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Sunday, September 8, 2013

सच्चा मन का मीत --- एक वृद्धावस्था प्रेम वार्तालाप ....


कई साल पहले की बात है। बैठे बैठे यूँ ही विचार आया कि जब पति पत्नी ७० साल पार कर जाते हैं , तब उनका प्रेम वार्तालाप कैसा होता होगा ! कल्पना शक्ति का सहारा लेकर कुछ यूँ ख्याल आए :
  
  १ ) पति :

प्रिये याद करो वो दिन,
जब तुम्हारी एक हंसी पर, हम हुए थे फ़िदा ।
अब बदल गया वो मंज़र ,
अब ना मूंह में दांत रहे, ना वो हसीं अदा 

जिन आँखों में झलकते थे मोती,
अब मोतिया देता है दिखाई 

सुन लेती थी तुम दिल की धड़कन भी दूर से
अब कानों में मशीन लगी पर, आवाज़ भी  दे सुनाई 

काली लहराती सावन की घटा सी थी तुम्हारी जुल्फें
अब खोला करों  इनको , रामसे फिल्म्स की नायिका देती हो दिखाई 


२ ) पत्नी :  ( एक के बदले तीन ) :


कभी रात रात भर करते थे मीठी बातें,
अब बात बात पर करते हो लड़ाई 

दिखाते थे नाईट शो में जेम्स बांड की फ़िल्में 
अब चुपके से अकेले में देखते हो जलेबी बाई  

रोज सुबह शाम लगाते थे जिसके चक्कर
अब उस गली का नाम तक याद नहीं 

उड़ाते थे गुलाब जामुन , ज़लेबी कभी हलवा
अब करेले के सिवाय कुछ सवाद नहीं 

कभी शेरों के शिकार की सुनाते थे दास्ताँ
अब सत्यम के शेयरों में सब गँवा कर बैठे हो 

दावा करते थे खाने का सीने पे गोलियां
मियां अब गोलियां खाकर ही जीते हो 

जिन सांसों में समाई थी यौवन की खुशबु
अब गार्लिक पर्ल्स की गंध आती है 

और ये साँस भी मुई अब तो 
बिना इन्हेलर के कहाँ आती है ।

कभी दिल की नस नस में बसे थे हम
सुना है अब वहां स्टेंट निवास करते हैं.

फिर भी सनम हर हाल में हम तो
बस तुम्ही पर विश्वास रखते हैं.  

३ ) 

जीवन के सब उपवन , जब मुरझा जाते हैं
तब पति पत्नी ही बस , इक दूजे संग रह जाते है 

यौवन की तपन हो या , वृधावस्था की शीत 
हर पल साथ निभाए जा , सच्चा मन का मीत 

   

22 comments:

  1. जिन सांसों में समाई थी यौवन की खुशबु
    अब गार्लिक पर्ल्स की गंध आती है ।

    क्या यार ..
    आशिकी का क्या होगा ?

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    1. जब मूंह में दांत ही नहीं --- ! :)

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  2. दिखाते थे नाईट शो में जेम्स बांड की फ़िल्में
    अब चुपके से अकेले में देखते हो जलेबी बाई।
    वाह वाह !!! दराल साहब क्या बात है ,,,

    RECENT POST : समझ में आया बापू .

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  3. बेहतरीन कहा आपने
    वही
    " ये देखो हमारा शादी का फोटो ...
    हूँ .......तुमसे मच्छर ढूँढने को कहा था ना "

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  4. यहाँ तक ठहाके सुनाई देते हैं ज़नाब के
    आओ तो सही ,बहुत भ्रम टूटेगे आप के ....:-))))

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  5. विशेषरूप से अंतिम दो पंक्तियां बहुत ख़ूबसूरत और सार्थक लगीं|

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  6. कभी शेरों के शिकार की सुनाते थे दास्ताँ

    अब सत्यम के शेयरों में सब गँवा कर बैठे हो ।

    what an expression of thoughts

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  7. मस्त संवाद पति पत्नी के बीच ... सत्तर की अवस्था में अगर दोनों कवि रहे तब क्या होगा ...
    मज़ा आ गया सर ...

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  8. क्या डॉ साहेब,आप बढाई कर रहे हो या हंसी उड़ा रहे हो---70के बाद ही असल में प्यार होता है ......

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    1. जी , अंतिम पंक्तियों में यही दिख रहा है.

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  9. wah wah.
    bahut khoob.
    CHANDER KUMAR SONI
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  10. वाह जी ....बहुत खूब।

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  11. बुझ चुकी है तेरे हुस्न की राख, इक हमी है जो तेरे इश्क का हुक्का गुड़गुडाये जाते हैं
    मस्त लिखा !

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  12. आप काहे बैठे बिठाये हमारी पोल खोल रहे हैं?:)

    रामराम.

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    1. असली पोल खोल तो अभी आनी है ! :)

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  13. :):) गजब की कल्पनाशक्ति है ।

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  14. हे हे हे ..जबरदस्त है . :) :)

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  15. जीवन के सब उपवन , जब मुरझा जाते हैं
    तब पति पत्नी ही बस , इक दूजे संग रह जाते है ।

    यौवन की तपन हो या , वृधावस्था की शीत ।
    हर पल साथ निभाए जा , सच्चा मन का मीत ।।

    वास्तव में यही जीवन का सत्य है

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  16. अन्‍त में दो दोनों का साथ ही रह जाता है इसलिए लड़ाई नहीं होती है। बस चुपचाप सी जिन्‍दगी गुजरती रहती है।

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