घर में ऐ सी, दफ्तर ऐ सी,
गाड़ी भी ऐ सी।
इस ऐसी ने कर दी,
सेहत की ऐसी की तैसी।
नेता भ्रष्ट, अफसर भ्रष्ट ,
इससे बाबू भी ग्रस्त।
इस भ्रष्टाचार ने कर दी,
संसार की ऐसी की तैसी।
चाय का पैसा, पानी का पैसा ,
चाय पानी का पैसा।
इस पैसे ने कर दी ,
इमान की ऐसी की तैसी।
दवा का खर्च , दारू का खर्च
दवा दारू का खर्च।
इस खर्च ने कर दी ,
इन्सान की ऐसी की तैसी।
पैदल से परहेज़, कारों का क्रेज़ ,
आफ़त है रोड रेज़ ।
इस आफ़त ने कर दी ,
शराफ़त की ऐसी की तैसी ।
यार मतलब के, मतलब की यारी ,
बिन मतलब रिश्ते भारी।
इस मतलब ने कर दी ,
आपसी रिश्तों की ऐसी की तैसी।
जान नहीं, नहीं पहचान,
बस हो जान पहचान।
इस समाधान ने कर दी ,
इम्तिहान की ऐसी की तैसी।
वधु बिन शादी, शादी बिन प्यार,
बिन शादी लिव इन यार।
इस व्यवहार ने कर दी ,
संस्कार की ऐसी की तैसी।
दुष्ट इन्सान, रुष्ट भगवान ,
बलिष्ठ हुआ तूफ़ान।
इस तूफ़ान ने कर दी ,
सुन्दर जहान की ऐसी की तैसी।
ये तो सच में आपने ऐसी तैसी की ऐसी तैसी कर दी, बिल्कुल खरी खरी और सौ प्रतिशत सत्य. सलाम डाक्टर साहब.
ReplyDeleteरामराम.
दुष्ट इन्सान, रुष्ट भगवान ,
ReplyDeleteबलिष्ठ हुआ तूफ़ान।
इस तूफ़ान ने कर दी ,
सुन्दर जहान की ऐसी की तैसी।
सच में सब कुछ इसी ऐसी तैसी के हवाले हो गया.
रामराम.
बहुत खूब
ReplyDeleteइस 'ऐसी-तैसी' का कारण है जानते बूझते अंजान बनना।
ReplyDeleteहा-हा ... बहुत बढ़िया डा० साहब ! वैसे तो इस ऐसी तैसी के मुजरिम पूरे ही देश वासी है।
ReplyDeletebhai saheb ...........gazab kar diya .........
ReplyDeletemehfil loot leeeeeeeeeeeeeeeee
vaise ye loot-paat achhi baat nahin ..ha ha ha
jai hind !
लेकिन इस लूट में भी हमने तो कुछ दिया ही है ! :)
Deleteमौसम , मिजाज़ , इंसान ...सबने की थोड़ी -थोड़ी सबकी ऐसी तैसी !!
ReplyDeleteसर, दुनिया मुश्किल जगह ज़रूर है पर इतनी बुरी भी नही है :-)
ReplyDeleteसत्य वचन!
ReplyDeleteवाह -कवि ने बिलकुल सही खाका खींचा है !
ReplyDeleteDekh tere sansar ki aisi ki taisi ho gayi Bhagwan,
ReplyDeleteKitna badal gaya Insaan...
JAI HIND...
वाकई ऐसी की तैसी हो गई है दुनिया जहां की। बहूत बढ़िया।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (06-07-2013) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/ चर्चा मंच <a href=" पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
:)
ReplyDeleteजबरदस्त..हकीकत में जिस किसी भी चीज पर हम इठलाते हैं वही हमारी ऐसी की तैसी कर देता है।
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति।।।
इस व्यवहार ने कर दी ,
ReplyDeleteसंस्कार की ऐसी की तैसी।
वाकई भाई , शायद हम लोग इसी लायक हैं !!
शुभकामनायें आपको !
इतनी सारी ऐसी तेसी के बीच हम अपनी ऐसी तेसी करा रहे थे...औऱ ध्यान भी नहीं था...हद हो गई...
ReplyDeleteजो कसर बाकी थी वो इस पोस्ट ने कर दी।
ReplyDelete:)
Deleteसच है सारी ही ऐसी की तैसी हो रही है।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर, गहन भाव से भरपूर रचना...
ReplyDeleteसच में! ऐसी वैसे कर के...ऐसी की तैसी ही हो गयी दुनिया में..
~सादर!!!
दुष्ट इन्सान, रुष्ट भगवान ----क्या बात है ....
ReplyDeleteहमने खुद अपनी करी,ऐसी तैसी यार,
इंसानों ने ही किया इंसा को वेजार |
खुद तू ही वैसा करे,और नसीहत देय ,
खुद के अंतर झाँक के, देख नहीं क्यों लेय|
सचमुच हमने ऐसी की तैसी कर दी है . .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (08.07.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी. कृपया पधारें .
ReplyDeleteआपने सब सच-सच कह कर ....
ReplyDeleteसच की कर दी ,,सच-मुच..??????-))
सब धो डाला, कुछ न छोड़ा,
ReplyDeleteघूम रहे हैं साहब नंगे।
कैसी कैसी अरे ऐसी की तैसी.
ReplyDeleteये तो जोरदार रही वैसी की वैसी.
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteसबने मिलकर ही कर दी है...
ReplyDeleteसुन्दर जहान की ऐसी की तैसी।
sir aapne to sab ki aisee taisee kar dee, manabhaawan rachanaa
ReplyDeleteसटीक बात कहती बढ़िया रचना बहुत खूब...
ReplyDeleteऐसी की तैसी में .....कटाक्ष में बड़े ही सटीक शब्दों में बहुत कुछ लिख दिया है आपने
ReplyDeleteसोलह आने सच ।
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