बधाई. दिल्ली वालों ने दिवाली समझदारी से मनाई.
अब इसे सरकार द्वारा पटाखों की बिक्री पर अंकुश लगाने का परिणाम कहें या अखबारों में इनके विरूद्व प्रचार, या फिर जन जागृति, वज़ह कोई भी हो, पर ये देखकर अच्छा लगा की इस वर्ष दिवाली पर पटाखों का शोर और वायु प्रदुषण, दोनों में कमी रही. इसके लिए सभी दिल्ली निवासियों को बधाई.
सत्य, धर्म, न्याय और सदाचार का प्रतीक, इस पर्व का स्वरुप अब काफी बदल सा गया है. एक ज़माना था, जब मित्र लोग बड़े शौक से एक दुसरे को बधाई देने, एक दुसरे के घर जाते थे, मिठाई का डिब्बा लेकर. आजकल दिवाली इतनी हाई टेक हो गयी है की सारी बधाईयाँ बिना मिले, दूर संचार से ही हो जाती हैं.
हमारा भी सैकडों मित्रों, रिश्तेदारों और शुभचितकों से बधाई सन्देश का आदान प्रदान हुआ , एस ऍम एस, इ- मेल या फिर ब्लॉग द्वारा. कितनी अजीब बात है की, इनमे से बोलना किसी से भी नहीं हुआ. वैसे भी एक दिन पहले ही तो प्री- दिवाली मीट में सबसे मिल ही चुके थे. शायद सबके मन में यही विचार रहा होगा.
लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे, जिनसे फोन पर बात हुई.
सबसे पहले, सुबह सुबह, मेरे पास फोन आया डॉ बलविंदर सिंह का ( सिख) ,
दोपहर को हमारे दोस्त शाहनवाज़ जी ने फोन किया. शाम को डॉ आदर्श ( बौध धर्म के अनुयायी) , का फोन आया.
और रात को ११ बजे डॉ गुलशन अरोरा ( हिन्दू) ने फोन पर बधाई दी.
धर्म निरपेक्षता का ऐसा उदाहरण देखकर मन बाग़ बाग़ हो गया.
हमने भी अपने कई अप्रवासी भारतीय मित्रों को फोन कर दिवाली की बधाई देते हुए, पटाखों की आवाज़ फोन पर सुनाकर उनको इस सेलिब्रेशन में शामिल कर लिया. जो घर से बाहर थे, उनकी रिकॉर्डिंग मशीन पर पटाखों की आवाज़ रिकार्ड कर दी, बाद में इत्मीनान से सुनने के लिए.
दोस्तों, हमारे पर्व हमें यही भाईचारे का सन्देश देते हैं, की हम सब मिलकर जश्न मनाएं और आपसी रंजिशों को भूल जाएँ.
रोज़मर्रा की नीरस जिंदगी में, मिठास घोल देते है, ये त्यौहार, फिर भले ही मिठाई को बाई बाई.
Sunday, October 18, 2009
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वाकई दिल्ली मे इस बार आतिशबाजी सीमा मे रही.
ReplyDeleteशुभ संकेत है.
जनहित में ऐसे कठोर कदम उठाये
ReplyDeleteजाने जरुरी है जिससे बढ़ रहे
प्रदूषण को किसी तरह से रोका जा
सके. दीवाली की हार्दिक शुभाकामना
महेंद्र मिश्र जबलपुर .
bahut achchi lagi yeh post....
ReplyDeleteaapko deepawali ki haardik shubhkaamnayen....
अच्छी बात है गर अक्ल आई, काश ये पैसा फूंकने के बजाय किसी काम के रास्ते पर लगे
ReplyDeleteदीवाली दिलवालों की दिल्ली दिलवालों की ।
ReplyDeleteआपके द्वारा सुनवाई गई पटाखों की आवाज ने उस दिन हमारी दिवाली में अद्भुत आयाम जोड़ दिया..आपका बहुत बहुत आभार.
ReplyDeleteडॉक्टर साहब, बधाई तो हम भी देते लेकिन क्या करें आपका फोन नंबर ही नहीं है...वैसे इतना तो शीला दीक्षित सरकार भी दिल्ली का भला नहीं कर रही जितना कि आप अपनी पोस्ट में कर रहे हैं...वेसे कभी शेर-ओ-शायरी का ख्याल आए तो दराल देहलवी का उपनाम कैसा रहेगा...
ReplyDeleteजय हिंद...
रोचक और महत्वपुर्ण...
ReplyDeleteऊपरवाले से यही दुआ है कि हर साल हमारा शहर ...हमारा देश प्रदूषण मुक्त होता जाए...
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