top hindi blogs

Wednesday, May 9, 2012

बाबा रामदेव का पतंजलि योगपीठ और --जंगल में मंगल (भाग ५).


मौका हो , दस्तूर हो और लॉन्ग वीकेंड , तो कुछ ऐसा करना चाहिए जो - दिन में ही एक जिंदगी जीने काअहसास दिलाये जैसा कि पिछले चार भाग में पढ़ा, हमने इन तीनों का पूरा फायदा उठाते हुए, पांच सूत्रीयकार्यक्रम इस प्रकार बनाया :
) लॉन्ग ड्राईव -- एक स्ट्रेस बस्टर
) चिल्ला फोरेस्ट रेस्ट हाउस -- दो दिन का रेस्ट -- बेस्ट रेजुवेनेटिंग एक्सपीरियंस
) हर की पौड़ी , हरिद्वार -- आत्म शुद्धि का अवसर प्रदान करता एक अनुभव
) जंगल सफ़ारी -- जंगली जानवरों से सीखने का अनुभव

और अंतिम भाग में , एक ऐसा अनुभव जिसे आम के आम और गुठलियों के दाम कहा जा सकता है

सुबह नाश्ते के बाद , तैयार हैं वापसी के सफ़र के लिए

हरिद्वार से रुड़की तक सड़क अभी ज्यादा अच्छी नहीं है चौड़ा करने का काम अभी चल रहा है इसलिए यहाँ काड्राईविंग एक्सपीरियंस ज्यादा अच्छा नहीं हो सकता था एक घंटा ड्राईव करके ही चाय की बड़ी तलब होने लगी थी आते समय हरिद्वार से पहले , हमें नज़र गया था -- बाबा रामदेव का आश्रम --पतंजलि योगपीठ बड़ीउत्सुकता थी यह जानने की कि वहां है क्या इसलिए वहां पहुंचते ही हमने गाड़ी मोड़ दी प्रवेश द्वार की ओर

इसके बारे में कुछ नहीं पता था इसलिए गेट पर गार्ड से पूछा -- अन्दर जा सकते हैं उसने भी आँखें फाड़ कर कहा- जी जाईये , आपके लिए ही है मैंने पूछा --बाबा रामदेव जी हैं अन्दर बोला - जी वो तो पता नहीं
खैर, पार्किंग में गाड़ी पार्क कर , हमने अपना कैमरा उठाया और निकल पड़े आश्रम की सैर पर


अन्दर से प्रवेश द्वार सारा ड्राईव वे और फुटपाथ रेड स्टोन से बना था


दोनों तरफ ये फव्वारे शीतलता प्रदान कर रहे थे साथ ही नयनाभिराम दृश्य



महर्षि पतंजलि की मूर्ति योग सूत्र के लेखक



गेट के सामने यह भव्य भवन किसी फाईव स्टार होटल जैसा दिख रहा था सामने छोटा सा बगीचाऔर उसमे चलते फव्वारे बड़ा मनोरम दृश्य था



चरक संहिता के लेखक महर्षि चरक की मूर्ति



यहाँ एक के बाद एक , अनेक भवन हैं , जिनके बारे में पता बाद में चला
दरअसल जो भव्य भवन सामने नज़र रहा था , वह बाबा रामदेव के पतंजलि योगपीठ ( अस्पताल ) की पीडी है
पी डी के चारों ओर बने हैं , अलग अलग वार्ड्स


एक वार्ड की ओर जाता रास्ता वार्ड के नाम भी कुछ इस प्रकार हैं -- योग वार्ड , ध्यान वार्ड आदि यहाँ साफसफाई देखकर मन कर आया कि यहीं जॉब के लिए आवेदन पत्र दे दिया जाए आखिर , सरकारी अस्पताल में कामकरते , यह नज़ारा हमारे लिए तो चित्त आकर्षक था



पी डी की लिस्ट
यहाँ ट्रॉली और व्हील चेयर पर कई मरीज़ देखे जो वर्षों के बीमार लग रहे थे ज़ाहिर था , पूर्ण रूप से निराश होकरयहाँ आए थे , मन में उम्मीद लिए कि शायद बाबा ही कोई चमत्कार कर दे एक रोगी से बात करने की कोशिशकरने पर यही लगा कि यह होपिंग अगेंस्ट होप का मामला ज्यादा था
आखिर दुनिया में चमत्कार भी कहाँ होते हैं


अस्पताल के भवनों से बाहर आकर मिला --अन्नपूर्णा भवन -- रेस्ट्रां यहाँ देसी घी में बने पकवान खाने मेंथोडा सा आनंद तो आया हालाँकि जहाँ हमारे प्रिय भारतवासी नागरिक हों , वहां साफ सफाई की उम्मीद नहीं कीजा सकती



भवनों की कतार के सामने बना है यह खूबसूरत पार्क यहाँ सर्दियों में धूप सेकने में बहुत मज़ा आएगा



फ़िलहाल तो गर्मी थी और धूप तेज फिर भी एक फोटो हमने भी खिंचवा लिया , टोपी पहन कर

खा पीकर अब हम निकलने के लिए तैयार थे लेकिन इस बीच हमें यहाँ की फार्मेसी भी नज़र गई थी बड़ीदिलचस्प लगी मेडम तो किचन के लिए मसाले और शरबत आदि देख रही थी और हमने खरीदी -- ज़वानी कीक्रीम -- जवाँ बनाने वाली नहीं , ज़वान दिखाने वाली जी हाँ , इसे लगाते ही चेहरे की उम्र १० साल कम हो जाती है अब वैसे भी दिखावे का ज़माना है इसलिए हम भी इसे विशेष अवसरों पर इस्तेमाल करते हैं
हालाँकि अब बाबा की सदा बहार ज़वानी का राज़ भी समझ रहा है



मेरठ बाई पास ख़त्म होते ही , मोदी नगर से पहले बना है यह जैन शिकंजी रेस्ट्रां इसके बोर्ड कई किलोमीटर सेदिखने शुरू हो जाते हैं इनकी शिकंजी बड़ी मशहूर है हालाँकि खचाखच भरे छोटे से हॉल में ३० रूपये का शिकंजीका गिलास और ४० रूपये की पनीर पकौड़े की प्लेट ( बस एक पनीर ब्रेड पकौड़ा -पांच टुकड़ों में काटा हुआ ) खानेपीने में बड़ी मुशक्कत करनी पड़ेगी लेकिन फिर भी , थोडा रिफ्रेस्गिंग तो लगेगा
रेस्ट्रां के बाहर बनी एक छोटी सी दुकान में १३० रूपये के आधे किलो रेट के विशेष बिस्कुट अत्यंत स्वादिष्ट लगे

और इस तरह पूर्ण हुआ जंगल में मंगल , फाईव इन वन पुराण

39 comments:

  1. कुमार राधारमणMay 09, 2012

    अपने देश में,खासकर सरकारी अस्पतालों का माहौल ऐसा है कि अटेंडेंट की तबीयत भी ख़राब हो जाए। साफ-सुथरा वातावरण निश्चय ही रोगी की सुधार प्रक्रिया को तेज़ करता है। अच्छा हो कि पतंजलि योगपीठ मेडिकल टूरिज्म का अंतर्राष्ट्रीय केंद्र बने।

    ReplyDelete
  2. पतंजलि योगपीठ के बारे में कुछ भी नहीं पता था... सचित्र जानकारी के लिए धन्यवाद डॉक्टर साहिब!

    ReplyDelete
  3. एक बार गये हैं वहाँ पर, बड़ा सुन्दर परिसर बनाया है।

    ReplyDelete
  4. मैं भी हो आया हूँ अच्छा लगता है
    बहुत सुन्दर सचित्र वर्णन

    ReplyDelete
  5. अभी तक खाली सुने ही थे...अगर साफ़-सुथरी व्यवस्था का इंतजाम पतंजलि आश्रम में है तो उसके लिए बाबा को साधुवाद,भले ही यह निशुल्क न हो !
    आपने घूमने के सारे मजे लिए,हमें भी सचित्र जानकारी दी !

    ReplyDelete
  6. सचित्र पतंजलि योगपीठ का सुंदर वर्णन और फाईव इन वन पुराण अच्छा लगा ।

    my recent post....काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....

    ReplyDelete
  7. नज़दीक से दिखा दिया आपने बाबा राम देवजी का चबूतरा .जो हमारे फोर्टिस अस्पताल की भी चिरौरी करता है साफ़ सफाई के मामले में .शुक्रिया .कृपया यहाँ भी पधारें -
    बुधवार, 9 मई 2012
    शरीर की कैद में छटपटाता मनो -भौतिक शरीर
    http://veerubhai1947.blogspot.in/
    आरोग्य समाचार
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/05/blog-post_09.हटमल
    क्या डायनासौर जलवायु परिवर्तन और खुद अपने विनाश का कारण बने ?
    क्या डायनासौर जलवायु परिवर्तन और खुद अपने विनाश का कारण बने ?
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/

    ReplyDelete
  8. हम तो आपके ही सहारे घूम रहे है आजकल ... टोपी वाली फोटो मे काफी स्मार्ट लग रहे है आप ... क्रीम लगाने से पहले यह हाल तो लगाने के बाद क्या होगा ???


    मैंने अपने ब्लॉग का टेंप्लेट बदल दिया है ... एक बार देखिएगा ... उम्मीद है अब दिक्कत नहीं होगी !

    ReplyDelete
  9. सचित्र वर्णन ....बहुत खूब

    ReplyDelete
  10. मजेदार रहा, आनंददायक.

    ReplyDelete
  11. उफ़ ये आश्रम है या सेवेन स्टार होटल..कमाल है योग का :)
    और ये जैन शिकंजी की शिकंजी तो हमने भी पी है. सच में तरोताजा करने में सक्षम है.

    ReplyDelete
  12. जंगल पुराण का अंतिम पड़ाव भी बाकी के चारों पड़ाव की तरह ही काफी रोमांचक रहा. पतंजलि योगपीठ के बारे में जानकार और वहाँ की सुंदर व्यवस्था देखकर मन प्रसन्न हो गया. लेकिन वह क्रीम सबसे जोरदार रही एक बार इस्तेमाल करो और दस साल कम और कहीं ज्यादा इस्तेमाल कर ली तो.....

    ReplyDelete
    Replies
    1. हा हा हा ! रचना जी , हम तो खुद ही कहते हैं , डॉक्टर की देख रेख में ही दवा का इस्तेमाल करना चाहिए ।

      Delete
  13. लगता है पूरे अस्पताल ने ज़वानी की क्रीम लगा रखी है! बहुत चमक रहा है। कित्ते की है? :)

    ReplyDelete
    Replies
    1. पाण्डे जी , ज़वान होने की कोई कीमत देखता है भला !

      Delete
  14. वाकई आपका सफ़र मंगल दायक रहा ...
    बधाई !

    ReplyDelete
  15. मुझे तो आपसे फोटोग्रैफी सीखनी है...

    ReplyDelete
  16. आप ने अच्छी वाली घुमाई कर ली।

    ReplyDelete
  17. अरे पुराण खतम................????
    पाठकों की मांग पर क्या इसे और extend नहीं कर सकते???
    (contact ekta kapoor..)
    :-)
    बहुत बढ़िया लगा आश्रम.....वैसे बाबा के फार्मा प्रोडक्ट्स भी अच्छे ही हैं....

    सादर.
    अनु

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी , नंबर है आपके पास ?

      Delete
    2. :-)

      बड़ा लंबा नंबर है....याद ही नहीं होता :-)

      Delete
  18. बाबा रामदेव के आश्रम के दर्शन भी चित्रों के माध्यम से कर लिए .... बढ़िया रही पूरी रिपोर्ट

    ReplyDelete
  19. और आप पुनरूर्जित होकर लौटे ...मुबारक हो यह सुहाना सफ़र और यह नयी जवानी

    ReplyDelete
  20. हमारा तो गाँव जानेका रास्ता ही वही है मगर आपका पेश करने का अंदाज बहुत अच्छा लगा ! यही तो फर्क है एक पेशेवर और आम इंसान में :)

    ReplyDelete
  21. बाबा रामदेव का आश्रम तो आपके बहाने देख ही लिया .. योग में तो इतनी रूचि नहीं पता नहीं देख भी पाते या नहीं .. पर अब कोई रंज नहीं ... आपके कमरे की तीखी दृष्टि चार चाँद लगा देती है ...
    बजा आया आपका अंदाज़ ...

    ReplyDelete
  22. फोटो बड़े ही आकर्षक हैं कुछ close फोटो होते तो और मजा आता . यदि किसी विशेष व्यक्ति से भी आप मिलते वहां और कुछ यहाँ की खाशियत भी बताते तो पोस्ट आकर्षक लगती. सूर्य को दीपक दिखा रहा हूँ. इसके लिए क्षमा करें.

    ReplyDelete
    Replies
    1. सही कह रहे हैं आप . दरअसल हमारा यहाँ जाना महज़ एक इत्तेफाक था . यूँ कहिये वापसी में इस रास्ते पर चाय पीने की एक अच्छी जगह तलाश रहे थे . बस फोटो खींचने लायक ही समय था हमारे पास .

      Delete
  23. iइस मर्तबा कुछ भेंट वाआयें लाए..मुमकिन हो राम देवजी से भी मिलवायें ..बढ़िया प्रस्तुति ..कृपया यहाँ भी पधारें -
    बुधवार, 9 मई 2012
    शरीर की कैद में छटपटाता मनो -भौतिक शरीर
    http://veerubhai1947.blogspot.in/
    रहिमन पानी राखिये
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/

    ReplyDelete
  24. ये भी ठीक है कि इस आश्रम को टूरिस्ट स्पाट की तरह से भी घूमा जा सकता है !

    ReplyDelete
  25. JCMay 10, 2012 7:15 PM
    जो हमने पहले अपने बचपन में देखा, आम भारतीय अस्पताल के नाम से ही डरता था... अपनी- अपनी परम्परानुसार हकीम,बैद, डॉक्टर आदि आदि का इलाज चलता था, और अस्पताल में आखिरी स्टेज में ही बीमार को भर्ती किया जाता था... असंख्य में से एक, बाबा एक रोल मॉडल हैं जो मुख्यतः शारीरिक व्यायाम, और भारतीय गाँव के एक सीधे- सादे मन के व्यक्तित्व होने के कारण प्रसिद्धि प्राप्त कर पाए हैं (वैसे शिव जी भी भोलेनाथ कहाते हैं)... और जड़ी-बूटी अदि का ज्ञान तो भारत में सदियों से चला आ रहा है...
    'चमत्कार' आज भी होते ही रहते हैं, किन्तु हम 'आधुनिक भारतीय' उन को अनदेखा कर देते हैं जिनका कोई उत्तर (हमारे, आधुनिक शिक्षा के माध्यम से) पास नहीं होता... वरना मानव में, और निम्न श्रेणी के पशुओं में भी, मानस पटल पर स्वप्न दिखना ही एक 'चमत्कार' है...

    ReplyDelete
  26. चलिये आपके ब्लॉग के सहारे अपनी यात्रा भी हो गयी, धन्यवाद!

    ReplyDelete
  27. बाबा ने काम तो कमाल का किया है, सरकारी और निजि में यहीं फ़र्क दिख जाता है। राम राम

    ReplyDelete
  28. जंगल में मंगल का भ्रमण बहुत-बहुत मुबारक हो ....
    दो साल पहले मैं भी गया था बाबा रामदेव का पतंजलि योगपीठ को देख कर आया था |
    बाबा के दर्शन वाला स्थान आप ने नही दिखाया ....चलो कोई बात नही ..जो आप ने दिखाया
    बहुत अच्छा लगा |
    आभार!

    ReplyDelete
    Replies
    1. अशोक जी , मन तो था लेकिन समय की कमी के कारण बस अस्पताल में घूम कर आ गए .

      Delete
  29. बहुत ही बढ़िया रहा आपका यह सफर नामा बाबा रामदेव के योग पीठ के बारे में आज तक केवल टीवी पर ही देखा, सुना था मगर आज आपकी इस पोस्ट के मध्यम वहाँ के बारे में बहुत करीब से देखने को और जानने को मिला, खासकर वहाँ OPD और वर्ड्स भी हैं इस बात की जानकारी मुझे ज़रा भी नहीं थी।.....आभार

    ReplyDelete
  30. डॉक्टर टी ऐस साहब बच्चो के लिए अछ्छे बैद जी का संम्पर्क सूत्र दे

    ReplyDelete