वैसे तो इस कलियुग में सात्विक प्रवृति के लोग मुश्किल से ही मिलते हैं, लेकिन शराब एक ऐसी चीज़ है जो सात्विक पुरुष को भी राजसी अवस्था में परिवर्तित कर देती है और अति हो जाये तो मनुष्य को तामसी स्तर पर ले आती है। लेकिन इस मृत्युलोक में रहकर कभी कभी राजसी ठाठ बाठ का भोग लगाने से बच पाना आसान नहीं होता क्योंकि एक इन्सान के लिए देवता बनना या बने रहना संभव नहीं है।
शराब में मूल रूप से एथाइल एल्कोहोल होता है जो ह्यूमेन फिजियोलोजी में एक नर्वस स्टीमुलेंट का काम करता है। यानि इसके सेवन से नर्वस सिस्टम पर ऐसा प्रभाव पड़ता है कि हमारे शरीर के विभिन्न अंग तेजी से काम करने लग पड़ते हैं। इसलिए पल्स , बी पी , साँस आदि सब तेज हो जाते हैं , पसीना आने लगता है , गर्मी का अहसास होता है। लेकिन सबसे ज्यादा प्रभाव हमारे मष्तिष्क पर पड़ता है जिस का पहला प्रभाव है यूफोरिया / मूड एलिवेशन / रिमूवल ऑफ़ इनहिबिशन। शराब का यही गुण है जिसके लिए आम तौर पर इसके शौक़ीन इसका सेवन करते हैं। इसी को पीने वालों की भाषा में सुरूर कहते हैं।
सुरूर से समाधी तक :
शराब के पहले पैग के बाद पीने वाला रिलेक्स्ड हो कर मस्त हो जाता है। पहले जो लोगों के बीच शरमाया सा बैठा था और किसी से बात करने में हिचकिचा रहा था , अब खुलने लगता है और बातचीत में हिस्सा लेने लगता है। यह इनहिबिशन ख़त्म होने की वज़ह से होता है। दूसरे पैग के बाद आप पूर्ण रूप से विचार विमर्श में मशगूल हो जाते हैं। तीसरे के बाद तो आप को चुप कराना ही मुश्किल हो सकता है। और चौथे पांचवें के बाद आपके बोलने का न कोई तर्क होता है , न कोई आपको सुन रहा होता है। इसके बाद भी यदि आपने एक पैग और ले लिया तो कहीं पड़े ही नज़र आयेंगे और हो सकता है कोई कुत्ता या तो आपका मूंह चाट रहा होगा या उसे जन सुविधा का संसाधन मानते हुए अपना काम कर निकल जायेगा।
बेशक , पश्चिमी देशों की भांति न तो शराब हमारे भोजन का अहम हिस्सा है , न हमारी संकृति का। लेकिन हमारे देश में इसे सदा ही जश्न का एक माध्यम माना गया है। इसलिए शादी हो या पार्टी या कोई अन्य समारोह , डिनर में हार्ड ड्रिंक्स का होना अनिवार्य सा हो गया है। ऐसे में यदि आप शराब नहीं पीते तो स्वयं को ऐसा महसूस करते हैं जैसे शादीशुदा लोगों के बीच आप अकेले कुंआरे फंस गए हैं। देखा गया है कि किसी भी समारोह में अधिकांश लोग मदिरापान कर रहे होते हैं , जिससे प्रतीत होता है कि इसे हमारे समाज में भी स्वीकृति प्राप्त है।
वैसे तो शराब पीने की सलाह नहीं दी जा सकती लेकिन यदि आप शौक रखते हैं तो शराब पीकर आप लाफिंग स्टॉक न बने , इसके लिए निम्नलिखित कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना ज़रूरी है :
* कभी भी खाली पेट न पीयें , वर्ना बहुत जल्दी चढ़ जाएगी। साथ ही स्नैक्स लेते रहें , जिससे एब्जौर्प्शन धीरे हो जायेगा और आप ज्यादा देर तक सभ्य दिखते रहेंगे।
* पीने में जल्दबाजी न करें , धीरे धीरे पीयें न कि गटागट।
* कुछ लोग पहला पैग ही लार्ज ( पटियाला ) बना लेते हैं। यह पियक्कड़ होने की निशानी है। बेहतर है स्मॉल पैग ही बनायें।
* कभी भी अन्जान लोगों के बीच बैठकर न पीयें , यह खतरनाक हो सकता है और आप लुट भी सकते हैं।
* जहाँ तक हो सके, अकेले बैठकर न पीयें। हालाँकि कुछ लोग नियमित रूप से घर में ही अकेले पीते हैं , विशेषकर फौजी लोग। लेकिन इससे आदत पड़ने की सम्भावना बढ जाती है जो हानिकारक हो सकती है।
* यदि आपको ड्राइव करना है तो बेहतर है कि या तो आप न पीयें या अपने साथ कोई ऐसा रखें जो स्वयं न पीता हो। यह आपकी जान और माल दोनों की सुरक्षा के लिए ज़रूरी है।
* स्वास्थ्य और कानून , दोनों की दृष्टि से एक दिन में दो स्माल पैग ( ६० एम् एल ) से ज्यादा नहीं लेना चाहिए।
* हैंगओवर से बचने के लिए खाने में टमाटर का सेवन खूब करें। यह एल्कोहल को जल्दी मेटाबोलाइज कर शरीर से निकाल देता है जिससे सुबह तक आप फिट महसूस करते हैं। इसीलिए ब्लडी मेरी कॉकटेल हमें भी बहुत सही लगती है क्योंकि इसमें टमाटर जूस होता है।
* पानी की मात्रा भी प्रचुर रखने से डीहाइडरेशन नहीं होता और सर दर्द नहीं होता।
* कभी भी देसी दारू न पीयें , इसमें ज़हर ( मिथाइल एल्कोहल ) हो सकता है जो जान लेवा भी हो सकता है।
यदि आप उपरोक्त बातों का ध्यान रखेंगे तो निश्चित ही आप शराब के खतरों से बचे रहकर इसका आनंद उठा सकते हैं।
अब देखते हैं शराब के गुण और अवगुण :
* कहते हैं -- सीमित मात्रा में यह आनंद देती है लेकिन अधिक मात्रा में हर लेती है। कभी कभार शादियों या पार्टियों में पीने से आम तौर पर कोई नुकसान नहीं होता विशेषकर यदि कंट्रोल रखा जाये। एक या दो स्माल पैग रोजाना पीने से भी स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता। इस मात्रा में रेड वाइन कॉलेस्ट्रोल को कम करती है और एक तरह से स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव डालती है। हालाँकि कॉलेस्ट्रोल कम करने का यह तरीका सही नहीं ठहराया जा सकता।
* शराब का सबसे बड़ा अवगुण है इसकी लत पड़ जाना। यह व्यक्ति विशेष और परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है। लेकिन एक बार क्रॉनिक एल्कोहोलिक होने के बाद छोड़ना या सुधार लाना अत्यंत मुश्किल होता है।
शराबी व्यक्ति का न सिर्फ स्वयं का स्वास्थ्य बल्कि घर बार का बर्बाद होना लाज़िमी है।
* क्रॉनिक एल्कोहोलिज्म से लीवर ( यकृत / जिगर ) खराब हो जाता है जिसे सिरोसिस कहते हैं। सिरोसिस से लीवर फंक्शन ख़त्म हो जाते हैं , पेट में पानी भर जाता है , कई जगह से खून आने लगता है और अंत में लीवर फेल होकर या तो कोमा में चले जाते हैं या मृत्यु ही हो जाती है। लीवर सिरोसिस का कोई उपचार नहीं है।
* देखा जाये तो शराब एक मीठा ( स्वाद में कड़वा ) ज़हर है जो धीरे धीरे मनुष्य को हलाल करता है। लेकिन तभी जब शराब ही जिंदगी बन जाये। इसके दुष्परिणाम लम्बे समय के बाद नज़र आते हैं लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इसलिए बेहतर है कि समय रहते चेत जाएँ और इसे सिर्फ ख़ुशी का माध्यम बनायें न कि मातम का।
नोट : हमारे देश में २५ वर्ष की आयु से कम लोगों को मदिरापान की अनुमति नहीं है। लेकिन आजकल क्या हो रहा है , यह आप समाचारों में देख और पढ़ ही रहे हैं। ज़रा संभालिये अपने बच्चों को।
इस महत्वपूर्ण जानकारी और एक सभ्य शराबी की औकात {दो स्माल पैग ( ६० एम् एल ) } बताने के लिए आपका हार्दिक आभार डा0 साहब ! वैसे ही अपनी सरकार और शराब बनाने वाले कम्पनियां हम शराबियों को बेवकूफ समझती हैं, 175 ML को पव्वा(जबकि पव्वा मतलब २५० ML होता है ) और 350 ML को अददा (जबकि अददा मतलब 500 ml होना चाहिए था ) तो भला उनसे ऐसी महत्वपूर्ण जानकारिया प्राप्त करने की उम्मीद ही हम कैसे रखते? :)
ReplyDelete६० एम् एल की बोतल भी मिलती है। :)
Deleteहूं...ये राज आज समझा ! कई दोस्तों को सीमित दायरे / सीमित प्यालों में असीमित पीते देखा और फिर वे सभी अपने अपने सीमित जीवन का अतिशय आनंद उठाकर किसी असीमित जगह को निकल लिये :)
ReplyDelete@ देखा गया है कि किसी भी समारोह में अधिकांश लोग मदिरापान कर रहे होते हैं , जिससे प्रतीत होता है कि इसे हमारे समाज में भी स्वीकृति प्राप्त है।
ReplyDeleteजबरदस्ती की स्वीकृति??? पी-पिलाकर, ओहदा व स्टेट्स जता कर, खुशीयों पर सभी पीते है बताकर समाज को तो बाध्य ही कर डाला!! क्या करे, सरूर में कहाँ सुनते है समाज की!! समाज आंखे फेरे तो लो हो गई स्वीकृति!!!
बिना शराब के यदि समारोह में आनन्द नहीं आता तो समझ लीजिए सम्वेदक ज्ञान तंतु शराब के आगे लाचार हो चुके… :)
आँखें फेरने वाले बहुत कम होते हैं सुज्ञ जी। बुराई बाहर नहीं अन्दर होती है।
Deleteसही बात जी!! बुराई अन्दर ही होती है, समाज की स्वीकृति तो बहाना मात्र है.
Deleteसीमित मात्रा में लेने के बाद यदि यह ज्ञान रह जाये कि अब नहीं लेना है, तब तो ठीक है। ज्ञान उड़ गया तो गड़बड़ है।
ReplyDeleteहैंगओवर से बचने के लिए खाने में टमाटर का सेवन खूब करें। यह एल्कोहल को जल्दी मेटाबोलाइज कर शरीर से निकाल देता है जिससे सुबह तक आप फिट महसूस करते हैं। इसीलिए ब्लडी मेरी कॉकटेल हमें भी बहुत सही लगती है क्योंकि इसमें टमाटर जूस होता है।
ReplyDeleteआपने तो ऐसा इलाज बता दिया कि आदमी पीना चाहे तो भी ना पी पाते. दारू से महंगे तो टमाटर हो रहे हैं.:)
रामराम.
इसमें बेचारी दारू का क्या दोष ! :)
Deleteदारू का दोष यही है लि टमाटर डालर से भी महंगे जो हो गये हैं.:)
Deleteरामराम.
देखा जाये तो शराब एक मीठा ( स्वाद में कड़वा ) ज़हर है जो धीरे धीरे मनुष्य को हलाल करता है। लेकिन तभी जब शराब ही जिंदगी बन जाये। इसके दुष्परिणाम लम्बे समय के बाद नज़र आते हैं लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इसलिए बेहतर है कि समय रहते चेत जाएँ.
ReplyDeleteफ़िर शुरू ही क्यों करें? अपनी जौ की घाट वाली छाछ राबडी ही बढिया.:)
रामराम.
लालू जी ने भी तो रेलवाई में सत्तू पिलाना शुरू किया था। :)
Deleteसत्तू दारू के सामने कमजोर पड गया.:)
Deleteरामराम.
क्या लिवर सिरोसिस बिना शराब पिए भी हो सकता है?
ReplyDeleteजी बिल्कुल हो सकता है। इसमें सबसे प्रमुख कारण है हिपेटाईटिस बी का संक्रमण। इसके अलावा कुछ दवाओं से भी हो सकता है।
Deleteपेट में जलन, गर्माहट, अनईजीनेस रहती है। मैं तो शराब भी नहीं पीता। क्या किया जाए। अग्नाशय की गर्माहट हो सकती है क्या?
Delete
Deleteये तो एसिडिटी के लक्षण हैं। ज्यादा मिर्च , अचार , खटाई , तली हुई चीजें आदि नहीं खानी चाहिए। ठंडा दूध लेने से आराम आ सकता है। वैसे एलोपैथी में हम बिना देखे कोई उपचार नहीं बताते।
आपके कीमती सुझावों के लिए धन्यवाद।
Deleteसौ बात की एक बात समझ में आई ...अच्छी चीज़ कदापि नहीं है.
ReplyDeleteइतने बढ़िया बढ़िया कमेन्ट पढता आ रहा था , यहाँ आकर ऐसा लगा क्लास मैम्म अन्दर आ गयीं |
Deleteयस मैम !!!
:)
Deleteसब बड़िया जानकारी मिली ..आभार !
ReplyDeleteरेडवाइन की मात्रा भी अगर बता देते तो और अच्छा होता ...
चलिए अब बता दें ...
अशोक जी , वाइन का पैग नहीं होता , यह तो आप जानते ही हैं। बस एक या दो !
Deleteडॉ टी एस दराल जी
Deleteभाई साहब तीन गिलास में तो रेड़ वाईन बोतल ही खाली हो जाती है :)
ललित जी , हमने गिलास कहाँ कहा ! :)
Deleteवैसे वाइन का पैग १ ५ ० एम् एल का होता है।
मास्टर जी, हेड मास्टर रह चुके हैं कर्नल ललित !!
Deleteडॉ साब....आपकी जानकारी के साथ साथ कमेन्ट प्रवचन भी महत्वपूर्ण हैं
ReplyDeleteहमारे लिए तो जानकारी के अलावा कुछ समझने लायक नहीं है :)
ReplyDeleteअभी तक तो कभी पी नहीं इसलिए कुछ विशेष नहीं कह सकता.....और पीने वालों को शायद ये सब पता ही होगा (न भी हो तो क्या?)......
ReplyDeleteचियर्स पोस्ट.
ReplyDeleteचियर्स !!!
Deleteहमको तो यह समझ में आया कि कोई भी चीज़ यदि सीमा में रहे तो ठीक वरना अति हर चीज़ की बुरी होती है।
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(20-7-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
sab janate hain ...duniya ki sabase bakvas chese hai ji.......haan ravan buraai men bhe apana bhaav samajhata tha....samajhiye...
ReplyDeleteवाह ये तो चियर्स वाली पोस्ट है वाह
ReplyDeleteDR SAHAB PRANAM AAPAKE HAR POST KA BESABRI SE INTAZAR RAHATA HAI. ISAKA BHI NASHAA NIKHJISH MAHUWE KI TARAH CHADHA RAHATA HAI *******
ReplyDeleteshukriya ramakant ji .
DeleteNIKHALISH
ReplyDeleteऊपर के कमेंट्स पढ़ते पढ़ते चक्कर आगया .चारो तरफ्फ़ जाम ही जाम नजर आ रहा है.जय हो लाल परी की.
ReplyDeletelatest post क्या अर्पण करूँ !
latest post सुख -दुःख
आपने जानकारी इतनी महत्वपूर्ण दी है की हर बात उपयोगी लगती है ... पर अभी तक पीने की शुरुआत अहि हो पाई मेरी ...
ReplyDeleteफिर भी कईयों को भेजूंगा इसका लिंक ...
Deleteनास्वा जी , कृपया पीने वालों को ही भेजना। :)
बढ़िया लगी पोस्ट।
ReplyDelete..टमाटर सस्ता हो गया है।