कारवां गुज़र गया, पर गुबार अभी बाकी है।
मुर्झाने लगे हैं चमन, पर बहार अभी बाकी है।
अब ना मुंह में दांत हैं, बिनाई भी है कमज़ोर,
बूढ़ा मत समझो जानम, खुमार अभी बाकी है।
गिरे सर के बाल सर के बल, निकला चांद बेदाग,
सूखी फसल बालों की, खरपतवार अभी बाकी हैं।
इश्क हम बहुत करते रहे उनसे यूं तो जिंदगी भर,
उम्र निकल गई पर, प्यार का इजहार अभी बाकी है।
ताउम्र करते रहे इंतजार मन में यही उम्मीद लिए,
कि इज़हार हो ना हो, पर इनकार अभी बाकी है।
आधुनिकता की होड़ में दौड़ रहा है सारा संसार,
खुशकिस्मत हैं हम, देश में संस्कार अभी बाकी है।
बदल लिया है यूं तो हमने भी आशियां अपना,
कहने को दूर भले है, पर प्यार अभी बाकी है।
सुन्दर
ReplyDeleteआभार।
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteआभार। 😊
Deleteबहुत ख़ूब, उम्मीद का दिया ऐसे ही जला रहना चाहिए
ReplyDeleteजी शुक्रिया। 😊
Deleteकहते हैं उम्मीद पर दुनिया कायम है।
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुति।
जी शुक्रिया।
Deleteवाह ! मस्त।
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद।
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