अस्पताल
जहाँ ,
आशा निराशा की
आँख मिचौली में
झूलती है जिंदगी ।
कभी,
भंवर से निकल
साहिल से मिल
झूमती है जिंदगी ।
कभी,
मंझधार में फंसी
डगमगाती कश्ती सी
लगती है जिंदगी ।
जहाँ ,
उम्मीदों की हज़ारों
ख्वाहिशें दिल में लिए
मचलती है जिंदगी ।
वहां ,
सफ़ेद कोट में
इंसानी रब्ब के
लबों से निकलते
चन्द लफ़्ज़ों में
बसती है जिंदगी ।
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वाह खूबसूरत रचना
ReplyDeleteजिन्दगी को लेकर
ReplyDeleteआपने बहुत सुन्दर शब्द चित्र प्रस्तुत किये हैं!
अस्पताल
ReplyDeleteजहाँ
सफ़ेद कोट में
इंसानी रबों के
लबों से निकलते
चन्द लफ़्ज़ों में
बसती है जिंदगी
...अस्पताल की सुंदर परिभाषा गढ़ती अनमोल कविता के लिए बधाई।
एक डॊक्टर के हृदय से निकली सुंदर कविता :)
ReplyDeleteसटीक बानगी है अस्पताल की ।
ReplyDeleteसफ़ेद कोट में
ReplyDeleteइंसानी रब्ब के
लबों से निकलते
चन्द लफ़्ज़ों में
बसती है जिंदगी ।
बिलकुल सही कहा। उमदा रचना। बधाई।
जहाँ ,
ReplyDeleteउम्मीदों की हज़ारों
ख्वाहिशें दिल में लिए
मचलती है जिंदगी ।
वहां ,
सफ़ेद कोट में
इंसानी रब्ब के
लबों से निकलते
चन्द लफ़्ज़ों में
बसती है जिंदगी ।
सही कहा.बधाई!!
बहुत उम्दा पोस्ट के लिए आभार.
ReplyDeleteधन्यवाद.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
बिलकुल सच ...सही खाका खींचा है अस्पताल का ...
ReplyDeleteअस्पताल और उसके आस-पास के वातावरण को जस्टीफाई करती मेडिकली फिट रचना :-)
ReplyDeleteएक मरीज़ के लिए तो अस्पताल किसी मंदिर से कम नही होता...आपने अच्छा वर्णन किया है.!हिंदी दिवस की शुभकामनायें!!!!
ReplyDeleteअच्छी कविता !
ReplyDeleteवहां ,
ReplyDeleteसफ़ेद कोट में
इंसानी रब्ब के
लबों से निकलते
चन्द लफ़्ज़ों में
बसती है जिंदगी ।
एकदम सही बात है , बहुत सुन्दर रचना , आज ही एक खबर पढी अखबार में की किसतरह एक नाउम्मीद इंसान जिसके सर के अन्दर सरिया घुसा पडा था, एम्स के डाक्टरों ने नई जिन्दगी बख्स दी !
अले वाह, अस्पताल को लेकर कित्ती प्यारी रचना ...बधाई.
ReplyDelete_____________
'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है...
इंसानी रब्ब के
ReplyDeleteलबों से निकलते
चन्द लफ़्ज़ों में
बसती है जिंदगी ।
......
बहुत खूब !!!!!!!!
बड़ी खूबसूरती से शब्द दिए...सुन्दर भाव..बधाई.
ReplyDeleteइंसानी रब्ब के
ReplyDeleteलबों से निकलते
चन्द लफ़्ज़ों में
बसती है जिंदगी ।
......
बहुत खूब !!!!!!!!
सच ही कहा अपने हमारे लिए तो डाक्टर भगवन ही होता है हम लोग तो ये भी मानते हैं की भगवन हर जगह नहीं पहुँच सकता इसलिए लोगों की जान बचने को डाक्टर के शरीर में बसता है
इसी सच को स्वीकारते हुए ये पोस्ट अच्छी लगी
सही कहा रचना जी । डॉक्टर भगवान का दूसरा रूप होता है । इसीलिए डॉक्टर के मूंह से निकले शब्दों पर मरीज़ की जिंदगी टिकी होती है ।
ReplyDelete
ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से, आप इसी तरह, हिंदी ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
क्षमा प्रार्थी हूँ, प्राचीन ज्ञानी किन्तु भगवान् को कण-कण में, हर प्राणी में bhi देख पाए, जो navgrahon ki apni-apni bhinn-bhinn prakriti ke kaaran एक दूसरे से bhinn prateet hote हैं...
ReplyDeleteshayad kaliyug में, agyanta apne charam seema में hone के kaaran, जीवन-daayi shristikarta, ajanme aur amrit naadbindu, shakti के dhwani roop से utpann मानव roop में sabse nikat swaroop, doctor, के shabdon में hi uske hone का 'aam aadmi' को ahsaas hota है (athva kisi 'neta' aadi ki chaploosi karte hue use भगवान् pukara jaata hai!)...
सफ़ेद कोट में
ReplyDeleteइंसानी रब्ब के
लबों से निकलते
चन्द लफ़्ज़ों में
बसती है जिंदगी ।
बिलकुल सही तस्वीर खींची है, अस्पताल की...डॉक्टर तो मरीज के लिए ख़ुदा समान ही होता है.
सुन्दर रचना..
बहुत सुन्दर रचना बधाई.
ReplyDelete.. sundar va prasanshaneey rachanaa, badhaai !!!
ReplyDeleteआपकी रचना दिल से निकली है...अप्रतिम है...भावपूर्ण है...बधाई...
ReplyDeleteनीरज
डर रही थी .....
ReplyDeleteकि कहीं १७ के बाद के अध्यायों का सार तो नहीं पढना पड़ेगा इस बार फिर ......
डरते डरते द्वार खोला तो बड़ी प्यारी सी नज़्म दिखी ....
किसी सफ़ेद कोट के नीचे खुदा सा दिल रखने वाले इंसान की....
जिनके लफ़्ज़ों से ही कई मुर्दा मरीज़ जी उठते होंगें ....
.
दुआ है ...उनकी सोच में कभी तब्दीली न आये .....!!
अस्पताल का सुंदर अंकन।
ReplyDelete---------
ब्लॉगर्स की इज्जत का सवाल है।
कम उम्र में माँ बनती लड़कियों का एक सच।
हस्पताल की काफी सटीक कविताई परिभाषा गढ़ दी सर... बधाई...
ReplyDeleteवाह! बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने ! हर एक शब्द में गहराई है और इस लाजवाब रचना के लिए बहुत बहुत बधाई!
ReplyDeleteवहां ,
ReplyDeleteसफ़ेद कोट में
इंसानी रब्ब के
लबों से निकलते
चन्द लफ़्ज़ों में
बसती है जिंदगी ।
सुन्दर और भावपूर्ण रचना
.
डॉक्टर कोटनीस की अमर कहानी याद आ गई...
ReplyDeleteजय हिंद...
आपकी दुआ के लिए हम भी दुआ करते हैं हरकीरत जी ।
ReplyDeleteधन्यवाद ।
Very Nice
ReplyDeleteanubhooti ke dharatal par khade ho likhi sundar rachna!
ReplyDeletesubhkamnayen!