में सभी तरफ फैले हैं लेकिन डा. तुषार शाह के वास्तविक प्रशंसकों में अपने राम भी शामिल हैं ।

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  10. फ़िदा हुसैन साहब ने फिल्म बनाई ..आपने पोस्ट लगाईं :) आपकी श्रद्धा भी कम नहीं आंकी जानी चाहिए.
    वैसे माधुरी के नृत्य कौशल के प्रसंशक हम भी हैं.

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  11. मेरी तो पसंदीदा अभिनेत्री हैं.....

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  12. हरकीरत से सहमत हूँ की मधुबाला का सौंदर्य अप्रतिम था ...माधुरी की मुस्कराहट बहुत कुछ उन जैसी ही है ...
    कभी -कभी कुछ अलग लिखना मूड चेंज करता है ...ब्लौगिंग छोड़ने से तो यही बेहतर है ..!

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  13. देश, धर्म और ज्ञान की बातें भरी स्‍वागतेय पोस्‍ट.

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  14. ..मुझे लो लगता है कि माधुरी सर्वश्रेष्ठ फिल्मी नृत्यांगना हैं। नृत्य के दौरान उनकी आँखें कमाल करती हैं। शेष अभिनय के मामले में तो कई हिरोइनें श्रेष्ठ हैं लेकिन माधुरी का नृत्य देख कर दिल धक-धक ना करें वो भला कौन हो सकता है !
    ..कुछ छोड़ना भी नहीं चाहिए, कुछ पकड़ना भी नहीं चाहिए बस यूँ ही मूड बदलते रहना चाहिए।

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  15. करियर के पीक पर होने के बावजूद खुद स्टारडम छोड़ना हर किसी के बस की बात नहीं होती...
    माधुरी ने गृहस्थी में पति और दो बच्चों के प्रति अपना फर्ज़ पूरा करने के लिए बॉलीवुड से बड़ी-बड़ी पेशकश भी ठुकरा दी थीं...बच्चों के थोड़ा बड़े होने के बाद माधुरी ने यश चोपड़ा की फिल्म आजा नच ले से फिर मुंबई का रुख किया...वो फिल्म चली नहीं...माधुरी का अब भी कहना है कि कोई स्क्रिप्ट उनके व्यक्तित्व के अनुसार मिली तभी वो फिर किसी फिल्म में काम करने पर सोचेंगी...

    जहां तक हुसैन का सवाल है तो उनकी लिस्ट में माधुरी के बाद तब्बू और अमृता राव के नाम भी आ चुके हैं...

    डॉक्टर साहब आपकी लिस्ट बदली या नहीं...

    जय हिंद...

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  16. सही निर्णय! ह्रदय परिवर्तन के लिए 'धक्-धक् गर्ल' के अतिरिक्त कोई विकल्प शायद नहीं!

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  17. .डा. सा :आप सब का इलाज करते हैं ,ब्लाग जगत को कैसे छोड़ सकते हैं.सब को आपकी आवश्यकता है.
    प्रस्तुत आलेख अच्छा लगा.

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  18. आद.डा. दराल साहब !
    परिवर्तन के लिए आज का विषय अच्छा है मगर ब्लॉग जगत से दूर जाने की बात मन में लाकर आपने हमारे जैसे न जाने कितनों का दिल दुखा दिया ! नए ब्लोगर्स के उत्साह वर्धन के साथ साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका योगदान स्तुत्य है ! कृपया ऐसी बात सोचें भी नहीं

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  19. ओह, तो आपभी दिवाने हैं उस धक धक के।

    -------
    क्‍या आपको मालूम है कि हिन्‍दी के सर्वाधिक चर्चित ब्‍लॉग कौन से हैं?

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  20. हा हा हा , खुशदीप भाई , हमारी लिस्ट अब पूरी हो चुकी है ।
    वाणी जी सही कह रही हैं । कभी कभी लीक से हटकर भी लिखना चाहिए ।
    माथुर साहब , ज्ञान चंद जी , इस सम्मान के लिए शुक्रिया । लेकिन ब्लोगिंग बोझ नहीं लगनी चाहिए । तभी एन्जॉय की जा सकती है ।

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  21. डा. साहेब ,बहुत दिनों से आपकी कोई पोस्ट नही आई --मुझे लगा आपने ' सन्यास 'ले लिया हे --ऐसा गजब कभी मत करना ?पल -पल बदलती ,अलग -अलग पोस्ट आपकी ही होती हे --सुकून मिलता हे इस भागती जिन्दगी में --| माधुरी मुझे वहां तक ही पसंद हे जहाँ तक उसकी शक्ल मधुबाला से कुछ हद तक मिलती हे| कभी मेरे ब्लाक पर आकर अपने श्रध्दा -सुमन अर्पित करे --|

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  22. आपकी पोस्ट तो चिल्ला चिल्ला कर आपका सफ़र बता रही है वाह!!!!!! से आह!!!!!!! तक. हा ..हा ...

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  23. बहुत दिनों से आपको ब्लॉग पर सक्रीय नहीं देखा तो लगा कहीं व्यस्त होंगे .....खैर देर आये दुरुस्त आये ....

    माधुरी के लिए न जाने कितनो का दिल धड़कता होगा ...महिलाओं की बातों पर मत जाइए ....उनका नजरिया अलग ही होगा देखने का ...
    और यह बात मैं इस लिए कह रही हूँ क्यों कि जब बौबी पिक्चर आई थी तब हम कॉलेज में थे ....घर पर आ कर ऐसे ही बात चल रही थी ...कुछ मेहमान भी आये हुए थे .तो सब लड़कियां कहने लगीं कि चिंटू बहुत अच्छा लग रहा था डिम्पल इतना नहीं जमी ...तो एक अंकल बोले हमसे पूछो न कौन जंचा ..हमें तो डिम्पल ज्यादा अच्छी लगी ....
    :):)

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  24. हा हा हा ! सही फैसला सुनाया अपने संगीता जी ।
    अब इतना हक़ तो हमें भी होना ही चाहिए ।

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  25. ब्‍लॉगिंग नहीं
    छोड़ना चाहें तो
    बिगड़े हुए माहौल
    की तरफ न करें रुख।

    हिन्‍दी का प्रयोग न करना अपराध घोषित हो

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  26. आदरणीय डॉ.दराल साहब
    सस्नेहाभिवादन !

    बहुत अच्छी पोस्ट है… ख़ूबसूरत फोटो भी पसंद आए …, लेकिन, अपना वोट भी हीर जी के साथ मधुबाला के लिए है …
    :) करें क्या ? यहां फालतू खड़े रहने में सार तो है नहीं … जब भरतपुर लुटे ही वक़्त बीत गया तो … जाने देते हैं !

    दिल्ली हंसोड़ दंगल की कहानी बतलाइए न ! प्लीज़ !
    इंतज़ार रहेगा …

    गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  27. आदरणीय डॉक्टर साहब को नमस्कार व गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनायें। बढ़िया पोस्ट के लिये बधाई।

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  28. आप सब को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं.

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  29. राजेन्द्र जी , आपके वोट का हम दिल से सम्मान करते हैं ।
    अब दिल दिल्ली में लुटे या भरतपुर में , बात तो एक ही है । :)
    चलिए अब कहानियां लिखना भी शुरू करते हैं , आपकी फरमाइश पर ।

    आप सब को भी गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ।

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  30. आपको व माधुरी के सभी दीवनों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।

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  31. बहुत सुन्दर.
    गणतंत्र दिवस की आपको भी बहुत-बहुत बधाई.

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  32. गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई.

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  33. परिवर्तन के लिए आज का विषय अच्छा है ब्लौगिंग छोड़ने से तो यही बेहतर है .

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  34. मेरे प्रिय नायिका के ऊपर लिखी ये ये पोस्ट कैसे छूट गयी..:(
    माधुरी सिर्फ 1000 watt मुस्कान...और सुन्दरता की स्वामिनी ही नहीं...उनमे जो ग्रेस है..बहुत कम अभिनेत्रियों में मिलता है...आज भी जिस प्रोग्राम में शिरकत करें ,उसकी शोभा दुगुनी हो जाती है.

    शुक्रिया इतनी सुन्दर तस्वीरों और इन जानकारियों का..सब रिफ्रेश हो गया फिर से..

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  35. Dr. Saahib, plz excuse this "late-latif". Aur itnaa hee kahunga ki padhkar ek phrase yaad a gayaa "Beauty lies in the eyes of the beholder".

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  36. गोदियाल जी , वैसे तो ऊपर वाले ने सभी को खूबसूरत बनाया है ।
    लेकिन कुछ को शायद फुर्सत में बनाया है । :)
    वैसे सूरत के साथ सीरत भी अच्छी हो , तो सोने पे सुहागा हो जाता है ।

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  37. त्रुटिहीन निष्कलंक सौन्दर्य -माधुरी दीक्षित !डॉ साहब ऐसेही दीवाने नहीहुये !

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  38. डा0 जरूरी नही बडी बडी बाते करके ही लेखन किया जायेग आपके ब्लाग की सभी रचनाए अच्छी लगती है बात तो वही है न जो इस ढंग से कहे की चेहरे पर मुस्कुराहट आये किसी का हंसाना दवा देने के समान है फिर आप तो खुद ही डा0 है इसलिए आपसे निवेदन है ब्लागिग नही छोडयेगा।

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  39. वाह माधुरी दीक्षित ...अच्छा परिचय करवाया ...आपका आभार सर जी

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  40. .

    माधुरी को ले गया डॉ नेने
    क्या गुनाह किया था मैंने ...

    डॉ दाराल आपका दुःख समझ सकती हूँ ...

    Smiles !

    .

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  41. वाह वाह .. माधुरी के विभिन्न रूप ... कमाल किया है डाक्टर साहब ... कुछ अलग हट कर लिखा है आज तो ...

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  42. हा हा हा ! दिव्या जी , यह दुःख मेरा नहीं , डॉ तुषार का है ।
    वैसे उनके दुःख में हम भी शामिल हैं । :)

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