चाचा छक्कन जब सुबह से
आराम करते करते थक गए
तो यकायक उन्हें गोल गप्पे याद आ गए।
यह सोचकर ही चचा एक बार तो शरमा गए।
आखिर औरों को हाइजीन का पाठ पढाते थे आप,
फिर खुद कैसे करते ये पाप।
तभी याद आया कि वो मिठाई वाला
तो ग्लव्ज पहनकर खिलाता है।
और स्वाद भी नंबर वन पर आता है।
सोचा चलो चलते हैं लेके राम का नाम,
इसी बहाने वॉक करके हो जाएगा व्यायाम।
लेकिन वहां गोल गप्पे का काउंटर खाली पड़ा था,
उसकी जगह एक बड़ा सा टेंट गड़ा था।
चारों ओर बिखरी थीं गुज्जियां ही गुज्जियाँ,
हाइजीन की तो फिर उड़ रही थीं धज्जियां।
होली तो अभी तीन दिन थी दूर,
फिर जाने लोगों में किस बात का था सुरूर।
चाचा ने सोचा, खोमचा वाला भी तो खिलाता है,
और चटकारे लेकर खाने में सचमुच बड़ा मज़ा आता है।
खोमचे वाले तो दिखाई दिए अनेक,
पर हर एक पर भीड़ बड़ी थी,
वो मिठाई वाले की कस्टमर नारियां,
अब सब खोमचे वाले के पास खड़ी थीं।
अब तो गोल गप्पे का पानी देखकर
मुंह में पानी आने लगा था।
लेकिन इसका भी डर सताने लगा था,
कि खुले में गोल गप्पे कैसे खाएंगे।
कोई जान पहचान वाला दिख गया
तो क्या मुंह दिखाएंगे।
बस फिर मन में एक कसक लिए
मुंह में आए पानी को सटक,
चचा वहां से खिसक लिए।
अभी जा ही रहे थे सर झुकाए,
मन ही मन शरमाए,
तभी रेहड़ी पर रखे केले दिखे,
तो चाचा ने फौरन एक दर्जन खरीद लिए,
और घर की राह पर निकल लिए।
अब चचा छक्कन हर आधे घंटे में
एक केला खाए जा रहे हैं,
और मन में हिसाब लगाए जा रहे हैं,
कि पत्नी के आने तक कितने बचेंगे,
या बचेंगे भी नहीं, यदि पत्नी देर से आई।
वैसे भी उन्हें केले पसंद हैं ही नहीं,
उनको खिला देंगे वही मिठाई वाले की मिठाई।
और इस तरह गोल गप्पे के चक्कर में
चचा एक दर्जन केले गप गए,
पहले आराम कर के थके थे,
अब केले खाकर पस्त हो गए।
और आराम से लंबी तान मस्त सो गए।
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