ये तो आप जानते ही हैं कि हमारा देश एक विकासशील देश है। विकासशील यानि विकसित जमा अविकसित बटे दो। यानि हम एक ओर अमेरिका जैसे देश की तरह विकसित हैं , वहीँ दूसरी ओर यहाँ सोमालिया जैसे दृश्य भी देखने को मिल जाते हैं। यहाँ वो सब कुछ उलपब्ध है जो एक विकसित देश में होता है। फिर भी आज भी देश के अनेक हिस्सों में सूखे से प्रभावित किसान क़र्ज़ में डूबे आत्महत्या कर रहे हैं। कुपोषण के शिकार बच्चे मिटटी के ढेले खाकर पेट भर रहे हैं। देखा जाये तो समय के साथ साथ हम दोनों दिशाओं में बढ़ रहे हैं। एक ओर अमीरों की संख्या बढ़ रही है , वहीँ दूसरी ओर गरीबों की भी संख्या बढ़ रही है। लेकिन गरीबों की संख्या अमीरों की संख्या से कहीं ज्यादा बढ़ रही है।
उलटी दिशा में होने वाले इस बहाव को तभी रोका जा सकता है जब हम सब अपनी पूरी निष्ठां और कर्तव्यपरायणता से अपना काम करें। हम अपने कार्य में तभी प्रभावी हो सकते हैं जब एक स्वास्थ्यकर्मी के रूप में हम अपनी कार्य शैली में इन तीन गुणों को विकसित कर लें :
उपलब्धता : आपको अपने कार्यस्थल पर समय सारणी अनुसार उपलब्ध होना चाहिए। इसमें नियमितता , अनुशासन और कर्तव्यपरायणता शामिल है।
मृदु व्यवहार : आपका व्यवहार आपकी कार्य कुशलता में आपको प्रभावी बनाता है। अपने अच्छे व्यवहार से आप दूसरों का दिल जीत सकते हैं।
योग्यता : उपरोक्त दोनों गुणों के साथ योग्यता भी हो तो आप अपने काम में पूर्णतया निपुण रहेंगे।
( स्वास्थ्यकर्मियों के एक कार्यक्रम में दिए भाषण का एक अंश )
बिलकुल सही कहा
ReplyDeleteआभार।
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