
कॉलिज के दिनों में जब अपनी बुल्लेट पर बिना हेलमेट के बैठकर धड़ धड़ करते हुए मोटरसाईकल दौड़ाते थे , तब सर सर करती हवा सर के बालों के साथ अठखेलियाँ करती तो खुद को किसी फिल्म स्टार से कम नहीं समझते--- एक रास्ता है जिंदगी , जो थम गए तो कुछ नहीं .
फिर धीरे धीरे सर पर बालों की आबादी ऐसे कम होती गई जैसे देश में ईमानदार लोगों की . जहाँ पहले दिन में बस तीन बार बालों में कंघी करते थे , अब हर तीस मिनट बाद करनी पड़ती है . अब तो कंघी करते समय बच्चे भी हँसते हुए कहते हैं -- पापा , सर पर चार तो बाल हैं , और आधे घंटे से लगे हुए हैं कंघी करने में . ऐसे में हम तो यही कहते हैं -- बेटा , प्रेसियस चाइल्ड की देखभाल ज्यादा करनी पड़ती है .
लेकिन हर बार जब हेयर कटिंग के लिए जाते हैं तो हज्ज़ाम को यही कहना पड़ता है -- भाई बस थोड़े से यहाँ वहां काटने हैं . वो भी मुस्कराता हुआ कहता है -- बाबूजी , समझ गया . लेकिन जल्दी ही उसकी मुस्कराहट ,झुंझलाहट में बदल जाती है क्योंकि जिस काम को वह दो मिनट का काम समझ रहा था , उसमे उसे आधा घंटा लग जाता है . कभी यहाँ से , कभी वहां से काटते काटते अक्सर हमारे बाल थोड़े से ही रह जाते हैं . घर जाते हैं तो यही सुनना पड़ता है -- पट्ठे बना दिए पट्ठे ने .
इस बार जैसे ही हम कुर्सी पर बैठे बाल कटवाने के लिए , बायीं ओर की कुर्सी पर बैठा एक ख़ुदा का बंद शुरू हो गया अपने मोबाईल पर जोर जोर से गप्पें मारने . लगता है हम हिन्दुस्तानियों को बात बात पर शोर मचाने की बड़ी ख़राब आदत है . सारे समय उसकी चपड़ चपड़ सुनते रहे . अंत में उसने मोबाईल पर एक सन्देश पढ़कर सबको खबर दी -- यहाँ भूकंप आया है . अब तक हम गर्दन घुमाने की हालत में आ चुके थे . घूम कर उसे देखा तो पाया की एक २४ -२५ साल का काला कलूटा , भारी भरकम राक्षस सा दिखने वाला लड़का फेस पैक लगाये बैठा था . उसे देख कर मन हुआ की कहूँ -- भूकंप नहीं भाई , यह तो आपने अपना पैर ज़मीन पर पटका है . लेकिन उसका डील डौल , चेहरे पर झलकती क्रूरता और मानसिक दिवालिया देख कर हमने अपने सेन्स ऑफ़ ह्यूमर पर नियंत्रण रखना ही सही समझा .
सैलून से बाहर निकले तो एक बार फिर वही लुटे लुटे से महसूस कर रहे थे . सोचा , आखिर कब तक ऐसे हाथ पर हाथ रखे बैठे रहेंगे . दिल ने कहा -- कुछ करते क्यों नहीं, कुछ लेते क्यों नहीं . लेकिन हमें ध्यान आया पिछली बार भी मन में ठान लिया था कुछ करने का और पहुँच गए थे अपने अस्पताल के त्वचा रोग विभाग के अध्यक्ष के पास किसी नुश्खे की तलाश में . लेकिन जब उनकी चमकती चाँद देखी, तो बिना कुछ कहे , करे और लिए ही वापस आ गए थे .
फिर याद आया नज़फगढ़ का नवाब -- वीरेन्द्र सहवाग . कैसे उन्होंने कुछ दिन टीम से बाहर रहने का फायदा उठाते हुए अपनी खोई हुई बहार वापस पा ली थी . लेकिन पत्नी जी ने बताया -- जानते हैं उनके पुनर्रोपित एक एक बाल की कीमत ७५० रूपये है . यह सुनकर हमारी तो लुटिया ही डूब गई . सोचा सब कुछ लुटा कर वापस भी आए तो क्या पाएंगे . हालाँकि श्रीमती जी अब भी जब कभी सुबह कंघी करने के बाद कंघी में दो बाल देख लेती हैं तो कहती हैं -- लो कर दिया ना सुबह सुबह १५०० /- का नुकसान .
रोज होते इस नुकसान की चिंता में घुले जा रहे हम इस बार दृढ निश्चय कर चुके थे कुछ करने का .
तभी हमें ध्यान आया , जब हम नए नए डॉक्टर बने थे तब हमारे एक साथी को दिल्ली के एक पौश इलाके में नई नई खुली एक क्लिनिक में ३०,००० रूपये मासिक सैलरी पर काम मिला था जबकि हमें मिलते थे मात्र २००० /-. उस क्लिनिक में किसी नई तकनीक से सर के उड़े बालों को दोबारा पाने की गारंटी दी जाती थी . खर्चा मात्र ६००० -१००००/ -. वह तो बाद में पता चला -- वह कोई जादुई इलाज नहीं बल्कि एक दवा थी जिसे घोलकर सर पर लगाया जाता था .
हालाँकि उस दवा का इस्तेमाल हम भी अनमने से कई बार कर चुके हैं . लेकिन शायद दिल से न करने की वज़ह से फायदा नहीं हुआ . यही सोचकर हम पहुँच गए केमिस्ट के पास और मांगी वो दवा . केमिस्ट ने पूछा -- २% या ५ & ? अब हमने यह तो सोचा ही नहीं था , सो पूछा -- दोनों में क्या फर्क है ? ज़वाब दिया पास खड़ी एक सुन्दर सी , नवयौवना ने -- अक्सर २ % को ही रिकोमेंड किया जाता है -- मैंने भी २ % ही इस्तेमाल किया है . ५ % वाली से चक्कर आ सकते हैं . उसकी भोली अदा पर मन ही मन मुस्कराते हुए हमने भी बड़े भोलेपन से उसका शुक्रिया अदा किया और पूछा -- कितना फायदा हुआ ? वो बोली -- जब तक लगाते रहो तब तक तो फायदा होता है . हमने भी २ % वाली एक शीशी खरीदी और सजा दिया अपने कमरे में .
अब रोज सुबह नहा धोकर जब श्रीमती जी इश्वर की स्तुति कर रही होती हैं , तब हम शीशी खोलकर अपने उजड़े चमन की सेवा सुश्रुवा में लगे होते हैं . साथ ही श्रीमती जी से भी अनुरोध करते हैं -- अपनी प्रार्थना के साथ , भगवान से दो चार बाल हमारे लिए भी मांग लें .
अब देखते हैं -- हमारी सेवा और श्रीमती की प्रार्थना कब और कितना रंग लाती है !

हालाँकि डरते भी हैं --कहीं ज्यादा रंग ले आई और ऐसे हो गए तो ! यह उसी दवा का साइड इफेक्ट है .
अंत में , पूर्व प्रकाशित एक क्षणिका :
हेयर कटिंग सैलून की
आरामदेह कुर्सी पर बैठा
मैं ईर्षा रहा था ,
बाजु में बैठे युवक की लहलहाती
ज़ुल्फों को देख कर .
तभी , हमारा केश खज़ाना देख
दूसरी ओर बैठे
एक हम उम्र के चेहरे पर
वही भाव उभर आए .
उसका ग़म देख कर , मैं अपना ग़म भूल गया !
नोट : दवा का नाम मुफ्त में नहीं बताया जायेगा . कीमत आप स्वयं निर्धारित कर लें .
सुबह सुबह हमको भी अपनी गंजी चांद की याद दिलादी, वैसे सुना है "ताऊ जुल्फ़ बढावो टानिक" से शर्तिया फ़ायदा होता है, आप वो क्य़ूं नही ट्राई करते?:)
ReplyDeleteरामराम.
बस पता पता चल जाए एक बार ! :)
Deleteजाके पैन न फटी बिवाई ,सो का जाने पीर पराई !
ReplyDeleteजाके पैर न फटी बिवाई ,सो का जाने पीर पराई !
ReplyDeleteरोचक पोस्ट।
ReplyDeleteबहुत सही विचार हैं की कमान से निकला तीर वापिस नहीं लौटता है और मुंह से निकली बात वापिस नहीं होती है परन्तु गंजों के लिए हेअर प्लान्टेशन की व्यवस्था आजकल संभव है ...आभार
ReplyDeleteकाश, वो फार्मूला हमें भी कोई फ़ोकट में दे देता डॉ साहेब......हा हा हा हा
ReplyDeleteजी लोग तो हजारों खर्च करने को तैयार रहते हैं . वैसे भी फ़ोकट की दवा फायदा नहीं करती .:)
Deleteकॉलेज के दिनों में युल ब्रेनर की एक फिल्म 'द किंग एंड आई' (सन ५७-५८?) दिल्ली में आई तो फिल्म का ऐसा असर हुवा कि युनिवर्सिटी के कुछेक लड़कों ने सर मुंडवा लिए थे, और कुछ समय यह फैशन चला था!
ReplyDeleteसर जी , बुरा न माने तो एक नेक सलाह दूं ? दिल्ली में ख़ास कुछ नहीं धरा, और जो आपके पास डॉक्टरी का हुनर है उसे आपसे कोई नहीं छीन सकता ! नेक सलाह यह है कि आप बॉम्बे क्यों नहीं चले जाते , बोलीवुड में कही जुगाड़ फिट कीजिये :) क्योंकि बहुत गजब के डायलोग पैदा करने की क्षमता है आपमें ! डा० साहब , सीरिअसली बोल रहा हूँ मजाक नहीं कर रहा !
ReplyDelete[co="red"हालाँकि डरते भी हैं --कहीं ज्यादा रंग ले आई और ऐसे हो गए तो !यह उसी दवा का साइड इफेक्ट है" .[/co ]
आपकी जानकारी के लिए एक खबर चस्पा कर रहा हूँ यहाँ ; यदि आप गंजेपन से छुटकारा पाना चाहते हैं और इसके लिए कोई दवा भी लेने के लिए तैयार हैं तो सावधान हो जाइए। अमेरिका में ऐसे ही एक शख्स ने अपने बाल बढ़ाने के लिए गोलियां लीं। बाल तो ठीकठाक नहीं बढ़े, हां उनके भीतर औरतों जैसे लक्षण जरूरत विकसित हो गए।
डेली मेल न्यूज पेपर में सोमवार को छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, घटना अमेरिका के सिलिकॉन वैली की है, जहां एक बच्चे के पिता 38 वर्षीय विलियम मैकी ने अपने सिर पर बाल उगाने के लिए 'प्रॉपेसिया' नामक जेनरिक दवा की गोली लेनी शुरू की थी। वह पिछले नौ महीने से यह गोली ले रहे थे। इससे उनके सिर पर बाल तो नहीं बढ़े, हां महिलाओं के अनेक लक्षण जरूर आ गए। :) :)
यानि लेने के देने पड़ गए . :)
Deleteगोदियाल जी , इस उम्र में भला क्या स्ट्रगलर बनेंगे !:) :)
सिर के झड़ते बालों के लिए एक आइटम अनुपम खेर का भी है एकदम लाजवाब.
ReplyDeleteपर, हमारे आदर्श तो रजनीकांत हैं, न कि अमिताभ बच्चन!
डॉक्टर साहब ,यही बात से हम भी हलकान हैं.यदि आप बाल उगा पाने में सफल होते हैं तो ज़रूर बताइयेगा :-)
ReplyDeleteयानि पहले पैसे हम खर्च करें ! :)
Deleteबाल बाल बचता रहा, किन्तु बाल की खाल ।
ReplyDeleteबालम के दो बाल से, बीबी करे बवाल ।
बीबी करे बवाल, बाल की कीमत समझे ।
करती झट पड़ताल , देख कंघी को उलझे ।
दो बालों में आय, हमारी साड़ी सुन्दर ।
बचे कुचे सब बाल, हार की कीमत रविकर ।।
हा हा हा ! बहुत खूब गुप्ता जी . बढ़िया इकोनोमिक्स है .
Deleteसेवा का फ़ल मीठा ही मिलेगा:)
ReplyDeleteहालाँकि श्रीमती जी अब भी जब कभी सुबह कंघी करने के बाद कंघी में दो बाल देख लेती हैं तो कहती हैं -- लो कर दिया ना सुबह सुबह १५०० /- का नुकसान .
ReplyDeleteअब जीतने बचे हैं उनकी ही सेवा करिए ... वैसे चमकती चाँद अक़्लमंद पुरुष की निशानी भी कही जाती है :):)
रोचक हास्य
संगीता जी , अक्ल छुपी रहे तो क्या बुराई है ! :)
Deleteमेरी तो दिली इच्छा है की गंजे रहने का फेशन आ जाए ... शायद अपने भी दिन फिर जाएँ ...
ReplyDeleteमज़ा आ गया पूरा लेख और आखिर वाली रचना पढ़ के भी ... दिल को हिम्मत तो चाहिए आखिर कार ...
मरहम के लिए शुक्रिया भाई जी . :)
Deleteदवा का नाम मुफ्त में नहीं बताया जायेगा .HAHAHA
ReplyDeleteबेवजह कंघी फ़ेर-फ़ेर कर बाल उड़ा दिए…… न फ़ेरते तो बच जाते :))
ReplyDeleteयह आइडिया हमें क्यों नहीं आया ! :)
Deleteबालों से इतना प्रेम, सुन्दर दिखना भी आवश्यक है..
ReplyDeleteइन जुल्फों ने हाय राम बड़ा दुःख दीन्हा :):)...वैसे इन दवाओं से कोई फरक नहीं पढ़ने वाला वाकई खेती वापस पाना चाहते हैं तो हेयर ट्रांसप्लांट ही उपाय है :):).
ReplyDeleteशिखा जी , उसकी कीमत से ही गंजे हो जायेंगे . :)
Deleteजो छोटा सा फोटो लगाया है अगर वैसा हल हो गया तों?
ReplyDeleteवही तो .
Deleteइसीलिए बस थोड़ी सी लगाते हैं . :)
चमकते चान्द को टूटा हुआ तारा बना डाला ...
ReplyDeleteचमकते चान्द को, टूटा हुआ तारा बना डाला
Deleteहमें भोले समझ गलती से डेरा मेरे सर डाला
आज तो पूरे रौ में हैं डाक्टर साहब -पोस्ट पढ़ते रहे मुस्कराते रहे -आपके हास्य जींस प्रभावी तो हैं! ठहाके से बस बाल बाल बचे हैं! हाँ टेक केयर -मैंने समझा वो ऊपर वाला और नीचे के चेहरे आपके किसी पेशेंट के जवानी के पहले और बाद वाले चेहरे हैं !
ReplyDeleteआदरणीय डॉ साहब मैं भी अपने फेस बुक के फोटो ग्राफ को देखकर कभी कभी यही विचार करता हूँ .
ReplyDeleteअरविन्द जी , है तो बिफोर एंड आफ्टर ही . लेकिन बिफोर अलग और आफ्टर अलग .
ReplyDeleteठहाके आप लगते ही नहीं वर्ना पिछली पोस्ट पर तो लगाने चाहिए थे . :)
मैं आप से अधिक गंजा था १० साल पहले ...
ReplyDeleteअब देखो ताऊ के तेल का कमाल !
गंजा किसे कह रहे हैं भाई जी !
Deleteहा हा हा !!
अगर चिंता नहीं है तो यह पोस्ट :)))
Deleteवैसे मैं भविष्य के लिए बता रहा था !
:)
सतीश जी १० साल में बाल कहां से ले आये ?
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteमजेदार।
ReplyDeleteमैं भी कभी गंजा था। एक बार मुझे किसी ने बताया कि दक्षिण अफ्रिका के घने जंगल में एक बेचैन आत्मा रहती है। दिल की नेक है। रात भर विश्व सुंदरी बनी घूमती रहती है। एक रात उसकी गोद में सर रख कर सो जाओ तो तुम्हारे झड़े बाल फिर से उग सकते हैं। मैं जा पहुँचा दक्षिण अफ्रिका। सुबह नींद खुलते ही अपनी काली जुल्फों को देखकर मस्त हो गया। लौटने लगा तो वहाँ बस स्टेशन पर एक गंजे को देखकर बहुत अफसोस हुआ। वह मेरे से बस दस कदम की दूरी पर आगे-आगे चल रहा था। मैने सोचा..अजीब मूर्ख है! मैने बनारस से यहाँ आकर अपने बाल उगा लिये और यह है कि यहीं का होकर गंजा घूम रहा है। मुझे उस पर दया आ गई। सोचा उसे भी फार्मूला बताता चलूँ। दौड़कर उसके करीब पहुँचा तो उसका चेहरा देखकर मेरे होश उड़ गये! उसके पूरे चेहरे में घने काले बाल उगे थे।:)
बस यही गलती नहीं करनी है जो उस आदमी ने की।:)
विश्व सुंदरी की गोद में सर रखकर -- हा हा हा ! न भी उगते तो क्या ग़म था ! :)
Deleteजी हाँ कल चमन था आज एक सेहरा हुआ ,देखते ही देखते ये क्या हुआ ....हम तो सिर की शेव बनाने लगे थे तकरीबन एक साल तक यह क्रम रहा है लेकिन चाँद कभी ऋतिक रोशन के पिता सी नहीं चमकी ,पता नहीं ये लोग क्या करतें हैं .कई लोगों ने यह और पूछ लिया भाई साहब सब ठीक ठाक है ,बड़े बूढें ,हमने कहा अब तो हम ही बचे हैं ...बढ़िया संस्मरण /आत्मकथा जुल्फों का /की ...
ReplyDeleteबालों की फिकर छोडिये,मश्वरा दे रहा हूँ मुफ्त
ReplyDeleteविग लगा कर देखिये,हमेशा दिखे चुस्त दुरुस्त,,,,,,
बहुत बढ़िया प्रस्तुती,
RECENT POST काव्यान्जलि ...: आदर्शवादी नेता,
अपुन को तो बड़ा फायदा हुआ इस से। सब लोग बहुत पहले ही वकीलों में सीनियर समझने लगे।
Deleteफिर आंधी तूफ़ान से कौन बचाएगा ?
Deleteयह सही कहा द्विवेदी जी . लेकिन जूनियर बने में रहने में ज्यादा मज़ा है . :)
चम्पी तेल मालिश ....
ReplyDeleteचम्पी तेल मालिश .....
खुदा खैर करे.
@ ७५० रूपया ,
ReplyDeleteआपके पैसे बाल बाल बचे :)
हमने तो इसको एक लेख की तरह पढ़ा......
ReplyDeleteऔर हर रंगबिरंगी पंक्ति पर गौर किया...खास तौर पर आसमानी रंग की....
ईश्वर करे मैडम की प्रार्थना सफल हो...
:-)
सादर
अनु
अनु जी , लेख ही है --हास्य व्यंग ! लोग वैसे ही आत्मकथा समझे बैठे हैं . :)
Deleteआप की इस पोस्ट की तरह ही उस दवा की कीमत के बारे मे सिर्फ इतना ही कहना है - बेशकीमती है जी ... ;-)
ReplyDeleteकारगिल युद्ध के शहीदों को याद करते हुये लगाई है आज की ब्लॉग बुलेटिन ... जिस मे शामिल है आपकी यह पोस्ट भी – देखिये - कारगिल विजय दिवस 2012 - बस इतना याद रहे ... एक साथी और भी था ... ब्लॉग बुलेटिन – सादर धन्यवाद
साइड इफेक्ट देखते हुए लग रहा है कि सर पर कम बाल ही ठीक हैं ...
ReplyDeleteजन हित में दवाओं के साथ हास्य का टॉनिक भी मुफ्त बता रहे हैं , बालों का क्यों नहीं !!
रोचक दास्ताँ- ए- बाल !
जी बालों का इसलिए नहीं --- कहीं दूसरी फोटो वाला हाल हो गया तो लोग हमारे बचे खुचे बाल भी नोंच डालेंगे . :)
Deleteपर डॉ साहब दवा तो सर पर लगानी है न ...?
ReplyDeleteफिर बाल शरीर के अंग अंगों में कैसे ....?
डॉ साहब आप चाहे कितना भी कोशिश कर लें
हम तो नहीं हँसते .....:))
जी ज्यादा मात्रा में लगाने से रक्त में प्रवाह होने से सभी अंगों पर प्रभाव आ सकता है .
Deleteआपका मुस्कराना भी काफी है . :)
सबसे पहले तो देर से आने के लिए माफी क्यूंकि कल ही वापस आई हूँ इंडिया से, रही बात दवाओं और घरेलू नुसख़ों की तो उसकी कमी नहीं, और उनमें कोई साइड इफैक्ट भी नहीं मगर वो सभी कारगर सिद्ध होते हैं या नहीं वो कहना मुश्किल है।
ReplyDeleteवैसे क्या कीमत लगेगी डॉ साब दवा बताने की ?
ReplyDeleteहा हा हा हा ........मुझे दवा का नाम मालूम है, निश्चिन्त रहिये किसी को नहीं बताऊँगी .
ReplyDelete😊
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