चिकित्सा है पेशा, समाज सेवा जिम्मेदारी
फोटोग्राफी का शौक, हंसना हँसाना है जिंदगी हमारी।
नए साल में हमने यही सोचा था की अब सारी पोस्ट इन्ही चार विषयों पर लिखा करेंगे। पहली तीन पोस्ट लिखने के बाद अब बारी है हास्य- व्यंग की। तो चलिए थोडा हास्य -व्यंग हो जाये।
पता चला है की गूगल अब चीन में अपना कारोबार समेटने जा रहा है। वजह चाहे जो भी हो, लेकिन हमें तो चिंता सी होने लगी है की कहीं हमारे देश में भी बंद हो गया तो क्या होगा। यानि हम हिंदी ब्लोगर्स का क्या होगा। आइये देखते है , क्या होगा :
१) जो ब्लोगर्स सुबह सुबह मोर्निंग वॉक छोड़कर कंप्यूटर पर बैठ जाते हैं, वो फिर से वॉक पर जाना शुरू कर देंगे।
२) जो दोस्त ऑफिस का काम छोड़कर , सारे दिन ब्लॉग पर लगे रहते हैं, वो फिर से ऑफिस का काम करना शुरू कर देंगे।
३) जो मित्र शाम को घर आते ही, घर के काम धाम छोड़, टिपियाने लग जाते हैं, वो घर के काम काज में श्रीमती जी हाथ बटाने लगेंगे। यानि सब्जी लाना, बाज़ार जाना, मरम्मत के काम इत्यादि।
४) जो महानुभव डिनर के समय भी बाल- बच्चों को छोड़ कंप्यूटर पर बैठे रहते हैं, वो फिर से परिवार के साथ उठना बैठना शुरू कर देंगे।
५) जो युवा मित्र रात में नई नवेली पत्नी को भूल कर कंप्यूटर टेबल पर बैठ कर आधी रात गुज़ार देते हैं, वे भी गृहस्थ जीवन में लौट आयेंगे।
यानि अगर यहाँ, गूगल बंद हुआ तो बहुत से लोगों का भला होगा, यह निश्चित है।
लेकिन ज़रा सोचिये , उन लोगों का क्या होगा :
१) जो सेवा-निवृत हैं, और ब्लोगिंग के ज़रिये न सिर्फ रोज़ अच्छा टाइम पास करते हैं, बल्कि उनको ब्लोगिंग के ज़रिये एक नहीं सैकड़ों मित्र, बेटे, और बेटियां मिल जाते हैं।
इस संसार में ज़हां बुजुर्गों को अपने ही बच्चे छोड़ दूर चले जाते हैं, ब्लोगर्स ही तो हैं, जो एक दुसरे का ख्याल करते हैं।
आखिर अपने बुजुर्गों का सम्मान करना, उनकी देखभाल करना और उनकी सुख सुविधाओं का ख्याल रखना , हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है।
२) उन पतियों का क्या होगा , जो पत्नी के सास बहु के सीरियल्स के शौक की वज़ह से टी वी देखने से वंचित होकर , ब्लोगिंग में अपनी खीज उतारते हैं।
३) हमारे जैसे अनेकों कवियों, शायरों और गज़लकारों का क्या होगा, जिनको अपनी रचनाएँ सुनाने या पढ़ाने के लिए ब्लॉग एक अच्छा और मुफ्त का माध्यम मिला हुआ है।
४) उन पहलवानों का क्या होगा , जिनका और किसी पर तो बस चलता नहीं, दुसरे ब्लॉग मित्रों को नौक झोंक, गाली गलोज, और अगर मिल जाएँ तो हाथा पाई तक का कौशल दिखाने में बाज़ नहीं आते।
अब अगर गूगल बंद हुआ, तो ये सब तो वंचित हो जायेंगे, इतनी सुविधाओं से।
तो आइये निवेदन करें गूगल वासियों से , की भई, कम से कम भारत में तो इसे बंद मत करिए।
और अंत में ---
एक चौराहे पर :
एक बूढ़े भिखारी से मैंने कहा ,बाबा आज दायाँ
कल तो आपने बायाँ हाथ फैलाया था ।
भिखारी बोला, बेटा बूढा हो गया हूँ
अब याद नहीं रहता , कल किस हाथ में पलस्तर चढ़ाया था।
नोट : यह सिर्फ व्यंग है, कृपया इसे व्यक्तिगत रूप में न लें।
अगली पोस्ट में देखिये और पढ़िए --स्वस्थ जीवन के कुछ नुस्खे ।
वाकई बहुत असर होगा अगर गूगल भारत से जाता है तो, खासकर हमारे घरवाले तो बहुत ही खुश होने वाले हैं।
ReplyDeletewah ji doctor saheb, sahi ilaaz bataayaa he aapne.
ReplyDeletevyangy kabhi kabhi vyaktivachak bhi ho jayaa kartaa he...vese ise is tarah shayad hi koi le, achha likhaa he.
वाह दराल जी! आपने तो सिक्के के दोनों पहलू दिखा दिये।
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट , डॉ साहब जरा इस चर्चा पर भी नजर दौडाएं.http://manjulmanoj.blogspot.com/2010/01/blog-post_16.html
ReplyDeleteडाक्टर साहब-
ReplyDeleteचिंता की कोई बात नही।
गुगल जाएगा तो डूगल आएगा।
लेकिन ये सब युं ही चलता रहेगा।
रोचक.........
ReplyDeleteबड़ी दूर द्रष्टि है आपकी ..बिलकुल महाभारत के संजय की तरह . समय को ध्यान में रखकर आप जो सोच रहे है काश ऐसा न हो और अगर ऐसा हो जाए तो मार्केटिंग के जमाने में और भी रास्ता (ताक) देख रहे है ... बहुत बढ़िया पोस्ट. आभार
ReplyDeleteडा ० साहब , ऐ काश कि गुगुल ऐसा कर देता ! :)
ReplyDeleteएक व्यंग्य मेरी तरफ से : अभी तो किसी ब्लोगर को भारी सर दर्द भी हो रहा हो तो भी वह टिपियाना छोड़ किसी क्लिनिक पर नहीं जाता , अगर गोगूल सर्विस बंद कर दे तो डाक्टरों के क्लीनिकों पर भी लम्बी-लम्बी कतार लगी रहेगी ! हा-हा-हा- ..!
ReplyDeleteबहुत अच्छी खबर है जी, लेकिन फ़िर सास बहू के झगडे भी बढ जायेगे, बस यही अच्छा नही... चलिये लाभ के संग एक आदि हानि भी हो जाये तो अच्छा है,
ReplyDeleteदराल सर,
ReplyDeleteइसीलिए तो अवधिया जी और पाबला जी से कहता रहता हूं कि हमें स्वावलंबन की ओर ले चलिए...जिससे हमें आंख मूंद कर किसी पर निर्भर न रहना पड़े...
आपने ब्लॉगिंग के नफ़े-नुकसान की बात की मुझे सिगरेट पीने के फायदे याद आ गए...सब बेचारी सिगरेट को कोसते रहते हैं...लेकिन मैं आज बताता हूं सिगरेट के फायदे...
पहला- आपके घर कभी चोर नहीं आएगा....
दूसरा- आपको कभी कुत्ता नहीं काटेगा...
तीसरा- आप कभी बूढ़े नहीं होंगे...
हो गए न हैरान-परेशान....सिगरेट से ये सब करामात कैसे....लीजिए ज़्यादा नहीं उलझाता...जवाब भी दे देता हूं...
पहला- रात भर ज़ोर ज़ोर से खांसते हुए जागते रहेंगे तो चोर की क्या मज़ाल आपके घर में झांक भी ले...
दूसरा- आपको हमेशा चलने के लिए लाठी का सहारा लेना पड़ेगा...कुत्ते की शामत आई है जो लाठी को खामख्वाह अपनी कमर तुड़वाने के लिए बुलावा देगा...
तीसरा- जब जवानी में ही 'राम नाम सत्य' हो जाएगा तो बुढ़ापा क्या ख़ाक़ आएगा...
अब सिगरेट को ब्लॉगिंग से जोड़ लीजिए...
जय हिंद...
खुशदीप भाई, किसी ने कहा है ---
ReplyDeleteसिगरेट छोड़ना है इतना आसान
ज़रा मुझे ही देखो ,
मैं जाने कितनी बार कर चुका हूँ ये काम।
गोदियाल जी, फिर सरकारी डॉक्टरों का क्या होगा ? ज़रा हमारी भी तो सोचिये।
दराल साहब आप तो डराल बन रहे हैं :)
ReplyDeleteलाहौल बिला कूवत मजाल है इस गूगल की जो भारत छोड़ जाए (अभी तो माल अपने यहाँ ही दिख रहा है )
चीन को धमकाने का कारण तो उनकी आदतों के कारण है (माले मुफ्त दिले बेरहम) चोरी और सीनाजोरी कोई इन चीनियों से सीखे माइक्रोसॉफ़्ट और अमेरिका भी इनसे परेशान है .
मान लीजिये अगर बंद भी हो जाता है तो इससे भारत के जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम को बड़ा धक्का लगेगा (:
यह तो आपने बड़ा अच्छा किया कि एक दिन हास्य-व्यंग्य को दिया. मैं तो कहता हूँ ५ में से ३ दिन दे दीजिए.
ReplyDeleteगूगल की बात बता कर आपने सावधान तो कर ही दिया. अब पोस्ट करने के बाद डायरी में जरूर उतार लूँगा.
धडल्ले से व्यंग लिखिए ...व्यंग्यकार किसी के बुरा मानने कि चिंता कहाँ करते हैं!
बहुत अच्छा पोस्ट , आपकी चिंता जायज है ...
ReplyDeleteवाह आपने हमारे काम की बात कही सही बात है हम जैसों का क्या होगा अगर गूगल ने सेवा बन्द कर दी। आपकी अर्ज़ी पर अमल हो शुभकामनायें
ReplyDeleteजायज सोच , हास्य भी गंभीरता भी । बहुत से ब्लागर एक दूसरे से भावनात्मक रूप से लगाव रखते हैं । बहुत परेशानी हो जायेगी
ReplyDeleteहा हा हा
ReplyDeleteबहुत मज़ेदार !
शानदार पोस्ट !
जब गूगल न था तब 'अंग्रेज़' लोग क्लब में जाते थे,,,(उनकी इस आदत पर कई जोक हैं)...और भारत में एक समय उनमें से कुछेक शेरों आदि के शिकार का शौक भी पालते थे...
ReplyDeleteऐसे ही एक शिकारी अपने शिकार के रोमांचक किस्से सुनाने के लिए मेज के नीचे लकड़ी के फर्श पर पैर मारता था और बोलता था, "यह बन्दूक की आवाज़ थी?/ इससे मुझे फलां फलां शिकार की घटना याद आगई!" और इस प्रकार वो अपने विभिन्न अनुभव सुना पाता था :)
और भारत में कुछ देसी बच्चों को इम्तहान में अपनी यात्रा का वर्णन लिखने को कहा जाता था, और जरूरी नहीं होता था कि लड़का वो निबंध रट के आया हो...
एक लड़के ने 'अपनी जहाज द्वारा कलकत्ता से रंगून की जल-यात्रा में कौन कौन से बंदरगाह देखे?' विषय पर लिखा कि जहाज में चढ़ वो अपने केबिन में सो गया क्यूंकि जहाज रात को रवाना होता था,,,और जब उसकी आँख खुली तो उसने अपने को रंगून में पाया ;)
[टीचर ने उसके कान खींचते हुए कहा' "क्लास में तो सो ही जाते हो/ जहाज में भी सो गए!"]
वाह ....गज़ब की सोच है आपकी तो ....!!
ReplyDeleteओह ...हो .....आप तो हंसोड़ दंगल चैम्पियन -- नव कवियों की कुश्ती में प्रथम पुरूस्कार प्राप्त हैं ....तो क्यों न ऐसी सोच हो .....??
बहुत खूब .....!!
गोदियाल जी और खुशदीप जी अब आप भी हास्य व्यंग शुरू कर दो ......!!
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ReplyDelete.
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आदरणीय दराल बॉस,
पता चला है की गूगल अब चीन में अपना कारोबार समेटने जा रहा है। वजह चाहे जो भी हो, लेकिन हमें तो चिंता सी होने लगी है की कहीं हमारे देश में भी बंद हो गया तो क्या होगा। यानि हम हिंदी ब्लोगर्स का क्या होगा।
समस्या बड़ी है पर जब आप यह फिक्र दे रहे हो तो हल भी आप ही निकालोगे... पूरा भरोसा है आप पर... :)
अरे ई गूगल बाबा को जाने नहीं देंगे , चलिए ऐसा करते हैं उनका भी एक ब्लोग बनवा देते हैं हिंदी में बस फ़िर न जा पाएंगे
ReplyDeleteअजय कुमार झा
गूगल बंद नही होगा क्योंकि गूगल को पता है की भारत में लोग इसके कितने दीवाने है..
ReplyDeleteMujhe to mpata hi nahin tha sir ki aisa bhi kuchh hone wala hai... fir to badi samasya ho jayegi khaaskar hum research students ko to... kaise paper seaarch honge... sirf pubmed aur doosre search engine ka sahara rahega.. lekin google ka muqabla kahaan.
ReplyDeleteaur ye main nahin samjha ki bhikhaari ke chutkule se koi bura kyon maanega??? kya aapko ummeed hai ki koi begger ji bhi blogger hain? :)
Jai Hind...
आपकी चिन्ता वाजिब है!
ReplyDelete... प्रभावशाली अभिव्यक्ति !!!!
ReplyDeleteहरकीरत जी, हम आपकी रचनाओं का दिल से सम्मान करते हैं।
ReplyDeleteहा. हा .... सही है .... गूगल महाराज कहीं मत जाइएगा हमें छोड़ कर ....... मज़ा आ गया डाक्टर साहब ........
ReplyDeleteवाह डाक्टर साहब मजा आ गया .... हमें तो कोई चिंता ही नहीं है. हम तो आपके ही सहारे हैं.आप कोई ना कोई दवा तो ढूंढ़ ही लेंगें
ReplyDeleteवाह सर जी वाह..
ReplyDeleteरोचक मजेदार... साथ साथ सावधानी और प्रेरक बातें
दीपक भाई, डिस्कलेमर भिखारी के चुटकले से सम्बंधित नहीं है।
ReplyDeleteयहाँ और भी तो बहुत व्यंग हैं। लेकिन जैसा की अमिताभ जी ने कहा, इसे व्यक्तिगत तौर पर नहीं लेना चाहिए।
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ReplyDeleteसच में गूगल के जाने से फायदा भी है और नुक्सान भी.... पर एक चीज़ और है.... गूगल के जाने से लोग Mentally Bankrupt हो जायेंगे... क्यूंकि ब्लॉग्गिंग से.... Reasoning ability तो बढती ही है.....
ReplyDeletePost likhi to mazedaar tareeqese hai..haan! google wali baat to chinta janak lagi!
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया, मज़ेदार और रोचक पोस्ट है! मुझे बेहद पसंद आया!
ReplyDeleteडा. दराल साहिब ~ ज्ञान की देवी सरस्वती पूजा, बसंत पंचमी, के शुभ अवसर पर शुभकामना भेंट करते हुए अर्ज किया है कि हमारे पिताजी बच्चों को अधिकतर चिकित्सकों में से गोल मार्केट, या उसके निकट, स्थित होम्योपैथी, आयुर्वेदिक, और यूनानी हकीम आदि के पास ले जाया करते थे, और कभी कभी डॉक्टर्स लेन के एक बंगाली ऐलोपेथिक डॉक्टर के पास भी...हकीम यद्यपि शर्मा थे किन्तु क्यूंकि वे पगड़ी पहनते थे में बहुत समय तक उन्हें सिख समझता था :) और केवल जब उनका लड़का मेरी कक्षा में ज्वाइन किया तब उसने मुझे सत्य का बोध कराया :)
ReplyDeleteएक शेर पचास के दशक में हकीम पर सुनने को मिला, जो पेश है:
नब्ज़ मेरी देख कर कहने लगा हकीम
नब्ज़ मेरी देख के कहने लगा हकीम
साला मरेगा :)
[कहते हैं कि प्राचीन काल में हकीम आदि जनानखाने की पर्दानशीं बेगम आदि की कलाई से बंधे चिक से बाहर निकाले धागे से ही नाडी सुन लेते थे और इलाज करने में सक्षम थे! और ऐसे ही एक जोक के अनुसार उन्होंने जान लिया था कि धागा किसी बकरी की टांग से बंधा था और इसलिए उसे हरी घास खिलाने का सुझाव दिया था :)]
ईश्वर कि कृपा से आप शतायु हों!
Daraal Sahab,
ReplyDeleteNamaste, Aapka yeh lekh padkar achcha laga, aur mujhe kuchh apni panktiyaan bhi yaad aagayi...
TU NAHIN TO AUR SAHI AUR BHI HAIN ZAMANE MEIN,
AREY HUMKO KYA PADI HAI ZAALIM TUMKO MANANEY MEIN.....
To google, ka koi aur bhai aa jayega issay behtar bhi ho shayad ..... BASANT PANCHAMI KI SHUBH KAAMNAYEIN --- Surinder
पढ़कर मज़ा आ गया, जे सी साहब आपके संस्मरण।
ReplyDeleteसही कहा सुरिंदर जी, तू नहीं तो कोई और सही।
शुभकामनायें।
आप तो बहुत अच्छा लिखते हैं!
ReplyDeleteबहुत ख़ुशी हुई - यहाँ आकर!
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"सरस्वती माता का सबको वरदान मिले,
वासंती फूलों-सा सबका मन आज खिले!
खिलकर सब मुस्काएँ, सब सबके मन भाएँ!"
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क्यों हम सब पूजा करते हैं, सरस्वती माता की?
लगी झूमने खेतों में, कोहरे में भोर हुई!
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संपादक : सरस पायस
जानकारी तो सच्ची है
ReplyDeleteब्लॉगिंग तो विचारों की कुश्ती है
।
आपको और आपके परिवार को वसंत पंचमी और सरस्वती पूजन की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteकमाल की तुलना की है, दराल साहब. मज़ा आ गया.
ReplyDeleteagar aisa zulm huaa
ReplyDelete(blog bnd hone ka)
to
Dr Sahab
ek aur itis/itus aa jaaega
bloginjitis....
aapki lekhni ne
dilo-dimaag
sb taro-taaza kar diya
abhivaadan svikaareiN.
वाह मुफलिस जी, बढ़िया लफ्ज़ दिया है ---ब्लोगिन्जाइतिस। आभार एवम शुभकामनायें।
ReplyDeleteवाकयी ...अगर गूगल बाबा भारत छोड़ कर चले जाते हैं तो कईयों की मन की मुरादें पूरी हो जाएंगी...रुके काम फिर से होने लगेंगे और मुझ जैसे कईयों का(जिन्हें इस ब्लॉग्गिंग की बदौलत ही एक पहचान मिली है...अपनी अभिव्यक्ति को व्यक्त करने की आज़ादी मिली है)कुछ भी नहीं रहेगा... :-(
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