रोजमर्रा की भाग दौड़ की ज़िदगी से हटकर यदि कुछ दिनों के लिये भी आप शहर से दूर किसी पर्वतीय स्थल पर चले जाएं , तो तन और मन मे नई ऊर्ज़ा और स्फूर्ति का संचार हो जाता है
पर्वतों की रानी मसूरी मे एक सुहानी सुबह , धुंध भरी ! वृक्ष भी जैसे मिलकर हमारा मनोरंजन करने के लिये तैयार थे !
लेकिन शाम का धुंधलका सूर्य और बादलों के साथ आंख मिचौली खेलता हुआ , पर्वतीय धरा पर अपना रंगई जादू बिखेर रहा था !
पर्वतों मे कुछ ही दिन का आराम और सुबह की सैर , और रास्ते मे खोखे की चाय , जीवन को असली आनंद से भर देती है !
इस छोटे से स्तूप को अक्सर हम मिस कर जाते थे ! लेकिन देखिये तस्वीर मे कितना भव्य लग रहा है !
ये टेढ़े मेढ़े पहाड़ी रास्ते हमे बताते हैं कि जिंदगी कभी सीधी नहीं चलती ! इसमे ना जाने कितने मोड़ , उतार चढ़ाव और पड़ाव आते हैं !
हमारे लिये तो हर यात्रा एक हनीमून जैसी होती है ! फिर आपकी शादी को तीन दिन हुए हों या तीस साल , क्या फर्क पड़ता है ! यह फोटो एक नवविवाहित युग्ल द्वारा ली गई है !
इस वृक्ष ने हमे सिखाया कि कैसे हर विपरीत परिस्थिति का सामना करते हुए अपने अस्तित्व को कायम रखा जा सकता है ! बहारें फिर भी आती हैं , फिर भी आयेंगी , बस हौसला बनाये रखना आवश्यक होता है !
अब पहाड़ी पर्यटक स्थलों पर भी ध्यान दिया जा रहा है ! यह अच्छी बात है !
दिल को सकूं पहुंचाती एक और सुहानी शाम ढलने वाली है !
अगली भोर ने फिर अपनी सुंदरता बिखेर दी !
यहाँ मौसम भी घड़ी घड़ी अंगडाई लेता है ! कभी धूप कभी छाँव ! यही तो खूबसूरती है मसूरी की !
शहर मे ही घना जंगल हो तो वायु भी शुद्ध ही होती है ! बस इसे अशुद्ध ना कर दें , यह हमारा फ़र्ज़ है !
एक पैरामिलिट्री फोर्स के गेट के पास से मसूरी का यह नज़ारा बड़ा मनमोहक होता है ! कुछ देर तक निहारने के बाद जब हमने एक ज़वान से फोटो लेने का अनुरोध किया तो उसने बड़े प्यार से कहा कि सर मैं तो कब से इंतज़ार कर रहा था कि आप मुझे फोटो खींचने के लिये कहें ! फिर उसने धड़ाधड़ कई फोटो खींच डाले ! शायद उसे हम मे अपने माँ पिता नज़र आ रहे थे !
हर सुबह की शाम होती है ! लेकिन हर शाम के बाद सुबह भी आती है ! यही संदेश देती हुई इस शाम के सुनहरे नज़ारे को आँखों मे भरकर हमने अगले दिन दिल्ली के लिये प्रस्थान करने की तैयारी की , मन मे एक बार फिर मसूरी आने की तमन्ना के साथ !
आनंद दायक।
ReplyDeleteलगभग २ वर्ष पूर्व ऑफिस ट्रेनिंग में मसूरी गयी थी आज आपने खूबसूरत प्रस्तुति से उस समय के याद ताज़ी कर दी ... बहुत सुन्दर रमणीक दृश्य जिन्हें बार देखना चाहेंगे हर कोई ....
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुत हेतु शुक्रिया
मंसूरी को अपने कमरे के हर कोण से कैद कर लिया है आपने ...
ReplyDeleteमज़ा आ गया डॉक्टर साहब ...
वाह.......आपके साथ घुमक्कड़ी का मज़ा ही और है....
ReplyDelete:-)
सादर
अनु
सुन्दर सदृश्य , सुन्दर प्रस्तुति, ओर फिर आप तो पहाड़ो की रानी मसूरी में रम गए।।
ReplyDeleteपच्चीस वर्ष हो गए , गए हुए , शायद अब कुछ बदल गया हो , पहले की वह शांति , शीतलता अब नहीं ,माल रोड का नज़ारा अब कैसा है वह बताना भूल गए , एक बार स्मृतियों के जंगल में ले जाने के लिए शुक्रिया , सुन्दर
ReplyDeletebehtreen prstuti....
ReplyDeleteक्या बात है. बढ़िया सैर रही
ReplyDeleteUsually I do not learn post on blogs, but I wish
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