एक वक्त था जब ५१ की बड़ी अहमियत होती थी. ११, २१ और ३१ की भीड़ भाड़ में ५१ एक ख़ास महमान की तरह अलग ही दिखाई देता था। फ़िर समय ने करवट ली, धीरे धीरे ५१ की हैसियत घटती गई और एक समय ऐसा आया जब ५१ के ५ और १ के बीच जीरो या सिफर यानि शून्य आ गई, और ५१ बन गया ५०१। और इस तरह खासियत लिए ५१ , ५०१ बन कर आम हो गया।
शादियों के सीजन में , मैं किस बारे में बात कर रहा हूँ, ये तो आप समझ ही गए होंगे।
आज भले ही ५१ की कोई कीमत या अहमियत न हो, लेकिन मेरे लिए ये नंबर खास है।
जी हाँ, दोस्तों, आज मेरी ५१ वीं पोस्ट है, जो आपको समर्पित कर रहा हूँ।
एक जनवरी २००९ से शुरू करके, मैंने हर हफ्ते एक पोस्ट लिखने की कोशिश की है। आज इस साल के ४७ हफ्ते गुज़रे हैं और हाज़िर है, ५१ वीं पोस्ट, सब ब्लोगर्स के नाम।
टीचर, प्रोफ़ेसर, इंजीनियर और सलाहकार
डॉक्टर, वकील, मीडियाकर्मी या पत्रकार
यू के, जर्मनी या आस्ट्रेलिया
कनाडा, अमेरिका या इंडिया
यू पी, बिहार के भइया, मराठी, बंगाली, या मद्रासी
पंजाबी, गुजराती, उत्तरांचली, राजस्थानी या दिल्लीवासी
यूवा, वृद्ध या व्यवसायिक
कार्यरत या सेवा-निवृत
बाल, बालाएं, नर , नारी
शादी शुदा या बाल ब्रहमचारी
पतले ,मोटे, काले गोरे
लंबे ,छोटे , छोरी, छोरे
कितनी विविधताएँ,
कितनी अनेकताएं
विविधता में समानता
अनेकता में एकता
एक इनकी जाति , एक बस मुकाम है
लेखन है जुनून , ब्लोगर इनका नाम है ।
और अब इसे देखें ---
क्या आप बता सकते हैं, इनमे से कौन मराठी है, कौन बंगाली, मद्रासी, पंजाबी या गुजराती।
गर नही तो, फ़िर ये कैसा बवाल
मिस्टर शिव, राज और बाल
फोटो --एच टी से , आभर सहित
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51st post ke liye bahut bahut badhai...
ReplyDeleteबहुत खूब डा० साहब ! क्या जबरदस्त मेसेज दिया आपने कुछ कविता के शब्दों से, बधाई !!
ReplyDeleteबधाई हो डाक्टर साहब। एक डाक्टर के लिये समय निकालना बहुत कठिन काम है किन्तु आपने धैर्य और लगनशीलता से अपना संकल्प पूरा किया है।
ReplyDeleteइसी के साथ आपसे एक निवेदन करना चाहता हूँ। हिन्दी विकि पर कुछ लेखों का योगदान करें। कम से कम न्यूक्लियर मेडिसिन से सम्बन्धित महत्वपूर्ण टॉपिकों पर कुछ लेख अवश्य लिखें। हिन्दी विकि ही हिन्दी के उज्ज्वल भविष्य के लिये आशा है।
सिंह साहब, आपने वाजिब फ़रमाया है।
ReplyDeleteजल्दी ही एक पोस्ट थायराइड से सम्बंधित रोगों पर और एक दिसंबर -- वर्ल्ड एड्स डे पर भी एक लेख लिख रहा हूँ।
विकि पर डालने के लिए सीखना पड़ेगा। कोशिश करता हूँ।
बहुत बढ़िया रचना . डाक्टर साहब बधाई स्वीकारे .
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई ५१ वीं पोस्ट की. ऐसे ही सफर जारी रखिये. बहुत शुभकामनाएँ...कविता भी बेहतरीन उतर आई ऐसे मौके पर!!!
ReplyDelete५१ सार्थक पोस्टों के लिये साधुवाद । आपके ब्लाग से बहुत जानकारियां मिलती हैं।
ReplyDeleteडॉ टी एस दराल जी!
ReplyDelete51 वीं पोस्ट के लिए बहुत-बहुत बधाई!
बधाई! डाक्टर साहब, अपनी गति भले ही नहीं बढ़ाएँ। गुणवत्ता और नियमितता अवश्य बनाए रखें।
ReplyDeleteसचिन की तरह आप पोस्ट के शतक लगायें, कामना है.
ReplyDeleteसबसे पहले 51 वीं पोस्ट की बहुत बहुत बधाई स्वीकारें !
ReplyDeleteउसके बाद इस सुंदर प्रस्तुति की !
विविधता में समानता
अनेकता में एकता
एक इनकी जाति , एक बस मुकाम है
लेखन है जुनून , ब्लोगर इनका नाम है ।
बिल्कुल सटीक !
इस यात्रा के 51 पडाव पार करने पर बधाई....ओर ये यात्रा यूँ ही अनवरत चलती रहे...इसके लिए शुभकामनाऎँ!!!
ReplyDelete51 चीयर्स...
ReplyDeleteअब घर पहुंचवाने का इंतज़ाम कीजिए...मैं तो खैर पड़ोस में नोएडा में ही हूं...लेकिन समीर जी को कनाडा तक पहुंचाने के लिए अच्छी मशक्कत करनी पड़ेगी...
जय हिंद...
श्री श्री श्री १०८ श्री डा. दराल जी ~ आपको इक्यावनवीं चिट्ठी के लिए अनेकानेक बधाईयाँ!!!
ReplyDeleteआपने जिस प्रकार ५१ से ५०१ का इशारा निराकार (शून्य) के माध्यम से किया वो बहुत बढ़िया लगा!!! और मुझे आपको प्राचीन भारत के किसी भी मानव को १, ०, ८ से बनी संख्या '१०८' समझे जाने की याद दिला दी (सिक्के के तीन पहलू समान, जिसमें से 'माया' के कारण शून्य यानि 'खालिस्तान' जैसे खाली स्थान की कोई बात नहीं करता!!!) ...इसको उन्होंने सिद्धासन की मुद्रा द्वारा भी दर्शाया, जो आज के योगी इस्तेमाल तो करते हैं किन्तु शायद उन्हें यह पता न हो: क्यूं?...
धन्यवाद! में प्रयास करूँगा आपकी अन्य पोस्ट भी पढने की...
बधाई हो डाक्टर साहब। इस यात्रा के 51 पडाव पार करने पर |
ReplyDeleteकितनी विविधताएँ,
ReplyDeleteकितनी अनेकताएं
विविधता में समानता
अनेकता में एकता
एक इनकी जाति , एक बस मुकाम है
लेखन है जुनून , ब्लोगर इनका नाम है ।
Yahi to apne desh ki veshta hai.Khubsurti se aapne Sabko ekta ke sutra bandha hai.
Shubhkamnayen
दराल सर, ५१ वी पोस्ट ही तहे दिल से बधाई.
ReplyDeleteलीजिये मैं भी इस शुभ घडी में
आपका ३१ शागिर्द बन आया.
जय हिंद
- सुलभ
यह जल्द ही 501 हो यह शुभकामना ।
ReplyDeleteआप सभी दोस्तों की शुभकामनाओं के लिए आप सब का तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ।
ReplyDeleteदिनेशराय द्विवेदी जी की बात से सहमत हूँ। भले ही पोस्ट ज्यादा न लिखी जायें , लेकिन गुणवत्ता और नियमितता बनाये रहना ज़रूरी है।
जे सी साहब ने मेरे दिल की बात कह दी। बुजुर्ग हैं , मन की बात भाप लेते हैं।
समीर लाल जी को कविता पसंद आई, ये तो बोनस हो गया। आभार।
५१ वीं पोस्ट के लिये हारिक शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत शर्मिन्दा हूँ कि कुछ दिन से ब्लोग पर नहीं आ सकी। कुछ व्यस्त रही। आपको 51 वीं पोस्ट की बहुत बहुत बधई ये 5000 तक जाये उस दिन का इन्तज़ार रहेगा । शुभकमनायें
ReplyDeleteहार्दिक शुभ कामनाएं
ReplyDeleteबधाई हो ५१ वीं पोस्ट पर ......... ५ और १ के बन्द्नक को बखूबी बताया है आपने .......... और आपकी रचना भी कमाल है ब्लोगेर्स के विविध रूप दिखा दिए हैं आपने .......
ReplyDeleteनमस्कार डॉक्टर साहब क्या खूब लिखा है ,हम आप के कायल हो गए .
ReplyDelete"कितनी विविधताएँ,
ReplyDeleteकितनी अनेकताएं
विविधता में समानता
अनेकता में एकता
एक इनकी जाति , एक बस मुकाम है
लेखन है जुनून , ब्लोगर इनका नाम है "...
सही कहा आपने ...
काश ये बात इन अलगाववादियों की भी समझ में आ जाए