आज ही के दिन, एक साल पहले , ३ जनवरी २००९ को मैंने पहली पोस्ट लिखी थी। नव वर्ष की शुभकामनायें ---
इस एक साल में कितनी कामनाएं पूर्ण हुई, आइये देखते हैं --
नव वर्ष के लिए शुभकामनाये कामना करता हूँ कि इस नए साल में सबके जीवन में :
हँसी के फुव्वारे हों ,
खुशी के गुब्बारे हों ,
न सीमा का विवाद हो,
न मुंबई सा आतंकवाद हो !
और इस नए साल में मुक्ति मिले --
भूखों को भूख से ,
घूसखोरों को घूस से ,
किसानो को कर्ज से ,
मरीजों को मर्ज से ।
गरीबों को कुपोषण से ,
शरीफों को शोषण से !
कंजूसों को खर्चों से,
छात्रों को पर्चों से ।
बाबुओं को फाइलों से,
अस्पतालों को घायलों से।
चुनाओं को फर्जी वोटों से ,
देश को नकली नोटों से !
और इस नए साल में सबको मुहँ मांगी मुराद मिले :-
नेताओं को मत मिले,
पार्टियों को बहुमत मिले।
जनता को चावल दाल मिले,
और दो रूपये किलो हर माल मिले!
आतंकवाद से निपटने के लिए :-
पुलिस को ऐ के ४७ मिले,
बुल्लेत्प्रूफ़ जैकेट मिले।
जैकेट भी असली हो,
पर न कोई एनकाउंटर नकली हो !
मोहब्बत की दुनिया में :-
सैफ को मिले करीना ,
सलमान को कटरीना ।
अभिषेक की ऐश रहे,
अमिताभ के हाथ में कैश रहे!
पर इस नए साल में मिले न मिले --
सलमान को कमीज,
पाकिस्तान को तमीज।
प्यासों को शराब,
भूखों को कबाब !
और रहे न रहे--
चाँद संग फिजा बनी अनुराधा,
पुलिस में आई जी पांडा बन के राधा।
शाहरुख़ के सिक्स पैक एब्स,
और मैंगलोर के मयखानों में पैग्स।
ये सब रहे न रहे, पर सलामत रहे--
बच्चों की मुस्कान,
पंछियों की उड़ान।
फूलों के रंग,
अपनों का संग।
बड़ों का दुलार,
और भाई भाई का प्यार!
और सलामत रहे--
देश की आज़ादी,
वीरों के हौसले फौलादी,।
लोकतंत्र में अटल विश्वास,
और रामराज्य की आस!
और कामना करता हूँ कि --
इस वर्ष ये नया साल ,
करदे दिलों का वो हाल,
कि ढह जायें सब नफरत और मज़हब की दीवारें,
और सर्व धर्म मिल कर पुकारें ,
मुबारक हो नया साल,
सबको मुबारक हो नया साल!
वाह! वाह! डा. साहिब!
ReplyDeleteजब स्वप्न में ही हलवा खाना हो
तब घी-चीनी कम क्यों हो?
ग़ालिब भी कह गए
"हमने देखी है जन्नत की हकीकत
दिल के बहलाने को
ग़ालिब यह ख्याल अच्छा है"...:)
सौ बातों की एक बात-
ReplyDeleteमुबारक हो नया साल,
सबको मुबारक हो नया साल!
aanand aa gaya,,,,,,,,,,,,,,
ReplyDeletewaah waah
bahut khoob !
prabhu kare aapki shubhkaamna fale...
jai hind !
पर इस नए साल में मिले न मिले --
ReplyDeleteसलमान को कमीज,
पाकिस्तान को तमीज।
वाह वाह सुबह सुबह आप की पोस्ट ने हंसा दिया, बहुत सुंदर
धन्यवाद
जबरदस्त लिखा सरजी.
ReplyDeleteरामराम.
बड़ी वाजिब शुभ कामनायें हैं , नव वर्ष मंगलमय हो
ReplyDeleteसद्इच्छाएं तो समझे पर इससे तो अपना देश समय पहले ही स्वर्ग नहीं बना जाएगा !
ReplyDeleteआपकी सभी मंगल कामनाएँ पूर्ण हों...
ReplyDeleteइतनी सुंदर शुभकामनाएं देख कर हमारी तो सर्दी भाग ली।
ReplyDeleteआप को भी नववर्ष पर मंगल शुभकामनाएँ। नया वर्ष नई खुशियाँ लाए।
आपने जो माँगा है वैसा ही तो फिर क्या कहने सभी लोग खुश रहेंगे और जिन्हे नही चाहिए वो तो वैसे भी बिना किसी चीज़ के ही खुश है...आपके १ साल पूरे होने की हार्दिक बधाई...बढ़िया रचना..एक अलग अंदाज पर बहुत बढ़िया लगा साथ ही साथ मजेदार भी..बहुत बहुत धन्यवाद!!
ReplyDeleteवाह बहुत बढिया .. आपके और आपके परिवार के लिए भी नववर्ष मंगलमय हो !!
ReplyDeleteडाक्टर साहब!
ReplyDeleteआपने बहुत बढिया काम किया
सबको ईच्छानुसार बांट दिया
किसी के हिस्से रेवडी किसी के मलाई
दुनिया मे सब राजी खुशी रहो भाई
यही होता है मुखिया का काम
आपको नये साल की राम-राम
बहुत बढ़िया!!बहुत बढ़िया प्रस्तुति है।धन्यवाद।
ReplyDeleteआमीन, डॉक्टर साहब,
ReplyDeleteबधाई, कविता के मर्म हेतु, डॉक्टर के कर्म हेतु,
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सब कुछ तो मांग लिया आपने सबके लिए कुछ अपने लिए भी माँगा होता .बहुत ही सुदर भाव लिए हुए कविता औए शुभ कामना सन्देश
ReplyDeleteनया साल मुबारक!!
ReplyDelete’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’
-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.
नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'
कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.
-सादर,
समीर लाल ’समीर’
वाह बहुत खूब कही है...
ReplyDeleteऔर सलामत रहे--
देश की आज़ादी,
वीरों के हौसले फौलादी,।
लोकतंत्र में अटल विश्वास,
और रामराज्य की आस!
और कामना करता हूँ कि --
इस वर्ष ये नया साल ,
करदे दिलों का वो हाल,
कि ढह जायें सब नफरत और मज़हब की दीवारें,
और सर्व धर्म मिल कर पुकारें ,
मुबारक हो नया साल,
सबको मुबारक हो नया साल!
वैसे मैं आपको "राष्ट्रीय कवि संगम" में ढूंडता रहा. मेरे दो दिन (२-३ जनवरी) अध्यात्म साधना केंद्र(महरौली) कवि संगम सभा में बहुत अच्छे बीते.
ReplyDeleteविशेष रिपोर्ट बाद में दूंगा.
- सुलभ
रचना जी, किसी ने कहा है---अपने लिए जिए तो क्या जिए। फिर सब में हम भी तो हैं न।
ReplyDeleteसुलभ, कवि संगम में आने का तो बड़ा मूढ़ था , लेकिन इन्ही दो दिनों में हमारी ग्लोबल हैल्थकेयर कोंफेरेंस थी।
अब पहली पसंद तो यही हो सकती थी ना।
डा. दराल साहिब ~ जो आपने विचार प्रस्तुत किये उसीका सार वैदिक काल में संस्कृत में भी कहा गया है, कुछ इस प्रकार: सर्वे भवन्तु सुखिना/ सर्वे सन्तु निरामया/ सर्वे भद्राणि पश्यन्तु/ मा कश्चिद दुःखभागभवेत्.
ReplyDeleteयानि अंग्रेजी में:
May everybody be happy/ May everybody be free from disease/ May everybody have good luck and/ May none fall on evil days.
डा० साहब, सर्वप्रथम आपकी इस बेहतरीन कविता को देर से पढने के लिए क्षमा चाहता हूँ ! और साथ ही आपको भी नए वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये ! (जो शायद मैं पहले भी दे चुका ) !
ReplyDeleteअब मुख्य बात पर आता हूँ, उम्मीद करता हूँ की आप बुरा नहीं मानेगे ! आपको नहीं लगता की आपने अपनी पिछले साल की पोस्ट में जितनी भी कामनाये की थी, इक्का-दुक्का को छोड़कर एक भी पूरी नहीं हुई ? :)
उम्मीद करता हूँ की आप बुरा नहीं मानेगे !
ReplyDeleteबुरा किस बात का , गोदियाल जी।
मैंने तो शीर्षक में ही लिखा है --
गत वर्ष की शुभकामनायें ---देखिये कितनी काम आई ---
इस पोस्ट में मैं यही बताना चाहता था की हम कितनी शुभकामनायें देते हैं, लेकिन क्या काम आती हैं।
क्या देश के हालात बदलते ? शायद नहीं। लेकिन प्रयास तो जारी रहना चाहिए।
आभार खुल कर विचार व्यक्त करने का।
बहुत ही पसंद आईं आपकी शुब कामनाएं । आमीन !
ReplyDeleteआमीन ....... बहुत अच्छे भाव लिए रचना है ...... देरी से आने के लिए क्षमा डाक्टर साहब ....... कुछ दिनो से बाहर था ........ नेट से संपर्क भी नही था .......
ReplyDeleteडॉक्टर साहब,
ReplyDeleteदेरी के लिए माफ़ी...वो बरेली के झुमके के चक्कर में उलझ गया था...देर से ही सही पर ढेर सारी शुभकामनाएं
स्वीकार कीजिए...
जय हिंद
वाह!...बहुत बढ़िया...
ReplyDeleteउम्मीद पे दुनिया को कायम रखिये...सब नहीं तो कम से कम कुछ मुरादें तो ज़रूर ही पूरी हो जाएंगी