पिछले कुछ दिनों से फेसबुक पर टमाटर महिमा का गुणगान बहुत जोरों पर है। फेसबुकिये मित्र भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन खुल कर कर रहे हैं। इन्ही विचारों से उपजी है यह हास्य व्यंग रचना। टमाटर मिलें या न मिलें , आप पढ़कर ही स्वाद लीजिये :
प्याज़ ने कहा आलू से --
कभी हम तुम और 'वो' ,
मिलकर बनाते थे भाजी।
अब जब से 'वो' न रहा ,
साड्डा दिल नहीं लगदा पा जी।
हर तरकारी के दिन फिरते हैं भैया,
कभी हम बने थे किंग मेकर।
लेकिन लगता है इस बार,
बाज़ी मार ले जायेंगे टमाटर।
इन्सान की जान से ज्यादा ,
टमाटर की कीमत हो गई है।
यार इन लालुओं के सामने
अपनी तो इज्ज़त ही खो गई है।
लोग लोन लेकर खरीद रहे हैं,
टमाटर, वो भी बिना ब्याज के।
नादाँ ये भी नहीं जानते कि ,
भाजी क्या स्वाद बिना प्याज़ के।
लेकिन अब हमारे आस पास भी ,
कोई ख़रीदार नहीं आता।
टमाटर के लिए बहाते हैं ,
हमें देख कोई आंसू नहीं बहाता।
लाल रंग से ही सब घबराने लगे हैं ,
आजकल टमाटर भी रुलाने लगे हैं।
रुपया गिरा, सोना गिरा , ईमान गिर गया है।
पर टमाटर ऐसा चढ़ा, दिमाग ही फिर गया है।
सट्टे में भी दांव पर अब यही मिस्टर लगते हैं ,
अब तो रिश्वत में भी बस टमाटर चलते हैं।
हर रोज सब्जी मार्किट में चोरियां हो रही हैं ,
पर चोरी सिर्फ टमाटर की बोरियां हो रही हैं।
लगता है अब तो सरकार को भी ये ज़हमत उठानी पड़ेगी ,
मिनिस्टरों की घटाकर, टमाटरों की सुरक्षा बढ़ानी पड़ेगी।
Nice ...... Tamatron ke sath Tmatar wale bhi lal ho gae :)
ReplyDeleteहर तरकारी के दिन फिरते हैं भैया,
ReplyDeleteकभी हम बने थे किंग मेकर।
लेकिन लगता है इस बार,
बाज़ी मार ले जायेंगे टमाटर ..
किसी ज़माने में प्याज था किंग मेकर ... देख के अच्छा लगा की सब्जियों में प्रजातंत्र है ... कम से कम इस बार टमाटर को किंगमेकर तो बना दिया ...
वाह गजब टमाटर लीला प्रस्तुत की है। बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteहाय हाय हाय ...........ओय ओय ओय वाह डॉ साहब,
ReplyDeleteइसे कहते हैं व्यंग्य कविता
सचमुच मज़ा आ गया
''लोग लोन लेकर खरीद रहे हैं,
टमाटर, वो भी बिना ब्याज के।
नादाँ ये भी नहीं जानते कि ,
भाजी क्या स्वाद बिना प्याज़ के।''
मेरी दुआ है कि आपको खूब टमाटर मिलें
रोज़ी
लोग लोन लेकर खरीद रहे हैं,
ReplyDeleteटमाटर, वो भी बिना ब्याज के।
नादाँ ये भी नहीं जानते कि ,
भाजी क्या स्वाद बिना प्याज़ के।
हा-हा,,,,बढ़िया कटाक्ष डाo साहब ! इस देश में हँसाने वाले कम ही है अधिकाश तो रुलाने वाले ही है, कभी टमाटर रुलाता है कभी प्याज, कभी महंगाई रुलाती है कभी व्याज !
हमने 60 रूपए किलो बढ़िया क्वालिटी टमाटर लिए जो हफ्ता भर चलेंगे....और 80 रूपए किलो भिन्डी,जो ज्यादा से ज्यादा दो बार बनेगी....
ReplyDeleteजाने ये टमाटर का रोना क्यूँ???
हाँ इसने आपसे एक बेहतरीन रचना ज़रूर लिखवा डाली :-)
सादर
अनु
जी , कल हमने भी इसी भाव टमाटर खरीदे थे और सच मानिये महंगे नहीं लगे क्योंकि साथ में सीताफल पांच रूपये किलो जो मिला।
Deleteवैसे हमने पहले ही लिख दिया है कि ये फेसबुकिया विचार हैं। :)
ये तो लगता सब्जी प्रजातंत्र के चुनाव होने वाले हैं, जो अपनी अपनी महिमा बखान रहे हैं.
ReplyDeleteरामराम.
वैसे एक बात तय है कि हमारे टमाटर ने डालर को भी मात दे रखी है. आखिर हिंदुस्तानी टमाटर के आगे डालर की औकात ही क्या है?:)
ReplyDeleteबक अप टमाटर भाई...बक अप...
रामराम.
कभी प्याज तो कभी टमाटर रुलाता है .....:(
ReplyDeleteरुपया गिरा, सोना गिरा , ईमान गिर गया है।
ReplyDeleteपर टमाटर ऐसा चढ़ा, दिमाग ही फिर गया है। ,,,बहुत खूब ,,,
RECENT POST: गुजारिश,
मस्त है ..
ReplyDeleteबधाई !
प्याज़ का दुख और टमाटर के लिए उसके विचार बहुत खूब लगे.
ReplyDeleteअभिव्यक्ति के सशक्त शिखर को छूती प्रस्तुति
ReplyDeleteलेकिन अब हमारे आस पास भी ,
कोई ख़रीदार नहीं आता।
टमाटर के लिए बहाते हैं ,
हमें देख कोई आंसू नहीं बहाता।
लाल रंग से ही सब घबराने लगे हैं ,
आजकल टमाटर भी रुलाने लगे हैं।
ॐ शान्ति .
शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .
कम से कम परिवार वाद की शिकार नहीं हैं सब्जियाँ .... सबके दिन फिरते हैं .... आज टमाटर की बारी है ...आम आदमी के दिन कब फिरेंगे ? मैं तो यही सोच रही हूँ । बढ़िया व्यंग्य रचना जो सच को कह रही है ।
ReplyDeleteरोचक सराहनीय प्रस्तुति आभार इमदाद-ए-आशनाई कहते हैं मर्द सारे आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -5.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN हर दौर पर उम्र में कैसर हैं मर्द सारे ,
ReplyDeleteलाल रंग से ही सब घबराने लगे हैं ,
ReplyDeleteआजकल टमाटर भी रुलाने लगे हैं।
रुपया गिरा, सोना गिरा , ईमान गिर गया है।
पर टमाटर ऐसा चढ़ा, दिमाग ही फिर गया है।
डॉ साहब आपने मंहगाई संग सच्चाई का आईना दिखा दिया
महँगी तो हर सब्जी है , दिनोंदिन पेट्रोल महंगा हो रहा है , मगर सबसे ज्यादा विचार टमाटर पर ही ...
ReplyDeleteफेसबुकिया मंथन पर कविता मगर अच्छी है !!
इस मंहगाई के जमाने में किस किस का रोना रोया जाए
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteटनाटन
ReplyDeleteबात में दम है और सभी सब्जियाँ भी कह रही है हम क्या किसी से कम हैं :)
ReplyDeleteशानदार :)
ReplyDeleteहास्य रस में बड़ा कटाक्ष ,सच में सब्जियों की यही हालत है और बिना टमाटर के कैसी सब्जी ,बहुत बधाई इस मजेदार प्रस्तुति हेतु
ReplyDeleteजय हो! टमाटर की जय हो!
ReplyDeleteजय हो, हाल हुआ बेहाल सुनो जी।
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