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Thursday, October 4, 2012

सफ़ारी की बातें और अरबी रातें ---भाग 1


दुबई टूर  के अंतिम चरण में आता है डेजर्ट सफ़ारी . शहर से क़रीब 60-70 किलोमीटर दूर बने हैं -सेंड ड्यून्स यानि रेत के टीले। इन टीलों पर फर्राटे से दौड़ती गाड़ी में बैठकर  अनोखा रोमांच महसूस होता है।  




हाइवे पर 140 की स्पीड से ड्राईव करते हुए ड्राईवर ने 40  में पहुंचा दिया इस स्थान पर जहाँ  गाड़ियाँ एक साथ काफिला बनाकर चलती हैं . ऊपर नीचे हिचकौले खाते हुए जब गाड़ी ड्युन्स के टॉप पर जाकर नीचे आती है तब जान सी निकल जाती है . लगता है जैसे अभी पलटी। 




इतना समतल स्थान तो कम ही  मिलता है।




करीब 2-3 किलोमीटर के बाद बीच रेगिस्तान में पहुँच कर गाड़ी से उतर जाते हैं . जहाँ रेत में बनी ये लहरें मन को बहुत भाती हैं।  




लेकिन जल्दी ही इंसानी पैरों तले रोंद दी जाती हैं।





और रह जाते हैं ये निशान , जो निश्चित ही अस्थायी होते हैं . तेज हवा के साथ ये निशान ही नहीं , ड्युन्स भी अपना अस्तित्व खो जाते हैं . 



रेतीली लहरों के साथ गाड़ियों के निशान .




                                   
एक जगह आकर सारा कारवां रुक जाता है .





सब गाड़ियों से बाहर निकल पड़ते हैं और पाउच से कैमरे .                                


सूर्यास्त से पहले गाड़ियाँ निकल पड़ती हैं , कैम्प साईट की ओर। यह शहर की ओर कुछ किलोमीटर जाने पर आता है . यहाँ मनोरंजन के लिए कई साधन जुटाए गए हैं।


  

कैम्प के बाहर एक तरफ स्कूटर की सवारी हो रही थी , दूसरी तरफ ऊँट की . यहाँ सभी आकार और प्रकार के रंग बिरंगे लोग देखने को मिले।  





शाम की प्रष्ठभूमि में ऊँट की सवारी।





अँधेरा हुआ तो बत्तियां जल गईं। कैम्प के गेट पर दोनों ओर बनी थी , वी आई पी गैलरी।




अन्दर का दृश्य। 




एक तरफ बना था यह हुक्का बार। आखिर अरबी रात का मज़ा तो ऐसे ही आता है। हालाँकि , हुक्का पीने वाला  तो कोई इक्का दुक्का ही था .





बीच में बनी स्टेज के चारों ओर दो घेरों में रेडियल रोज में मेज लगी थी जिनके साथ बैठने के लिए गद्दे बिछे थे जिन पर बैठकर खाना खाते हुए डांस देखने का प्रायोजन था। पहले एक पुरुष ने अपने जौहर दिखाए .   





फिर बारी आई इस कमसिन , गोरी नवयौवना की जिसका सभी को इंतजार था . सुना था , यहाँ बेली डांस दिखाया जाता है . लेकिन गोरी चमड़ी के अलावा डांस तो नाममात्र ही था .


डांस का एक छोटा सा नमूना आपके लिए संजोया है क्योंकि अब तक कैमरे की बैटरी ख़त्म होने लगी थी . 



और इस तरह रेतीले जंगल में मंगल मनाकर हम करीब रात 12 बजे होटल पहुंचे . 

नोट: अगली और समापन किस्त में अरबी रातें भाग 2 में पढ़िए जो पहले कभी नहीं लिखा गया .


27 comments:

  1. हूर पार्ट वन ,अगले का इंतजार ....रेत का गीत भी सुनते हैं होता है!

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  2. सुन्दर यात्रा और चित्र के लिए आभारी

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  3. मेरे एक मित्र का तकिया कलाम है : मौजां दुबई दियां....

    इस आशा के साथ अगली पोस्ट में कुछ "मौजां दुबई..." वाली इमेज भी होगी.

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  4. इन चित्रों के माध्यम से अरबी रातों के नज़ारे देख लिये.

    धन्यबाद.

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  5. कमाल है ..अब हम पैसे खर्च करके क्यों जाएँ.

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  6. बढ़िया......
    जो अब तक नहीं लिखा गया उसका इंतज़ार है...

    सादर
    अनु

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  7. बढ़िया तस्वीरें ...शुभकामनायें

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  8. हम तो सबसे पहले हुक्के पर ही टूटते हैं :)

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    1. धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है .
      डॉक्टर होने के नाते बताना हमारा फ़र्ज़ है . :)

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  9. हर फ्रेम हर तस्वीर बोलती बतियाती चलती है ,केप्शंस भी .इसे कहतें हैं जंगल में मंगल मनाना .

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  10. कुछ ऐसा ही भारत के जैसलमेर में सम ड्यून जगह पर भी दिखाया जाता है, रेत से लेकर बैली डांस तक,

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  11. आपकी रोमांचक यात्रा को पढते पढते हम भी दुबई की सैर कर रहे हैं

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  12. राजस्‍थान के जैसलमेर में भी ऐसा ही रेगिस्‍तान है, यहाँ केवल ऊँटों की ही सवारी होती है। राजस्‍थानी रंग से रंगी रहती है शाम। रेत बहुत खूबसूरत होती है।

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    1. जी हाँ , हम भी १९९३ में गए थे . लेकिन तब रात में नहीं रुके थे .

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  13. रोमांचित करती हुई तस्वीरें हैं....

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  14. आज कई दिन बाद आपकेब्लोग पर आना हुआ इतना सुन्दर रोमांचित यात्रा वृतांत पढ़ और तस्वीरें देखी बहुत अच्छी लगी पुरानी पोस्ट पर भी जा रही हूँ

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  15. मुबारक हो आखिर आप विदेश यात्रा पर निकल ही पड़े। मस्ती तो डाक्टर साहब कभी भी कर लीजिए.....विश्व सुंदिरयों में शुमार गायत्री देवी जी कह गई हैं कि हर उम्र की अपनी खूबसूरती होती है। इसलिए वो ज्यादा मेकअप का इस्तेमाल नहीं करती थी। पर बेली डांस के नाम पर जो लूट थी वो देख कर इतना समझ आ गया कि दुनिया में हर जगह हाल एक सा ही है। हाल ही रॉक कंसर्ट में था..खत्म होने पर कुछ लड़कियों ने बैली डांस किया वो इससे बेहतर था औऱ मुफ्त अलग। तो इस मसले पर तो आप लूट गए....खैर। ऐसा तो होता रहता है। वैसे चित्र शानदार हैं।

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    1. हमने तो न लूटा , न लूटे .
      लेकिन यह सच है जैसा हमने भी कहा है -- इस डांस में बेली डांस था ही नहीं .
      फिर भी जो था उसका ही आनंद लिया जाए . :)

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  16. रोचक विवरण .... चित्र सुंदर हैं ।

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  17. बहुत ही ख़ूबसूरत चित्रमय झलकियाँ .

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  18. बैली डांसिंग देखने का शौक है तो टर्की जाईये डाक्टर साहब...आपकी फोटोग्राफी लाजवाब है

    नीरज

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