दुबई टूर के अंतिम चरण में आता है डेजर्ट सफ़ारी . शहर से क़रीब 60-70 किलोमीटर दूर बने हैं -सेंड ड्यून्स यानि रेत के टीले। इन टीलों पर फर्राटे से दौड़ती गाड़ी में बैठकर अनोखा रोमांच महसूस होता है।
हाइवे पर 140 की स्पीड से ड्राईव करते हुए ड्राईवर ने 40 में पहुंचा दिया इस स्थान पर जहाँ गाड़ियाँ एक साथ काफिला बनाकर चलती हैं . ऊपर नीचे हिचकौले खाते हुए जब गाड़ी ड्युन्स के टॉप पर जाकर नीचे आती है तब जान सी निकल जाती है . लगता है जैसे अभी पलटी।
इतना समतल स्थान तो कम ही मिलता है।
करीब 2-3 किलोमीटर के बाद बीच रेगिस्तान में पहुँच कर गाड़ी से उतर जाते हैं . जहाँ रेत में बनी ये लहरें मन को बहुत भाती हैं।
लेकिन जल्दी ही इंसानी पैरों तले रोंद दी जाती हैं।
और रह जाते हैं ये निशान , जो निश्चित ही अस्थायी होते हैं . तेज हवा के साथ ये निशान ही नहीं , ड्युन्स भी अपना अस्तित्व खो जाते हैं .
रेतीली लहरों के साथ गाड़ियों के निशान .
एक जगह आकर सारा कारवां रुक जाता है .
सब गाड़ियों से बाहर निकल पड़ते हैं और पाउच से कैमरे .
सूर्यास्त से पहले गाड़ियाँ निकल पड़ती हैं , कैम्प साईट की ओर। यह शहर की ओर कुछ किलोमीटर जाने पर आता है . यहाँ मनोरंजन के लिए कई साधन जुटाए गए हैं।
कैम्प के बाहर एक तरफ स्कूटर की सवारी हो रही थी , दूसरी तरफ ऊँट की . यहाँ सभी आकार और प्रकार के रंग बिरंगे लोग देखने को मिले।
शाम की प्रष्ठभूमि में ऊँट की सवारी।
अँधेरा हुआ तो बत्तियां जल गईं। कैम्प के गेट पर दोनों ओर बनी थी , वी आई पी गैलरी।
अन्दर का दृश्य।
एक तरफ बना था यह हुक्का बार। आखिर अरबी रात का मज़ा तो ऐसे ही आता है। हालाँकि , हुक्का पीने वाला तो कोई इक्का दुक्का ही था .
बीच में बनी स्टेज के चारों ओर दो घेरों में रेडियल रोज में मेज लगी थी जिनके साथ बैठने के लिए गद्दे बिछे थे जिन पर बैठकर खाना खाते हुए डांस देखने का प्रायोजन था। पहले एक पुरुष ने अपने जौहर दिखाए .
फिर बारी आई इस कमसिन , गोरी नवयौवना की जिसका सभी को इंतजार था . सुना था , यहाँ बेली डांस दिखाया जाता है . लेकिन गोरी चमड़ी के अलावा डांस तो नाममात्र ही था .
डांस का एक छोटा सा नमूना आपके लिए संजोया है क्योंकि अब तक कैमरे की बैटरी ख़त्म होने लगी थी .
और इस तरह रेतीले जंगल में मंगल मनाकर हम करीब रात 12 बजे होटल पहुंचे .
नोट: अगली और समापन किस्त में अरबी रातें भाग 2 में पढ़िए जो पहले कभी नहीं लिखा गया .
हूर पार्ट वन ,अगले का इंतजार ....रेत का गीत भी सुनते हैं होता है!
ReplyDeleteसुन्दर चित्रावली!
ReplyDeleteसुन्दर यात्रा और चित्र के लिए आभारी
ReplyDeleteमेरे एक मित्र का तकिया कलाम है : मौजां दुबई दियां....
ReplyDeleteइस आशा के साथ अगली पोस्ट में कुछ "मौजां दुबई..." वाली इमेज भी होगी.
जय हो..
ReplyDeleteइन चित्रों के माध्यम से अरबी रातों के नज़ारे देख लिये.
ReplyDeleteधन्यबाद.
कमाल है ..अब हम पैसे खर्च करके क्यों जाएँ.
ReplyDeleteबधाई ...
ReplyDeleteबढ़िया......
ReplyDeleteजो अब तक नहीं लिखा गया उसका इंतज़ार है...
सादर
अनु
बढ़िया तस्वीरें ...शुभकामनायें
ReplyDeleteहम तो सबसे पहले हुक्के पर ही टूटते हैं :)
ReplyDeleteधूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है .
Deleteडॉक्टर होने के नाते बताना हमारा फ़र्ज़ है . :)
हर फ्रेम हर तस्वीर बोलती बतियाती चलती है ,केप्शंस भी .इसे कहतें हैं जंगल में मंगल मनाना .
ReplyDeleteबालू में धमाल !
ReplyDeleteकुछ ऐसा ही भारत के जैसलमेर में सम ड्यून जगह पर भी दिखाया जाता है, रेत से लेकर बैली डांस तक,
ReplyDeleteआपकी रोमांचक यात्रा को पढते पढते हम भी दुबई की सैर कर रहे हैं
ReplyDeleteराजस्थान के जैसलमेर में भी ऐसा ही रेगिस्तान है, यहाँ केवल ऊँटों की ही सवारी होती है। राजस्थानी रंग से रंगी रहती है शाम। रेत बहुत खूबसूरत होती है।
ReplyDeleteजी हाँ , हम भी १९९३ में गए थे . लेकिन तब रात में नहीं रुके थे .
Deleteअच्छे चित्र !
ReplyDeleteरोमांचित करती हुई तस्वीरें हैं....
ReplyDeleteआज कई दिन बाद आपकेब्लोग पर आना हुआ इतना सुन्दर रोमांचित यात्रा वृतांत पढ़ और तस्वीरें देखी बहुत अच्छी लगी पुरानी पोस्ट पर भी जा रही हूँ
ReplyDeleteमुबारक हो आखिर आप विदेश यात्रा पर निकल ही पड़े। मस्ती तो डाक्टर साहब कभी भी कर लीजिए.....विश्व सुंदिरयों में शुमार गायत्री देवी जी कह गई हैं कि हर उम्र की अपनी खूबसूरती होती है। इसलिए वो ज्यादा मेकअप का इस्तेमाल नहीं करती थी। पर बेली डांस के नाम पर जो लूट थी वो देख कर इतना समझ आ गया कि दुनिया में हर जगह हाल एक सा ही है। हाल ही रॉक कंसर्ट में था..खत्म होने पर कुछ लड़कियों ने बैली डांस किया वो इससे बेहतर था औऱ मुफ्त अलग। तो इस मसले पर तो आप लूट गए....खैर। ऐसा तो होता रहता है। वैसे चित्र शानदार हैं।
ReplyDeleteहमने तो न लूटा , न लूटे .
Deleteलेकिन यह सच है जैसा हमने भी कहा है -- इस डांस में बेली डांस था ही नहीं .
फिर भी जो था उसका ही आनंद लिया जाए . :)
आज 06-10-12 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDelete.... आज की वार्ता में ... उधार की ज़िंदगी ...... फिर एक चौराहा ...........ब्लॉग 4 वार्ता ... संगीता स्वरूप.
रोचक विवरण .... चित्र सुंदर हैं ।
ReplyDeleteबहुत ही ख़ूबसूरत चित्रमय झलकियाँ .
ReplyDeleteबैली डांसिंग देखने का शौक है तो टर्की जाईये डाक्टर साहब...आपकी फोटोग्राफी लाजवाब है
ReplyDeleteनीरज