आओ बताऊँ, तुम्हें अस्सी का फंडा,
ये तो है प्यारे , फोकट का ही फंडा !
वज़न हो ना कभी , अस्सी किलो से भारी,
रहे नीचे कमर भी , अस्सी से.मी. से तुम्हारी !
दिल की धड़कन भी, रहे अस्सी से ही नीचे,
निचला बी पी हो ना , कभी अस्सी से ऊंचे !
ग़र रहना है अस्सी साल तक तुम्हे जिंदा,
अपनाओ अभी तुम सभी अस्सी का फंडा !
फास्टिंग ब्लड शुगर , नहीं अस्सी को कूदे ,
एल डी एल वसा भी , न हीं अस्सी को फांदे !
खान पान हो ना कभी जंक फ़ूड सा गन्दा ,
ये तो हैं धन बटोरने का विदेशियों का धंधा !
ग़र रखना है ऊंचा अपने देश का झंडा ,
स्वदेशी अपनाओ , चाहे बंदी हो या बंदा ।
आओ बताऊँ, तुम्हें अस्सी का फंडा,
यही है प्यारे, स्वस्थ जीवन का फंडा !
ये तो है प्यारे , फोकट का ही फंडा !
वज़न हो ना कभी , अस्सी किलो से भारी,
रहे नीचे कमर भी , अस्सी से.मी. से तुम्हारी !
दिल की धड़कन भी, रहे अस्सी से ही नीचे,
निचला बी पी हो ना , कभी अस्सी से ऊंचे !
ग़र रहना है अस्सी साल तक तुम्हे जिंदा,
अपनाओ अभी तुम सभी अस्सी का फंडा !
फास्टिंग ब्लड शुगर , नहीं अस्सी को कूदे ,
एल डी एल वसा भी , न हीं अस्सी को फांदे !
खान पान हो ना कभी जंक फ़ूड सा गन्दा ,
ये तो हैं धन बटोरने का विदेशियों का धंधा !
ग़र रखना है ऊंचा अपने देश का झंडा ,
स्वदेशी अपनाओ , चाहे बंदी हो या बंदा ।
आओ बताऊँ, तुम्हें अस्सी का फंडा,
यही है प्यारे, स्वस्थ जीवन का फंडा !
यह कविता बहुत अच्छा सन्देश देती है. अगर कविता के सन्देश को ध्यान से अपनायें तो अस्सी पहुचना आसान बन जायेगा सभी के लिए.
ReplyDeleteअरे वाह … उम्दा पंक्तियाँ , सार्थक सन्देश
ReplyDeleteअस्सी का स्वास्थ्यरक्षक फंडा जोरदार लगा ..
ReplyDeleteआभार
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन - भारत की 'मानव कंप्यूटर' ~ शकुन्तला देवी में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteआभार।
Deleteआभार।
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुति। अच्छा संदेश देती हुई रचना।
ReplyDeleteक्या बात है !.....बेहद खूबसूरत रचना....
ReplyDeleteआप को दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं...
नयी पोस्ट@आओ देखें मुहब्बत का सपना(एक प्यार भरा नगमा)
आभार।
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