हमारे देश में मोटा होने को सेहतमंद और पतला होने को कमज़ोर होना समझा जाता है ।
लेकिन यदि आपका वज़न बढ़ता ही जा रहा है तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप की सेहत बेहतर होती जा रही है ।
ज़रा गौर कीजिये --हो सकता है आप हाइपोथायरायडिज्म के शिकार हों ।
थायरायड :
हमारी गर्दन के सामने वाले हिस्से में एडम्स एप्पल के नीचे एक ग्रंथि होती है जिसे थायरायड कहते हैं । इससे एक हॉर्मोन निकलता है जिसे थायरायड हॉर्मोन कहते हैं । इस हॉर्मोन से हमारे शरीर के सभी अंगों की सभी गतिविधियाँ नियंत्रित होती हैं ।
इस हॉर्मोन की कमी से उत्तपन होने वाली स्थिति को हाइपोथायरायडिज्म कहते हैं ।
हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण :
इसके मुख्य लक्षण हैं ---
लगातार वज़न बढ़ते जाना ।
शरीर में सूजन आना , विशेषकर हाथ , पैरों और आँखों पर ।
भूख न लगना ।
अधिक नींद आना ।
कमजोरी और थकावट रहना ।
ज्यादा सर्दी लगना --गर्मियों का मौसम अच्छा लगता है ।
त्वचा में खुश्की रहना ।
कब्ज़ रहना ।
महिलाओं में अधिक माहवारी आना ।
बच्चे पैदा न होना ।
बाल झड़ना ।
यानि आप को भूख लगती नहीं , कुछ खाना खाते नहीं , फिर भी वज़न बढ़ता जा रहा है तो समझ लीजिये आपको यह प्रोब्लम हो सकती है ।
निदान :
डॉक्टर को ज़रूर दिखाएँ । डॉक्टर पूर्ण निरिक्षण करने के बाद कुछ जाँच करवाएगा ।
रक्त जाँच में दो टैस्ट ज़रूरी हैं ---फ्री टी -४ और टी एस एच ।
एक बार निदान हो गया और दवा शुरू कर दी गई तो अक्सर जीवन भर खानी पड़ सकती है । क्योंकि अक्सर यह रोग थायरायड ग्रंथि के स्थायी तौर पर नष्ट होने की वज़ह से होता है । यह autoimmunity की वज़ह से होता है ।
उपचार :
इस रोग का कोई उपचार नहीं है ।
लेकिन हॉर्मोन की कमी को पूरा करने के लिए हॉर्मोन को दवा के रूप में दिया जाता है । यानि इलाज़ बस रिप्लेसमेंट के रूप में होता है ।
फिर भी दवा लेते रहने से सामान्य जिंदगी गुजारी जा सकती है ।
दवा :
एल -थाय्रोक्सिन की गोली जो २५ , ५० , १०० माइक्रोग्राम में आती है , रोज सुबह नाश्ते से पहले खाली पेट लेनी होती है । इसकी सही डोज़ तो डॉक्टर ही निर्धारित करते हैं , लेकिन आम तौर पर एक व्यस्क के लिए ७५ से १२५ माइक्रोग्राम काफी रहती है ।
फोलोअप :
आरम्भ में हर महीने डॉक्टर से मिलना पड़ेगा । लेकिन एक बार डोज़ निर्धारित होने पर ६ महीने या एक साल में एक बार डॉक्टर से मिलना काफी है ।
फोलोअप में सिर्फ टी एस एच का टैस्ट कराना काफी है ।
गर्भवती महिला :
इन महिलाओं को विशेष ध्यान रखना चाहिए । गर्भ के दौरान डोज़ बढ़ानी पड़ती है क्योंकि गर्भ में पल रहे बच्चे को भी इसकी ज़रुरत होती है । यदि ऐसा नहीं किया गया तो बच्चे को हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है ।
बच्चे :
बच्चों में इस हॉर्मोन की कमी बहुत घातक सिद्ध हो सकती है । इससे विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ता है जिससे बच्चा अल्पविकसित रह सकता है --शारीरिक और मानसिक तौर पर । इन्हें क्रमश : ड्वारफिज्म और क्रेटीनिजम कहते हैं ।
बच्चों में दवा की डोज़ अक्सर ज्यादा रहती है ।
नोट : यह रोग महिलाओं में ज्यादा पाया जाता है । यदि मां को हो तो संतान में होने की सम्भावना काफी बढ़ जाती है । लेकिन याद रखिये --समय पर निदान होने से कई तरह की मुश्किलों से बचा जा सकता है ।
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बहुत उपयोगी जानकारी
ReplyDeleteधन्यवाद
आजकल बीमारियाँ कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी है, ऐसे में यदि सही जानकारी और समय पर मिल जाती है कुछ न कुछ फायदा जरुर लिया जा सकता है ..
ReplyDeleteसार्थक और उपयोगी जानकारी के लिए धन्यवाद
जो जो लक्षण आप ने बताये है अगर यह सब ना हो ओर कभी कभी बल्ड प्रेशर ज्यादा हो जाये , ओर चेक करवाने पर डा० बताये कि आप को हाइपोथायरायडिज्म है, तो क्या इस स्थिति मै इस का इलाज हो सक्ता है, ओर यह क्यो होता है? क्या परिवार से आगे से आगे चलता है, या कोई गलत दवा के कारण या कोई अन्य कारण? इस सुंदर जानकारी के लिये , धन्यवाद
ReplyDeleteउपयोगी जानकारी।
ReplyDeleteभाटिया जी , बिना फ्री टी ४ और टी एस एच की जाँच किये कोई डॉक्टर नहीं बता सकता कि यह रोग है या नहीं । पीढ़ी दर पीढ़ी चलने का खतरा तो है । अक्सर इस रोग का कोई कारण नहीं होता । अपने आप ग्रंथि नष्ट होने से यह रोग होता है ।
ReplyDeleteजो रोग सांस के साथ ही छूटे,उससे बचाव ही बेहतर। लिहाजा,इस संबंध में थोड़ी जानकारी अपेक्षित थी कि थॉयराइड ग्रंथि किन कारणों से स्थायी तौर पर नष्ट हो जाती है। महिलाएं क्यों खासतौर से इसकी शिकार हैं?
ReplyDeleteबहुत ही उपयोगी जानकारी...बहुत अच्छी तरह और विस्तार से समझा दिया है आपने...आजकल महिलाओं में यह बीमारी बहुत ही कॉमन हो गयी है. समय समय पर टेस्ट करवाना बहुत जरूरी है.
ReplyDeleteनियमित योग से इस बीमारी से दूर रहा जा सकता है.
उपयोगी लेख
ReplyDeleteबात फिर वहीं आकर खत्म होती है कि चिकित्सा के मामले में अभी बहुत प्रगति होनी बाकी है। चूंकि महिलाएं कई कारणों से अन्य रोगों का भी शिकार रहती हैं,लिहाजा यह बीमारी और चिंताजनक है।
ReplyDeleteबहुत उपयोगी लेख ...आभार
ReplyDelete... gyaanvardhak post !!!
ReplyDeleteउपयोगी एवं ज्ञानवर्धक जानकारी देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteज्ञान वर्धक लेख से आज हमारे बड़े गुरूजी भी बहुत खुश होंगे......धान के देश में बैठ कर............:)
ReplyDeleteजागरूक करने के लिए हार्दिक आभार.
ReplyDeleteधन्यवाद.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
अभी पूरी बॉडी की ओवर हौलिंग कराई है मैंने... सब पार्ट्स ठीक हैं... बहुत अच्छी और जानकारीपूर्ण पोस्ट ....
ReplyDeleteज़रूरी जानकारी ।
ReplyDeleteबहुत उपयोगी जानकारी |बहुत अच्छी लगी |सचेत करने के लिए धन्यवाद |
ReplyDeleteआशा
चैक कराता हूँ. :)
ReplyDeleteलोगों को जागरूक करती रचना। जानकर चिंता हुई कि इस रोग का उपचार नहीं है। बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
ReplyDeleteअलाउद्दीन के शासनकाल में सस्ता भारत-2, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
जानकारी बहुत उपयोगी रही!
ReplyDeleteबहुत ज्ञानवर्धक आलेख डॉक्टर साहेब ! सतर्क एवं सचेत करने के लिये धन्यवाद !
ReplyDeleteउपयोगी जानकारी के लिए धन्यवाद! ब्लॉग संसार के माध्यम से मुझे एक विदेशी स्त्री से पता चला कि उसकी ग्रंथि पैदाइश के समय से ही नहीं थी,,, इस कारण उसे काफी शारीरिक कष्ट होता है और औषधि सदा लेनी पड़ती है - मानसिक कष्ट तो होना निश्चित है...
ReplyDeleteये बीमारी आजकल युवतियों को छोटी उम्र में ही घेर रही है, इसमें सबसे ज़्यादा नियमित रूप से दवाई लेने और सावधानियां बरतने की है...कोई इलाज तो नहीं लेकिन दवाई लेने में चूकने से मर्ज़ और बढ़ सकता है....
ReplyDeleteये महफूज़ मियां कौन से गैरेज से ओवरहॉलिंग करा के आए हैं....
जय हिंद...
डाक्टर साहिब टेस्ट करवा लिये ये भी नही है फिर भी भार बढे जा रहा है मगर कारण ह्है ब्लागिन्ग। कितनी देर बैठना पडता है ना। अब आपको कमेन्ट न दें तोाप नाराज़्! बहुत अच्छी सलाह है धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत उपयोगी जानकारी डा० साहब !
ReplyDeleteबेहद उपयोगी जानकारी के लिए आभार !
ReplyDeleteक्या आयोडिन के कारण यह होता है जो आज आयोडिन युक्त नमक खाने को कहा जा रहा है।
ReplyDeleteअच्छी जानकारी के लिए आभार। हायपर थैरोड के बारे में भी जानकारी दें॥
जी हाँ , प्रसाद जी , आयोडीन की कमी से शर्तिया होता है । इसीलिए नमक में आयोडीन मिलाया जाता है । आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल अब नेशनल प्रोग्राम में शामिल किया गया है ।
ReplyDeleteहाइपरथायरायडिज्म के बारे में एक पोस्ट और लगानी पड़ेगी ।
डाक्टर साहब आपके ब्लॉग पर आ कर बहुत कुछ मिल जाता है जो बहुत ही उपयोगी होता है .... ख़ास कर हम जैसों के लिए जो विदेशों में हैं
ReplyDeleteअच्छी जानकारी। नए नए विषयों पर इसी प्रकार लिखते रहिए।
ReplyDeleteबहुत उपयोगी जानकारी दी आपने। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteआभार, आंच पर विशेष प्रस्तुति, आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पधारिए!
अलाउद्दीन के शासनकाल में सस्ता भारत-2, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
Very informative post.
ReplyDeleteThanks and regards.
सार्थक और उपयोगी जानकारी के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteबेहद सटीक जानकारी।
ReplyDeleteआपके ब्लॉग पर आ कर बहुत उपयोगी जानकारी मिल जाती है
ReplyDeleteसार्थक और उपयोगी जानकारी के लिए धन्यवाद !!
बहुत उपयोगी जानकारी .. मैं तो अभी लगातार दवा ले रही हूं .. जानना चाहती हूं कि थॉयराइड ग्रंथि किन कारणों से स्थायी तौर पर नष्ट हो जाती है .. महिलाएं क्यों खासतौर से इसकी शिकार हैं?
ReplyDeleteबहुत महत्वपूर्ण और ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त हुई! धन्यवाद!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
डा. साहिब, यह जानते हुए कि आधुनिक विज्ञान के क्षेत्र में अभी बहुत काम होना बाकी है, मेरा प्रयास (अपने अनुभव के कारण भी) कुछ दशकों से अपने ही देश में उपलब्ध विभिन्न क्षेत्रों की जानकारी प्राप्त करने का रहा है...
ReplyDeleteप्राचीन 'हिन्दू' मान्यता के आधार पर मैंने जाना है कि मानव शरीर को किसी समय सात ग्रहों के सार से बना माना गया, और उन्हें (इन्द्रधनुष समान) सात रंगों से भी जोड़ा गया (सप्ताह के सात दिन भी विभिन्न ग्रहों के नाम पर आधारित हैं),,,और ऐसे भी संकेत हैं कि संगीत में प्रयोग में लाये जाने वाले मुख्यतः सात सुरों और कुल १२ सुरों (मन्त्रों में) आदि का भी भारत में कभी उपयोग हुआ है प्राणियों कि कार्य क्षमता और सेहत आदि में वृद्धि अथवा सुधार हेतु ...इस कारण सदियों से चले आ रहे विभिन्न रंगीन रत्नों का उपयोग देख मुझे आवश्यकता महसूस हुई है इन पर अनुसंधान करने की,,,जैसा मैंने पहले भी कभी लिखा था, उसमें मुझे कुछ हद तक सफलता भी मिली है...
यहाँ पर में केवल यह कहूँगा कि गले में शुक्र ग्रह का सार माना गया है,,,और 'शुक्राचार्य' को कहानी में 'राक्षशों' का गुरु दर्शाया जाता रहा है, यानि सांकेतिक भाषा में 'सत्य' के मार्ग में अवरोधक!
sangita जी , इसका सबसे ज्यादा कॉमन कॉज है --ओटो इम्युनिटी । यानि शरीर में थायरायड के विरोध में antibodies का बनना । इससे ग्रंथि की cells नष्ट हो जाती हैं । इसके अलावा हाइपरथायरायडिज्म के इलाज के लिए सर्जरी या आयोडीन पिलाने से भी नष्ट होती है ।
ReplyDeletelekin महिलाओं में ज्यादा क्यों होती है , इसका कोई ज़वाब नहीं है । यह प्राकृतिक रूप से होता है ।
बहुत ही बेहतरीन पोस्ट और ब्लॉग भी
ReplyDeleteचर्चा मंच का धन्यवाद देता हूँ जिनकी पोस्ट पढ़ आज यहाँ आया हूँ :)
एक अच्छी जानकारी के लिये धन्यवाद
ReplyDeleteमेरे कई जान-पहिचान वालों को थायरोइड की समस्या है.... ये पोस्ट उनके लिए लाभदायक और मेरे लिए ज्ञानवर्धक सिद्ध होगी.. बहुत-बहुत आभार सर.
ReplyDeleteसार्थक उपयोगी और ज्ञानवर्धक पोस्ट
ReplyDeleteजो मैंने पढ़ा, उसके अनुसार मैंने जाना कि पुरुष और नारी के मस्तिष्क बनावट में अलग-अलग हैं: वो दोनों में दो भाग में बंटा है - दाँया और बाँया (पूर्व और पश्छिम),,, किन्तु जबकि स्त्री के दोनों भाग स्वतंत्र रूप से दोनों वर्बल और विजुअल कार्य करने में सक्षम हैं और सूचना का एक से दूसरे में आदान-प्रदान भी संभव होता है, पुरुष में एक भाग वर्बल करता है तो दूसरा विजुअल ही जिस कारण मस्तिष्क दुर्घटनाग्रस्त होने पर पुरुष एक शक्ति खो सकता है किन्तु स्त्री नहीं, आदि ...दूसरी ओर हिन्दू पुराण दर्शाते हैं कि आरम्भ में 'शिव' अर्धनारीश्वर थे (आधे नारी और आधे पुरुष, शरीर और आत्मा?) और उत्पत्ति के चलते स्वतंत्र नारी रूप में पार्वती के रूप में, शिव के पुरुष रूप से भिन्न, और सती (शक्ति) के ही एक नूतन भौतिक रूप में प्रगट हुईं (जिसे आधुनिक विज्ञान में चन्द्रमा का पृथ्वी के गर्भ से ही उत्पन्न होने कि मान्यता द्वारा समझा जा सकता है, क्यूंकि मानव शरीर को प्राचीन ज्ञानियों ने सौर मंडल के सदस्यों के सार से बना पाया, अनंत ब्रह्माण्ड का मॉडल)...मोटापे (फैट) से सम्बंधित सार पीला रंग (गुरु, अथवा सर्वश्रेष्ट) माना जाता है, जबकि मांस-पेशियों से हरा, इत्यादि, इत्यादि... (और कहानियों में संकेत हैं कि पृथ्वी को गंगाधर शिव माना गया और चन्द्रमा को पार्वती, हिमालय (जो पृथ्वी के गर्भ से उत्पन्न हुई श्रंखला है) की पुत्री! ...
ReplyDeleteजे सी जी , यह जानकारी तो बड़ी दिलचस्प रही । आभार ।
ReplyDeleteडा.साहिब, आधुनिक वैज्ञानिक यह भी बताते हैं कि चाँद के वज़न की तुलना में उसका आकार अनुमान से अधिक है, यानि वो मोटा (या मोटी) है, [इस से वो अनुमान लगाते हैं कि इसका बाहरी खोल हल्की चट्टान का बना होगा, यानि जैसी पृथ्वी के उपरी सतह में पाई जाने वाली चूने या रेत से बनी (limestorne & sandstone)],,, और विशेषकर स्त्रियाँ सोने, पीले रंग के महंगे धातु, की ओर अधिक आकर्षित होती हैं,,,किन्तु रावण जैसे 'सोने की लंका' बनाने में व्यस्त दीखते हैं,,, सीता भी तो सुनहरे हिरन के कारण रावण द्वारा उठाई भी गयी, और इस प्रकार उसकी मौत का कारण भी बनी :)
ReplyDeleteदराल जी ,
ReplyDeleteहमारे पडोस की महिला को थायरायड की समस्या है ...पर उसका वजन बढ़ता नहीं बल्कि घट रहा है .....बिलकुल सूख सी गयी है .....
बहुत अच्छी जानकारी दी आपने .....!!
हरकीरत जी , उनको हाइपरथायरायडिज्म हुआ होगा । यह हाइपो का उल्टा होता है । इसके बारे में भी जल्दी ही लिखूंगा ।
ReplyDeleteMeri Ek bhatiji hsi jo 16-17 sal tak to dubali patli thee par achanak motee ho gaee hai. Maine Bhabiji se kaha bhee ki aap check karwa len ki isko thyroid problem to nahee hai. Par Dr nahee bolate hain. aur kya karan ho sakta hai ? Ladki ab 28 29 sal ki hai aur Shadee bhi nahee ho rahee. Aapki jankari bahut upyogi hai.
ReplyDeleteआशा जी , मोटापे के मुख्य कारण हैं :
ReplyDelete१) अनुवांशिक
२) मेटाबोलिक डिसऑर्डर्स --इसके लिए एन्डोक्राइन चेकअप कराइये ।
३) अत्यधिक निष्क्रियता और खान पान ।
४) थायरायड डिसऑर्डर
सारी जांच करके ही पता चलेगा ।
hello Dr sir,how are you.
ReplyDeletesir mera T3 normal hai aur T4 low hai aur TSH 135.00 hai aur weght 82 kg hai aur meri hight 5.8"
aur mera weght pichle 5 sal se same hai 1 do kg idhar udhar ho jata hai,but abhi mera thoda BP high ho jata hai wo bhi kabhi kabhi so that please tell me kya he TSH ki wajah se hai aur ha mere gale mai pichle 45 days se kabhi kabhi thok nigalnae mai halka sa dard hota hai dr ko dikhaya to unhone BP chehck karaya to badha hua tha.to aise mai mujhe kya karna chchaiye,
mai bahut pareshan rahta hoon.TSH badne se .
koi tension wali bat to nahi hai.
please reply
my name is ram shanker
age 35
jalandhar
आपको हाइपोथायरायडिज़्म लगता है यानि थायराय्ड हॉर्मोन की कमी ! इसके लिये आपको एक गोली रोज खानी पड़ सकती है . लेकिन बिना डॉक्टर को दिखाये कोई भी दवा लेना सही नहीं होता !
Deletehello sir god morning,mai pahle bhi aapse advice le chuka hoon.per mai ek bat aapse pochna chahta hoon ki jo mere gale mai halki halki pain i menne thhok nigalne mai takhlip hoti hai kya wo thyrioed ki wajah se hai ya kisi aur ke karan . mera T3 normal Hai aur T4 3.5 hai aur TSH 135 hai.
ReplyDeleteDr ko report dikhaya tha usne 100 mg ki thiroxin ki teblet khali pet lene ko bola hai,20 din ho gaye hai dawa lete per gale mai abhi bhi thodi si problem hai.aur mai ganne ka 1 glass juce leta hoon daily kahi nuksan to nahi karega.mera wait normal hai.
please reply
thanking you
ram shanker
jalandhar
एक बार गले के डॉक्टर से चेक करा लीजिये ! दवा का असर आने मे एक महीना लगता है ! फिर TSH दोबारा करा लीजियेगा !
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