प्रस्तुत हैं , डॉक्टर और रोगी के बिगड़ते संबंधों पर कुछ पैरोडी हँसिकाएँ : एक नया प्रयोग।
१)
अय डाक्टर , चल दवा लिख !
झूठा बिल , फर्ज़ी मेडिकल बना !
पी एम रिपोर्ट बदल ,
अजन्मी बेटी का गला दबा !
अजन्मी बेटी का गला दबा !
अपनी फीस ले ,
अय डाक्टर , चल झूठा बिल बना !
२)
मैं चाहे ये खाऊँ , मैं चाहे वो खाऊँ
मैं चाहे जिम छोडूं ,
मैं चाहे दारू के अड्डे पे जाऊं ,
चाहे वेट बढ़े , चाहे पेट बढ़े ,
डाक्टर को दिखाऊँ ना दिखाऊँ ,
मेरी मर्ज़ी !
३)
अस्पताल मे
छोड़ गया बेटा , मुझे
हाय अकेला छोड़ गया !
सब देखते रहे तमाशा ,
मैं सड़क पे घायल ,
पड़ा पड़ा दम तोड़ गया !
४)
तू मेरा ईश्वर है ,
तू मेरा रक्षक है !
पर फीस मांगी तो
तू पूरा भक्षक है !
५)
होटल मे टिप् दे देंगे पूरे एक हज़ार ,
होटल मे टिप् दे देंगे पूरे एक हज़ार ,
जुए मे हम भले ही हज़ारों जाएं हार ,
पर दो चार दिन गर पड़ जाएं बीमार,
तो तो तो तेरी तो ,
अय डाक्टर , चल दवा खिला ,
इंजेक्शन लगा , पर बिल ना बना !
क्या किया जाय डॉ.भी अनेक प्रकार के होते हैं और मरीज़ों की तो बात ही क्या !
ReplyDeleteडॉक्टरों का पाला तो सभी से पड़ता है. सुंदर व्यंग.
ReplyDelete:)
ReplyDeleteबहुत बढ़िया व्यंग्य किया हैआपने!
ReplyDeleteडॉक्टर को सेकंड गॉड कहते हैं लेकिन नादान, मासूम, नासमझ लोग कहाँ समझते है यह बात ...
ReplyDeleteबहुत सही ..
अक्सर डॉक्टर्स को रोगी ही भृष्ट बनाते हैं।
Deleteआभार।
ReplyDeleteअय डाक्टर . ले अपनी फीस ..तू भी खुश ..मैं भी राज़ी ....चल अब एक व्यंग सुना ..हो जाये मेरा भी भला ...:-)
ReplyDeleteशुभकामनायें जी .
हा हा हा। हो सब का भला।
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