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Wednesday, July 9, 2014

मनुष्य अपने मित्रों से जाना पहचाना जाता है ---


जो ख़ुशी में इतराये ना ,
ग़म से कभी घबराये ना !
ऐसे शख्स का संग भी ,
सत्संग जैसा होता है !

जो ख़ुशी में बुलाये ना ,
ग़म में साथ निभाए ना !
ऐसे शख्स का याराना ,
नादानों जैसा होता है !


जो दिल की बात बताये ना,
दिल की लगी को भुलाये ना !
ऐसे शख्स से दिल लगाना ,
आत्मघात जैसा होता है !




12 comments:

  1. बहुत सारगर्भित परिभाषा प्रस्तुत की है अपने।

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  2. बिलकुल सच जैसे......... जो दुख मे खड़ा न हो ,प्यार मे लड़ा न हो ,दिल से बड़ा न हो ... मित्र नहीं होता

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  3. तीनों स्थितियों को बाखूबी लिखा है ...
    पर सच्चे दोस्त हर हाल में दोस्त ही रहते हैं ... सारगर्भित ...

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  4. You can definitely see your enthusiasm within the work you write.
    The sector hopes for even more passionate writers such as you who are not afraid to mention how they believe.
    At all times go after your heart.

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  5. बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........

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  6. दिल से उफनते अनुभव के बोल
    बेहतरीन और सत्य। ………… बधाई

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  7. बहुत बढ़िया, सारगर्भित !!

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  8. अहो भाग्य हमारे,आप हमारे पधारे।
    अच्छे -सच्चे मित्रो का होना सौभाग्य वर्धक होता है।
    मित्र रहित व्यक्ति को जीवन में सुख प्राप्त नहीं होता।
    आप की यह छोटी सी मुलाकात,ओर आप का साथ
    जीवन के अंतिम क्षणों तक असमर्निय रहेगा।
    सारगर्भित - अति सुन्दर प्रस्तुति,
    ने हमें भी अलिंकृत कर दिया।धन्यवाद

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    Replies
    1. हमे भी बहुत अच्छा लगा शर्मा जी आपसे मिलकर ! एक पल को भी यह अहसास नहीं हुआ कि हम पहली बार मिल रहे हैं ! याद रहेगी ये छोटी सी मुलाकात !

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