अख़बारों की सुर्ख़ियों में किडनी कांड के बाऱे में तो आपने सुना ही होगा। कभी कभी गलत तरीके से किया गया सही काम भी एक काण्ड बन जाता है।
आज विश्व गुर्दा दिवस ( वर्ल्ड किडनी डे ) है।
आइये जाने , कैसे रोका जा सकता है , किडनी फेल होने को ताकि फिर कोई नकली डॉक्टर किडनी कांड करके पूरे चिकित्सा जगत को बदनाम न करे ।
हमारे शरीर में दो गुर्दे होते हैं , एक गुर्दे का वज़न औसतन महिलाओं में १३५ ग्राम और पुरुषों में १५० ग्राम के करीब होता है ।
गुर्दों का कार्य खून से विषैले और अवांछित पदार्थों को साफ़ कर मूत्र में वित्सर्जित करना होता है। इसके अतिरिक्त गुर्दे द्रव्यों का संतुलन , रक्तचाप का नियंत्रण , रक्त और विटामिन डी बनाने में भी सहायक होते हैं।
अब सोचिये , यदि यही गुर्दे फेल हो जाएँ , यानि काम करना बंद कर दें , तो क्या होगा।
गुर्दे फेल होने के लक्षण :
पैरों और मूंह पर सूजन
पेशाब की मात्रा में कमी
उलटी , सर दर्द, भूख गायब
खून की कमी
हड्डियाँ कमज़ोर
शरीर में खुजली
और अंत में ----जिंदगी की लड़ाई खत्म।
क्यों होती हैं किडनी फेल ?
इसके मुख्य कारण है : डायबिटीज, हाइपर्तेन्शन (उच्च रक्त चाप ), गुर्दे में सूजन , पथरी ।
इसके अतिरिक्त गुर्दों के पैदाइशी या अनुवांशिक रोग , तथा कुछ दर्द निवारक दवाएं भी किडनी फेल होने का कारण बन सकती हैं।
किडनी फेल होने का पता कैसे चले ?
किडनी फेल होने का पता आपको चल ही नहीं पायेगा जब तक आप डॉक्टर के पास जांच नहीं करवाएंगे ।
जांच :
पेशाब की जांच ---पेशाब में प्रोटीन का आना
रक्त में यूरिया और क्रिएतिनिन का सामान्य से ज्यादा होना
पेशाब में लाल रक्त कोशिकाएं और पस सेल्स ।
हिमोग्लोबिन की कमी
रक्त में कैल्सियम , पोटासियम और फोस्फोरस की जांच
अल्ट्रासोनिक जांच ।
मूल रूप से किडनी फेल होने का पता बढे हुए यूरिया और क्रिएतिनिन से चलता है ।
पेशाब में अत्यधिक प्रोटीन का आना अच्छा लक्षण नहीं है।
एक बार किडनी फेल होने लगे तो क्या इलाज है ?
तीन विकल्प :
१) दवाइयों से इलाज़ , और परहेज़ ---इससे रोग को बढ़ने से रोका जा सकता है । डॉक्टर की सलाह लें।
२) डायलिसिस ---यदि सीरम क्रिएतिनिन ७-८ से ऊपर चला जाता है , तो बिना डायलिसिस के काम नहीं चलता । यह दो प्रकार का होता है।
हिमोदायलिसिस : मशीन द्वारा खून की सफाई । सप्ताह में २-३ बार । खर्चा -२५०००-३०००० प्रति माह।
पेरिटोनियल डायलिसिस : इसे रोगी घर में ही स्वयं कर सकता है । लेकिन दिन में ३-४ बार करना पड़ता है।
३) किडनी ट्रांसप्लांट : सबसे बढ़िया , लेकिन महंगा इलाज़। सरकारी अस्पताल में एक लाख और प्राइवेट में ३-४ लाख का खर्चा । लेकिन दवाइयाँ फिर भी खानी पड़ेंगी।
किडनी डोनर कोई भी हो सकता है लेकिन निकट सम्बन्धी ही सर्वोत्तम रहता है। वैसे डोनर कोई भी हो सकता है , यहाँ तक की मृत व्यक्ति भी , एक निश्चित समय अवधि में ।
किडनी फेल होने से बचाव कैसे किया जाये ?
डायबिटीज और बी पी का पूरा इलाज़ ।
नियमित रूप से डाक्टरी चेकअप और रक्त की जांच ।
खाने में नमक , चर्बी और प्रोटीन की मात्रा कम रखें।
धूम्रपान न करें।
नियमित व्यायाम करें। वज़न को कम रखें।
दर्द निवारक गोलियां बिना डाक्टरी सलाह के न लें।
याद रखिये , आरम्भ में किडनी फेलियर का इलाज़ सस्ता , शर्तिया और टिकाऊ है । देर होने पर महंगा , कष्टदायक और सीमित होगा।
आज विश्व गुर्दा दिवस के उपलक्ष में हमारे अस्पताल में एक लोकुप्योगी व्याख्यान का आयोजन किया गया । डॉ ओ पी कालरा , प्रिंसिपल -यू सी ऍम एस ने बहुत ही सरल शब्दों में पब्लिक को इस महत्त्वपूर्ण विषय पर उपयोगी जानकारी दी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मेडिकल सुपेरिन्तेंदेंट डॉ यू सी वर्मा ने की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मेडिकल सुपेरिन्तेंदेंट डॉ यू सी वर्मा ने की।
इस अवसर पर डॉ श्रीधर द्विवेदी द्वारा संकलित एक लोक पुस्तिका का भी विमोचन किया गया ।
नोट : उपरोक्त जानकरी साभार सौजन्य से --डॉ ओ पी कालरा एवम डॉ श्रीधर द्विवेदी।
नोट : उपरोक्त जानकरी साभार सौजन्य से --डॉ ओ पी कालरा एवम डॉ श्रीधर द्विवेदी।
डॉक्टर साहब,
ReplyDeleteआज बड़े गुरुजी की छड़ी काम आई।
और मेरे जै्से के लिये बहुत ही
काम की जानकारी निकल कर आई।
आपको बधाई हो बधाई।
सार्थक पोस्ट के लिए साथ मे एक पसंद भी
ReplyDeleteहमेशा की तरह सार्थक जानकारी वाला लेख
ReplyDeleteडॉ टी एस दराल जी बहुत सुंदर जानकारी दी आप ने हमारे यहां वेसे तो हर प्रकार की डां सहायता मिलती है, ओर मेरा चेक अप भी हर १५ दिनो बाद होता है, ओर साल मै एक बार बडा ओर मेन चेकअप भी होता है, उस चेक अप मे कभी कभी मेरे पेशाब मै खुन के कतरे आते है, यह करीब २०, २५ सालो से है, सभी चेक अप दोवारा करवाये, सब ठीक मिला, १९८३ मै मेरे दाये गुर्दे का एक बडा अप्रेशन हुआ था, जिस मै एक नली लगानी पडी थी, जो आज तक लगी है, क्या यह खुन के कतरे जो कभी कभी आते है ओर नंगी आंखो से नही दिखते क्या यह उसी के कारण है, वेसे मुझे आज तक कोई दिक्कत नही हुयी, सब कुछ समान्य है
ReplyDeleteकिडनी जब फेल होती तो
ReplyDeleteकितनी ही नकल मार लें
पास नहीं होती है।
सतर्क रहें और
इसे फेल न होने दें।
बहुत उपयोगी जानकारी -धन्यवाद डाक्टर साहब !
ReplyDeleteअच्छी जानकारी. आप जैसे सलाहकार पा कर ब्लॉग जगत धन्य हुआ.
ReplyDeleteउपयोगी और संग्रह करने योग्य!
ReplyDeleteललित जी , कभी कभी इतेफाक भी कमाल के होते हैं।
ReplyDeleteभाटिया जी , पेशाब में खून आना सामान्य नहीं होता । माइक्रोस्कोपिक हिमेचुरिया ( खून जो आँख से न दिखे ) स्टोन की वज़ह से हो सकता है, हालाँकि उसमे दर्द ज़रूर होता है। फिर भी पूरी जांच से ही पता चल सकता है , इसकी वज़ह।
ब्लड यूरिया और सीरम क्रिएतिनिन ज़रूर कराते रहना चाहिए ।
अविनाश जी , सही कहा । पास हो भी जाये तो घर बार बिक सकता है।
"किडनी फेल होने का पता आपको चल ही नहीं पायेगा जब तक आप डॉक्टर के पास जांच नहीं करवाएंगे"
ReplyDeleteयार डॉ
बहुत बढ़िया और आम आदमी के काम का लेख.डाक्टरी भाषा से दूर , आम भाषा में लिखा यह लेख बहुत काम का है डॉ. दुःख यह है की आम आदमी इसका फायदा इन्टरनेट न होने के कारण आपका ब्लॉग का ना पढना होगा ! ईश्वर करे आप ऐसे लेख लिखते रहें !
हार्दिक शुभकामनायें डॉ दराल !
और जानकारी दीजिए। हम सब लाभान्वित हुए हैं।
ReplyDeleteसतीश जी , ऐसे में रवीश जी काम आ सकते हैं।
ReplyDeleteआपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! आपने सुन्दर शब्दों के साथ आखरी पंक्ति में चार चाँद लगा दिया और मैंने आपकी पंक्ति को अपनी शायरी में डाल दिया!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लगा आपका ये पोस्ट! हमेशा की तरह महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई! धन्यवाद!
गुर्दा दिवस पर बहुत ही सार्थक जानकारी!!धन्यवाद डाक्टर साहब
ReplyDeleteबहुत ही जनउपयोगी जानकारी दी हैं आपने, इसके लिए आपका हार्दिक आभार.
ReplyDeleteधन्यवाद.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
अच्छी जानकारी . आयुर्वेदिक और होमेओपथिक दवाओं के असंतुलित प्रयोग से भी यह बीमारी बढ़ी है .
ReplyDeleteकई अलोपथिक दवाएँ भी हैं जिनका उपयोग पश्चिम में बंद हो गया है लेकिन अपने देश में चल रही हैं जैसे निमुसलाइड
बहुत ही उपयोगी जानकारी दी है आपने , आभार ।
ReplyDeleteEk tathyaparak, upyogi aur jankalyaankari post ke liye aabhar sir...
ReplyDeleteविश्व गुर्दा दिवस पर बहुत उम्दा जानकारीपूर्ण और उपयोगी आलेख. आपका आभार.
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी देकर अपने प्रोफेशन का मान बढ़ाने के लिए आभार ...
ReplyDeleteक्या मृत्यु के 6-7 घंटे बाद किसी मृत शरीर की आँखों और कान से खून बह सकता है ..हाल ही में भाई ने ऐसा होता देखा ..वह बहुत चिंतित था कि कही किसी जिन्दा व्यक्ति का दाह संस्कार तो नहीं कर दिया ..क्या आप अपनी किसी पोस्ट में इस पर प्रकाश डालेंगे ...?
बहुत ही जानकारीपूर्ण आलेख है सर ...धन्यवाद
ReplyDeleteअजय कुमार झा
ड़ॉक्टर साहब,
ReplyDeleteएक बार एक सेल्समेन (मेडिकल रिप्रजेंटेटिव) गोवा घूमने गया...वहां उसे एक बोतल मिली....बोतल से जिन निकला...जिन ने सेल्समेन से कहा कि मैं तुम्हारी तीन इच्छाएं पूरी कर सकता हूं...लेकिन शर्त ये है कि जो तुम्हें दूंगा, उससे दुगना मुझे तुम्हारे प्रतिद्वंदी सेल्समेन को देना होगा...मांगो पहली चीज...सेल्समेन ने कहा...दस लाख डॉलर दे दो...तत्काल बैंक में दस लाख डॉलर पहुंच गए...प्रतिद्वंदी सेल्समेन के खाते में बीस लाख डॉलर पहुंच गए...
अब दूसरी चीज मांगों...सेल्समेन ने कहा...फरारी कार...उसे फरारी कार मिल गई, प्रतिद्वंदी को दो फरारी मिल गई...
तीसरी चीज....सेल्समेन ने कहा...मैं एक किडनी डोनेट करना चाहता हूं....प्रतिद्वंदी मर गया...
जय हिंद...
बढ़िया जानकारी से परिपूर्ण सार्थक आलेख
ReplyDeleteबहुत ही काम की जानकारी दी है आपने डॉ. साहब!
ReplyDeleteआशा ही नहीं विश्वास है कि भविष्य में भी यहाँ पर ऐसी ही अच्छी जानकारी मिलती रहेगी।
डा. दराल साहिब, बहुत लाभदायक जानकारी! धन्यवाद!
ReplyDeleteखुशदीप जी का जोक, 'किडनी' की जगह 'आँख' लगा कर, बचपन में ही सुना हुआ था (फिर भी मैं हंस लिया :).
बचपन से हम सुनते आये थे कि मानव शरीर में किडनी कि संख्या दो होती है, इस कारण जब हमने जाना कि हमारे पड़ोस में रहने वाली एक महिला की केवल एक ही किडनी है तो हमें आश्चर्य हुआ, और उसे भी हुआ था क्यूंकि कभी यह जानने की उनको आवश्यकता ही महसूस नहीं हुई थी!
हमेशा की तरह एक ज्ञानोपयोगी लेख अच्छा. लगा घर बैठे ऐसी जानकारी देने के लिए आभार .
ReplyDeleteआज फुरसत में आपका ब्लॉग पढ़ा, बेहतरीन जानकारी डा० साहब !
ReplyDeleteबेहतरीन लिखा आपने ...ज्ञानोपयोगी लेख
ReplyDelete______________
"पाखी की दुनिया" में देखिये "आपका बचा खाना किसी बच्चे की जिंदगी है".
आदरणीय
ReplyDeleteआज विश्व गुदा दिवस ( वर्ल्ड किडनी डे ) है।
यहां कीबोर्ड एक अक्षर खा गया है, कृप्या ठीक करें
डा. साहिब, 'भारत' में विशेषकर अपने जीवन काल में कई ऐसे अनुभव भी देखने को मिलते हैं जो मानव जीवन के एक अनजान और गुप्त पहलू पर भी प्रकाश डालता है,,,
ReplyDeleteइसलिए मेरे एक मित्र की जुबानी सुने अनुभव पेश हैं आपकी भी सूचनार्थ ('मानो या न मानों' :) :
उनके पिताजी को किडनी में पत्थर होने का अहसास कभी-कभी उठने वाले पेट में तीव्र दर्द के कारण होता था किन्तु वो भय के कारण ऑपरेशन के लिए तैयार नहीं होते थे...
उनके सब रिश्तेदारों और मित्रों को यह मालूम था,,,इस कारण उनके एक दोस्त एक पुडिया ले कर आ गए और उनको बताया कि कैसे उनके घर एक 'रमता जोगी' आया था और उन्होंने उसे भोजन कराया तो खुश हो उसने उनसे कुछ अपने लिए मांगने को कहा,,,उनके मित्र ने कहा उन्हें अपने लिए कुछ नहीं चाहिए था पर यदि वो उनके मित्र के लिए कुछ कर सकें तो उन्हें प्रसन्नता होगी...
मेरे मित्र (खुराना) ने कहा कि पिताजी को उस समय भी दर्द हो रहा था जिस कारण उन्होंने उस पुडिया का पावडर खा लिया, यह कहते हुए कि उससे वो ठीक हों या न हों, यदि वो विष भी हुआ तो उन्हें रोज- रोज के दर्द से तो मुक्ति मिल जाएगी!
अगले दिन सुबह-सुबह जब उन्होंने मूत्र - विसर्जन किया तो उसके साथ छोटे-छोटे कंकड़ के टुकड़े भी निकलते चले गए और उनको दर्द से छुट्टी मिल गयी :)
वो उसी समय उस मित्र के पास दौड़े-दौड़े गए और उस जोगी का पता माँगा तो मित्र ने कहा कि वो तो रमता जोगी था और उनका कोई स्थायी पता नहीं होता!
इस महत्त्व पूर्ण जानकरी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद....
ReplyDeleteनीरज
सब के लिये बहुत अच्छी जानकारी है। सही समय पर सही पोस्ट। धन्यवाद्
ReplyDeleteशुक्रिया अंतर सोहिल, त्रुटी सुधार दी है ।
ReplyDeleteजे सी साहब, छोटे साइज़ की पथरी ज्यादा पानी पीने से निकल सकती है। शायद कुछ आयुर्वेदिक दवाएं भी फायदेमंद हो सकती हैं। लेकिन बड़े साइज़ की पथरी के लिए या तो ओपरेशन , पी सी अन अल या फिर लिथोट्रिप्सी की ज़रुरत पड़ती है।
नीम हकीम बड़ी बड़ी पथरियां अपनी दुकान में सजाकर लोगों को भ्रमित करते हैं।
रमता जोगी के बारे में क्या कहूँ ?
डॉ टी स दराल साहिब
Deleteमेरी भतीजी की दोनों किडनी ख़राब हो गई हैं किरपा डिटेल में बताये क्या करे क्योकि आर्थिक परेहानी भी हैं कोई सुझाव ,सलाह दीजिये
रंधीर
9034271120
दोनों किडनी खराब होने पर किडनी ट्रांसप्लांट ही है। लेकिन जब तक किडनी नहीं मिलती तब तक डायलिसिस से काम चल सकता है। यह सप्ताह में दो बार करना पड़ता है। लेकिन सरकारी सुविधाएँ सिमित हैं।
Deleteवाणी जी , म्रत्यु के बाद खून बहना संभव नहीं है। क्योंकि दिल नहीं धड़क रहा होता है। और बी पी भी जीरो होता है।
ReplyDeleteवैसे भी आँख से खून निकलते तो कभी नहीं देखा। कान से खून सर की चोट में निकल सकता है , लेकिन म्रत्यु के बाद नहीं।
जे सी जी , कभी कभी एक किडनी जन्म से हो सकती है और मनुष्य को पता भी नहीं चलता जब तक कोई जांच न हो। एक किडनी से भी भली भांति काम चल सकता है। किडनी ट्रांसप्लांट में भी तो एक ही किडनी ट्रांसप्लांट करते हैं।
डा. साहब आपका बहुत बहुत धन्यवाद ! आपने बहुत उपयोगी जानकारी दी ! काफी लोग अपना खानपान सुधार लेंगे ! डा .साहब
ReplyDeleteप्रकृति पर एक कविता लिखी है !आपकी नजर चाहूंगी !
डा. साहिब, आप शायद मेरे साथ सहमत होंगे कि सब 'डॉक्टर' एक से 'पहुंचे हुए' नहीं होते,,,
ReplyDeleteहमारी 'ख़राब तकदीर' कह लीजिये कि '७२-'७४ के दौरान मेरी पत्नी को पेट दर्द और कमजोरी के लिए सरकारी डॉक्टर गलत दवाई खिलाते रहे,,,और शायद तकदीर ही थी कि मेरे डॉक्टर साडू भाई यू पी (उस वक़्त कानपुर) में थे और मैं उनके सुझाव पर उसे वहां ले गया,,,और इलाज ठीक चल पड़ा...उनको आश्चर्य हुआ कि जिस टेस्ट से रोग का कारण वहां पता चला, दिल्ली, 'भारत कि राजधानी' (!) में उसी टेस्ट में 'एनऐडी' कैसे लिखा था?
तकदीर या 'संयोग' ही कहिये कि उसी लैब में कई वर्ष बाद मेरे एक सहकर्मी मित्र को खून में चीनी कि मात्रा अधिक दिखाई गयी तो मैंने उसको सुझाव दिया कि किसी निजी लैब से टेस्ट करालो नहीं तो ऐसे ही दवाई खिलाना शुरू कर देंगे,,,और वहां 'नोर्मल' पाया गया तो जब डॉक्टर को दिखाया, उसने उसे दुबारा सेम्पल देने के लिए कहा तो अब रिपोर्ट सही बन गयी!
इस कारण शायद हम किसी भी प्रणाली या व्यक्ति को बिना गहराई में गए नकार नहीं सकते...कई वर्ष पूर्व एम्स के एक मित्र डॉक्टर ने बताया था कि कैसे एपोलो मद्रास और एम्स में दिल के ऑपरेशन का 'फेल्यर रेट' १०% ही था, यद्यपि बहुत दिल्ली वाले मद्रास ही जाते थे...और यह भी कि कैसे हमारे देश में हस्पताल वैसे ही कम हैं और उस पर एम्स जैसे 'अच्छे' बहुत ही कम,,,जिस कारण बीमार अधिक है और उनका उपचार करने वाले डॉक्टर कम - हर मरीज़ को 'सही समय' नहीं मिल पाता...
....प्रभावशाली व प्रसंशनीय जानकारी, आभार!!!!!
ReplyDeleteअच्छी जानकारी. बधाई !!
ReplyDeleteबहुत-बहुत बढिया जानकारी, वो भी इतनी सहज भाषा में. धन्यवाद.
ReplyDeleteबहुत ही जनउपयोगी जानकारी दी हैं आपने, इसके लिए आपका हार्दिक आभार.
ReplyDeleteधन्यवाद.
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ReplyDeleteबहुत ही सरल भाषा में उपयोगी जानकारी दी आपने....बिलकुल एक layman के समझ में आने लायक...निश्चय ही एक संग्रहणीय पोस्ट.
ReplyDeleteदराल जी आपके सवाल का जवाब पोस्ट में ही दे दिया है ......!!
ReplyDeleteआप हम पाठकों के लिए मुफ्त में जो इतनी जानकारी दे रहे हैं ...आपके लिए श्रद्धा और बढ़ जाती है ....उस पे इतनी रोचक टिप्पणियाँ ....अविनाश जी भी कभी कभी कमाल का लिख देते हैं .....अभी कुछ दिनों पहले इन्हें आचार में ''ढाई सौ ग्राम का गला हुआ चूहा मिला''....था ....!!
आपने जिस तरह सबकी जिज्ञासाओं का समाधान किया है काबिले तारीफ है .....!!
महत्वपूर्ण जानकारी...अब तो सतर्क रहना पड़ेगा.
ReplyDelete____________
भारतीय नववर्ष विक्रमी सम्वत 2067 और चैत्री नवरात्रारंभ पर हार्दिक मंगलकामनाएं.
डाक्टर साहिब ,सतीश सक्सेना जी ने बहुत सही लिखा है |"". दुःख यह है की आम आदमी इसका फायदा इन्टरनेट न होने के कारण आपका ब्लॉग का ना पढना होगा ""
ReplyDeleteबढिया जानकारी ।
ReplyDeleteअतिआवश्यक जानकारी मिली आपकी इस पोस्ट से...आभार
ReplyDeleteबहुत-बहुत बढिया जानकारी
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