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Sunday, September 26, 2010

दिल्ली है मेरी जान , दिल्ली है मेरी शान ।

राष्ट्रमंडल खेल अब शुरू होने ही वाले हैं । भले ही खेल गाँव के फ्लैट्स को लेकर मिडिया में कितना ही शोर शराबा क्यों न हो , एक बात अवश्य है कि यमुना तल पर बने खेल गाँव की वज़ह से इसके आस पास के क्षेत्र की कायापलट ही हो गई है ।

अप्रैल से जून तक गर्मी फिर जुलाई से सितम्बर तक बारिस होते रहने से , हम कुछ बंध से गए थे । पिछले कुछ दिनों से सूर्य देवता के दर्शन होने से मौसम काफी खुशगवार सा हो गया है ।

आज सुबह से ही धूप खिली हुई थी । ऐसे में अपना फोटोग्राफी का शौक कसमसाने लगा । वैसे भी दिल्ली की शक्ल ही बदल गई है गेम्स के कारण । बस अपना कैमरा चार्ज किया , ड्राइवर को पटाया --और हम निकल पड़े दौरे पर ।

आइये आपको भी दिल्ली के उस हिस्से की सैर कराते हैं जहाँ खेलों का सारा दारोमदार है ।

हमारे निवास स्थान के पास ही है --राष्ट्रिय राजमार्ग २४ ( नेशनल हाइवे २४)।


यह हाइवे पश्चिम की ओर जाता है निजामुद्दीन यमुना पुल की ओर जिसे पार कर यह रिंग रोड में जा मिलता है । हाइवे प़र आप देख सकते हैं पीली रेखा जो विशेष तौर पार खिलाडियों के वाहनों के लिए विशेष लेन सुरक्षित करने के लिए बनाई गई है ।
आधुनिक स्ट्रीट लाईट लगाई गई हैं । जिनसे रात में हाइवे जगमगा उठता है ।

सारे क्षेत्र में इस तरह के बस स्टॉप बनाये गए हैं । वैसे आजकल दिल्ली में बस में यात्रा करने वाले कम ही बचे हैं ।



नोयडा मोड़ पार करने के बाद एक नया फ्लाई ओवर बनाया गया है , खेल गाँव के सामने , जिस पर दायीं ओर साउंड प्रूफिंग की गई है । शीट्स पर सुन्दर नक्काशी की गई है । मध्य में पौधे लगाए गए हैं ।



रिंग रोड के पास आने जाने वाली सड़कों में काफी दूरी है । इस पूरे क्षेत्र को हरा भरा बनाया गया है । रिंग रोड टी जंक्शन को बहुत खूबसूरती से सजाया गया है ।



निजामुद्दीन पुल से रिंग रोड पर दायें मुड़ते ही आता है , इन्द्रप्रस्थ पार्क का प्रवेश द्वार ।



द्वार के सामने वाले हिस्से का नज़ारा ।



सामने दिखाई दे रहा है , दुनिया का सबसे बड़ा बस डिपो । जी हाँ , यहाँ १००० बसों के पार्क करने की सुविधा है । गहरे लाल रंग की खूबसूरत बसें खिलाडियों को लाने ले जाने के लिए इस्तेमाल होंगी ।



इन्द्रप्रस्थ पार्क का एक दृश्य ।



पार्क के बाहर , रिंग रोड पर फुटपाथ और सड़क के दोनों तरफ के भाग को सुन्दर घास लगाकर सजाया गया है । सभी जगह लगी टाइलें बड़ी आकर्षक लग रही थी ।



यह ओवर ब्रिज पैदल यात्रियों के लिए प्रगति मैदान के सामने , मथुरा रोड पर बनाया गया है । इस पर बेंच डाले गए हैं। आप यहाँ बैठकर मूंगफली चबाते हुए , ट्रैफिक का नज़ारा देख सकते हैं । बस छिलके अपने साथ ले जाएँ तो बेहतर रहेगा ।



सभी चौराहों और मोड़ों पर आधुनिक और फेंसी लाइट्स लगाई गई हैं ।



सड़कों पर एक लेन गेम्स के लिए सुरक्षित रखी गई है । इस पर चलने वालों को २००० रूपये तक का जुर्माना हो सकता है ।



सड़कों पर जगह जगह साइनेजिज लगाए गए हैं । यह खूबसूरत हरा रंग दिल्ली की हरियाली को और भी बढ़ा रहा है ।



रिंग रोड से निजामुद्दीन पुल पर जाते हुए । खम्भों पर लगे पोस्टर दिल्ली की खूबसूरती में चार चाँद लगा रहे हैं ।
बीच में रखे गमले भी खूबसूरती में अपना योगदान दे रहे हैं ।



और ये रहा खेल गाँव । यमुना के बीचों बीच । अक्षरधाम के पीछे । यहाँ ८००० लोगों के ठहरने का इंतजाम होगा ।




जहाँ खेल गाँव जाने के लिए विशेष मार्ग बनाया गया है । वहीँ बाकि ट्रैफिक के लिए यह फ्लाई ओवर बनाया गया है । इस पर बायीं ओर साउंड प्रूफ शीट्स लगाई गई हैं जिनपर खूबसूरत चित्रकारी की गई है ।




अंत में फ्लाई ओवर से नीचे उतरकर हम वहीँ पहुँच जाते हैं , जहाँ से यह सफ़र शुरू किया था । बायीं तरफ खेल गाँव और अक्षरधाम --दायीं तरफ बाढ़ का पानी जिसे सूखने में अब तो समय लगेगा ।

भले ही खेलों पर हजारों करोड़ रुपया खर्च हो गया हो ।
भले ही काम को समय पर पूरा न होने को लेकर शोर शराबा मचा हो ।
भले ही मिडिया बढ़ चढ़ कर गंदगी दिखा रहा हो ।

लेकिन एक बात तय है --दिल्ली के इस हिस्से में रहने वाले हम जैसे लोगों को अगले बीसियों सालों तक इन सुविधाओं का लाभ मिलता रहेगा

अब कुछ पाना है तो कीमत तो चुकानी ही पड़ेगी

भले ही खेल देखने के लिए हम टिकेट खरीद पाए हों , लेकिन १००-१५० रूपये किलो की सब्जियां खाकर हम भी अपना योगदान दे ही रहे हैं

दिल्ली है मेरी जान , दिल्ली है मेरी शान

नोट : यदि आप दिल्ली घूमना चाहते हैं तो इससे बढ़िया अवसर और कोई नहीं हो सकतादिल्ली इससे ज्यादा सुन्दर कभी नहीं दिखी

67 comments:

  1. बहुत सुन्दर नज़ारे प्रस्तुत किये हैं आपने!
    --
    इस बीच दिल्ली आने का प्रयास करेंगे!

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  2. चलिए आपकी पहली पोस्ट पढ़ी जो सकारात्मक है... भ्रष्टाचार अपनी जगह लेकिन देश की इज्ज़त और शान हमारी अपनी है ..बहुत अच्छी लगी आपकी पोस्ट ..आभार .

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  3. ओह यहाँ आप अपनी पहली पोस्ट नहीं समझियेगा ..अभी तक खेलों के लिए बहुत नकारात्मक विचार आ रहे थे ...आपकी पोस्ट सकारात्मकता लिए आई ..

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  4. चलो कोई तो है जो खूबसूरती को संजो रहा है
    अच्छा लगा
    सुन्दर तस्वीरें

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  5. मीडिया की खबरें सुन देख कर हमने तो बहुत भद्दी सी तस्वीर बना ली थी मगर आपकी तस्वीरें देख कर लगता है हम अमेरिका जैसे देश मे बैठे हैं। मीन मेख निकालना तो हमारी आदत मे शामिल है मगर करोंडो रुपये भी तो गोल माल हो गये? किसी न किसी रूप मे तो हमारी जेब से ही गये हैं। मगर ये बात सही है कि कुछ खो कर ही कुछ पाया जाता है। तस्वीरें देख कर तो जरूर आयेंगे बस आप घुमाने के लिये तैयार रहें। बधाई आपको।

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  6. इसे बनाने वालो को तो कल सरकार ने चुन चुन कर दिल्ली से बाहर निकाल दिया, जेसे शंहजहान ने सुंदर ताज महल बनाने वाले के हाथ काट दिये थे,आप का धन्यवाद इस्तनी सुंदरता दिखाने के लिये लेकिन इस के पिछे का धिनोना रुप तो सब देख रहे है, जिस के आगे यह सुंदरता अपना रुप खो देती है. धन्यवाद

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  7. वाह.....वाह.... तो यह है तैयारी !! बहुत खूब !

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  8. भाई साहब आपने दिल्ली की बदहाली का रोना रोने वालों के अरमानो पर करारी चोट कर दी है।
    कहीं कुछ तो काम हुआ है, यह चित्रों से दृष्टि गोचर हो रहा है।
    बड़ी जल्दी ही हम भी देखेगें,आपके साथ दिल्ली की हकीकत से रुबरु होगें।
    सुंदर चित्रावली के आभार

    राम राम

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  9. भैया जी, आप जो मर्ज़ी कहें, पर आप जो दिखा रहे हैं, हम जैसों के लिए दूर के ढोल हैं.


    पर १००-१५० रुपे सब्जी खरीदने मे मिडल क्लास के तोते उड़ जाते हैं.

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  10. डा. साहब बहुत शुक्रिया...वैसे बहुत दिन हो गए दिल्ली की तरफ रुख किये हुए...चलो आज घर बैठे आपके साथ हम दिल्ली घूम आये...और हमारी सोच कुछ तो आशावादी हुई. शुक्रिया.

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  11. सुंदर नजारे दिख रहे हैं ,पर बड़ी बेज्जती हो रही है । आज तो खेल गांव में सांप दिखने की खबर आई है ।

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  12. यही वो दिल्ली है जिसे तथाकथित मिडिया दिखाना नही चाहता ,उसे तो कमियां दिखाने में हो मज़ा आता है....ऐसा बहुत कुछ हुआ है जिस पर गर्व किया जा सकता है ,बस पारखी चाहिए...

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  13. बहुत सही तश्वीरें दिखा दी है आपने ..... आज तो लाइव इंडिया टी.वी. दिख रहा है की खेल गाँव में सांप घुस गया .... मीडिया और अखबार वाले इस देश की तश्वीरों को गलत ढंग से परोस रहें हैं .... आभार

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  14. डा ० साहब आपका बहुत बहुत धन्यवाद !दिल्ली के नजारे देख मन खुश हो गया ! आख़िरकार दिल्ली है मेरी जान , दिल्ली है मेरी शान ।

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  15. पसंद करने के लिए आप सभी का आभार ।
    दरअसल हर सिक्के के दो पहलु होते हैं ।
    मिडिया आज एक सशक्त माध्यम है । अब वो सिर्फ कमियां ही दिखाना चाहता है , तो इसके पीछे भी कोई बात तो होगी ।
    लेकिन हम ठहरे सीधे सादे गरीब इन्सान । सिर्फ सच्चाई बोलना ही जानते हैं । और सच्चाई यही है कि भले ही बहुत पैसा लग गया हो , लेकिन तरक्की तो हुई है । और वो सबके सामने है ।

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  16. बहुत सही तश्वीरें दिखा दी है आपने ....

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  17. ‘दिल्ली इससे ज्यादा सुन्दर कभी नहीं दिखी ’

    हां जी, जनता के सत्तर हज़ार करोड जो लगे हैं :)

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  18. प्रशाद जी , कीमत थोड़ी ज्यादा देनी पड़ी । पर विकास तो हुआ ना ।

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  19. This comment has been removed by the author.

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  20. पहली बार देश में इतने बड़े स्केल पर अभूतपूर्व निर्माण कार्य हुआ है ...पहली बार देश में इतने बड़े मेगा स्ट्रक्चर बनाए गए हैं और शायद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में विदेशी हमारे देश को देखने, इन खेलों के बहाने यहाँ आ रहे हैं ! पिछले ३ वर्षों में तमाम लालफीताशाही और तमाम सरकारी एजेंसियों ने, लाखों रुकावटों के बावजूद जितना कार्य किया गया है वह कार्य पिछले २० वर्षों में पूरे देश में नहीं हो पाया ......
    इसकी हम सबको मुक्त ह्रदय से तारीफ़ करनी चाहिए थी ! मगर हमारी भारतीय मिडिया को चटपटी खबर चाहिए और इस के चलते सैकड़ों कैमरामैन रात दिन इस अभूतपूर्व निर्माण कार्य में कमियां निकालने के लिए दिन रात मेहनत करते रहे और जो कुछ भी मिला, फाल्स सीलिंग की टाइलों से लेकर भारी बाढ़ के फलस्वरूप पैदा गन्दगी और मच्छरों तक को दिन में २० २० बार दिखाया गया ...ऐसा लग रहा है कि पूरे विश्व में हमसे अयोग्य और घटिया भ्रष्ट और निकम्मा कोई है ही नहीं ! वाह वाह .....

    आज इस लेख के जरिये, आपके व्यक्तित्व का एक शानदार चेहरा देखा है डॉ दराल ...
    इस लेख से पता चलता है की आप भेडचाल और भीड़ चाल में यकीन नहीं रखते ...शुभकामनायें !
    शायद यह ब्लाग जगत का पहला लेख है जो दिल्ली में हुए बेहतरीन कार्यों की खुले दिल से तारीफ़ कर रहा है ....

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  21. ओये होए .....!!
    दराल जी हमें तो आपसे जलन हो रही है ......
    इतनी खूबसूरत तसवीरें ....?
    तीन चार बार देख लीं ......
    दिल्ली तू इतनी खूबसूरत तो कभी न थी ....?

    चलो जी आपको ये हसीन दिल्ली मुबारक ......
    हम अपने कूचे में खुश हैं .....

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  22. धन्यवाद सतीश जी । सच को स्वीकारने में संकोच कैसा । यदि किसी ने कोई गलत कार्य किया है तो उसको इसका नतीजा भुगतना पड़ेगा । लेकिन जो सही कार्य दिख रहा है , उसकी तारीफ तो होनी ही चाहिए ।

    हरकीरत जी , दिल्ली के द्वार तो सभी के लिए खुले हैं । आप आइये तो सही ।

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  23. मैं भी घर पर कहती हूँ की निजामुद्दीन या आई टी ओ की तरफ से साकेत की तरफ जाओ तो कितना सुन्दर लगता है. लगता ही नहीं की ये वही दिल्ली है और सी पी जाकर तो देखिये.पिछले महीने तक बुरा हल था. अभी पिछले हफ्ते देखा पूरा सफ़ेद साफ़ और खुबसूरत.क्या अपने आई अन ऐ मेट्रो स्टेशन देखा ? उसकी दीवारों की सज्जा देखें मैं पहले से नहीं बताउंगी नहीं तो मज़ा नहीं आएगा. थोडा समय ले कर जाए.मैंने जल्दी जल्दी देखा तो आधा घंटा लगा दिया

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  24. ये सही है कि दिल्ली में बहुत काम हुआ है और हो रहा है लेकिन सिर्फ कुछ ही हिस्सों में...
    अपनी अगली पोस्ट से पाठकों को उस हिस्से से भी रूबरू कराएँ तो और भी बढ़िया रहेगा...

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  25. गज़ब.. दिल्ली इतना बदल गया!!!! बहुत ख़ुशी हुई ये तस्वीरें देख कर सर...

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  26. आपने सही कहा... दिल्ली बहुत सुन्दर दिख रही है...

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  27. क्षमा चाहता हूँ डा० साहब, लेकिन इस बिषय पर मेरे विचार आपके विचारों से मेल नहीं खाते , मैं यह तो कदापि नहीं कहूँगा कि आप गलत है, क्योंकि जहां तक दिल्ली का सवाल है, उपरी तौर पर कुछ विकास हुआ है लेकिन अफ़सोस इस बात से होता है कि हमारे इस समाज के अतिविशिष्ट लोग भी सिर्फ एक दायरे तक देखते है, कि उनके आस पास कुछ विकास हुआ है ! आपने कहा कि "थोड़ा अधिक कीमत देकर" हो सकता है कि यह आपके लिए मामूली ही कीमत हो लेकिन डा0 साहब , हमारे जैसे विशिष्ठ लोगो के लिए ७००० करोड़ का बजट १० गुना अधिक बढ़ कर ७०००० करोड़ हो जाये तो बहुत मायने रखता है !

    मैंने अपने ब्लॉग पर भी आपकी एक टिपण्णी के जबाब में आपसे इन खेलों की असलियत देखने के लिए एक गुजारिश के थी, लेकिन शायद आप दोबारा उस लेख पर नाहे गए इसलिए आपकी नजरों में नहीं आई ! मैं एक बार आपसे फिर अनुरोध करूंगा कि अगर आजकल में आप थोडा सा वक्त निकल सके, क्योंकि आप भी पूर्वी दिल्ली में रहते है, तो मई आपसे विनम्र आग्रह करूंगा कि आप आनंद विहार से ड्राइव करके - मोहन नगर की तरफ सिर्फ वैशाली तक जाइयेगा और वहा से यु- टर्न लेकर फिर आनंद विहार आइयेगा, आपको इस विकास की असलियत पता चल जायेगी ! और ऐसा नहीं है कि इसके लिए उत्तरप्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाए यह जिमेदारी केंद्र के अधीन है ! और तो और राष्ट्रमंडल खेलों के लिए बड़े-बड़े दावे करने वाले डी एम् आर सी की पोल भी यहाँ पर खुल जायेगी जिसने एन वक्त पर डाबर चौराहा ही बंद कर दिया , जबकि पिछले ६ महीने से पालतू बैठे हुए थे !

    कोई संदेह नहीं कि मीडिया यहाँ पर रिमोट से चलता है, मगर इस बात के लिए मीडिया का धन्यवाद किया जाना चाहिए कि उसने आइना दिखाया दिश्वासिय्यों को भी और इनके नुमाइंदों को भी ! जब सकारात्मक कुछ हुआ ही नहीं तो वे सकारात्मक रिपोर्टिंग क्या खाक करेंगे ?

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  28. क्षमा चाहता हूँ डा० साहब, लेकिन इस बिषय पर मेरे विचार आपके विचारों से मेल नहीं खाते , मैं यह तो कदापि नहीं कहूँगा कि आप गलत है, क्योंकि जहां तक दिल्ली का सवाल है, उपरी तौर पर कुछ विकास हुआ है लेकिन अफ़सोस इस बात से होता है कि हमारे इस समाज के अतिविशिष्ट लोग भी सिर्फ एक दायरे तक देखते है, कि उनके आस पास कुछ विकास हुआ है ! आपने कहा कि "थोड़ा अधिक कीमत देकर" हो सकता है कि यह आपके लिए मामूली ही कीमत हो लेकिन डा0 साहब , हमारे जैसे विशिष्ठ लोगो के लिए ७००० करोड़ का बजट १० गुना अधिक बढ़ कर ७०००० करोड़ हो जाये तो बहुत मायने रखता है !

    मैंने अपने ब्लॉग पर भी आपकी एक टिपण्णी के जबाब में आपसे इन खेलों की असलियत देखने के लिए एक गुजारिश के थी, लेकिन शायद आप दोबारा उस लेख पर नाहे गए इसलिए आपकी नजरों में नहीं आई ! मैं एक बार आपसे फिर अनुरोध करूंगा कि अगर आजकल में आप थोडा सा वक्त निकल सके, क्योंकि आप भी पूर्वी दिल्ली में रहते है, तो मई आपसे विनम्र आग्रह करूंगा कि आप आनंद विहार से ड्राइव करके - मोहन नगर की तरफ सिर्फ वैशाली तक जाइयेगा और वहा से यु- टर्न लेकर फिर आनंद विहार आइयेगा, आपको इस विकास की असलियत पता चल जायेगी ! और ऐसा नहीं है कि इसके लिए उत्तरप्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाए यह जिमेदारी केंद्र के अधीन है ! और तो और राष्ट्रमंडल खेलों के लिए बड़े-बड़े दावे करने वाले डी एम् आर सी की पोल भी यहाँ पर खुल जायेगी जिसने एन वक्त पर डाबर चौराहा ही बंद कर दिया , जबकि पिछले ६ महीने से पालतू बैठे हुए थे !

    कोई संदेह नहीं कि मीडिया यहाँ पर रिमोट से चलता है, मगर इस बात के लिए मीडिया का धन्यवाद किया जाना चाहिए कि उसने आइना दिखाया दिश्वासिय्यों को भी और इनके नुमाइंदों को भी ! जब सकारात्मक कुछ हुआ ही नहीं तो वे सकारात्मक रिपोर्टिंग क्या खाक करेंगे ?

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  29. टंकण त्रुटियों के लिए क्षमा, "दिश्वासिय्यों"
    इसे देश वासियों पढ़े, और " हमारे जैसे विशिष्ठ" की जगह "हमारे जैसे अविशिष्ट पढ़े !
    !

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  30. गोदियाल जी आपका क्षोभ जायज़ है । अत्याधिक पैसा खर्च होने से पैसे की बर्बादी साफ़ नज़र आ रही है । इसके लिए जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध कार्यवाही भी होनी चाहिए । लेकिन मैं यहाँ यह कहना चाहता हूँ कि खेलों की वज़ह से ---

    पूर्वी दिल्ली में सारी सड़कें चौड़ी होकर डबल हो गई हैं ।
    सड़कों पर अत्याधुनिक लाइट्स लगाई गई हैं ।
    हरियाली देखते ही बनती है ।
    बहुत सारे फ्लाई ओवर बन गए हैं ।
    टूटी फूटी सड़कों को ठीक कर दिया गया है ।

    पूर्वी दिल्ली में दिल्ली की ३५ % आबादी रहती है । यह क्षेत्र अभी तक उपेक्षित रहा है । लेकिन अब विकास होने से इस क्षेत्र की डिमांड बढ़ी है। हालाँकि अभी भी बहुत सा काम बाकि है । उम्मीद तो यही करते हैं कि जल्दी ही पूरा होगा ।
    लेकिन विकास के साथ , मनुष्यों का मानसिक विकास भी ज़रूरी है । जब तक हमारी मानसिकता नहीं बदलेगी तब तक सारा विकास धरा का धरा रह जायेगा ।

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  31. डा. साहिब, आपने जो तस्वीरें प्रस्तुत की हैं उनसे सचमुच दिल्ली (पूर्वी) का चेहरा अति सुन्दर लगा...आपके और अन्य टिप्पणीकारों के विचार भी अपनी अपनी जगह सही हैं...किन्तु ऐतिहासिक सत्य तो यह है कि दिल्ली - (इन्द्रप्रस्थ के काल से?) - का उत्थान-पतन का चक्र सदियों से चला आ रहा है, भले ही कोई स्वदेशी अथवा विदेशी राजा इसके लिए उत्तरदायी रहे हों...और 'हिन्दू', पुरातन काल से, 'सत्यम शिवम् सुंदरम', कहते आये हैं, और शिव की पहचान हरेक उनके गले में लिपटे सांप (किंग कोबरा) से करता आ रहा है,,,इस कारण उसका दर्शन तो शुभ ही माना जाना चाहिए ना?

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  32. ये तस्वीरें राष्ट्रमंडल खेलों के पूर्व मीडिया प्रभारी के पास होतीं तो उन्हें हटाने की नौबत नहीं आती सरकार को।

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  33. आपके द्वारा प्रेषित चित्र देखकर मन खुश हो गया। हमारी ट्रेन भी निजामुद्दीन ही आती है तो यह पुल वगैरह देखने को मिल ही जाएंगे।

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  34. बढिया है जी
    चलो कहीं तो कुछ काम हुआ
    अब इस खूबसूरती को बरकरार रखा जाये तो कुछ बात बने

    प्रणाम

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  35. अतिरिक्त टिपण्णी: यद्यपि शिव पवित्र एवं पावनी गंगा नदी से सम्बंधित हैं, यमुना तट पर बसी मथुरा के जेल में पैदा हुए और गोकुल-बृन्दावन में पले, द्वारकाधीश एवं योगिराज, श्री कृष्ण (विष्णु के अष्टम अवतार) से साँपों से जुडी कहानियों में यमुना नदी में 'कालिया मर्दन' कथा विशेषकर प्रसिद्द है,,,वैसे भी 'हिन्दू मान्यता' में सर्पों का सन्दर्भ श्रृष्टि के आरंभ में योगेश्वर विष्णु (नादबिन्दू) के शेषनाग/ अनंतनाग पर योगनिद्रा में क्षीरसागर में लेटे हुए, और दूसरी ओर अपने फन पर पृथ्वी (गंगाधर शिव) को सम्हाले, दर्शाने में आता है,,, और, अंततोगत्वा अमरत्व, अथवा अमृत प्राप्ति हेतु देवताओं और राक्षशों द्वारा वसुकि नाग को मंथन की रस्सी समान उपयोग कर क्षीरसागर मंथन आदि में भी आता है...(सांकेतिक भाषा में लिखा है जिसे 'सिद्ध' समझ सकते हैं!)...

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  36. बहुत खूबसूरत चित्र लगाये हैं………………काश दिल्ली हमेशा ऐसी ही दिखे।

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  37. अब कुछ पाना है तो कीमत तो चुकानी ही पड़ेगी
    सहे कहा सर आपने

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  38. Thank you, thank you, thank you for this post... यहाँ दिल्ली से इतनी दूर बैठ कर दिल्ली की बारे में बुरी-बुरी बातें सुन बहुत दिल बहुत दुःख रहा था... इन तस्वीरों ने जैसे दवा का काम कर दिया...

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  39. इतना सब कुछ किया गया आम जनता के लिए है वो भी सिर्फ २७००० करोड़ रुपयों में. बधाई हो जी बधाई.

    डाक्टर साहब आपने शायद अपनी कार से नीचे कदम नहीं रखा होगा. मैं काल शाम आइ टी ओ पर खड़ा था. किस स्तर का कार्य किया गया है कोई अँधा भी बता देगा कि ये एक महीने से ज्यादा नहीं टिकेगा .

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  40. जिसकी रही भावना जैसी उसने वैसी दिल्ली देखी

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  41. ... ye hui na kuchh baat ... bahut sundar ... behatreen post !!!

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  42. मैं अभी अभी ४० किलोमीटर ड्राइव करके आ रहा हूँ । गुडगाँव से खेल गाँव तक दिल्ली की सड़कें ऐसी जगमगा रही हैं जैसे दिवाली पर घर जगमगाते हैं । नई इम्पोर्टेड लाइट्स की रौशनी में दिल्ली नहा रही है । हम तो हैरान हैं कि इतनी बिजली कहाँ से आ गई । खैर फिलहाल तो इसी का आनंद लिया जाए ।

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  43. आपने तो दिल्ली का बहुत ख़ूबसूरत नज़ारा दिखाया... पौज़ीटिवली........

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  44. हमने तो तस्वीरों मे ही सैर कर ली बिना जुर्माना दिये ।

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  45. Dr Sahab, bahut accha laga yah sakaratmak lekh padh kar aur Sunder chitr dekh kar. Aapka Shukriya yah pahalu ujagar karane ke liye. chitr dekh kar lag raha hai ki kab pahunchenge Dilli.

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  46. Dadral sahab,
    hamne bhi dilli ka ek pahlu yahin se baithe-baithe dekha aur man kaisa hua hai nahi bata sakte...
    Shahr to saaf ho gaya..lekin te kab tak saaf rahega ye dekhna hai...aur man ki safaai ka kya hoga..ye bhi dekhenge...
    kaash udhar bhi koi dhyaan de..!

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  47. सर
    आपने तो मुझे असमंजस में ही डाल दिया है। मैं लगातार पोस्ट लिखने की सोच रहा था छह दिन तक इसपर। पर आपने चित्र डाल कर मुझे सोचने के लिए मजबूर कर दिया है कि का करुं। आपने चित्र इतना अच्छा खींचा है कि कुछ कहते नहीं बनता। दिल्ली मेरी जान है, इसलिए हर हाल में सुदंर लगती है, उसपर देश की राजधानी है, जिसपर सबको गर्व करना चाहिए। राजधानी ही खराब तो देश की हालत का क्या कहना। पर सबकुछ राजधानी में समेट देना कहां का न्याय है ये भी मानता हूं। इसलिए जब दिल्ली के फेसलिफ्ट के नाम पर इतना बढ़ाचढ़ा के खर्चा दिखाते हैं लोग, तो सच में दिल कलस जाता है, क्या करें।

    पर हां अब खेल तो होने ही हैं, सो फिलहाल तो इसका मजा लेना ही होगा, औऱ सुदंर दिल्ली को देख कर खुश होना चाहिए। रंज करने को बहुत सी बातें हैं, जिनपर ध्यान तो हम दिलाते ही रहेंगे। जैसे मेट्रो में देश के लोग सफर करके फ़क्र महसूस करते हैं कि देखो हमारे देश की राजधानी मं मेट्रो दौड़ रही है और आने वाले समय में हमारे यहां पहुंचेगी, जो अब धीरे-धीरे सच होने जा रही है। ठीक उसी तरह ये सुविधाएं आगे देश में अन्य शहरों तक भी पहुंचे यही कामना करता हूं।

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  48. अदा जी , आपने जो टी वी पर देखा वह उस शिशु के सामन है जो अभी अभी मां के गर्भ से जन्मा है । आप तो जानती ही हैं कि जब बच्चा पैदा होता है तो उसकी शक्ल कैसी होती है । सारा शरीर एम्नियोटिक फ्लुइड और खून में लथपथ होता है । फिर नर्स उसे साफ कर नहला धुलाकर साफ़ कपड़ों में लपेट कर मां पिता के सन्मुख पेश करती हैं , तब लाड आता है ।
    यहाँ नर्स ( वह जो भी हो ) की कमी के कारण आपको ऐसा दिखाई दे रहा है ।
    शहर कब तक साफ़ रहेगा --मन कब साफ़ होगा -ये सोचने वाली बात है । इस दिशा में हम तो अपना योगदान दे ही रहे हैं । सभी सक्रीय हो जाएँ तो वह भी हो जायेगा ।

    रोहित जी , बेशक दिल्ली राजधानी होने के नाते अहम है । लेकिन बाकि शहरों में भी विकास की आंधी पहुंचानी चाहिए । इसके लिए राज्य सरकारों को प्रयत्न करना चाहिए ।

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  49. दराल सर,
    बड़ा उजला चेहरा पेश किया आपने दिल्ली का...चित्र बेहद खूबसूरत हैं...उसी तरह जिस तरह अखबारों में सुंदर मॉडल्स और फूलों के चित्र छापे जाते हैं...आंखों को बड़ा सकून देते हैं...

    उजले चेहरे से ज़रा पर्दा हटा कर देखें तो असली खबर दिखाई देती है...

    दिल्ली से आठ लाख गरीबों को कॉमनवेल्थ गेम्स के चलते हटाया गया है...७५ हज़ार रेहड़ी-फेरी लगाने वालों की रोज़ी-रोटी छिनी है...एक लाख से ज़्यादा भिखारी दिल्ली से बाहर किए गए हैं (वो देश के किसी दूसरे हिस्से में तो पहुंचे होंगे ही)...साथ ही ये खबर भी कि दिल्ली की सड़कों से ढाई लाख कुत्तों समेत सांड, गाय, बंदर आवारा घूमने वाले पशुओं को साथ लगते राज्यों में छोड़ा गया है...गोया कि सरकार की नज़र में गरीब इनसान और कुत्ते-बंदर में कोई फर्क नहीं है...

    ऐसा नहीं कि मुझे चमक-दमक अच्छी नहीं लगती...या सरकार के पॉजिटिव कामों को मैं सराहता नहीं...मुझे नफरत है सरकार और अधिकारियों के दोगले चेहरे और नीतियों से...यूपीए सरकार ढोल तो आम आदमी के कदम बुलंद करने का दावा करती है, नीतियां सभी अंबानी, टाटा, बिरला को फायदा पहुंचाने वाली बनाती है...अच्छे चेहरे की बात करें तो आज देश में हर व्यक्ति के पास मोबाइल आता जा रहा है...लेकिन इसी फील्ड में संचार मंत्री ए राजा पर टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले में हज़ारों करोड़ के घोटाले का आरोप लगा...हमारे देश में मेडिकल फील्ड में आप जैसे काबिल डॉक्टरों के बल पर मेडिकल टूरिज़्म का नया अवेन्यू खुला है...लेकिन क्या इसी तर्क के चलते एमसीआई के पूर्व चेयरमैन केतन देसाई को करोड़ों रुपये डकारने की छूट दिए जाना न्यायसंगत है...

    सवाल कई हैं, जवाब कम...अपने चारों तरफ गुडी-गुडी देखकर देश की सारी समस्याओं के खत्म हो जाने का भ्रम मैं नहीं पाल सकता...कुछ ज़्यादा हो गया हो तो सर गुस्ताखी माफ़ कीजिएगा...

    जय हिंद...

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  50. सुन्दरता की बात करें तो वीनस यानि शुक्र को पश्चिम में सुन्दरता की देवी माना जाता है जबकि शुक्राचार्य को 'मायावी' राक्षशों के देवता, और (जैसा मैंने पहले भी कहा था) शुक्र ग्रह के सार को मानव के गले में दर्शाया गया प्राचीन भारत में जहां के निवासी इंदु यानि चन्द्रमा के चक्र के आधार पर काल की गणना आदि करने के कारण प्रसिद्धि पा अनादि काल से हिन्दू कहलाये जाते हैं,,, और उन्होंने चन्द्रमा के सार को सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया, यानि मानव के मस्तिष्क में (सह्स्रारा चक्र में और मंगल का मूलाधार चक्र में) ,,,जबकि पश्चिम में इस कारण पागलपन के लिए ल्युनेसी शब्द का प्रयोग किया 'ल्यून' (यूरोपीय भाषा में चन्द्रमा) से! डा. साहिब ने हाल ही एक पोस्ट में गीता के सार पर चर्चा की, याद दिलाना चाहूँगा कि उसमें लिखा हुआ है कि सब गलतियों का कारण अज्ञान है,,,और क्यूंकि कलियुग में १००% कार्य क्षमता संभव नहीं है किसी के लिए भी आवश्यकता है आत्म-समर्पण की क्यूंकि वास्तविक कर्ता कृष्ण हैं जबकि हम सब मानव दृष्टा मात्र!...
    "हरी अनंत/ हरी कथा अनंता" ("जितने मुंह/ उतनी बातें")... ...

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  51. खुशदीप जी , आपका क्षोभ अपनी जगह सही है ।
    लेकिन ज़रा इन बातों पर भी गौर फरमाएं ----

    राष्ट्रीय राजमार्ग २४ अब दोगुना चौड़ाई का बन गया है ।
    खिचड़ीपुर /गाजीपुर चौराहा अब सिग्नल फ्री है ।
    गाजीपुर /पतपरगंज तिराहा --फ्लाई ओवर बनने से बड़ी रहत मिली है ।
    आनंद विहार रेलवे लाइन पर पुल को डबल कर दिया गया है ।
    सूर्य नगर वाली सारी सड़क डबल चौड़ाई की हो गई है ।
    जी टी रोड बोर्डर पर फ्लाई ओवर बनने से बहुत सहूलियत हो गई है ।
    श्याम लाल कॉलिज के सामने फ्लाई ओवर बन कर तैयार हो चुका है । कुछ काम बाकि है ।

    इन सबके होने से पूर्वी दिल्ली में रहने वाले ५० लाख लोगों को बड़ी राहत मिली है ।
    अब और देखिये ---
    प्रगति मैदान के किनारे बने भैरों मंदिर से प्रसाद में मिली शराब पीकर भैरों मार्ग पर पड़े शराबियों और कोढियों को हटाकर क्या गलत किया है ?
    चौराहों पर सपरिवार भीख मांगते भिखारियों को हटाना क्या गलत है ?
    चौराहों पर हर तरह की चीज़ें बेचते सेल्समेन , जो गैर कानूनी भी है --क्या उन्हें हटाकर गलत किया है ?
    सड़कों पर ७० लाख वाहनों के बीच जुगाली करते गाय , भैंसों को हटाना गलत है ?
    आज हमारा दवाओं का एक तिहाई बज़ट एंटी रेबीज इलाज पर खर्च होता है । स्ट्रे डॉग्स को हटाना एक समाधान है ।
    ये सभी विकास का ही हिस्सा हैं । बस फर्क इतना है-- खेलों के बहाने ये काम हो गए ।

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  52. डाक्टर साहब कल रात ही दिल्ली से लौटा हूँ पर सच कहूँ तो मेरी नज़र में ये दिल्ली नही आया ... एरपोर्ट के बाहर अभी भी मिट्टी खुदी पड़ी है ... नये पेड़ लग रहे हैं .. पेड़ तो कनाट प्लेस में भी जैसे २-३ दिन पहले ही लगे हैं ... बदरपुर पुल तो १५ अगस्त को खुलना था अभी तक बंद है, रास्ते जाम हैं, मिट्टी के उँचे उँचे ढेर लगे हैं ... (इसी रास्ते से ज़्यादातर सैलानी ताज महल जाएँगे) .... काश कुछ नाक बच जाए .....

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  53. नास्वा जी , दिल्ली होकर चले गए , और बताया भी नहीं । खैर फिर सही ।
    पिछले दो महीने से लगातार बारिस होने की वज़ह से काम में देरी होना तो स्वाभाविक था ।
    वैसे भी काम तो आखिर अंत तक ही पूरे होते हैं । लेकिन वो कहते हैं ना , अंत भला सो सब भला ।

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  54. वाह वाह...क्या तस्वीरें खींची हैं आपने....अपनी दिल्ली तो लग ही नहीं रही...
    बहुत बहुत शुक्रिया..दिल्ली का ये सुन्दर रूप दिखाने के लिए

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  55. उजले पक्ष को सामने लाने के लिए आभार।
    हम तो आलोचना देख-पढ़ कर बेहद शर्मिंदा थे लेकिन आपने सीना चौड़ा करने लायक कुछ तश्वीरें दिखा कर बड़ी राहत दी।
    स्याह पक्ष फिर कभी, अभी तो देश की शान में यही कहना है..
    दिल्ली है मेरी जान , दिल्ली है मेरी शान ।

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  56. ऐसी दिल्ली तो मैंने कभी सपने में भी नहीं देखी.
    कई बार तो भ्रम-शक हुआ कि -- दिल्ली का नाम लेकर आप कहीं किसी विदेश के चित्र तो नहीं दिखा रहे.
    बहुत अच्छा लगा मुझे चित्रों के माध्यम से देश की राजधानी दिल्ली को देखना.
    सभी नकारात्मकता पर करारी चोट पहुंचाने वाली इस सकारात्मकता भरी ब्लॉग-पोस्ट को मेरा सलाम.
    बहुत ही बढ़िया, उम्दा लिखा हैं आपने.
    दिल्ली के बारे में स्याह ख्याल-विचार-सोच रखने वालो को आपने अपने सोच विचार बदलने को मजबूर कर दिया हैं आपने.
    धन्यवाद.
    pictures are awesome.
    thanks.
    WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM

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  57. दिल्ली तो हम सबकी जान है ...वैसे अमेरिका से भी ज्यादा चमक रही है - पश्चिम के देशों में भी तो इसी तरह विकास हुआ है किसी न किसी आयोजन के बहाने ...
    बस ये सब ऐसा ही रहे ...१ महीने बाद भी !!

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  58. डा. साहिब, आपने लिखा है, "लेकिन एक बात तय है --दिल्ली के इस हिस्से में रहने वाले हम जैसे लोगों को अगले बीसियों सालों तक इन सुविधाओं का लाभ मिलता रहेगा।" इस सन्दर्भ में मैं यह कहूँगा कि यद्यपि हम दिल्ली के (और संसार के भी, जो आजकल 'ग्लोबल वार्मिंग' के चलते खतरे में है और मीडिया वाले इस कारण भी खतरे की घंटी बीच-बीच में बजाते रहते हैं!) इस हिस्से में नहीं रहते, किन्तु हमारे निकट सम्बन्धी तो इस इलाके में या इसके निकट नॉएडा में रहते हैं और जिस कारण हमें या उनको साल में कुछेक बार आप द्वारा दर्शायी सुविधाओं का लाभ तो अवश्य मिलेगा ही (मैं निजी तौर पर पिछली बार शायद फरवरी-मार्च में गया था उस ओर, और गुडगाँव भी, जब कई स्थान पर खुदाई और अन्य निर्माण कार्य देखने को मिले, और अब जून माह से में मुंबई में हूँ) ...
    "जब तक जान है, जहान है" (या कहें जब तक जहान है तब तक तो दिल्ली भी है ही)!

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  59. रश्मि जी , देवेन्द्र जी , सोनी जी , त्यागी जी और जे सी जी --आप सब का शुक्रिया । आज के परिवेश में सकारात्मक और रचनात्मक अभिवृत्ति रखना अत्यंत आवश्यक है । तभी हम अपने उद्देश्य में सफल हो सकेंगे ।

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  60. देश की राजधानी
    दिल्ली का उज्जवल पक्ष दिखाने के लिए
    आपका बहुत बहुत धन्यावाद .

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  61. इतनी खूबसूरत दिल्ली देखकर दिल खुश हो गया ...
    आभार !

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  62. अब दिल्ली की सैर कीजिये --हो हो बस द्वारा । पूरा विवरण थोड़े समय के बाद ।

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  63. इस देश के टाट पर मखमल का पैबंद । देखिये कब तक टिकता है । जो शीट लगाई गई हैं वो लगता है कुछ छुपाने के लिए लगाई गई हैं ।

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  64. ऐसा भी नहीं है , डॉ सिन्हा जी । आपने ओपनिंग सरेमोनी तो देखी ही होगी । क्या धाक ज़माई है भारत ने । हम सब के लिए गर्व की बात है ।

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  65. दिल्ली तो हमेशा से बहुत खूबसूरत है सर|

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