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Monday, October 14, 2013

मोटरसाइकल चलाते समय सर के बालों से ज्यादा सर की सुरक्षा आवश्यक है --


चौराहे पर जैसे ही बत्ती लाल हुई और गाडी स्टॉप लाइन से पहले रुकी, तभी एक छोटी बच्ची ज़ेब्रा क्रॉसिंग पर खडी होकर तमाशा दिखाने लगी. पतली दुबली मैली कुचैली , उम्र यही कोई ६ वर्ष रही होगी , हालांकि कुपोषित बच्चों मे सही आयु का पता लगाना लगभग असंभव सा होता है. बच्ची कलाबाज़िया खाती हुई सड़क पर उछल कूद मचा रही थी। अब तक उसके आस पास कई मोटरसाइकल आकर रुक गई थी.
एक दो मिनट नटबाज़ी दिखा कर फिर उसने हाथ फैलाने शुरू कर दिये. इस बीच एक और बच्ची जो मुश्किल से दो साल की रही होगी , भीख मांगने का काम शुरू कर चुकी थी. वह सर उठाये और एक हाथ फैलाये एक मोटरसाइकल सवार के आगे खडी थी. कुछ पल उसे निहारने के बाद युवक ने ज़ेब से निकाल कर एक सिक्का बच्ची के हाथ मे रख दिया. सिक्का हाथ मे आते ही बच्ची ने सर झुका कर हाथ मे रखे सिक्के को देखा और उसके चेहरे पर अनायास ही एक मासूम सी संतुष्ट मुस्कान फै़ल गई. ज़ाहिर था , दो साल की मासूम बच्ची भी पैसे की ताकत को पहचानती थी. 

वह मोटरसाइकल सवार युवक अब एक हाथ मे मोबाइल पकड कर उसे दर्पण की तरह प्रयोग करते हुए मोबाइल के स्क्रीन मे अपना चेहरा देख रहा था. उसने हैलमेट को उतार कर हेंडल पर टांग दिया था और दूसरे हाथ से बालों को संवार रहा था. वह एक हाथ से एक कुशल कारीगर की तरह अपने बालों को ऐसे सेट कर रहा था जैसे कोई मूंगफली बेचने वाला मूंगफलियों को आग की हांडी के चारों ओर सजाता है. पूर्ण रूप से संतुष्ट होने के बाद उसने जेब से एक रुमाल निकाला और एक मंजे हुए जादूगर की तरह उसकी तह खोली. हमने सोचा शायद मोबाइल के स्क्रीन को साफ करना चाहता है. लेकिन उसने बड़ी सफाई से रुमाल को सर पर बिछाया और इतमिनान से सर के पीछे गांठ लगाई. फिर हैलमेट उठाकर सर पर रख लिया. लेकिन हैलमेट को बांधने के लिये कोई प्रायोजन नहीं था. यह देख कर हम तो सकते मे आ गए। क्योंकि युवक ने हैलमेट सर पर रख कर अपने माल की रक्षा का प्रबन्ध तो कर लिया था , लेकिन जान की सुरक्षा के बारे मे उसने सोचा ही नहीं. ज़ाहिर था, उसे सर से ज्यादा सर के बालों की चिन्ता थी. इस बीच बत्ती हरी हो गई और वह युवक फर्राटे से हवा से बातें करने लगा. हम तो बस उसकी सलामती की दुआ करते हुए आगे बढ गए.        

नोट : दो पहिये वाहन चालकों को हैलमेट पहन कर ड्राइव करना चाहिये. लेकिन हैलमेट को मजबूती से बांधना भी आवश्यक है. किसी भी दुर्घटना के समय यह जीवन रक्षक साबित हो सकता है.   

23 comments:

  1. हेलमेट पहनने से सर और बाल दोनो सुरक्षित रहते हैं। जहाँ सड़कें जाम रहती हों। 20 किमी से अधिक स्पीड में आप गाड़ी चला ही न पायें तो वहाँ हेलमेट लगाना बड़ा कष्टकर होता है। जैसे कि अपना बनारस।

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    1. जी हाँ, कष्टदायक हो सकता है। लेकिन एक छोटा सा एक्सीडेंट भी हैड इंजरी कर सकता है ! इसलिये लापरवाही ना बरती जाये तो अच्छा !

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  2. जी . पर समझाए कौन ..

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  3. aapne, aaj ke yuvaaon ke liye behtar seekh di hain.
    thanks ji.
    CHANDER KUMAR SONI
    WWW.CHANDERKSONI.COM

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  4. बाँधना आवश्यक है, नहीं तो चोट लग सकती है

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  5. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार (15-10-2013) "रावण जिंदा रह गया..!" (मंगलवासरीय चर्चाःअंक1399) में "मयंक का कोना" पर भी है!
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का उपयोग किसी पत्रिका में किया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  6. बिलकुल सही कहा, वर्ना अक्सर एक्सीडेंट होने पर सबसे पहले हैलमेट ही निकल जाता है, सिर की रक्षा क्या ख़ाक करेगा!

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    1. जी हाँ , सर पर रखा हैलमेट पुलिस से तो बचा सकता है लेकिन सही से बांधा हुआ हैलमेट ही सर को बचा सकता है .

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  7. दुर्घटना के समय हैलमेट जीवन रक्षक का काम करता है !

    RECENT POST : - एक जबाब माँगा था.

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  8. बिलकुल सही सलाह दी है . बाइक चलाते समय हैलमेट का उपयोग तरीके से किया जाना चाहिए तनिक सी लापरवाही दुर्घटना को आमंत्रित कर सकती है .... आभार

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  9. बात तो सही कही आपने पर जिसके सर पर भूत सवार हो उसको क्या कहें?

    रामराम.

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    1. जिसके सर पर भूत सवार हो , उस पर झाड़ मंत्र का इस्तेमाल करना चाहिये ( डांट ) !

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  10. डॉ साहब हेलमेट न पहनना भी लोग शान समझते हैं। चेन्नई में तो हमने देखा पूरा खानदान एक ही मोटरसाइकिल पे सेट हो चलता है। हेलमेट पहनना बेमानी है यहाँ। मुंबई का भी तकरीबन यही हाल रहता है। और तो और लोग गाड़ी की अगली सीट पर बैठ बेल्ट न बाँधना भी शान समझते हैं और मोबाइल तो कार स्टार्ट करते ही कान पे आ जाता है जैसे दोनों का जन्म जन्म का साथ रहा हो। कई तो बच्चा ड्राइव करते समय गोद में बिठा लेती हैं मैं फलाने की बीवी हूँ ट्रेफिक पुलिस या कोई भी पुलिस मेरा क्या कर लेगी। मेरा दर्जा तो मेरे पति से भी एक दर्जा ऊपर है वह कमांडर है मैं कैप्टेन हूँ। क्या कीजिएगा इन महान हस्तियों का।

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  11. किसी भी व्यक्ति अपनी स्वयं की सुरक्षा की जिम्मेदारी का अहसास अगर आ जायेगा तो वे हेलमेट न पहनने या उसे ठीक से बांधे बिना रखने की गलतियाँ नहीं करेंगे.

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    1. यह एक अच्छी और ज़रूरी पोस्ट है.

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  12. सीख देता आब्जर्वेशन

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  13. सही कहा है आपने ... ओर फिर हेलमेट तो अपने आप में एक सुरक्षा ही है बालों के लिए ... अपने अनुभव से मैंने तो यही महसूस किया है हा हा ...

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  14. ड़ॉक्टर साहब सच बात है कि सिर्फ झाड़ मंत्र से काम नहीं चलेगा..बड़ा आर्थिक दंड और सजा का प्रावधान ही कुछ कर पाएगा..सुप्रीम कोर्ट की सख्ती ने तो दिल्ली में फिर भी हेलमेट पहन कर चलना और काले शीशे के बिना कार को कापी हद तक लागू करवा दिया है पर दिल्ली के बाहर पहुंचते ही कानून को लागू करने वाले औऱ पालन करने वाले इसे तोड़ने में शान समझते हैं.....

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  15. शुक्रिया आपकी अर्थ गर्भित टिप्पणियों का। अहोई और दिवाली की अग्रिम बधाई।

    सतो -रजो -और तमो गुणप्रधान व्यक्तियों से आपने वाकिफ करवा दिया।

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