कई साल पहले की बात है। बैठे बैठे यूँ ही विचार आया कि जब पति पत्नी ७० साल पार कर जाते हैं , तब उनका प्रेम वार्तालाप कैसा होता होगा ! कल्पना शक्ति का सहारा लेकर कुछ यूँ ख्याल आए :
१ ) पति :
प्रिये याद करो वो दिन,
जब तुम्हारी एक हंसी पर, हम हुए थे फ़िदा ।
कभी दिल की नस नस में बसे थे हम
सुना है अब वहां स्टेंट निवास करते हैं.
फिर भी सनम हर हाल में हम तो
अब बदल गया वो मंज़र ,
अब ना मूंह में दांत रहे, ना वो हसीं अदा ।
जिन आँखों में झलकते थे मोती,
अब मोतिया देता है दिखाई ।
सुन लेती थी तुम दिल की धड़कन भी दूर से
अब कानों में मशीन लगी पर, आवाज़ भी न दे सुनाई ।
काली लहराती सावन की घटा सी थी तुम्हारी जुल्फें
अब खोला करों न इनको , रामसे फिल्म्स की नायिका देती हो दिखाई ।
२ ) पत्नी : ( एक के बदले तीन ) :
२ ) पत्नी : ( एक के बदले तीन ) :
कभी रात रात भर करते थे मीठी बातें,
अब बात बात पर करते हो लड़ाई ।
दिखाते थे नाईट शो में जेम्स बांड की फ़िल्में
अब चुपके से अकेले में देखते हो जलेबी बाई ।
रोज सुबह शाम लगाते थे जिसके चक्कर
अब उस गली का नाम तक याद नहीं ।
उड़ाते थे गुलाब जामुन , ज़लेबी कभी हलवा
अब करेले के सिवाय कुछ सवाद नहीं ।
कभी शेरों के शिकार की सुनाते थे दास्ताँ
अब सत्यम के शेयरों में सब गँवा कर बैठे हो ।
दावा करते थे खाने का सीने पे गोलियां
मियां अब गोलियां खाकर ही जीते हो ।
जिन सांसों में समाई थी यौवन की खुशबु
अब गार्लिक पर्ल्स की गंध आती है ।
और ये साँस भी मुई अब तो
बिना इन्हेलर के कहाँ आती है ।
सुना है अब वहां स्टेंट निवास करते हैं.
फिर भी सनम हर हाल में हम तो
बस तुम्ही पर विश्वास रखते हैं.
३ )
३ )
जीवन के सब उपवन , जब मुरझा जाते हैं
तब पति पत्नी ही बस , इक दूजे संग रह जाते है ।
यौवन की तपन हो या , वृधावस्था की शीत ।
हर पल साथ निभाए जा , सच्चा मन का मीत ।।
जिन सांसों में समाई थी यौवन की खुशबु
ReplyDeleteअब गार्लिक पर्ल्स की गंध आती है ।
क्या यार ..
आशिकी का क्या होगा ?
जब मूंह में दांत ही नहीं --- ! :)
Deleteदिखाते थे नाईट शो में जेम्स बांड की फ़िल्में
ReplyDeleteअब चुपके से अकेले में देखते हो जलेबी बाई।
वाह वाह !!! दराल साहब क्या बात है ,,,
RECENT POST : समझ में आया बापू .
जय हो, आनन्द आ गया।
ReplyDeleteबेहतरीन कहा आपने
ReplyDeleteवही
" ये देखो हमारा शादी का फोटो ...
हूँ .......तुमसे मच्छर ढूँढने को कहा था ना "
:)
Deleteयहाँ तक ठहाके सुनाई देते हैं ज़नाब के
ReplyDeleteआओ तो सही ,बहुत भ्रम टूटेगे आप के ....:-))))
विशेषरूप से अंतिम दो पंक्तियां बहुत ख़ूबसूरत और सार्थक लगीं|
ReplyDeleteकभी शेरों के शिकार की सुनाते थे दास्ताँ
ReplyDeleteअब सत्यम के शेयरों में सब गँवा कर बैठे हो ।
what an expression of thoughts
मस्त संवाद पति पत्नी के बीच ... सत्तर की अवस्था में अगर दोनों कवि रहे तब क्या होगा ...
ReplyDeleteमज़ा आ गया सर ...
क्या डॉ साहेब,आप बढाई कर रहे हो या हंसी उड़ा रहे हो---70के बाद ही असल में प्यार होता है ......
ReplyDeleteजी , अंतिम पंक्तियों में यही दिख रहा है.
Deletewah wah.
ReplyDeletebahut khoob.
CHANDER KUMAR SONI
WWW.CHANDERKSONI.COM
वाह जी ....बहुत खूब।
ReplyDeleteबुझ चुकी है तेरे हुस्न की राख, इक हमी है जो तेरे इश्क का हुक्का गुड़गुडाये जाते हैं
ReplyDeleteमस्त लिखा !
bahut khoob
ReplyDeleteआप काहे बैठे बिठाये हमारी पोल खोल रहे हैं?:)
ReplyDeleteरामराम.
असली पोल खोल तो अभी आनी है ! :)
Delete:):) गजब की कल्पनाशक्ति है ।
ReplyDeleteहे हे हे ..जबरदस्त है . :) :)
ReplyDeleteजीवन के सब उपवन , जब मुरझा जाते हैं
ReplyDeleteतब पति पत्नी ही बस , इक दूजे संग रह जाते है ।
यौवन की तपन हो या , वृधावस्था की शीत ।
हर पल साथ निभाए जा , सच्चा मन का मीत ।।
वास्तव में यही जीवन का सत्य है
अन्त में दो दोनों का साथ ही रह जाता है इसलिए लड़ाई नहीं होती है। बस चुपचाप सी जिन्दगी गुजरती रहती है।
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